इस लेख में आप महात्मा गांधी का जीवन परिचय Biography of Mahatma Gandhi in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे। इसमें उनके जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, दक्षिण अफ्रीका यात्रा, प्रमुख आंदोलन, निजी जीवन, सिद्धांत, किताबें, मृत्यु और हत्यारे के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi
भविष्य में जब कभी भी भारतीय आंदोलनों की बात की जाएगी, तो उसमें महात्मा गांधी का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। लगभग सभी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी एक महत्त्वूर्ण चेहरा रहे हैं। उन्होंने न केवल हिंदुस्तान में बल्कि पूरे विश्व में अपने संघर्षों से एक मिसाल कायम किया है।
महात्मा गांधी को अहिंसा का पुजारी भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अहिंसात्मक आंदोलन को एक नया दृष्टिकोण दिया। महात्मा गांधी की याद में पूरे भारत में 2 अक्टूबर को ‘गांधी जयंती‘ मनाया जाता है। गांधी जयंती के उपलक्ष्य में पूरे देश में छुट्टी रखी जाती है और हर जगह देश भक्ति के गीत गाए जाते हैं।
न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में गांधी जी को एक महापुरुष के रूप में देखा जाता है। आजादी के बाद से भारतीय मुद्राओं पर भी गांधी जी की ही फोटो छपी है।
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महात्मा गांधी का प्रारम्भिक जीवन Early Life of Mahatma Gandhi in Hindi
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में एक बहुत ही साधारण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद्र गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था।
मोहनदास अपने सभी भाई बहनों में सबसे छोटे थे। जिसके कारण उन्हें बहुत प्यार से पाला पोसा गया था। करमचंद्र जी ब्रिटिश जमाने में गुजरात राज्य के पोरबंदर में दीवान नियुक्त किए गए थे।
पुतलीबाई करमचंद्र जी की चौथी पत्नी थी, क्योंकि उनकी तीन पत्नियों की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। मोहनदास के अलावा उनके दो बड़े भाई भी थे, जिनका नाम लक्ष्मीदास और करसनदास था। उनकी एक बहन भी थी, जिनका नाम रालियात बेन था।
महात्मा गांधी का शुरुआती जीवन बहुत साधारण रूप से गुज़रा। पुतली बाई घर में धर्म कर्म के कार्य और उपवास भी रखती थी, जिसका प्रभाव बालक मोहनदास पर भी पड़ा और आगे चलकर गांधी जी के अंदर भी अध्यात्म की भावना विकसित हुई।
महात्मा गांधी जी की शिक्षा Mahatma Gandhi’s Teachings in Hindi
मोहनदास गांधी ने पोरबंदर से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और मैट्रिक पास करने के बाद भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया। इन दिनों उनके घर की स्थिति बहुत ही नाजुक चल रही थी, क्योंकि घर के कमाने वाले इकलौते सदस्य करमचंद्र जी की मृत्यु हो चुकी थी।
महात्मा गांधी ने एक साल तक बॉम्बे विश्वविद्यालय में लॉ की पढ़ाई की। लंदन विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद इंग्लैंड वकील संघ में भर्ती हुए। उस समय एक प्रसिद्ध किताब ”सिविल असहयोग” जिसे डेविड थोरो ने लिखा था, उसे पढ़कर मोहनदास बहुत प्रभावित हुए।
कुछ समय बाद वापस मुंबई आकर एक साल तक कानून का अभ्यास किया। उसके बाद एक भारतीय फ़र्म में काम करने के उद्देश्य से दक्षिण अफ्रीका चले गए।
महात्मा गांधी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा Mahatma Gandhi’s visit to South Africa in Hindi
