आज के इस लेख में आप प्रेम से जुड़े 3 दुःख-दर्द भरी कहानियां (Painful love sad story in Hindi) पढेंगे। यह कहानियां प्यार के एक दुसरे रूप को दिखाते हैं जो बहुत ही दुख देते हैं।
रिंकू और आरती की दुःख भरी कहानी Rinku and Aarti – sad story in Hindi
आज मैं आप लोगों को अपने एक फ्रेंड की कहानी (sad story) बताने जा रहा हूँ, जो मेरे ही मोहल्ले में रहती है उसका नाम आरती है। वह कुछ दिनों से बहुत परेशान रहती है और उसकी परेशानी की वजह उसका बॉयफ्रेंड है। जिसका नाम रिंकू है। उसके लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है।
चलिए फिर आप लोगों को आरती और रिंकू के बारे में शुरू से बताता हूँ। रिंकू गुरु नानक एकेडमी में पढ़ता था। मजे की बात यह है कि आरती भी उसी स्कूल में पढ़ती थीं। दोनों एक ही क्लास में थे। रिंकू पढ़ने में बहुत ही अच्छा और होनहार लड़का था इसलिए उस पर लड़कियाँ मरती थी।
लेकिन आरती इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती थी, क्योंकि वह अपने पढ़ाई से ही मतलब रखती थी। एक दिन की बात है, आरती ने देखा कि रिंकू एकटक उसी को ही देखे जा रहा था। जिसे देखकर आरती आश्चर्यचकित रह गयी। आरती को यह एक सपना लग रहा था। जब यह बहुत दिनों तक चला तब आरती को समझ में आया कि यह कोई सपना नहीं, हकीकत है।
शुरु-शुरु में आरती के मन में बहुत अजीबोगरीब ख्याल आते थे। फिर धीरे-धीरे अच्छा लगने लगा, उसके बाद आरती की जिंदगी बदलने लगी। रिंकू को खुश करने के लिए वह अपने आप पर ज्यादा ध्यान देने लगी, हमेशा सज सँवार कर रहने लगी।
एक दिन रिंकू के मन में ख्याल आया कि क्यों ना आरती से बात किया जाए। जब आरती कॉलेज से निकल कर घर की ओर जाने लगी, तब रिंकू ने अपनी बाइक आरती के पास ले जाकर रोक दी, बोला “आओ मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ।”
आरती भी रिंकू को पसंद करती थी इसी वजह से वह मना नही कर पाई। रिंकू ने गाड़ी स्टार्ट की, धीरे-धीरे चलना शुरू कर दिया। रिंकू ने आरती से बोला मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ, अगर तुम गुस्सा ना हो तो। आरती बोली “कहो हम गुस्सा नहीं होंगे क्या बात है, आरती ने रिंकू से कहा चलो कहीं कुछ खाते हैं वहीं बैठ कर बातें करेंगे।”
रिंकू ने फिर आरती को प्रपोज किया, वह डरा हुआ था। लेकिन आरती की तरफ से हाँ सुनकर रिंकू बहुत खुश हुआ। प्यार आरती भी करती थी इसी वजह से वह मना भी नहीं कर सकती थी और इस तरह दोनों के प्यार की गाड़ी पटरी पर दौड़ना शुरू कर दी।
वो दोनों रोजाना खूब बातें करते, घूमने जाते और बहुत सारी मस्तियाँ करते थे। लेकिन कुछ महीनों बाद रिंकू अचानक से कहीं चला गया। ना ही वह किसी का फोन उठाता और ना ही किसी का व्हाट्सएप्प पर जवाब देता। यह हरकत देखकर आरती बहुत परेशान हो गई।
वह कुछ दिनों तक ऐसे ही फोन कॉल और व्हाट्सएप्प मैसेज करती रही, पर कोई जवाब नहीं मिलता था। धीरे-धीरे आरती बहुत परेशान रहने लगी। ना तो वह सही से पढ़ पाती, ना ही कुछ खा पाती। किसी भी चीज में मन नहीं लगता था। वह रिंकू के इंतजार में बैठ कर रोती रहती थी।
एक दिन हुआ ऐसा कि, आरती और उसकी मम्मी हनुमानगढ़ी दर्शन के लिए जा रहे थी। तभी रास्ते में आरती की नजर सामने से आ रहे रिंकू पर पड़ी। रिंकू ने जैसे ही आरती को देखा वह अनजान बनते हुए बगल गली में चला गया। आरती का मन हुआ कि दौड़कर उसके पीछे जाए, उससे पूछे कि वह स्कूल क्यों नहीं आता, फोन क्यों नहीं उठाता आखिर बात क्या है।
