खजुराहो मंदिर का इतिहास Khajuraho Temple History Story in Hindi
खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश के झाँसी से 175 किलोमीटर दक्षिण की तरफ स्थित है। खजुराहो को कई नामों से जाना जाता है। पहले के समय में यहाँ बहुत से खजूर के वृक्ष थे। इसी कारण से इसका नाम खजुराहो पड़ा।
प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसको ‘चि: चि: तौ’ कहा, तो अलबरूनी ने ‘जेजाहुति’ कहा, इब्नबतूता ने इसे कजारा कहा। चंद बर दाई की रचनाओं में इसे ‘खजूरपुर’ कहा गया और अब इसे खजुरवाहक के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर अपनी नागरा आकृति और कामोत्तेजक मूर्ति कला के लिए प्रसिद्ध है।
खजुराहो मंदिर का इतिहास Khajuraho Temple History Story in Hindi
इतिहास
इन मन्दिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के समय हुआ। 12 वीं शताब्दी से खजुराहो में लगभग 85 मंदिर हैं जो 20 किलोमीटर में फैले हुए हैं। लेकिन अब कुछ ही मंदिर बचे हुए हैं जो अब 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं।
जिनमे से कंदरिया महादेव का मंदिर प्रसिद्ध है व इसमें बहुत सी ऐतिहासिक मूर्तियां बनी हुई हैं। इन मंदिरों में हिन्दू व जैन दोनों धर्मों का मिश्रण दिखाई देता है। दोनों ही धर्मों की परम्पराओं का वर्णन इन मूर्तियों में है।
एक तरफ रखरखाव के आभाव के कारण इन मूर्तियों का ह्रास भी हुआ था तो दूसरी तरफ चोरी भी होने लगी थी। कुछ लोगों ने इन मूर्तियों को सही संकेत न मानते हुए नष्ट करने का सोचा तो कुछ लोगों ने कहा कि ये धर्म के विरुद्ध मूर्तियों हैं। सन् 1986 ई. में यूनेस्को ने इस स्थल को विश्व विरासत में शामिल किया। इसे भारत के सात अजूबों में भी माना गया है।
चंदेल साम्राज्य के समय खजुराहो के स्मारकों का निर्माण हुआ। राजा चन्द्रवर्मन ने चंदेल वंश और खजुराहो की स्थापना की। मध्यकाल के समय राजा चन्द्रवर्मन ने राज्य किया और कुछ समय बाद उनके शासन को बुंदेलखंड नाम दे दिया गया और तब से ही खजुराहो का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया।
यह कार्य लगभग 950 ई से 1050 ई तक चला। इसके पश्चात चन्देलों ने अपनी राजधानी महोबा बना ली। हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि चंदबरदाई की रचना पृथ्वीराज रासो में चन्देलों का सन्दर्भ मिलता है। जिसका वर्णन इस प्रकार है।
काशी में एक राजपंडित रहा करते थे जिनकी पुत्री हेमवती अत्यंत रूपवती थी। एक रात्रि वह जल में स्नान कर रही थी। उनका अपूर्व सौंदर्य देखकर चंद्रदेव उन पर मोहित हो गए। वे वेश बदलकर आये और हेमवती का हरण कर ले गए। हरण करने के बाद उनको पता चला कि वह एक विधवा स्त्री है और उसका एक पुत्र भी है। तब हेमवती ने चंद्रदेव पर चरित्र हनन करने का आरोप लगाया।
तब चंद्रदेव को पश्चाताप हुआ और उन्होंने हेमवती से कहा कि तुम एक वीर पुत्र की माँ बनोगी। उन्होंने कहा कि वह अपने पुत्र को खजूरपुरा ले जाये और वही बालक बड़ा होकर वीर राजा बनेगा और भव्य मंदिरों का निर्माण करवाएगा और वहां एक बड़ा यज्ञ करेगा जिससे तुम्हारे सारे पाप नष्ट हो जायेंगे। तब हेमवती घर छोड़कर एक गांव में रहने लगी और एक पुत्र को जन्म दिया।
