सरस्वती पूजा (वसंत पंचमी) पर निबंध Saraswati Puja (Vasant Panchami) Essay in Hindi

इस लेख में सरस्वती पूजा (वसंत पंचमी) पर निबंध Saraswati Puja (Vasant Panchami) Essay in Hindi स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा गया है। इस लेख में सरस्वती पूजा के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है।

सरस्वती पूजा क्या है? What is Saraswati Puja in Hindi

भारत में प्राचीन समय से ही धार्मिक अथवा सांस्कृतिक पहलुओं से देवियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हिंदू धर्म में विद्या तथा संगीत की देवी कहे जाने वाली मां सरस्वती की पूजा सभी के लिए लाभदायक है।

सरस्वती पूजा मां सरस्वती के लिए एक निश्चित दिन पर विशेष प्रकार से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आयोजित किया जाता है।

वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा कोई साधारण पूजा नहीं है, बल्कि हिंदू धर्म के लोग इसे एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में देखते हैं। कहा जाता है, कि सरस्वती पूजा करने से विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं।

सरस्वती पूजा को वसंत पंचमी अथवा श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी का यह त्यौहार प्राचीन समय से ही प्रचलित है।

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भारत के अलावा सरस्वती पूजा का यह त्यौहार हमारे पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश इत्यादि कई अन्य देशों में मनाया जाता है। वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का वर्णन भारत के प्राचीन शास्त्रों में भी उल्लेखित है। इसके अलावा कई काव्य ग्रंथों और साहित्य में भी मां सरस्वती का विभिन्न ढंग से वर्णन मिलता है।

सरस्वती पूजा हर वर्ष माघ महिने में शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। वसंत का मौसम बेहद खास इसलिए भी होता है क्योंकि इस मौसम में फसलों का उत्पाद बहुत अच्छा होता है। यह महीना बेहद खूबसूरत होता है जिसमे माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

ऐसा कहा जाता है की किसी भी क्षेत्र में कला अथवा शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों को मां सरस्वती की पूजा अर्चना जरूर करनी चाहिए। वैसे तो सरस्वती माता की पूजा प्रतिदिन विद्यार्थियों को करना चाहिए, किंतु वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा करने का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

सरस्वती पूजा कब है? (2023) When is Saraswati Puja (2023) in Hindi

आने वाले नव वर्ष में सरस्वती पूजा का महत्वपूर्ण पर्व 26 जनवरी, 2023 के दिन पड़ रहा है। सरस्वती पूजा का यह दिन बेहद खास होता है।

यदि इस दिन सही मूर्त पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने के पश्चात सच्चे हृदय से किसी चीज की कामना की जाती है, तो उसमें सफलता अवश्य मिलती है।

सरस्वती पूजा का महत्व Importance of Saraswati Puja in Hindi

सरस्वती पूजा का त्यौहार एक ऐसे सुंदर मौसम में आता है, जब प्रकृति में कई बदलाव होते हैं। चारों तरफ हरियाली के साथ वातावरण खिल उठता है। 

सूर्योदय की किरणें चारों तरफ बिखर कर चेतना में एक ऊर्जा का प्रसार करती है। ऐसे में सरस्वती पूजा करने से  कार्य करने की एक नई चेतना तथा सकारात्मक भावनाओं से शरीर में ताजगी आ जाती है।

प्राचीन काल से ही सरस्वती पूजा को मनाया जाता रहा है। भारतीय संस्कृति के संस्कारों की यह देन है, कि आज के समय में भी यहां के लोग पाश्चात्य संस्कृति के मुकाबले विद्या का आदर करते हैं। 

पाश्चात्य संस्कृति में यदि पुस्तकों अथवा शिक्षा से जुड़े आवश्यक वस्तुओं को पैर से भी छुआ जाए, तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि वहां भारतीय संस्कृति जैसी कोई चीज नहीं है, जिसमें लोग पुस्तकों में मां सरस्वती का वास मानते हैं तथा गलती से अगर उन पर पैर भी छू जाए तो उसे मस्तक से लगाकर अपनी भूल सुधारते हैं।

