एम. ऍफ़. हुसैन का जीवन परिचय M F Husain Biography in Hindi

एम. ऍफ़. हुसैन का जीवन परिचय M F Husain Biography in Hindi

एम. ऍफ़.  हुसैन का पूरा नाम मक़बूल फ़िदा हुसैन था। हुसैन एक आधुनिक भारतीय चित्रकार थे। ये 20 वीं शताब्दी के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध चित्रकारों में से एक थे । इन्हे भारत का पिकासो कहा जाता है। चित्रकारी के अलावा इन्हे लेखन, फोटोग्राफी और फिल्म बनाने का भी शौक था। एम. ऍफ़. हुसैन बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप के फॉउन्डिंग मेंबर में से एक थे।

एम. ऍफ़. हुसैन का जीवन परिचय M F Husain Biography in Hindi

प्रारंभिक जीवन Early Life

हुसैन का जन्म 17 सितम्बर 1915 को महारष्ट्र के पंढरपुर में सुलेमानी बोहरा परिवार में हुआ था। जब हुसैन छोटे थे तब इनकी माँ जुनैद नहीं रहीं। तब इनके पिता ने दूसरी शादी कर ली। इनका पालन – पोषण इनके पिता ने किया। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई। जब ये बीस साल के थे तब ये मुंबई गए और सर जमशेदजी जीजीभॉय स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में एडमिशन लिया।

करियर की शुरुवात Career

इनकी आर्थिक स्तिथि सही नहीं थी। पैसे कमाने के लिए शुरुआत में इन्होने सिनेमा के पोस्टर बनाये। इन्होने 6 आने मजदूरी पर पोस्टर बनाये। कम पैसे मिलने की बजह से इन्होने खिलौने बनाने की फैक्ट्री में भी काम किया।

आर्थिक तंगी के चलते भी उन्होंने पेंट और ब्रश का साथ नहीं छोड़ा। धीरे – धीरे इनकी चित्रकारी की प्रशंसा सब जगह होने लगी और इनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगी। 1940 में इन्हे राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धी मिलना शुरू हो गयी।

11 मार्च 1941 में हुसैन का विवाह फ़ाज़िला के साथ हुआ। इनके तीन बेटे हुए मुस्तफा, शमशाद, ओवैस और और दो बेटी हुयी राईसा और अकीला। 1947 में प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप के सदस्य बने। ये बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट्स की पुरानी परम्पराओं को तोड़कर कुछ नया करना चाहते थे।

हुसैन आधुनिक कला को प्रोत्साहित करना चाहते थे। 1952 में ज़्यूरिख़ में इनकी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगी। इस तरह इनकी कला की ख्याति पूरे विश्व में फ़ैल गयी।

लोगों ने इनकी कला की सराहना की। 1971 में स्पेन के महान चित्रकार पाब्लो पिकासो के साथ हुसैन को भी साओ पाब्लो समारोह में निमंत्रण दिया गया। क्रिस्टीज़ ऑक्शन में हुसैन की एक पेंटिंग 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी।

तब ये और भी ज्यादा प्रसिद्ध हो गए और महंगे कलाकार हो गए। 1986 में इन्हे राज्य सभा के लिए मनोनीत किया गया। 2006 में हुसैन भारत छोड़कर लंदन में बस गए थे।

2010 में क़तर ने इनके सामने वहां की नागरिकता ग्रहण करने का प्रस्ताव रखा था तब इन्होने यह बात स्वीकार कर ली थी। 2010 में जोर्डनियन रॉयल इस्लामिक स्ट्रेटेजिक स्टडीज सेंटर ने हुसैन को 500 सबसे ज्यादा प्रभवशाली मुस्लिम  की सूचि में रखा।

