राहू महादशा, इसके प्रभाव, और उपाय Rahu Mahadasha Story, Effect, Remedies in Hindi

राहू महादशा, इसके प्रभाव, और उपाय Rahu Mahadasha Story, Effect, Remedies in Hindi

दोस्तों आज हम बात करेंगे राहू महादशा के बारे में, क्योंकि इसके प्रभाव में आकर कई लोगो को अपने जीवन में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, यह एक ऐसी महादशा है, जो लगभग 18 वर्ष की होती है। राहु की अंतर्दशा का काल 2 वर्ष 8 माह और 12 दिन का होता है।

इस अवधि के दौरान राहु से प्रभावित व्यक्ति को अपमान और बदनामी का सामना करना पड़ता है। जातक मानसिक रूप से बहुत ही प्रभावित होता है और उसकी मानसिक शांति का नाश होता है।

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पौराणिक कथा Story of Rahu Mahadasha

जब समुद्र मंथन के समय देवताओं और राक्षसों की लड़ाई का दौर चल ही रहा था, तभी शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से समुद्र का मंथन किया जाना तय किया गया। अब समुद्र का मंथन करने के लिए कुछ आवश्यक साधनों की आवश्यकता हुई, जैसे एक पर्वत जिससे मंथन किया जा सके। इसके लिए सुमेरू पर्वत को यह ज़िम्मेदारी दी गई, शेषनाग रस्सी  के रूप में मंथन कार्य से जुड़े, सुमेरू पर्वत जिस आधार पर खड़ा था, वह आधार कूर्म देव यानी कछुए का था और मंथन शुरू हो गया।

इस मंथन से कई चमत्कारी चीजें निकली, लेकिन इससे पहले निकला हलाहल विष। इसका प्रभाव इतना अधिक था कि न तो देवता इसे धारण करने की क्षमता रखते थे और न राक्षस, इसलिए भगवान शंकर ने  इस हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया। इसके बाद लक्ष्मी, कुबेर एवं अन्य दुर्लभ वस्तु के बाद आखिर में अमृत निकला।

वास्तव में पूरा समुद्र मंथन अमृत की खोज के लिए ही था, ताकि देवता अथवा राक्षस जिसके भी हिस्से में अमृत आ जाए, वह उसे पीकर अमर हो जाए, लेकिन अमृत निकलने के साथ ही मोहिनी रूप में खुद भगवान विष्णु आ खड़े हुए और अपने रूप जाल से राक्षसों को मोहित कर अमृत का कुंभ अपने हाथ में ले लिया।

इस प्रकार राक्षस अमृत से विहीन हो गए। बाद में जब विष्णु सभी देवताओं को अमृत देकर अमर बना रहे थे, उसी समय स्वरभानु नाम का राक्षस चुप के से देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया। स्वरभानु के पास खुद को छिपा लेने की शक्ति थी और दूसरे रूप बदलने की भी शक्ति थी।

भगवान विष्णु ने पंक्ति में बैठे स्वरभानु के मुख में अमृत की बूंद गिराई ही थी कि सभा में मौजूद सूर्य और चंद्रमा ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु से इसकी शिकायत कर दी। जैसे ही विष्णु को पता चला कि एक राक्षस धोखे से अमृत का पान कर रहा है, उन्होंने सुदर्शन चक्र लेकर स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक अमृत अपना काम कर चुका था। अब स्वरभानु दो भागों में जीवित था। सिर भाग को राहू कहा गया और पुंछ भाग को केतू।

जिसके बाद दोनों ग्रहों ने कठिन तपस्या की और आखिरकार उन्हें ग्रहों में सम्मिलित कर लिया गया। सूर्य और चंद्रमा द्वारा शिकायत किए जाने से नाराज़ राहू और केतू बहुत कुपित हुए और कालांतर में राहू ने सूर्य को ग्रास लिया और केतू ने चंद्रमा को।

राहू गुप्त रहता है, राहू गूढ़ है, छिपा हुआ है, अपना भेष बदल सकता है, जो ढ़का हुआ वह सबकुछ राहू के अधीन है। राहू की दशा अथवा अंतर दशा में जातक की मति ही भ्रष्ट होती है। क्योंकि राहू का स्वभाव गूढ़ है, सो यह समस्याएं भी गूढ़ कर देता है।

जातक परेशानी में होता है, लेकिन यह परेशानी अधिकांश मानसिक फितूर के रूप में होती है। राहू महादशा के दौर में बीमारियाँ होती हैं, अधिकांश पेट और सिर से संबंधित, इन बीमारियों का कारण भी स्पष्ट नहीं हो पाता है।

