ओ बी सी – क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर में अंतर OBC Creamy Layer and Non-Creamy Layer in Hindi
आईये जानते हैं ओ बी सी – क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर में अंतर में क्या अंतर है? Difference between OBC Creamy Layer and OBC Non Creamy Layer in Hindi
ओ बी सी – क्रीमी लेयर और नॉन क्रीमी लेयर में अंतर OBC Creamy Layer and Non-Creamy Layer in Hindi
ओबीसी नॉन – क्रीमी लेयर (OBC Non-Creamy Layer)
ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर में ऐसी पिछड़ी जातियां आती हैं जो 8 लाख रूपये सालाना से कम (non creamy layer income limit) कमाती हैं। उन्हें सरकारी नौकरियों और योजनाओं में आरक्षण का लाभ दिया जाता है।
ओबीसी क्रीमी लेयर (OBC Creamy Layer)
ओबीसी क्रीमी लेयर (OBC Creamy Layer) के दायरे में आने वाले लोग, पिछड़ी जातियां आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाती हैं। पहले 6 लाख रूपये सालाना कमाने वाले लोग ओबीसी क्रीमी लेयर के अंतर्गत आते थे, परंतु भारत सरकार ने 2018 में इसे 8 लाख रूपये तक कर दिया है।
अब ऐसी पिछड़ी जातियां जो सालाना 8 लाख रूपये कमाती हैं, या जिनके माता-पिता उच्च सरकारी पदों पर काम कर रहे हैं और उनकी आमदनी 8 लाख से अधिक है तो वह ओबीसी क्रीमी लेयर के दायरे में आते हैं। उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
कुछ सालों के बाद क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ा दी जाती है। सन 1993 में इसकी सीमा 1 लाख रूपये थी। सन 2004 में इसकी सीमा बढ़ाकर 3 लाख रूपये कर दी गई थी। 2008 में साढे 4.5 लाख कर दी गई थी और 2013 में क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख कर दी गई थी। जैसे जैसे महंगाई बढ़ती जाती है पिछड़ी जातियों के लिए क्रीमी लेयर की सीमा भी बढ़ा दी जाती है।
वर्तमान में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में ओबीसी पिछड़ी जाति के लोगों को 27% का आरक्षण मिलता है, पर वह क्रीमी लेयर में ना आते हो। जो पिछड़ी जातियां क्रीमी लेयर के दायरे में आते हैं उन्हें किसी प्रकार का आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है।
भारत के राज्यों में पिछड़ी जातियों का वर्गीकरण
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तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, कर्नाटक, पुदुचेरी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों में पिछड़ा वर्ग और उसके उपवर्ग का वर्गीकरण किया जा चुका है।