इस लेख मे पढ़ें कुमारी कंदम का रहस्य व इतिहास Kumari Kandam Map History in Hindi (The Lost Continent). आईए आपको बताते हैं kumari kandam कैसे डूबा और लुप्त हो गया?
परिचय Introduction
भारत के दक्षिण भाग में स्थित हिंद महासागर में एक ऐतिहासिक तमिल सभ्यता लुप्त हो चुकी है। इसे ही “कुमारी कंदम” कहा जाता है। इसे कुमारी नाडु के नाम से भी जानते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि 14500 साल पहले हिंद महासागर का स्तर 100 मीटर नीचे था।
धीरे-धीरे समुद्र का स्तर बढ़ता गया और कुमारी कंदम महाद्वीप पानी में डूब गया। कुमारी कंदम के अस्तित्व के अनेक प्रमाण मिलते हैं। इस लेख के ऊपर दिए हुआ featured photo या map को देख कर आप जान सकते हैं यह underwater यानि पानी के भीतर कहाँ था।
कुमारी कंदम का रहस्य Kumari Kandam Map History in Hindi (The Lost Continent)
भारत और श्रीलंका के बीच स्थित पार्क जलडमरूमध्य (Palk Strait) की लंबाई 18 मील है जो चूना पत्थर, रेत, गाद, छोटे कंकड़, बालू से बना हुआ है। यह माना जाता है कि कुमारी कंदम आज के राम सेतु का एक हिस्सा था। तमिल खोजकर्ताओं का मानना है कि कुमारी कंधा में तमिल जाति के लोग ही रहा करते थे। इस सभ्यता को रहस्यमई समझा जाता है।
‘फिलिप स्क्लेटर’ के अनुसार कुमारी कंदम महाद्वीप Philip Lutley Sclater’s words about Kumari Kandam
19वीं सदी में Philip Sclater नामक भूगोलवेत्ता ने इस महाद्वीप को Lemuria नाम दिया था। यह माना जाता है कि कुमारी कंदम के राजा पांडियन एक महाबली शासक थे जो पूरे भारतीय महाद्वीप पर शासन करते थे।
यह तमिल सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक थी। जब समुद्र स्तर के बढ़ने से कुमारी कंदम महाद्वीप जलमग्न होने लगा तो वहां के लोग संसार के विभिन्न भागों में रहने के लिए चले गए। इस तरह विश्वभर में नई सभ्यताओं का जन्म हुआ।
मेडागास्कर और भारत में बड़ी मात्रा में वानरों के जीवाश्म (Lemur Fossils) मिलने के कारण उन्होंने यहां पर एक नई सभ्यता होने की बात कही थी। Philip Sclater ने इस विषय पर एक किताब ‘The Mammals of Madagascar’ भी लिखी थी जो 1864 में प्रकाशित हुई थी।
भूगोलवेत्ता ‘ए आर वासुदेवन’ के अनुसार According to geographer ‘AR Vasudevan
कुमारी कंदम महाद्वीप कन्याकुमारी से ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी तट और मेडागास्कर तक फैला हुआ था। मानव सभ्यता का विकास अफ्रीका महाद्वीप से नहीं हुआ बल्कि कुमारी नामक द्वीप से हुआ था। आज से 14000 साल पहले कुमारी कंदम महाद्वीप जलमग्न हो गया तो वहां के निवासी पलायन करके अफ्रीका यूरोप और चीन चले गए। जिससे नई सभ्यताओं का जन्म हुआ।
यह माना जाता है कि हिम युग के अंतिम वर्षों में तापमान बढ़ गया और ग्लेशियरों की बर्फ पिघलना शुरू हो गई। धीरे-धीरे समुद्र का जलस्तर बढ़ता गया और कुमारी कंदम महाद्वीप उसमें डूब गया। तमिल लेखकों के अनुसार जब कुमारी कंदम महादेव समुद्र जल में डूब गया तो यह 7000 मील में फैला हुआ था। इसके 49 टुकड़े हो गए थे।
सन 1903 में वि. जी. सूर्यकुमार ने इसे कुमारीनाटू या कुमारीनाडू Kumarinatu” (“Kumari Nadu”) या कुमारी क्षेत्र नाम दिया था। यह भी कहा जाता है कि कुमारी कंदम रावण की लंका का ही विस्तृत रूप था जो क्षेत्रफल में भारत से बहुत अधिक बड़ा था। विलुप्त महावीर पर शीघ्र ही एक फिल्म बनने वाली है।
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