बड़े होकर हेमवती का पुत्र चन्द्रवर्मन एक तेजस्वी राजा बना। ऐसे असाधारण गुणों को देखकर हेमवती ने चंद्रदेव की आराधना की। तब चंद्रदेव ने चन्द्रवर्मन को पारस पत्थर दिया और खजुराहो का राजा बना दिया। तब चन्द्रवर्मन ने उस जगह को बहुत ही सुन्दर बनवा दिया, 85 मंदिरों का निर्माण करवाया और यज्ञ का आयोजन किया जिससे हेमवती पापमुक्त हो गयी। तब से खजुराहो स्थल एक अद्वितीय स्थल बन गया।
खजुराहो में मंदिरों का समूह
यहाँ कई सारे मंदिर हैं। मंदिरों का यह समूह पश्चिम की तरफ है। जिसका भ्रमण करने के लिए लोग पूरे विश्व से आते हैं। लोगों का मानना है कि इनमें देवी – देवताओं के प्रति भक्ति – भाव दिखाया गया है।
इन मंदिरों के बारे में हम आपको संक्षेप में बताते हैं –
पार्वती मंदिर – इस मंदिर में देवी गंगा विराजमान हैं जो नदियों की देवी हैं। वे अपने वाहक मगरमच्छ पर खड़ी हुई हैं। यह मंदिर गौरी का प्रतिनिधित्व करता है जो देवी पार्वती का ही एक रूप है। विद्वानों के अनुसार मूल रूप से यह मंदिर भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
नंदी मंदिर – यह मंदिर शिव वाहक नंदी को समर्पित है। इसमें 12 स्तम्भ हैं। मूर्ती की लम्बाई 2.20 मीटर है। यह मंदिर विश्वनाथ मंदिर का सामना करते हुए स्थापित किया गया है।
विश्वनाथ मंदिर – भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर खजुराहो की उपलब्धियों में से सबसे बेहतरीन है। यह मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ है जिसका निर्माण काल 1002 -1003 ईसवी है।
सूर्य मंदिर – यह चित्रगुप्त मंदिर है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। यहाँ भगवान सूर्य की सात फुट ऊँची मूर्ती है जो सात घोड़े वाले रथ को चलाती है।
देवी जगदम्बा मंदिर – यह मंदिर कंदरिया महादेव के उत्तर की तरफ है। इस मंदिर की वास्तुकला सराहनीय है। यहाँ कामुक मूर्तियां बनी हुईं हैं।
सिंह मंदिर – यह मंदिर कंदरिया महादेव और देवी जगदम्बा के मंदिर के बीच स्थापित है।
कंदरिया महादेव मंदिर – 31 मीटर ऊँचा यह मंदिर खजुराहो में सबसे बड़ा है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में कामुकता को दर्शाती हुई लगभग 872 मूर्तियाँ हैं और प्रत्येक मूर्ती 1 मीटर की है।
लक्ष्मण मंदिर – यह मंदिर रामचंद्र चतुर्भुज के नाम से भी जाना जाता है और यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर राजा यशोवर्मन के शासन काल में बना था
चौंसठ योगिनी मंदिर – यह सबसे पुराना मंदिर है। जो 64 योगिनियों को समर्पित है।
मतंगेश्वर मंदिर – इस मंदिर में 2.5 मीटर का शिवलिंग है व काफी पुराना मंदिर है।
इन मंदिरों के अलावा यहाँ लक्ष्मी व वराह मंदिर भी स्थित है। पूर्वी समूह के मंदिर वामन, जावरी, जैन मंदिर आदि हैं। दक्षिण समूह के मंदिर चतुर्भुज, दूल्हादेव आदि हैं।
वास्तव में खजुराहो एक अलग ही कला का नमूना है। यहाँ की भव्यता और अद्वितीयता को देखने के लिए साल भर देश व विदेश से पर्यटक आते हैं। यहाँ संग्राहलय है व लाइट एंड साउंड शो भी होता है। यहाँ का डांस फेस्टिवल अत्यंत आकर्षक होता है व दूर – दूर से लोग इसमें भाग लेने आते हैं।