लेकिन उसकी मम्मी भी साथ में थी इसी वजह से वह जा नहीं पाई। शाम को आरती ने मोबाइल रिचार्ज कराने के बहाने से घर के बाहर निकली और जिस गली में रिंकू गया था उस गली में रिंकू को ढूंढने के लिए गईं। इत्तेफाक से रिंकू सामने से आता हुआ नजर आया। फिर रिंकू ने आरती को लेकर अपने फ्रेंड के घर गया। वहाँ उन दोनों ने खूब बात की। रिंकू ने आरती से माफी भी माँगी। अब फिर से आरती की जिंदगी में बहार सी आ गयी।
रिंकू और आरती को दोबारा मिले हुए कुछ ही हफ्ते बीते थे कि रिंकू अचानक से फिर गायब हो गया। इस बार उसका फोन भी बंद आ रहा था। उसके माता-पिता भी मंदिर के बगल वाला मकान खाली करके जा चुके थे। इधर आरती दिन भर कमरे में पड़ी रहती थी और रोती रहती। मैंने कई दिनों तक देखा, मुझसे उसकी यह हालत देखी नहीं गई।
मैंने निश्चय किया कि मैं रिंकू के बारे में पता लगाऊँगा। मैंने बहुत भागदौड़ की, बहुत खोजा, अंत में मुझे कुछ कामयाबी मिली तो लेकिन रिंकू ना मिला। रिंकू का खास दोस्त सुमित मिला। सुमित से रिंकू बारे में बहुत कुछ जानकारी मिली थी।
जिसको सुनकर मैं बहुत आश्चर्यचकित रह गया। रिंकू एक आतंकवादी गिरोह से जुड़ा हुआ था। आरती को इन सब चीजों के बारे में उसने कुछ नहीं बताया था, वह इन सब चीजों से अनजान थी, उसे अंधेरे में रखा। मुझे अभी पता चला कि रिंकू, आरती की तरह कई लड़कियों से संबंध रखता था और उसके लिए सारी लड़कियाँ सिर्फ टाइमपास थी।
मेरे मन में कई बार विचार आया कि आरती को यह सच बता दूँ, लेकिन मेरी हिम्मत ना हुई। मन में एक डर सा बना हुआ था कि यह सच जानकर आरती कुछ गलत ना कर बैठे। इसी डर की वजह से मैं आरती को सच ना बता पाया। जिसका मुझे ज़िन्दगी भर अफसोस रहेगा।
प्यार में ऐसा भी होता है – दुख भरी कहानी This happens in love – Sad love story in Hindi
यह बात उन दिनों की है जब मैं 11वीं कक्षा में पढ़ती थी। मेरा स्कूल में पहला दिन था सब कुछ मेरे लिए नया सा था। साथ ही साथ मेरे अंदर नये लोगों से मिलने की, उनसे बातें करने की उत्सुकता थी। उस दिन मैं घर आकर सबको अपने नए स्कूल के बारे में और नए दोस्तों के बारे में बतायी, सब बहुत खुश हुए।
धीरे-धीरे समय बीतता गया, मेरी दोस्ती एक कुशाल नाम के लड़के से हो गयी। हम साथ-साथ पढ़ते और कभी-कभी तो हम लोग क्लास बंक करके घूमने चले जाते थे। हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि हम लोग फोन पे भी काफी देर तक स्कूल के काम के बहाने बातें करने लगे।
अचानक एक दिन कुशाल ने मुझे अपने घर बुलाया, बोला कुछ जरूरी काम है। मैंने बिना काम पूछे उसके घर जा पहुँची। उसने मुझे चाय के लिए पूछा, मैंने हाँ कर दी। कुशाल ने चाय का प्याला मेरे हाथ में थमाते हुए बोला “घर पर सब ठीक है।” हमने बोला “हाँ सब तो ठीक है, बस दादी की थोड़ी तबियत खराब है”।
हम बातें कर ही रहे थे कि अचानक कुशाल मेरे सामने आकर बैठ गया और बोला “मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, क्या तुम मेरे साथ शादी करोगी। इतना सुनते ही मैं खड़ी हो गई क्योंकि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूँ, मैं ऐसे भूत बनकर खड़ी थी जैसे मुझे किसी चीज का सदमा लगा हो। फिर से दोबारा उसके बोलने पर मैंने हाँ कर दिया क्योंकि मैं भी कुशाल से बहुत प्यार करती थी। इसके बाद हम हर रोज मिलने लगे, काफी सारी बातें भी करने लगे।