गांधी जी ने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड की एक लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया। वकालत पूरी करने के दरमियान उन्होंने बहुत सारे रोजगार अपनाएं और छोड़ें।
भारत लौटने पर उन्होंने सबसे पहले मुंबई में वकालत करना शुरू किया था। कोई सफलता ना मिलने के कारण उन्होंने हाई स्कूल में एक शिक्षक के तौर पर प्रार्थना पत्र दीया पर उसे अस्वीकार कर दिया गया।
इसके बाद वे राजकोट में जरूरतमंदों के लिए गवर्नमेंट को अर्जी लिखने का काम करने लगे और यह भी उनका अस्थाई मुकाम बना, क्योंकि एक अंग्रेज अफसर ने उनकी शिकायत कर दी थी इसलिए उन्हें यह जगह भी छोड़नी पड़ी।
सन् 1893 में दक्षिण अफ्रीका के नेटाल नाम के एक भारतीय फर्म ने उन्हें एक वर्ष के एग्रीमेंट पर वकालत करने का प्रस्ताव मिला। पहले से उनके पास रोजगार ना होने के कारण उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार किया और अफ्रीका चले गए।
अफ्रीका मे उन्होंने देखा जातीय भेदभाव पूरी तरह से अपना पैर पसारे हुए हैं, जिसका सामना स्वयं गांधी जी को भी करना पड़ा था।
एक बार तो उन्हें प्रथम श्रेणी के कोच की टिकट होने के बावजूद तीसरी श्रेणी में जाने के लिए बाधित किया गया। उनके अस्वीकार करने पर उन्हें ट्रेन के डब्बे से बाहर फेंक दिया गया था। अफ्रीकी गवर्नमेंट द्वारा कई होटलों में जाना उनके लिए वर्जित कर दिया गया था।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय और अत्याचार ने गांधी जी को देशवासियों के सम्मान पर प्रश्न उठाने पर मजबूर किया। सन 1996 दक्षिण अफ्रीका के जुलू में नए चुनाव कर को लागू करने के बाद दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला गया।
जिसके बाद अंग्रेजों ने जुल्म के खिलाफ एक युद्ध छेड़ दिया। गांधी जी ने भारतीयों को उस युद्ध में भर्ती करने के लिए अंग्रेजों को आश्वस्त किया।
सन 1996 भारतीय जनमत इंडियन ओपिनियन में उन्होंने लिखा है, कि 23 भारतीय निवासियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में नेपाल सरकार के कहने पर एक कोर कमेटी की रचना हुई, जिसमें भारतीयों को उस युद्ध में शामिल करने का आग्रह किया गया। सन 1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौट आए।
महात्मा गांधी के प्रमुख आंदोलन Major Movements of Mahatma Gandhi in Hindi
भारत आने के बाद गांधी जी ने 1915 में अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की। सन 1917 में नील की खेती करने वाले किसानों की स्थिति दयनीय देखकर महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह किया, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली।
उस वक्त चारों तरफ़ हैजा का प्रकोप फैला हुआ था, जिसकी वजह से उन्हें अपना आश्रम साबरमती में स्थापित करना पड़ा। उसी वर्ष गुजरात के खेड़ा जिले में भयानक बाढ़ आ गई। जिसके कारण वहां के किसान ब्रिटिश सरकार को टैक्स देने में असक्षम थे।
तब गांधीजी ने खेड़ा सत्याग्रह चलाया, जिसमें उन्होंने किसानों को कर में छूट दिलाने के लिए आंदोलन किया। परिणाम स्वरूप 1918 में ब्रिटिश सरकार ने अपने टैक्स संबंधी नियमों में बदलाव करके किसानों को राहत दिया।
सन 1919 में कांग्रेस की पकड़ कमजोर होते देखकर, हिंदू और मुस्लिम में भाई चारा बढ़ाने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन चलाया गया। जिसमें मुस्लिमों के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम कॉन्फ्रेंस रखी गई, जिसके मुख्य सूत्रधार गांधीजी थे।
