अवचेतन मन की शक्ति The Power of Subconscious Mind in Hindi
अवचेतन मन की शक्ति The Power of Subconscious Mind in Hindi , अवचेतन मस्तिष्क क्या है एवं यह किस प्रकार से कार्य करता है?
अवचेतन मस्तिष्क हमारे शरीर का प्रमुख द्वितीयक सामर्थ्यशाली हिस्सा होता है जो हमारे जीवन की हर छोटी-बड़ी गतिविधि से जुड़ा हुआ है। हमारे चेतन तथा अवचेतन मस्तिष्क के मध्य विचारों का सामंजस्य बना पाने की कला, एक ऐसा साधन है जो आगे चलकर हमारी सफलता, प्रसन्नता एवं समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
अवचेतन मन की शक्ति The Power of Subconscious Mind in Hindi
मनुष्य का अवचेतन मस्तिष्क एक तरह से डेटा-बैंक के रूप में कार्य करता है, एवं उन आंकड़ों तथा घटनाओं को संग्रहीत करने का काम करता है जो चेतन मस्तिष्क में सहेजी नही जा सकती। प्रमुख रूप से यह मनुष्य के विचार, भूतकाल से जुड़े अनुभव, स्मृतियाँ एवं विभिन्न प्रकार की कलाओं के संग्रह के लिए उत्तरदायी होती है। हमारे द्वारा देखी गई, की गई, अथवा सुनी गई हर गतिविधि की जानकारी यह अपने पास रखता है।
अवचेतन मस्तिष्क हमारे मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य करता है। यह निरंतर रूप से हमारे जीवन में आने वाले हर खतरे तथा महत्वपूर्ण अवसरों पर कड़ी निगरानी रखता है। अवचेतन मस्तिष्क हर उस जानकारी को सही समय पर चेतन मस्तिष्क तक पहुंचाता है, जिसके लिए मस्तिष्क द्वारा उसे निर्देश दिया गया हो।
चेतन तथा अवचेतन मस्तिष्क के मध्य संचार द्विदिशात्मक होता है। हमारे ज़हन में जब कोई विचार, तरकीब, भाव, स्मृति अथवा अतीत की छवि उभरती है, यह सर्वप्रथम अवचेतन मस्तिष्क में उत्पन्न होती है, जिसके पश्चात् इसे अवचेतन द्वारा चेतन मस्तिष्क की ओर संप्रेषित किया जाता है। तथा वहीं दूसरी ओर चेतन से अवचेतन मस्तिष्क का संचार साधारण नही होता, एवं इसे आत्मसुझाव के सिद्धांत द्वारा प्राप्त किया जाता है।
क्या आपको पता है, मनुष्य अपने मस्तिष्क का बहुत कम हिस्सा ही प्रयोग में ला पाते हैं। ऐसा मुख्यतः अवचेतन मस्तिष्क के कारण होता है। वैज्ञानिक अभी तक इसका रहस्य नही सुलझा पाएं हैं, जिस कारण से अवचेतन मस्तिष्क के विषय में हमे बहुत ही सूक्ष्म जानकारी प्राप्त है। परंतु यह तो तय है कि यह मनुष्य का अवचेतन मस्तिष्क ही है जो उसके सभी कार्यों एवं गतिविधियों के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होता है।
अवचेतन मस्तिष्क के प्रमुख कार्यों में से एक यह भी है कि यह मस्तिष्क में आने वाली सूचनाओं के अंबार तथा चेतन मस्तिष्क के मध्य एक रक्षा-ढाल के रूप में कार्य करता है। मनुष्य के मस्तिष्क में प्रति सेकंड इतनी अधिक सूचनाएं आती हैं, जिनके कारण मस्तिष्क को खासी क्षति पहुँच सकती है।
यहाँ पर अवचेतन मस्तिष्क हर उस सूचना को जाँच एवं परख कर चेतन मस्तिष्क तक सिर्फ वही सूचनाएं प्रेषित करता है जो उस क्षण की आवश्यकता के अनुसार, अत्यंत ही महत्वपूर्ण एवं प्रासंगिक होती हैं।
किसी विचार को चेतन से अवचेतन मस्तिष्क तक ले जाना मुश्किल इसलिए भी होता है क्योंकि ऐसा करने के लिए उस विचार का मनुष्य की भावनाओं से जुड़ना आवश्यक हो जाता है। सिर्फ वही विचार, जो भावना से जुड़े होते हैं, अवचेतन मस्तिष्क तक पहुँच पाते हैं।
एवं ऐसे अत्यंत भावुकता से युक्त विचार ही वहां अधिक लंबे समय तक ठहर पाते हैं। दुर्भाग्यवश, यह बात दोनों ही नकारात्मक एवं सकारात्मक भावनाओं पर लागू होती है। एवं सामान्यतया ऐसा होता है नकारात्मक भावनाएं सकारात्मक से अधिक स्थायी एवं उन पर हावी सिद्ध होती हैं।