धीरे-धीरे समय बीतता गया। हमारे स्कूल की पढ़ाई भी पूरी हो गई। हम कॉलेज में आ गए हमारा प्यार समय के साथ-साथ गहरा होता गया। कॉलेज में भी हमने साथ-साथ पढ़ाई पूरी की। उसके बाद कुुशाल की जॉब मुंबई के एक कंपनी में लग गई। वह दिन भी नजदीक आ गया। जब कुशाल को नौकरी के लिए मुंबई जाना था।
उसके एक दिन पहले हम दोनों मिले और उस दिन हम दोनों बहुत रोए थे क्योंकि कुशाल मुंबई जा रहा था। ऐसा पहली बार हुआ था कि हम अलग-अलग हो रहे थे। मन में डर भी था पता नहीं अब कभी मिलेंगे या नहीं। कुशाल मुझे बहुत समझाया कि मैं जल्दी ही तुमसे मिलने आऊँगा, जैसे ही मेरी छुट्टी होगी मैं सिर्फ तुम्हारे पास तुमसे मिलने आऊँगा।
अगले दिन कुशाल मुंबई चला गया। मैंने भी यहाँ रायबरेली में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का काम शुरू कर दिया। कुछ दिनों के बाद मेरे माता-पिता को मेरी शादी की चिंता सताने लगी। वह मेरे लिए लड़का भी ढूंढने लगे। जब ये बात मुझे पता चली तो मैं बहुत परेशान हो गई।
कुशाल से भी मेरी बात नहीं हो पा रही थी कि मैं यह सारी बातें, उसको बता सकूँ। एक दिन मैंने हिम्मत करके अपने माता-पिता से जाकर बोला कि मैं कुशाल से शादी करूँगी। मेरे माता-पिता मेरी बात सुनकर चौक गए क्योंकि उन्हें तो किसी कुशाल के बारे में पता नहीं था।
मेरे पिता बहुत ही स्वाभिमानी किस्म के व्यक्ति थे इसीलिए उन्होंने बिना कुछ पूछे ही मना कर दिया कि यह नहीं हो सकता। मेरे बार-बार प्रार्थना करने के बाद भी वे तैयार नहीं हुए। मेरा घर से बाहर जाना भी बंद कर दिया। अब मै बिल्कुल अकेले पड़ गई थी। कुशाल से भी बात नहीं हो पा रही थी कि उससे ही कुछ बोलू जिससे वह मेरे माता-पिता को शादी के लिए मना सके।
मेरे पिता ने मेरी शादी एक रुपेश नाम के लड़के से तय कर दी जो मेरे पिता के ननिहाल से था। अब मेरे पास शादी करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। शादी की तारीख जैसे-जैसे पास आती गई वैसे-वैसे मेरी बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। मैं कुशाल का इंतजार कर रही थी कि वह आएगा और मेरे माता-पिता को मनाकर मुझसे शादी करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मेरी शादी की तारीख भी आ गई, मैं दुल्हन की जोड़े में अपने कमरे में निराश बैठी रो रही थी। तभी अचानक से मेरे दिमाग में आया कि मैं इस शादी से भाग जाऊँ और मैं चुपके से दबे पाँव घर के पिछले दरवाज़े से बाहर आ गई। उसके बाद रेलवे स्टेशन पहुँचकर ट्रेन से मुंबई आ गई। कुशाल के घर का पता मैंने उसके छोटे भाई विशाल से ले लिया था।
जब मैं कुशाल के घर पहुँची तो वहाँ पर जो देखा उससे तो मेरे पैर के नीचे से जमीन ही खिसक गई। मैंने देखा कुशाल की शादी हो रही थी। जब मैं कुशाल के सामने गई तो उसने मुझे देखकर ना पहचानने का नाटक किया। मेरे बार-बार बोलने पर भी वह मुझे पहचानने से इंकार कर दिया और अपने घर से जाने के लिए बोल दिया।
अब मैं बिल्कुल अकेली पड़ गई थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मुझे एहसास भी हो रहा था कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी, अपने पिता का घर छोड़ कर। वों भी एक अंजान लड़के पर भरोसा करके। मैं बहुत रोई और अपने घर वापस आने का फैसला किया है।
