मॉनिटर क्या होता है? इसके प्रकार What is Monitor and Its Types in Hindi? इसकी परिभाषा, और पूरी जानकारी आप इस आर्टिकल में जान पाएंगे।
कंप्यूटर का निर्माण कई तरह के अलग अलग डिवाइस को मिलाकर किया गया है। अलग अलग तरह के हर डिवाइस का कंप्यूटर को चलाने के लिए बराबर का योगदान रहा है। आसान भाषा में कहूँ तो यह समझा जा सकता है कि किसी भी डिवाइस के बिना कंप्यूटर को चलाना लगभग नामुमकिन है, सिवाय कुछ डिवाइस के, जैसे स्पीकर, प्रिंटर, स्कैनर इत्यादि।
कंप्यूटर के हिस्सों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है। पहले तो वो जो इनपुट देते हैं, यानी कि इनपुट डिवाइस (Input Device), दूसरे वो जो कि आउटपुट देते हैं (Output Device).
दोनों ही वर्गों में कुछ डिवाइस ऐसे होते हैं, जो कि कम्पुटर को चलाने में काफी ज़्यादा जरूरी होते हैं, प्राइमरी डिवाइस (Primary Device), दूसरे वो जिनका होना या ना होना, कंप्यूटर के चलने पर कोई प्रभाव नहीं डालता, सेकण्डरी डिवाइस (Secondary Device).
प्राइमरी और सेकण्डरी डिवाइस के उदाहरण :-
प्राइमरी डिवाइस (Primary Device) :- मॉनिटर, कीबोर्ड, सीपीयू, मदरबोर्ड,यूपीएस इत्यादि।
सेकण्डरी डिवाइस (Secondary Device) :- स्पीकर, माइक, प्रिंटर, स्कैनर, माउस इत्यादि।
मॉनिटर क्या होता है? इसके प्रकार What is Monitor and Its Types in Hindi?
मॉनिटर क्या है? What is monitor?
कंप्यूटर को चलाने वाले अलग अलग डिवाइस में मॉनिटर भी एक है। मॉनिटर एक प्राइमरी डिवाइस है, जो कि आउटपुट डिस्प्ले करता है। मॉनिटर का कार्य होता है, कम्पुटर और यूजर के बीच एक मध्यस्थ का कार्य करना।
जैसे मान लीजिए आप अपने कंप्यूटर का प्रयोग कैलकुलेशन के लिए कर रहे हैं, आप जो भी कुछ टाइप करेंगे, वह शो होगा मॉनिटर पर। अब आपकी कैलकुलेशन का जो भी रिजल्ट आता है वो भी शो होगा, मॉनिटर पर।
यानी कि आसान भाषा में समझा जाए तो मॉनिटर, यूजर और कंप्यूटर के बीच मध्यस्त का कार्य करता है, और उसका प्रमुख कार्य आउटपुट देने का, यानी कि डाटा शो करने का होता है।
मॉनिटर के प्रकार Types of Monitors
कंप्यूटर के घर घर तक पहुंचने के बाद, मॉनिटर किसी के भी घर में दिख जाना अब आम बात हो चुकी है, लेकिन गौर करने लायक यह है कि हर घर में मॉनिटर लगभग अलग तरह का होता है। गौरतलब है कि मॉनिटर कई प्रकार के होते हैं।
जैसे जैसे समय बीतता गया, मॉनिटर अपडेट होते चले गए। मॉनिटर के अलग अलग प्रकार, उनके रंग दिखाने वाली कैपेसिटी से लेकर, उनके आकार तक में बंटे होते हैं।
मॉनिटर के अलग अलग प्रकार निम्नलिखित हैं :-
1. कैथोड रेय ट्यूब Cathode Ray Tube
कैथोड रेय ट्यूब की प्रणाली पर कार्य करने वाले मॉनिटर को पहचानने का सबसे आसान तरीका है, उनका आकार। इस तरह के मॉनिटर, पुराने जमाने के टीवी की तरह नज़र आते हैं। ये आकार में किसी वर्ग की तरह होते हैं, पीछे की तरफ से उठे हुए होते हैं।
इस तरह के मॉनिटर कैथोड रेय प्रणाली के आधार पर कार्य करते हैं। इन मॉनिटर के स्ट्रक्चर में एक कैथोड रेय ट्यूब मौजूद होती है, जो एक तरफ से वैक्यूम से तो दूसरी ओर डिस्प्ले स्क्रीन से जुड़ी होती है।
इस तरह के मॉनिटर आज भी कई ऑफिस या घरों में देखने को मिल जाते हैं, लेकिन अधिकांश जगहों पर इन्हे हटा दिया गया है। इन्हे हटाने की वजह, इनका बहुत ज़्यादा बिजली खाना और काफी ज़्यादा भारी होना है।
2. फ्लैट पेनल कंप्यूटर Flat Panel Computers
कैथोड रे ट्यूब के बाद, बाज़ार में आने वाले मॉनिटर थे, फ्लैट पेनल कंप्यूटर, जिन्हे फ्लैट पेनल मॉनिटर भी कहा जाता है। इस तरह के मॉनिटर, वज़न में काफी ज़्यादा कम होते हैं, इस कारण ये काफी जल्दी ट्रेंड में आ गए। वजन में कम होने के साथ ही ये मॉनिटर, डिस्प्ले पर आने वाले रंगों को ज़्यादा अच्छे तरीके से दिखा पाते हैं।
डेस्कटॉप कंप्यूटर के बाद जब लैपटॉप का प्रचलन शुरू हुआ, तब लैपटॉप में इस तरह के मॉनिटर लगाए जाने लगे, जो कि इन मॉनिटर की जर्नी में माइलस्टोन साबित हुए, क्यूंकि उसके बाद लगभग सभी ने इन मॉनिटर को अपने दैनिक प्रयोग में ले लिया।
