लोक प्रशासन की जानकारी Public Administration in Hindi

इस लेख में आप लोक प्रशासन की जानकारी (Public Administration in Hindi) पढ़ सकते हैं। इसमें लोक प्रशासन की परिभाषा, महत्व, इसके प्रमुख क्षेत्र, निजी प्रशासन से यह क्यों अलग है जैसी जानकारियाँ दी गई है।

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लोक प्रशासन की जानकारी Public Administration in Hindi

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है क्योंकि वह हमेशा से समाज में रहता है और किसी समाज को बनाये रखने के लिए कोई न कोई राजनीतिक व्यवस्था ज़रूरी होती है।

प्रत्येक समाज में व्यवस्था बनाये रखने के लिये कोई न कोई निकाय या संस्था होती है, चाहे उसे नगर-राज्य कहें अथवा राष्ट्र-राज्य। राज्य, सरकार और प्रशासन के माध्यम से कार्य करता है।

राज्य के उद्देश्य और नीतियाँ कितनी भी प्रभावशाली, आकर्षक और उपयोगी क्यों न हों, उनसे उस समय तक कोई लाभ नहीं हो सकता, जब तक कि उनको प्रशासन के द्वारा कार्य रूप में परिवर्तित नहीं किया जाये।

इसलिये प्रशासन के संगठन, व्यवहार और प्रक्रियाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है। इसी प्रकार लोगों के लाभ के लिए लोक प्रशासन की आवश्यकता पड़ती है। आज हम इसी के बारें में चर्चा करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।

लोक प्रशासन की परिभाषा Definition of Public Administration in Hindi

एक विषय के रूप में लोक प्रशासन का जन्म 1887 से माना जाता है। अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के तत्कालीन प्राध्यापक वुडरो विल्सन को इस शास्त्र का जनक माना जाता है।

उनके द्वारा 1887 में प्रकाशित लेख “The Study of Administration” में प्रशासन के वैज्ञानिक आधार को विकसित करने पर बल दिया। लोक प्रशासन से तात्पर्य प्रशासन के उस वह भाग से है, जो सामान्य जनता के लाभ के लिये होता है, लोक प्रशासन कहलाता है।

इसका अर्थ जनसेवा भी होता है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो लोक प्रशासन के अन्तर्गत वे सभी क्रियाएं आती हैं, जिनका क्रियान्वयन सरकार या सरकार द्वारा निर्वाचित किसी संस्था के द्वारा किया जाता है।

सरकार द्वारा की गयी क्रियाएं व्यापक सार्वजनिक और लोक हित के लिए होती हैं, इसलिए उन्हें लोक प्रशासन के क्षेत्र में सम्मिलित किया जाता है। यही लोक प्रशासन कहलाता है। लोक प्रशासन में वे सभी क्रियाएं शामिल की जाती हैं जिनका सम्बन्ध लोक-नीति का निर्माण करने एवं उसके कार्यान्वित करने से है।

लोक प्रशासन जिसे अंग्रेजी में Public administration कहा जाता है, शासकीय नीति (government policy) के विभिन्न पहलुओं का विकास, उन पर अमल एवं उनका अध्ययन है। लोक प्रशासन का संबंध सामान्य नीतियों अथवा सार्वजनिक नीतियों से होता है।

किसी भी देश में लोक प्रशासन के उद्देश्य वहां की संस्थाओं, प्रक्रियाओं, कार्मिक-राजनीतिक व्यवस्था की संरचनाओं तथा उस देश के संविधान में व्यक्त शासन के सिद्धातों पर निर्भर होते हैं।

लोक प्रशासन के अर्थ को और अधिक स्पष्ट रूप से समझाने के लिए विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न परिभाषायें दी गयी हैं –

वुडरो विल्सन के अनुसार –

“लोक प्रशासन, विधि या कानून को विस्तृत एवं क्रमबद्ध रूप में क्रियान्वित करने का काम है। कानून को क्रियान्वित करने की प्रत्येक क्रिया प्रशासकीय क्रिया है।”

व्हाइट के अनुसार –

लोक प्रशासन में “वे गतिविधियाँ आती हैं, जिनका प्रयोजन सार्वजनिक नीति को पूरा करना या क्रियान्वित करना है।”

हार्वे वाकर के अनुसार –

“कानून को क्रियात्मक रूप प्रदान करने के लिये सरकार जो कार्य करती है, वही प्रशासन है।”

डिमॉक के अनुसार –

“प्रशासन का संबंध सरकार के “क्या” और “कैसे” से है। “क्या” से अभिप्राय विषय में निहित ज्ञान से है, अर्थात् वह विशिष्ट ज्ञान, जो किसी भी प्रशासकीय क्षेत्र में प्रशासक को अपना कार्य करने की क्षमता प्रदान करता हो। “कैसे” से अभिप्राय प्रबन्ध करने की उस कला एवं सिद्धान्तों से है, जिसके अनुसार, सामूहिक योजनाओं को सफलता की ओर ले जाया जाता है।”