ब्रिटिश सरकार ने आंदोलनों को कुचलने के लिए रोलेट एक्ट नाम का कानून लाया, जिसमें किसी भी व्यक्ति को बिना किसी जुर्म के गिरफ्तार किया जा सकता था। यह कानून विशेषता जगह-जगह आंदोलनों से निपटने के लिए बनाया गया था।
इसके लिए गांधी जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन किया। असहयोग आंदोलन का उद्देश्य था, कि अंग्रेजी सरकार से किसी भी तरह की कोई भी खरीद या सहायता न की जाए और किसी भी तरह की हिंसा ना हो।
सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन चौरा-चौरी कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले से कई क्रांतिकारियों में रोष भर गया। क्योंकि क्रांतिकरियों का मानना था, कि स्वराज्य अहिंसा से नहीं मिल सकता।
12 मार्च सन 1930 को गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ने के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। जिसमें वह साबरमती आश्रम से लेकर गुजरात के दांडी नामक स्थान तक अपने अनुयायियों के साथ चल कर गए और ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाए गए नमक पर एकाधिकार के कानून को तोड़ा।
इस कानून के अनुसार भारतीयों द्वारा उपयोग किए जाने वाले नमक पर कर लगाया जाता था। उसी कर को बंद करने के लिए गांधी जी ने दांडी यात्रा किया।
इसके अलावा उन्होंने जाति-पाती, अस्पृश्यता, रंग भेद, और ब्रिटिश राज से भारतीयों को मुक्त कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए, जिसमें से भारत छोड़ो आंदोलन सबसे बड़ा और मुख्य आंदोलन था।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत सन 1940 में हुई थी। अंग्रेजी शासन ने भारतीयों पर इतने जुल्म ढाए थे, कि वह आजादी पाने के लिए जोश और गुस्से से भर गए थे। यह आज तक का सबसे प्रभावशाली आंदोलन माना जाता है। इस आंदोलन में गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा दिया था।
महात्मा गांधी का निजी जीवन Personal life of Mahatma Gandhi in Hindi
गांधी जी का विवाह इसवी सन 1883 में बहुत छोटी उम्र में कर दिया गया था, तब इनकी उम्र 14 साल से भी कम थी। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा कपड़िया था जो बाद में कस्तूरबा गांधी के नाम से पहचानी गई। लोग उन्हें प्यार से बा कहते थे।
इसवी सन 1885 में उनकी पहली संतान ने जन्म लिया पर दुर्भाग्यवश वह कुछ दिन जीवित रह सका। उसके बाद उनके 4 पुत्र हुए जिनका नाम हरिलाल, मणिलाल, रामदास और देवदास रखा गया। सन 1944 में कस्तूरबा गांधी जी की मृत्यु हो गई तब वह पुणे में थी।
महात्मा गांधी जी गोपाल कृष्ण गोखले को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। गांधी जी गोखले जी के विचारों से इतने प्रभावित थे, कि कहा जाता है कि जब भी गांधी जी कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेते थे, तो वे अपने अध्यात्मिक गुरु से सलाह ज़रूर लेते थे।
महात्मा गांधी के सिद्धांत Mahatma Gandhi’s principles in Hindi
गांधी जी ने अपनी आखिरी सांस तक सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ा। वे सभी धर्मों को एक बराबर नज़रिए से देखते थे। धर्मनिरपेक्षता की भावना महात्मा गांधी के अंदर बचपन से ही समाहित थी।
गांधीजी के नाम के आगे महात्मा लगाने का अर्थ यह है, कि वे अहिंसावादी सिद्धांत पर जीने वाले व्यक्ति थे। महात्मा गांधी के जीवन का एक मूल मंत्र था- बुरा मत देखो, बुरा मत सुनों, बुरा मत बोलों। जिसका प्रयोग गांधी जी ने सदैव अपने जीवन में किया।
महात्मा गांधी की जीवनी का एक अंश जिसमें उन्होंने अपने सिद्धांतो को बताया है कि-