असल में राहु ग्रह का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता, परंतु ज्योतिष शास्त्र में इस ग्रह को शनि ग्रह से भी अधिक प्रभावी माना गया है। हालाँकि शनि न्यापूर्ण है और हर किसी को उसके कर्मो के अनुसार ही फल प्रदान करता हैं, लेकिन राहु ग्रह अच्छे और बुरे कर्मों को देख कर फल नही देता। इसलिए राहु और केतु ग्रहों को पापी ग्रह माना जाता है।

हिन्दू शास्त्रों में इसे अशुभ ग्रह माना जाता है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर राहु की महादशा प्रभाव डालती है, वह अवश्य बीमार पड़ जाता है और जातक को उसकी बीमारी का पता भी नहीं चल पाता। कुछ लोग इसे छाया ग्रह मानते हैं। इसी ग्रह के चलते धरती पर सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।

राहू महादशा के प्रभाव Effect of Rahu Mahadasha

राहू महादशा कई प्रकार से जातक की जिंदगी में असर डालती है, यह पूरी तरह से नकारात्मक होता है, क्योंकि यह नुकसान ही पहुँचाता है। यह जीवन के जिस भाग पर असर डालता है, उस ग्रह के प्रभाव को कमजोर कर देता है एवं विचित्र तरह की समस्या उत्पन्न हो जाती है और यह जिंदगी के कई आयामों पर प्रभाव डालता है-  

राहु व्यक्ति के काम और रोज़गार पर असर डालता है (on work and business)

  •  राहु व्यक्ति के अंदर नकारात्मक ऊर्जा भर देता है, जिसके कारण उनका आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ जाता है।
  • व्यक्ति की सोच, खान-पान आदि दूषित हो जाते हैं और ऐसे लोग फास्ट फूड, शीतल पेय और नशे के आदी हो जाते हैं।
  • इनकी जीवनचर्या बिल्कुल अनिश्चित होती है।
  • ऐसे लोग आकस्मिक धन कमाने के चक्कर में रहते हैं और लॉटरी, और जुए-सट्टा में लिप्त हो जाते हैं।
  • काम कुछ भी हो पर इन्हे बार-बार उतार चढ़ाव और बदलाव का सामना करना पड़ता है।

राहु पारिवारिक जीवन पर भी असर डालता है (on personal life)

  • इसके प्रभाव के कारण पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं होता, अक्सर विवाह तनाव का कारण बनता है।
  • पारिवारिक संपत्ति या तो नहीं मिलती या मुक़द्दमों में फँस जाती है।
  • संतान उत्पत्ति में देरी होती है और संतान समस्या का कारण बनती है।

राहु बीमारियाँ भी देता है (health problems)

  • इसके प्रभाव से अधिकतर त्वचा और मुंह के गंभीर रोग होने की सम्भावना बनी होती है।
  •  वात रोग की समस्या घेरे रहती है, पेट में भी समस्या बनी रहती है, जो गंभीर ना होकर मानसिक हो जाती है।
  • ऐसे लोगों को बड़ी बीमारियों के होने का वहम होता रहता है।

जबकि राक्षस प्रवृत्ति का ग्रह राहु और देवताओं के गुरु बृहस्पति का यह संयोग बहुत ही सुखदायी होता है। इस दौरान व्यक्ति के मन में श्रेष्ठ विचारों का संचार होता है और उसका शरीर स्वस्थ रहता है। धार्मिक कार्यों में उसका मन लगता है। यदि कुंडली में गुरु अशुभ हो और राहु के साथ या राहु की दृष्टि गुरु पर हो तो शुभ फल नहीं मिलते।

राहू महादशा के लक्षण Symptoms of Rahu Mahadasha

कई बार राहू महादशा का जब कुंडली पर असर होता है तो उसका असर जातक की जिंदगी में देखने को मिलता है।

राहु में शनि की अंतर्दशा 2 वर्ष 10 माह और 6 दिन की होती है। इस अवधि में परिवार में कलह की स्थिति बनती है। तलाक भाई, बहन और संतान से अनबन, नौकरी में या अधीनस्थ नौकर से संकट की संभावना रहती है। शरीर में अचानक चोट या दुर्घटना होना, कुसंगति आदि की संभावना भी रहती है। साथ ही वात और पित्त जनित रोग भी हो सकता है।

