उत्तर का पर्वतीय प्रदेश Northen Mountains of India Hindi
भारत के लगभग 10.6% भाग पर पर्वत, 18.5% भाग पर पहाड़ियां, 27.7% भाग पर पठार एवं 93.2% पर मैदान का विस्तार है। भारत की भौगोलिक स्थिति का सरलता से अध्ययन करने के लिए इसे चार(4) भौतिक प्रदेशों में बांटा गया है।
- उत्तर का पर्वतीय प्रदेश
- प्रायद्वीप भारत
- गंगा सिंधु तथा ब्रह्मपुत्र का मैदान
- तटीय मैदान एवं द्वीप
इस लेख के माध्यम से आज हम भारत के उत्तर में स्थित पर्वतीय प्रदेश के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
उत्तर का पर्वतीय प्रदेश Northen Mountains of India Hindi
पैंजिया से अलग होकर बने दक्षिणी स्थल खण्ड को गोंडवानालैण्ड के नाम से जाना जाता है। भारत इसी गोंडवानालैण्ड का एक भाग है। जो पूर्व, पश्चिम तथा दक्षिण दिशा में जलीय भाग से तथा उत्तर में पर्वत श्रेणीयो से घिरा हुआ है।
भारत के उत्तर में स्थित इसी पर्वत श्रेणी को हिमालय पर्वतीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। यह विश्व का सबसे ऊंचा पर्वत है। दबाव की शक्तियों की वजह से बने पर्वतों को मोड़दार पर्वत कहा जाता है। हिमालय का निर्माण धरातल के अंदर क्रियाशील दबाव की शक्ति के कारण हुआ है।
आज जिस स्थान पर हिमालय पर्वत स्थित है एक समय पर वहाँ पर तेथिस सागर नाम का एक समुद्र हुआ करता था। इस समुंद्र में विभिन्न नदियां अपने साथ लाये हुए कंकड़, मिट्टी, बालू तथा पत्थर जैसे अवसादों को लाखों करोङो वर्षो तक जमा करती रही।
इन्ही अवसादों के जमा होने से उत्पन्न हुए दबाव के कारण की अफ्रीकी प्लेट और भारतीय प्लेट में गति हुई और ये प्लेटे जाकर यूरेशियन प्लेट से टकराई जिसके परिणामस्वरूप दोनों प्लेटों के बीच मे स्थित तेथिस सागर में निक्षेपित अवसाद धीरे धीरे ऊपर की तरफ उठने लगे।
प्लेटो के दबाव की इसी प्रक्रिया के द्वारा हिमालय तथा रॉकी जैसे पर्वतों का निर्माण हुआ है। इस प्रकार की दबाव मूलक शक्ति की वजह से निर्मित विश्व का सबसे ऊंचा हिमालय पर्वत भी एक मोड़दार पर्वत है।
हिमालय लगभग पांच लाख (500000) वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पूर्व से पश्चिम की तरफ हिमालय पर्वत की चौड़ाई लगभग 2400 किमी0 है। हिमालय पर्वत जम्मू-कश्मीर में लगभग 400 से 500 किलोमीटर तथा अरुणाचल प्रदेश में लगभग 160 से 200 किलोमीटर के क्षेत्रफल में विस्तृत है। विश्व की सबसे ऊंची चोटी जिसे माउण्ट एवरेस्ट के नाम से जाना जाता है, वह इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई लगभग 8850 मीटर है।
भारत के उत्तर में विस्तृत पर्वतीय क्षेत्र के अध्ययन की सरलता के लिए इसे चार भागों में विभाजित किया जाता है-
- ट्रांस हिमालय
- आंतरिक हिमालय
- मध्य हिमालय
- बाह्य हिमालय
ट्रांस हिमालय
हिमालय पर्वत के उत्तर पश्चिम की तरफ काराकोरम, कैलाश, लद्दाख एवं जिसका श्रेणियां स्थित है। इन सभी श्रेणियों को सम्मलित रूप से ट्रांस हिमालय प्रदेश के नाम से जाना जाता है। हिमालय पर्वत की सबसे अधिक चौड़ाई इसी भाग में पाई जाती है।
ट्रांस हिमालय यूरेशियन प्लेट का ही एक भाग है जिसे तिब्बत हिमालय या तेथिस हिमालय भी कहा जाता है। ट्रांस हिमालय प्रदेश का निर्माण हिमालय पर्वत के निर्माण के पहले से ही हुआ था।