जब मैं निराश होता हूं तब याद करता हूं, कि सत्य से प्रेम को जीता जा सकता है।
अत्याचारी और हत्यारे कुछ समय के लिए अपराजित हो सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन निश्चित है, हमें सदैव यह याद रखना चाहिए।
गांधी जी ने स्वराज्य प्राप्ति के लिए अपने लोगों को यह स्पष्ट रूप से समझाया, कि-
स्वतंत्रता हमारा और हमारे देशवासियों का अधिकार है, जिसे कोई भी हमसे छीन नहीं सकता है।
महात्मा गांधी जी की प्रमुख किताबें Major Books of Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा जी द्वारा लिखी गई किताबें एक प्रेरणा स्त्रोत साबित हुई है, क्योंकि उन्होंने जीवन जीने का सार और स्वराज्य को प्राप्त करने का तरीका बतलाया है।
हिंद स्वराज सौ पन्नों की महात्मा गांधी द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध किताब है, जिसमें उन्होंने आजादी से जुड़ी बातों का उल्लेख किया है और कैसे विदेशी शासन ने भारत और भारतीयों को कमजोर करने का अभियान चलाया था, उसका जिक्र किया है। यह मुख्यत गुजराती भाषा में लिखी गई है।
Satyagraha in South Africa नाम की एक पुस्तक में दक्षिण अफ्रीका में चले 8 साल के सत्याग्रह का उल्लेख विस्तार से किया गया है। अफ्रीकंस द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों का उल्लेख भी इसी पुस्तक में गांधीजी ने किया है।
In autobiography story of my experiment with Truth नामक किताब में गांधी जी ने बचपन से लेकर 1921 तक की अपनी निजी जिंदगी का वर्णन किया है।
महात्मा गांधी की मृत्यु और हत्यारे का नाम Death of Mahatma Gandhi and the name of the killer in Hindi
30 जनवरी सन 1948 के दिन जब महात्मा गांधी बिरला भवन में उपस्थित थे, तब नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। यह वह मनहूस दिन था, जब पूरा हिन्दुस्तान शोक के एक गहरे खाई में समा गया था।
इस स्थिति के बाद आकाशवाणी कार्यक्रम के जरिए जवाहरलाल नेहरू ने देशवासियों को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी के निधन की शोक समाचार की जानकारी दी।
प्रखर व्यक्तित्व और देश के लिए न्योछावर महान कर्तव्य को पूर्ण करने वाले गांधीजी सदा के लिए इतिहास के पन्नों में विराजमान हो गए। उनके सत्य और अहिंसा के किस्से हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।
महात्मा गांधी जी को भारत का राष्ट्रपिता क्यों कहा जाता है? Why is Mahatma Gandhi called the Father of the Nation of India in Hindi
गांधीजी के कठिन प्रयत्नों और दृढ़ निश्चय के परिणाम स्वरूप भारत को 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली। सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी थी, तत्पश्चात उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से पहचाना जाने लगा। महात्मा गांधी को यूं ही नहीं राष्ट्रपिता कहा जाता है।
इसका मुख्य कारण उन्होंने अपने देश के लिए और सभी धर्म तथा तबके के लोगों के लिए अपना पूरा जीवन बिना किसी स्वार्थ के न्योछावर कर दिया था।
समाज से छुआछूत की बीमारी को खत्म करने की पहल गांधीजी की ही देन है, उन्होंने समाज में सताए हुए लोगों को हरिजन यानी हरि के जन की उपमा दी।
आशा करते हैं आपको राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi पढ़ कर गांधी जी के विषय में पूरी जानकारी मिल पाई होगी।
thank you all
Hello hello sir me aap ka nibandha lekha me bhaga liya hai
mahatama gandhi bhale hi des ke liye itana kuch kiya lekin ye angrejo se mila hua tha isne bal ganghadhar ko fansi lagvai