राहु में बुध की अंतर्दशा Rahu-Mercury Antardasha

राहु की महादशा में बुध की अंतर्दशा की अवधि 2 वर्ष 3 माह और 6 दिन की होती है। इस समय धन और पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं। राहु और बुध की मित्रता के कारण मित्रों का सहयोग प्राप्त होता है। साथ ही, कार्य कौशल और चतुराई में वृद्धि होती है। व्यापार का विस्तार होता है और मान, सम्मान यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

राहू में सूर्य, राहू में चंद्रमा और राहू में मंगल की अंतरदशाएं 90 प्रतिशत जातकों की कुंडली में खराब ही होती हैं।

राहू महादशा होने पर जातक को कुछ लक्षण देखने को मिलते है, जैसे –

  • जातक की मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है।
  • धन का अनावश्यक अप व्यय होने लगता है।
  • सन्तान उत्पति में रुकावट पैदा होती है।
  • मरा हुआ सर्प या छिपकली दिखाई देती है।
  • व्यक्ति के पास ऐसे अनेक लोग एकत्रित हो जाते हैं, जो कि निरंतर धूम्रपान करते हैं।
  • पाला हुआ जानवर खो जाता है या मर जाता है।
  • याददाश्त कमजोर होने लगती है।
  • अकारण ही अनेक व्यक्ति आपके विरोध में खड़े होने लगते हैं।
  • हाथ के ना खून विकृत होने लगते हैं।
  • मरे हुए पक्षी देखने को मिलते हैं।
  • बंधी हुई रस्सी टूट जाती है।
  •  मार्ग भटक ने की स्थिति भी सामने आती है।
  •  व्यक्ति से कोई आवश्यक चीज खो जाती है।

राहू महादशा के उपाय Remedies for Rahu Mahadasha

इस असर को कम करने के उपाय-

  • नित्य प्रातः ब्रश करने के बाद तुलसी के पत्ते खाने से इसका प्रभाव कम होता है।
  • स्नान के बाद सफेद चन्दन मस्तक, कंठ और नाभि पर लगाना चाहिए।
  • भोजन हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करने से राहू का असर कम होता है।
  • शनिवार को पिंजरे में कैद पक्षियों को आजाद करवाएं।
  • गले में तुलसी की माला धारण करे।
  •  घर और दुकान में से अनुपयोगी वस्तुओं को हटा दें।
  • नित्य प्रातः सूर्य को जल अर्पित करें।
  •  सूर्यास्त के बाद राहु के मन्त्र “ॐ रां राहवे नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए।
  • पीले रंग का रुमाल साथ में रखें।
  • भोजन में दूध और दूध से बनी हुई चीजें ज़रूर ग्रहण करें।
  •  नित्य प्रातः और सायं 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • यदि आपकी जन्म कुंडली में राहु ग्रह चंद्र और सूर्य ग्रहों को प्रभावित कर रहा है तो पीड़ित व्यक्ति को भगवान शिव शंकर की सच्चे मन से आराधना करनी चाहिए क्योंकि राहु ग्रह भगवान शिव के परम आराधक हैं।
  • राहु महादशा में सूर्य, चंद्र तथा मंगल का अंतर काफी कष्टकारी होता है, अतः समयावधि में नित्य प्रतिदिन भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ा कर दुग्धाभिषेक करना चाहिए।
  • राहु से पीड़ित जातक को नियमित रूप से शिवपुराण का पाठ करना लाभकारी होता है।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए, जिससे दुर्गा जी की कृपा प्राप्त होती है, और राहु का प्रभाव भी कम होता है।
  • पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाना भी लाभदायक होता है।
  • तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें।
  • सुबह चंदन का टीका भी लगाना चाहिए। अगर हो सके तो नहाने के पानी में चंदन का इत्र डाल कर नहाएं।
  • शिव साहित्य जैसे- शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए।
  • हाथी को हरे पत्ते, नारियल गोले या गुड़ खिलाएं।

प्रभावी उपचार जातक को राहू की पीड़ा से बहुत हद तक बाहर ले आते हैं। राहू की महादशा से बचने के लिए उपाय करना चाहिए। जिससे महादशा का प्रभाव कम हो सके।

Sources –

Featured Image – https://hi.wikipedia.org/wiki/
https://www.speakingtree.in/allslides/let-us-shed-some-light-on-the-shadow-planet-rahu
https://www.astroguruonline.com/rahu-mahadasha/
https://www.indianastrology2000.com/dasha/rahu.php
https://www.ganeshaspeaks.com/predictions/astrology/effects-and-remedies-of-rahu-mahadasha/
https://mahadasha.com/rahu-mahadasha/
https://www.indastro.com/mahadasha/rahu-mahadasha.html

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