लोक प्रशासन का महत्व Importance of Public Administration in Hindi

सभी देशों के लिए लोक प्रशासन सभ्य समाज की सर्वोच्च प्राथमिक आवश्यकता है। लोक प्रशासन केवल सभ्य जीवन का संरक्षक ही नहीं अपितु यह सामाजिक विकास, सामाजिक न्याय और सुधार-संशोधनों का प्रमुख साधन भी है।

यह व्यक्ति के जन्म के पूर्व से लेकर मृत्यु के बाद तक के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं अर्पित करता है। यह “आधुनिक सभ्यता का हृदय” है।

लोक प्रशासन पुलिस राज्य से निकलकर, न सिर्फ कल्याणकारी राज्य और प्रशासकीय राज्य के पड़ाव तक पहुंच चुका है, अपितु नागरिकों के जीवन को समस्या रहित बनाने के लिए प्रयत्नशील है।

आज लोक प्रशासन न केवल लोकतान्त्रिाक राज्यों में अपितु पूंजीवादी, साम्यवादी, विकसित, विकासशील, अविकसित, यहाँ तक कि तानाशाही व्यवस्थाओं में भी अति महत्त्वपूर्ण बन गया है। क्योंकि इन सभी राज्यों की सरकारें अपनी नीतियों और योजनाओं का कार्यान्वयन स्थायी सरकार (लोक प्रशासन) के द्वारा ही करती हैं।

लोक प्रशासन के महत्त्व को दर्शाते हुए प्रो० डनहम के अनुसार “यदि हमारी सभ्यता विफल हुई तो उसके लिए प्रशासन की असफलता प्रमुख रूप से उत्तरदायी होगी।

हम लोक प्रशासन के महत्त्व को निम्नांकित बिन्दुओं के माध्यम से अधिक स्पष्ट कर सकते हैः

  • राज्य का व्यावहारिक तथा विशिष्ट भाग।
  • जन कल्याण का माध्यम।
  • रक्षा, अखण्डता तथा शांति व्यवस्था।
  • लोकतंत्र का वाहक एवं रक्षक।
  • सामाजिक परिवर्तन का माध्यम।
  • सभ्यता, संस्कृति तथा कला का संरक्षक।
  • विकास प्रशासन का पर्याय।
  • विधि एवं न्यायः।
  • औद्योगिक एवं आर्थिक विकास।
  • आजीविका का माध्यम।

लोक प्रशासन के क्षेत्र क्या है? Fields of Public Administration in Hindi

किसी विषय के क्षेत्र से अभिप्राय उस बात से कि उस विषय के अधिकार क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य या क्रियाएं शामिल हैं। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि लोक प्रशासन का क्षेत्र राज्य तथा सरकार के क्षेत्रो के समान ही है।

परन्तु गहन अध्ययन करने पर इस निष्कर्ष पर पंहुचा जा सकता है कि लोक प्रशासन का क्षेत्र अभी पूर्णतया स्पष्ट नहीं हो पाया है, क्योंकि कुछ मूलभूत प्रश्नों का सर्वमान्य हल खोजा जा रहा है। फिर भी इस अध्ययन विषय के क्षेत्रा को समझने में निम्नांकित दृष्टिकोण लाभदायक हो सकते हैं-

संकुचित दृष्टिकोण

संकुचित विचार के मानने वालों के अनुसार लोक प्रशासन का सम्बन्ध शासन की केवल कार्यपालिका शाखा से है। साइमन के अनुसार लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती हैं।

व्यापक दृष्टिकोण

व्यापक दृष्टिकोण के समर्थक द्वारा लोक प्रशासन के अन्तर्गत सरकार के तीनों अंगों – व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका को शामिल किया गया है।

पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण POSDCORB View

लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के सम्बन्ध में POSDCORB विचार लूथर गुलिक की देन है। जिसके अनुसार इनके निम्न कार्य हैं –

  • P- Planning  = योजना बनाना
  • O- Organizing  = संगठन बनाना
  • S – Staffing = कर्मचारियों की व्यवस्था करना
  • D – Directing = निर्देशन प्रदान करना
  • CO- Co-ordinating  = समन्वय करना
  • R- Reporting = प्रतिवेदन देना
  • B- Budgeting = बजट तैयार करना

लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में क्या अंतर है? Public administration Vs Private administration