जब मैं घर पहुँची तो वहाँ देखा कि मेरी माँ रो रही थी क्योंकि मेरे पिता मेरी इस गलती और अपनी बेज्जती को सह ना सके जिससे वह इस दुनिया से चले गये थे। अब मुझे अपनी इस गलती से बहुत ही पश्चाताप हो रहा था क्योंकि इसकी वजह से मैंने अपने पिता को खो दिया था।
चेतन का प्यार – दुखद कहानी Chetan’s love life – Sad Painful Story
हेलो दोस्तों आज मैं आप लोगों को अपने दोस्त चेतन के प्यार के बारे में बताऊँगा। जो किसी लड़की से बहुत ही गहरा और सच्चा प्यार करता था। प्यार किसी की जिंदगी में कैसा मोड़ लाता हैं इस कहानी में आप जानेंगे। चेतन अपने माता-पिता का एकलौता पुत्र था। वह बहुत ही मेहनती और होनहार लड़का था। वह घर से मेडिकल की तैयारी के लिए कोटा राजस्थान गया हुआ था।
वह अपनी पढाई के प्रति बहुत ही गम्भीर रहता था इसलिए वह मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई करता था। उसके सारे काम एक नियम पर आधारित थे। समय से उठना, समय से कोचिंग जाना और समय से घर आकर पढ़ाई करना ऐसे ही लगभग उसका 6 महीने तक चलता रहा।
धीरे-धीरे उसकी क्लास में दोस्ती बढ़ती गई, सबसे अच्छे से घुल मिल गया। चेतन बहुत ही शांत स्वभाव का लड़का था। एक दिन वह क्लास में बैठा हुआ था तभी उसकी नजर क्लास की एक लड़की सारिका पर गयी जो उसे एकटक देख रही थी।
सारिका बहुत ही खूबसूरत थी जिसे क्लास के सारे लड़के पसंद करते थे, हर कोई उससे बातें करना चाहता था। लेकिन सारिका कभी इन सब चीजों की तरफ कभी ध्यान नहीं देती थी। लेकिन जब उसने चेतन को देखा क्लास के पहले ही दिन से वह उसकी तरफ आकर्षित होने लगी। हर रोज वह क्लास में आती थी और चेतन को एकटक देखती रहती थी।
जब यह बात चेतन को पता चली तो चेतन को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया। फिर धीरे-धीरे चेतन भी उसकी तरफ आकर्षित होने लगा। चेतन बहुत ही शर्मीला लड़का था इसलिए वह कभी कुछ बोल नहीं पाया। एक दिन चेतन ध्यान लगाकर पढ़ रहा था तभी उसके फोन की रिंगटोन बजी, जब उसने फोन उठाया उस पर किसी लड़की की आवाज आई जो सारिका की आवाज लग रही थी, आवाज सुनते ही चेतन समझ गया था कि यह सारिका है फिर भी
वह अनजान बनते हुए बोला कौन….?
सारिका ने धीरे से बोला- हेलो चेतन, मैं सारिका बोल रही हूँ। फिर दोनों की काफी देर तक बातें हुई। उन दोनों का बात करने का पहला दिन था इसलिए दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बातें करें फिर उन्होंने अपने क्लास और पढ़ाई से संबंधित चीजे पर ही बातें किया। धीरे-धीरे इनके बीच दोस्ती भी गहरी होती गई। वें एक दूसरे से बाहर मिलने भी लगे।
चेतन ज्यादा से ज्यादा टाइम सारिका के साथ बिताने लगा। अपनी पढ़ाई पर भी ज्यादा ध्यान नहीं देता जिसकी वजह से वह मेडिकल एग्जाम में पास नहीं हो पाया। लेकिन सारिका मेडिकल एग्जाम में पास हो गयी। कोटा से निकल कर लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया।
सारिका चेतन को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ जाती है। वो धीरे-धीरे चेतन से बात करना भी बंद कर देती है। चेतन बहुत ही परेशान रहने लगा क्योंकि सारिका उसे छोड़ कर जा चुकी थी। वह मेडिकल एग्जाम भी पास नहीं कर पाया था। इसके ऊपर उसके घर वालों का भी दबाव था ।
अब उसको एहसास हो रहा था कि वह अपने माता-पिता की बात को ना मानकर बहुत बड़ी गलती कर दी। एक लड़की के लिए अपनी पूरी जिंदगी को दाँव पर लगा दी ।
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