हमारे शारीरिक विकास पर निबंध Essay on Physical Development Stages in Hindi

हमारे शारीरिक विकास पर निबंध Essay on Physical Development Stages in Hindi (Hamara Sharirik Vikas Par Jankari)

शारीरिक विकास को हम दैहिक विकास के नाम से भी जानते है। शारीरिक विकास मनुष्य के पूरे जीवन को प्रभावित करता है। सामाजिक, संवेगात्मक और सांवेदनिक क्रियाओं का प्रभाव शारीरिक विकास पर पड़ता है।

हमारे शारीरिक विकास पर निबंध Essay on Physical Development Stages in Hindi

हमारा शारीरिक विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, कभी धीमी गति से विकास और कभी तेज गति से विकास होता है। क्रो एन्ड क्रो के अनुसार –

“व्यक्ति का शारीरिक विकास प्रकृति और पोषण दोनों द्वारा निर्धारित होता है।”  

कहने का तात्पर्य यह है कि हमारे शरीर की मांस – पेशियों का बढ़ना, हड्डियों का विकसित होना, आंतरिक अंगों का विकसित होना आदि सब शारीरिक विकास कहलाता है। शरीर जैसे – जैसे बढ़ता है अंग उसी तरह से विकसित होते रहते हैं। शरीर की ऊंचाई, चौड़ाई, लम्बाई, मस्तिष्क का विकास, कंकाल तंत्र, दांतों का बढ़ना आदि शरीर का विकसित होना कहलाता है।  

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हमारे शरीर के प्रत्येक अंग अलग – अलग तरीके से विकसित होते हैं। शरीर के विकास को हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं –

  1. शरीर के भार का बढ़ना
  2. शरीर के कद का बढ़ना
  3. शरीर का अनुपात

शरीर के भार का बढ़ना

एक बच्चा जब जन्म लेता है तो उसका बज़न लगभग 2.5 से 3 किलोग्राम होता है। जब एक साल का होता है तो बज़न 9 – 10 किलोग्राम तक पहुँच जाता है। जन्म के बाद लगभग 4 – 5 माह तक तेजी से भार बढ़ता है।

फिर इसके बाद भार दोगुना हो जाता है। इसके बाद भार की प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है। जब बच्चा 2 साल का होता है तो बज़न बढ़ने की गति थोड़ी कम हो जाती है क्योंकि बच्चे की पूरी ऊर्जा उसकी गतिविधियों में खर्च हो जाती है।

जब बच्चा 3 साल का होता है तो उसका बज़न लगभग 13-14 किलोग्राम तक बढ़ जाता है। कभी – कभी बच्चों के बज़न का बढ़ना उनके पालन – पोषण और वंशानुक्रम पर भी निर्भर करता है। निम्न तालिका के माध्यम से आप बच्चों की आयु के अनुसार बज़न का पता कर सकते हैं –

आयुभार
जन्म के समय2.5 – 3 किग्रा
4 माह6 – 7 किग्रा
12 माह9 – 10 किग्रा
24 माह11 – 12.5 किग्रा
36 माह12.5 – 14 किग्रा

शरीर के कद का बढ़ना

जन्म के समय बच्चे की लम्बाई लगभग 18 – 20 इंच तक होती है। पहले 4 माह तक बच्चे की लम्बाई 3 इंच तक बढ़ती है, लगभग 21 – 23 इंच तक होते हैं। 8 माह के होने पर लगभग लम्बाई 25 – 27 इंच तक बढ़ती है।

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जब बच्चा 1 वर्ष का हो जाता है तो उसकी लम्बाई लगभग 27 – 29 इंच तक हो जाती है और जब 3 साल का होता है तो लम्बाई 35 – 37 इंच तक बढ़ जाती है। लड़कियों की तुलना में लड़कों की लम्बाई जल्दी बढ़ती है। लम्बाई का बढ़ना पालन – पोषण, वंशानुक्रम, आर्थिक – सामाजिक दशाओं पर भी निर्भर करता है।