पुरस्कार Awards

सम्मानित अवार्ड –

  • 1955 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
  • 1967 में  थ्रू द आईज ऑफ़ अ पेंटर बेस्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड और गोल्डन बेयर शॉर्ट फिल्म पुरस्कार मिला।
  • 1973 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • 1991 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।  
  • 2008 में केरल सरकार द्वारा राजा रवि वर्मा पुरस्कार दिया गया। जब इस पुरस्कार को देने की घोषणा की गयी थी तब कुछ सांस्कृतिक संगठनों ने पुरस्कार देने के खिलाफ प्रचार किया था।

लोगों ने हुसैन को भारत का सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” प्रदान करने के लिए भी याचिका की थी ।

फिल्में Films

हुसैन ने अपने कार्यकाल में कुछ फिल्में भी डायरेक्ट की हैं। 1967 में इन्होने पहली फिल्म थ्रू द आईज ऑफ़ ए पेंटरबनाई , इस फिल्म को बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था। 2000 में अभिनेत्री माधुरी दीक्षित को लेकर गज गामिनीफिल्म बनायीं। 2004 में मिनाक्षी: अ टेल ऑफ़ थ्री सिटीजफिल्म बनाई , इस फिल्म को 2004 कैन फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया।

जब यह फिल्म सिनेमा में आयी तब दूसरे ही दिन सिनेमा से हटानी पड़ी। कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया। एक मुस्लिम संगठन ‘आल इंडिया उलेमा काउन्सिल’ ने इस फिल्म की एक कब्बाली “नूर-उन-अला नूर” पर नाराज़गी जताई थी।

ऐसा कहा जाता है कि इसमें प्रयुक्त शब्दों को डायरेक्ट क़ुरान से लिया गया है। तब हुसैन के बेटे ने कहा कि ये एक वाक्यांश है जो फिल्म के चरित्र तब्बू के द्वारा गाने के रूप में गाया गया है। जो दिव्य सौंदर्य को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस गाने के द्वारा अपमान किये जाने का कोई इरादा नहीं था।

विवाद Controversy

हुसैन ने देवी – देवताओं की कुछ ऐसी पेंटिंग्स बनायीं थी जिन्हे गैर पारम्परिक तरीके से दर्शाया गया था। 1990 के दसक में भारत के कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। हिंदी मासिक पत्रिका विचार मीमांसा में उन्हें प्रिंट किया गया था और एम ऍफ़ हुसैन को बुचर (कसाई) कहा गया था। तब उनके खिलाफ आठ आपराधिक शिकायतें दर्ज की गईं थी। लंदन में इनकी प्रदर्शनी को बंद करना पड़ा।

भारत माता की विवादित पेंटिंग बनाने के कारण एक पत्रकार वार्ता में पत्रकार तेजपाल सिंह धामा हुसैन से उलझ गए थे। इनके ऊपर कई मुकदमे भी चले। 1998 में हुसैन के घर पर बजरंग दल जैसे हिंदू कट्टरपंथी समूहों ने हमला किया था। घर पर रखी अन्य तस्वीरों को भी नष्ट कर दिया गया था।

मक़बूल फ़िदा हुसैन का व्यक्तित्व खुशमिजाज था। भारत देश से बाहर रहते हुए भी वे प्रसन्न रहते थे लेकिन उन्हें भारत की संस्कृति से प्यार था। वे अपने पूरे जीवन काल में ऊर्जा से भरे हुए रहे। उनके द्वारा बनाये गए चित्र सजीव लगते हैं। वास्तव में वे एक महान व्यक्तित्व थे जो अपनी अमिट छाप अपनी पिंटिंग्स में छोड़ गए।

मृत्यु Death

9 जून 2011 को लंदन के रॉयल ब्रॉम्पटन हॉस्पिटल में हार्ट अटैक आने से इनका निधन हो गया था। इन्हे ब्रुकवुड  सेमेट्री में दफनाया गया था। सफ़ेद दाढ़ी, आँखों पर चश्मा और पैरों में चप्पल तक नहीं, एम. ऍफ़. हुसैन अपने इसी अंदाज़ में जिए और मरे भी।

1 thought on “एम. ऍफ़. हुसैन का जीवन परिचय M F Husain Biography in Hindi”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.