लोक प्रशासन एवं निजी प्रशासन में निम्न अंतर हैं –

 निजी प्रशासनलोक प्रशासन
1प्रशासन एक सामान्य शब्दावली है, जिसका क्षेत्र व्यापक है।लोक प्रशासन का क्षेत्र संकुचित है, क्योंकि यह सार्वजनिक नीतियों से ही सम्बन्धित है।
2प्रशासन का सम्बन्ध कार्यों को सम्पन्न करके निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति है।लोक प्रशासन दोहरे गुणों वाला हैं, अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान का शैक्षणिक विषय होने के साथ-साथ क्रियाशील विज्ञान भी है।
3प्रशासन एक क्रिया (activity) और प्रक्रिया (process) दोनों है।जबकि इसका सम्बन्ध सार्वजनिक नीति के निर्माण एवं क्रियान्वयन से है।
4प्रशासन एक सार्वलौकिक क्रिया है, जिसे समस्त प्रकार के समूह प्रयत्नों में देखा जा सकता है, चाहे वह समूह परिवार, राज्य या अन्य सामाजिक संघ हो।लोक प्रशासन का सम्बन्ध विशिष्ट रूप से सरकारी क्रियाकलापों से है। इसके अन्तर्गत वे सभी प्रशासन आ सकते हैं, जिनका जनता पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है।
5यह उन सभी सामूहिक क्रियाओं का नाम है जो सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सहयोगात्मक रूप में प्रस्तुत की जाती है।लोक प्रशासन सरकार के कार्य का वह भाग है जिसके द्वारा सरकार के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति होती है।
6प्रशासन एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए सहयोगी ढंग से किया जाने वाला कार्य है।लोक प्रशासन ऐसे उद्देश्यों का क्रियान्वयन है, जिन्हें जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों ने निर्धारित किया है।

लोक प्रशासन के सिद्धांत Principles of Public Administration in Hindi

प्रो. वार्नर द्वारा प्रतिपादित लोक प्रशासन के सिद्धांत निम्नलिखित हैं –

1.  खोज का सिद्धांत (Theory of Discovery)

प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने एवं प्रशासनिक उद्देश्यों को पाने के लिए खोज का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया l खोज के लिए हमें प्रयोगशालाएं बनाने की आवश्यकता नही है, बल्कि इसके लिए दिमाग और अनुभव की आवश्यकता है इसके लिए अनेक खोज कार्यक्रमों और योजनाओं को संचालित किया गया है।

2. कार्यकुशलता का सिद्धांत (Theory of Efficiency)

कुशलता के सिद्धांत से तात्पर्य लोक प्रशासकों के कार्यकुशलता, युक्ति एवं विवेक से काम लेने से है। साथ ही अपने वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करना है। इसके विकास के लिए स्थिरता होनी आवश्यक है स्थिरता लाने के लिए जल्दी-जल्दी होने वाले परिवर्तन की नीति को छोड़ना होगा।

3. राजनीतिक निर्देशन का सिद्धांत (Political Direction Theory)

लोक प्रशासन को राजनीतिक कार्यपालिका के नियंत्रण में कार्य करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके नियंत्रण में नीतियों का अनुपालन करना लोक प्रशासकों का कर्तव्य है।

4. लोक दायित्व का सिद्धांत (Theory of Public Responsibility)

लोक प्रशासन जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। यदि देखा जाये तो लोक प्रशासक जनता का स्वामी नही बल्कि सेवक होता है। इसलिए जनता की कठिनाइयों को दूर करना एवं समस्याओं का समाधान करना इसका प्राथमिक कर्तव्य होना चाहिए। इसे निष्पक्ष और सामान व्यवहार करना चाहिए l   

5. विकास एवं प्रगति का सिद्धांत (Theory of Development and Progress)

लोक प्रशासन सामाजिक हित के लिए कार्य करता है। विकास के लिए इसे सामाजिक प्रगति के साथ कदम मिलाकर चलना अति आवश्यक है।

सिद्धांत और व्यवहार में लोक प्रशासन को मानकर चलना चाहिए कि लोक कल्याणकारी राज्य में उसका व्यापक दायित्व है और उसे समाज की विभिन्न समस्याओं तथा आवश्यकताओं का निदान करते हुए देश को विकास और प्रगति के पथ पर अग्रसर करना है।

6. संगठन का सिद्धांत (Organization Theory)

इसमें लोग मिलकर कार्य करते हैं। लोक प्रशासन को सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए संगठन के सिद्धांत का अनुसरण करना चाहिए। इसमें पारस्परिक आदान-प्रदान के साथ-साथ समन्वय होना अतिआवश्यक है।

7. सामाजिक आवश्यकता का सिद्धांत (Theory of Social Necessity)

लोक प्रशासन का उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति होना है। इसे सम्यता और संस्कृति का रक्षक तथा शान्ति और व्यवस्था बनाये रखने वाला यन्त्र इसीलिए कहा जाता है, क्योंकि वह सामाजिक यान्त्रिक संगठन का केन्द्र है।

सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के सिद्धांत का आचरण करता है। लोक प्रशासन के सिद्धांत की अन्तिम कसौटी यह है कि वह जन आकांक्षाओं के कितना अनुरूप है।

8. जन-सम्पर्क का सिद्धांत (Theory of Public Relations)

इसके उद्देश्यों की पूर्ति के लिए जन संपर्क का सिद्धांत ज़रूरी है, क्योंकि यह जन-सम्पर्क लोकप्रिय प्रशासन की कल्पना के बिना निरर्थक है।

प्रशासन के क्षेत्र में लोक-सम्पर्क के कुछ मूलभूत उद्देश्य होते हैं जैसे सरकार द्वारा संचालित अभियान में जन साधारण का सहयोग, नियमों और कानूनों का पालन आदि।

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