आयुलम्बाई
जन्म के समय18 – 20 इंच
4 माह21 – 23 इंच
8 माह25 – 27 इंच
1 वर्ष27 – 29 इंच
2 वर्ष32 इंच
3 वर्ष35 – 37 इंच

शरीर का अनुपात

हमारा शरीर विभिन्न तरह के अंगों से मिलकर बना हुआ है। अर्थात अलग – अलग अंग अलग – अलग अनुपात में बढ़ते हैं और सभी अंगों की अपनी अलग – अलग प्रक्रियाएं होती हैं जो निम्न प्रकार हैं –

1. सर का विकास – नवजात बच्चे का सर उसकी पूरी लम्बाई का चौथा भाग होता है। जैसे –  जैसे बच्चा बड़ा होता है उसका सर धीमी गति से बढ़ता है और शरीर तेजी से बढ़ता है। जैसे ही बच्चा वयस्क अवस्था में आता है तब सर का विकास तेज गति से होता है।

2. चेहरे का विकास – मनुष्य के शरीर का विकास ऊपर से नीचे की तरफ होता है। सर के बाद चेहरे का विकास होता है। शुरुआत में चेहरा छोटा होता है फिर सर के बराबर हो जाता है।

3. हाथ और पैर का विकास – बच्चे के हाथ व पैर का विकास तेजी से होता है। शुरुआत में हड्डियां विकसित नहीं होती हैं तो अंगुलियां बहुत ही मुलायम होती हैं। अगर देखा जाये तो जन्म के समय बच्चे के पैर हाथों की तुलना में छोटे होते हैं। शुरुआत में बच्चा अपनी टाँगे सीधी नहीं कर पता है लेकिन बाद में जैसे – जैसे विकास होता है टाँगे सीधी होने लगती हैं।

4. हड्डियां – प्रारम्भ में बच्चे की 270 हड्डियां होती हैं। जो काफी कोमल होती हैं। इसीलिए बच्चा अपने पैर का अंगूठा भी चूस सकता है। जैसे – जैसे शरीर का विकास होता है कैल्शियम फॉस्फेट जमने लगता है। जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं। बच्चे के वयस्क होने तक कुल 206 हड्डियां हो जाती हैं क्योंकि ये आपस में जुड़ जाती हैं।

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5. आंतरिक अंगों का विकास – आंतरिक अंगों में पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, रक्त – संचार आदि का विकास होता है। छोटे बच्चे की नाड़ी की गति 120 – 140 प्रति मिनिट होती है और वयस्क होने पर 72 प्रति मिनिट हो जाती है।

6. दांतों का विकास – गर्भावस्था में मसूड़ों में दांतों का बनना शुरू हो जाता है। जन्म से 6 महीने के बाद से 2 साल तक लगभग सारे दांत आ जाते हैं। लेकिन ये दांत अस्थायी होते हैं और कुल 20 होते हैं। 5 – 6 साल की उम्र तक दांत टूटते हैं और नए आते हैं। स्थायी दांत कुल 32 होते हैं।

7. ज्ञानेन्द्रियों का विकास – जन्म के बाद से ज्ञाननेद्रियों का विकास होना शुरू हो जाता है। त्वचा का तेजी से विकास होता है। 3 माह के बाद बच्चा अपनी आँखें ठहरा सकता है। स्वाद समझ में आने लगता है, रंगों को देखकर आकर्षित होता है।

इसके साथ ही साथ मांसपेशियों और ऊतकों का भी विकास होता है। हर एक निश्चित समय के साथ – साथ मानव शरीर का विकास होता है। शारीरिक विकास में रूकावट डालने वाले कुछ तत्व हैं जैसे – वंशानुक्रम, टीकाकरण, पोषण, शुद्ध वातावरण, अंतः स्त्रावी ग्रंथियां,  सामाजिक और आर्थिक स्तर आदि।  इन तत्वों की कमी के कारण मानव शरीर का विकास ठीक से नहीं हो पाता है।

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