फ्लैट पेनल कंप्यूटर के प्रकार निम्न हैं :-
a) लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले Liquid Crystal Display – LCD
लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले को आज के समय में सबसे ज़्यादा एडवांस टेक्निक वाला मॉनिटर माना जाता है। आम तौर पर इस तरह के डिस्प्ले में कलर की परतें जमा होती हैं, जो पारदर्शी इलेक्ट्रोड और दो पोलराइजिंग फिल्टर के बीच मौजूद होती हैं। ये कलर की परतें लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले से होते हुए शो होती हैं।
एलसीडी के फायदे (Benifits Of LCD)
एलसीडी मॉनिटर होने के कई फायदे हैं। पहले तो यह काफी हल्के होते हैं, दूसरा ये कि ये डिस्प्ले बैट्री से भी चलाया जा सकता है जो कि लैपटॉप की कार्य प्रणाली के साथ मिलता है।
एलसीडी के नुकसान (Disadvantage Of LCD)
एलसीडी के दाम, आम मॉनिटर से कहीं ज़्यादा होते हैं। अगर क्वालिटी की बात की जाए तो एलसीडी की डिस्प्ले केवल एक एंगल से ही देखी जा सकती है। एलसीडी का मॉनिटर रिज्योलुशन हर वक़्त एक जैसा नहीं रहता। आसान भाषा में समझा जाए तो एलसीडी का रिज्योलुशन हर वक़्त बदलता रहता है।
b) लाइट एमीटिंग डायोड – एलईडी Light Emitting Diode – LED
एलईडी मॉनिटर, बाजारों में मौजूद लेटेस्ट मॉनिटर हैं। ये फ्लैट पेनल मॉनिटर अन्य प्रकार के सभी फ्लैट पेनल से कम बिजली खाते हैं। इस तरह के मॉनिटर बैक लाइटिंग के लिए, लाइट एमीटिंग का डायोड का प्रयोग करते हैं, जो कि सीसीएफएल (CCFL) यानी कि कोल्ड कैथोड फ्लूरोसेंट के मुकाबले कम बिजली खाता है।
लाइट एमीटिंग डायोड – एलईडी के फायदे Benefits Of LED
लाइट एमीटिंग डायोड वाले एलईडी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस तरह के डायोड कम बिजली खाते हैं। ये एलईडी और सीआरटी वाले मॉनिटर से ज़्यादा समय तक चलते हैं, और जब इन्हे नष्ट किया जाता है तब ये पर्यावरण को ज्यादा नुकसान भी नहीं पहुंचाते। इस तरह के मॉनिटर अलग अलग डिजाइन में बाजारों में आते हैं इस कारण ये यूजर्स को अपनी ओर काफी ज़्यादा अट्रेक्ट करते हैं।
3. टच स्क्रीन मॉनिटर (Touch Screen Monitor)
आम तौर पर मॉनिटर केवल एक आउटपुट डिवाइस है लेकिन, टच स्क्रीन के मॉनिटर के बाजार में आजाने के बाद से, मॉनिटर की परिभाषा बदल चुकी है। टच स्क्रीन मॉनिटर, आउटपुट और इनपुट दोनों ही तरह का काम कर सकता है।
इसका सबसे नजदीक उदाहरण आपके फोन की स्क्रीन है। फोन की ही तरह अब लैपटॉप में भी टच स्क्रीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। टच स्क्रीन के भी कई प्रकार होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
टच स्क्रीन के प्रकार Types of Touch Screen
टच स्क्रीन के कार्य करने के आधार पर उनके कई प्रकार हैं।
a) सरफेस वेव टच स्क्रीन Surface Wave Touch Screen
इस तरह के मॉनिटर स्क्रीन से कमांड लेने के लिए अल्ट्रासॉनिक वेव का इस्तेमाल करते हैं। ये वेव टच स्क्रीन के ऊपर चलती रहती हैं, और किसी भी इंसान के द्वारा टच किए जाने पर ये प्रोसेसर तक कमांड को पहुंचा देती हैं।
b) रेसिस्टिव टच स्क्रीन Resistive Touch Screen
इस तरह के मॉनिटर पर धातु की इलेक्ट्रिक कन्डक्टिव और रेसिस्टिव लेयर चढ़ाई गई होती है। जब भी इस लेयर को दबाया जाता है, इलेक्ट्रिकल करंट पैदा होता है। बाजारों में इस तरह के मॉनिटर ट्रेंड में हैं। इस तरह के मॉनिटर की खासियत होती है कि धूल खाने के बावजूद ऐसे मॉनिटर की टच स्क्रीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
c) कैपेसीटीव टच स्क्रीन Capacitive Touch Screen
इस तरह के मॉनिटर पर इंडियम टिन ऑक्साइड की लेयर चढ़ी होती है। इस तरह का मैटेरियल, लगातार स्क्रीन को करंट देता रहता है। जब भी इस स्क्रीन को टच किया जाता है, तब करन्ट उस जगह पर हट जाता है और प्रोसेसर उस की(key) को एक्सेप्ट कर लेता है। तकनीक का जादू कहें या कुछ और, ये प्रक्रिया सेकंड के हजारवें भाग में पूरी हो जाती है।