भारत की सबसे ऊंची चोटी K-2 जिसे भारत में गॉडविन ऑस्टिन, चीन में क्यागिर, पाकिस्तान में चगौरी या शाहगौरी के नाम से जाना जाता है, ट्रांस हिमालय के काराकोरम श्रेणी में स्थित है। गॉडविन ऑस्टिन की लंबाई लगभग 8611 मीटर है।
काराकोरम श्रेणी का विस्तार पामीर के पठार से लेकर लद्दाख तक है सिंधु नदी की सहायक श्योक नदी काराकोरम श्रेणी को लद्दाख से अलग करती है। काराकोरम श्रेणी के दक्षिण में लद्दाख़ श्रेणी स्थित है जिसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम राकापोशी है।
लद्दाख के दक्षिण पूर्व में में कैलाश श्रेणी का विस्तार है। ट्रांस हिमालय प्रदेश के काराकोरम श्रेणी में सियाचिन, बालटेरा बैफ्रो तथा हिस्फर नाम के प्रमुख ग्लेशियर स्थित है।
लद्दाख के दक्षिण पूर्व में में कैलाश श्रेणी का विस्तार है। ट्रांस हिमालय प्रदेश के काराकोरम श्रेणी में सियाचिन, बालटेरा बैफ्रो तथा हिस्फर नाम के प्रमुख ग्लेशियर स्थित है।
आंतरिक हिमालय
यह हिमालय पर्वत का सबसे प्राचीन भाग है। इसे बृहद हिमालय तथा हिमाद्रि हिमालय के नाम से भी जाना जाता है। इस भाग का निर्माण रूपांतरित अवसादी चट्टानों से हुआ है। हिमालय का यह भाग सिंधु नदी के गार्ज से ब्रह्मपुत्र नदी के गार्ज तक विस्तृत है।
इसके पश्चिम में नागा पर्वत तथा पूर्व में नामचाबरवा पर्वत स्थित है विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट हिमालय के इसी भाग में स्थित है जो कि नेपाल में स्थित है। माउंट एवरेस्ट को नेपाल में सागरमाथा तथा चीन में चोमोलोंगमा के नाम से जाना जाता है।
मध्य हिमालय
हिमालय के इस भाग भाग को लघु हिमालय भी कहा जाता है। मध्य हिमालय, आंतरिक हिमालय के दक्षिण तथा शिवालिक हिमालय के उत्तर में स्थित है। इसकी औसत चौड़ाई 60 से 80 किलोमीटर है। मध्य हिमालय की औसत ऊंचाई लगभग 4500 मीटर है।
इसके पश्चिम में हिमालय पर्वत की सबसे लंबी चोटी पीर पंजाल है, जो कि जम्मू-कश्मीर में स्थित है। मध्य हिमालय में कोणधारी वन मिलते है तथा इसके ढ़ालो पर छोटे-छोटे घास के मैदान पाए जाते हैं, जिसे कश्मीर में मर्ग तथा उत्तराखंड में पयार या बुग्याल कहा जाता है।
भारत के प्रमुख पर्यटन स्थल जैसे कि- कुल्लू मनाली, नैनीताल, मसूरी, डलहौजी रानीखेत, अल्मोड़ा तथा दार्जिलिंग आदि सब हिमालय के इसी भाग में स्थित है। मध्य हिमालय में पीर पांजाल तथा बनिहाल दर्रे स्थित है।
पीर पांजाल तथा आंतरिक या हिमाद्रि हिमालय के बीच मे ही कश्मीर घाटी स्थित है। बनिहाल दर्रा ही जम्मू को कश्मीर से सड़क मार्ग द्वारा जोड़ता है तथा यही पर जवाहर सुरंग का निर्माण किया गया है। जो कि भारत की सबसे लंबी सुरंग है।
बाह्य हिमालय
हिमालय पर्वत का सबसे नवीन भाग है। इसकी ऊंचाई सबसे कम मिलती है। इसे शिवालिक हिमालय या उप हिमालय के नाम से भी जाना जाता है। हिमालय का यह भाग पंजाब में पोटावार बेसिन से प्रारम्भ होकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक विस्तृत है।
शिवालिक हिमालय तथा मध्य हिमालय के बीच में अनेक घाटिया मिलती हैं, जिन्हें पश्चिम तथा मध्य में ‘दून’ तथा पूर्व में ‘द्वार’ कहा जाता है। हिमालय पर्वत के इस भाग को जम्मू में जम्मू पहाड़ियाँ, गोरखपुर के निकट डुडवा पहाड़ियाँ पूर्वोत्तर भारत में चुरियामुरिया पहाड़ियाँ तथा अरुणाचल प्रदेश में डफला या अम्बोर पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है।