परंतु बात जब सकारात्मक भावनाओं की आती है, तब उसमें सबसे मजबूत यह दो भावनाएं, विश्वास एवं प्रेम हैं। यह अधिक दृढ़, अडिग एवं स्थायी होती हैं एवं मनुष्य को आध्यात्म की ओर आकृष्ट करती हैं। इनकी उपस्थिति मात्र से ही कोई विचार अधिक सशक्त एवं भावनायुक्त बन जाता है।
इस कारण से ही इस विचार के अवचेतन मस्तिष्क में संग्रहित एवं स्थिर रहने की संभावना कहीं अधिक बढ़ जाती है। और फिर इस विचार पर कार्य करके अवचेतन मस्तिष्क इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी चेतन मस्तिष्क तक प्रेषित कर देता है।
विश्वास उम्मीद से भिन्न होता है, क्योंकि जब हम विश्वास रखते हैं, तब हमें उसके प्रतिफल के लिए पूर्णतया निश्चिन्त होते हैं। और जब हम किसी बात की उम्मीद रखते हैं, तब हम स्वयं को, उस बात से जुड़े अनेक अनिश्चित प्रतिफलों में से एक परिदृश्य के पूर्ण होने का, अपेक्षित रखते हैं।
हम सभी अपने आस-पास ऐसे लोग को देखते हैं, जो आसानी से नए-नए अवसर ढूंढकर सफलता के मार्ग में आगे बढ़ते ही जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका अवचेतन मस्तिष्क, सामान्य लोगों की तुलना में, उन्हें उनके लक्ष्य से सम्बंधित जानकारी सटीक एवं अधिक से अधिक मात्रा में प्रेषित करता है।
क्या आपने कभी गौर किया है कि जब आप किसी कार्य को करने के लिए मन से ठान लेते हो, तब उस कार्य से सम्बंधित अवसर बार बार आपके सामने आते हैं? इसके पीछे यही कारण है कि जब आप कोई निर्णय लेते हैं, तब आप उसे विचार का रूप देते है, और इसे अपनी इच्छाओं एवं विश्वास से जोड़ देते हैं, और इसी वजह से अवचेतन मस्तिष्क उस कार्य से जुड़ी हर वो ज़रूरी जानकारी आपको देता है, जो आपके कार्यपूर्ति में सहायक सिद्ध हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्राप्त किये गए दो प्रतिफलों में जो अंतर हमे दिखता है, उसे ‘प्रबुद्ध समझ का द्वार’ भी कहा जा सकता है। यही वह अंतर है, जिसके कारण मनुष्य अवसर को पहचान लेता है या फिर उसे खो देता है। यह बस इस साधन पर आधारित है कि आपने अपने अवचेतन मस्तिष्क को कितना जाग्रत किया है एवं उसका कितना अधिक प्रयोग कर पा रहे हैं।
प्रकृति ने मनुष्य को उसकी पञ्च-ज्ञानेंद्रियों द्वारा, अपने अवचेतन मस्तिष्क में समाहित होने वाली सूचनाओं पर पूर्णतः नियंत्रण रखने की क्षमता प्रदान की है। परंतु, इसका यह मतलब नही कि हर व्यक्ति इस नियंत्रण का प्रयोग कर पता है। यह एक मुख्य कारण है कि अनेकों लोग अपना जीवन गरीबी एवं बदहाली में व्यतीत कर देते हैं।
आत्मा की आवाज
अपने अवचेतन मस्तिष्क में सूचनाओं एवं विचारों को उत्पन्न करने की कला को ‘आत्मसुझाव’ कहा जाता है। इसके अंतर्गत सभी प्रकार के स्व-प्रसाशित प्रोत्साहित करने वाले विचार इंद्रियों की सहायता से अवचेतन मस्तिष्क में प्रवेश करते हैं।
चेतन मस्तिष्क में उपस्थित प्रमुख विचार चाहे वे सकारात्मक हो या नकारात्मक, अवचेतन मस्तिष्क में प्रवेश कर मनुष्य के कार्यों को प्रभावित करते हैं। एक विचार दूसरे विचार पर हावी अथवा अधिक सशक्त होने लगता है, जब वह किसी चिरकालीन एवं मजबूत भावना से संबंधित हो।
शक्तिशाली अस्त्र
अतः हम कह सकते हैं कि अवचेतन मस्तिष्क मनुष्य के पास मौजूद सबसे शक्तिशाली शस्त्र है। इसके कारण एक व्यक्ति अवसर पहचान कर आगे बढ़ता जाता है, वहीं दूसरा व्यक्ति इसे खो देता है। इसकी सहायता से आप लोगों में अपना प्रभाव बना सकते हैं, या फिर किसी और के प्रभाव में आकर उसके अधीन कार्य करते हैं।
आत्मसुझाव के ज़रिये हम चेतन से अवचेतन मस्तिष्क में अपने विचारों का प्रवेश कर सकते हैं। इस कला के ज़रिये हम अपने अवचेतन मस्तिष्क को अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ कार्य करने के लिए निर्देशित कर सकते हैं।इस कला में निपुण होने का परिणाम व्यक्ति को उसके सफल जीवन तथा उसके सपनों की पूर्ति के करीब ले जाता है।