कहा जाता है कि मां सरस्वती का आशीर्वाद एक बार जिसे मिल जाता है उसका जीवन सार्थक हो जाता है। सरस्वती पूजा करने से मंदबुद्धि को भी विवेक की प्राप्ति होती है। एक कलाकार सरस्वती माता की पूजा करके अपनी कला को स्वयं के संघर्षों और माता के आशीर्वाद से और अधिक निखारता जाता है।

हिंदुस्तान में सरस्वती पूजा लगभग पूरे देश में मनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण पर्व के दिन सभी विद्यार्थी इकट्ठे होकर माता सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करते हैं तथा उनकी आरती करने के पश्चात सभी को माता का प्रसाद बांटा जाता है। एक बार जिस पर माता सरस्वती का आशीर्वाद बन जाता है, वह मंदबुद्धि से चतुर और बुद्धिमान मस्तिष्क प्राप्त करता है।

यदि आज के समय की बात करें तो कला और शिक्षा का महत्व पूरी दुनिया में छाया है। जिस व्यक्ति के अंदर ऐसे सभी गुण समाहित होते हैं उसे हर प्रकार से तथा सभी जगहों पर सम्मान दिया जाता है। इतिहास में कई ऐसे उदाहरण हैं, जो यह सिद्ध करते हैं कि बसंत पंचमी का महत्व कितना अधिक है।

सरस्वती पूजा की कहानी/कथा Story of Saraswati Puja in Hindi

कई पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी, तब सभी जीवो और वनस्पतियों का निर्माण किया था। किंतु भगवान शिव के अनुसार ब्रह्मा जी ने संसार का निर्माण तो कर दिया लेकिन सारा जगत अभी भी मूक और रंगहीन था।

भगवान शिव ने परम पिता ब्रह्मा को यह आज्ञा दी की इतने बड़े संसार के निर्माण के बावजूद अभी भी सारा जगत अधूरा है। सभी ऋषि-मुनियों और देवी-देवताओं ने मिलकर इस समस्या का निवारण करना चाहा। 

इसके लिए ब्रह्मा जी ने समस्या के निदान के लिए श्री विष्णु की स्तुति की। इसके पश्चात विष्णु भगवान उनके समक्ष तुरंत ही प्रकट हो गए। ब्रह्मा जी के बताए अनुसार उन्होंने समस्या का हल ढूंढने के लिए आदिशक्ति की याचना की।

जब मां आदिशक्ति दुर्गा देवों के समक्ष प्रकट हुई तो उन्होंने समस्या को समझ कर सृष्टि को और भी सुशोभित करने के लिए स्वयं के तेज से एक श्वेत दिव्य प्रकाश को प्रकट किया। आदिशक्ति के ही एक रूप से वह तेज स्वरूपी चार भुजाओं वाली देवी, जिनके हाथों में वीणा, कमंडल, पुस्तक और माला विराजमान था।

देवी ने देवताओं के अनुसार जैसे ही अपने वीणा से स्वर निकाले तो उसके मधुर ध्वनि से पूरे संसार में जीवन आ गया। समस्त संसार में शब्दों और कलाओं का संचार होता गया। वह तेज स्वरूप प्रकाश पुंज वाली देवी का नाम मां सरस्वती पड़ा, जो माता आदिशक्ति के आज्ञा अनुसार परम पिता ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी बनी।

तभी से संपूर्ण जगत में माता सरस्वती के प्रकट होने के उल्लास में सरस्वती पूजा किया जाने लगा, जो आज तक जारी है। माता सरस्वती के विषय में यह भी कहा जाता है की भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने उनके कार्यों से खुश होकर उन्हें यह वरदान दिया था कि हर वर्ष वसंत पंचमी के दिन विद्या तथा कला की देवी के रूप में उन्हें पूजा जाएगा।

सरस्वती पूजा कैसे मनाते हैं? How do Saraswati Puja celebrated in Hindi

कहते हैं कि बुद्धि को सही जगह उपयोग में लाने के लिए मां सरस्वती की कृपा होना आवश्यक है। इतिहास में ऐसे बहुत सारे उदाहरण है, जो लोग बहुत ही मूर्ख और धूर्त प्रवृत्ति के मनुष्य हुआ करते थे, पर जब उन पर माता सरस्वती की कृपा हुई तब वे बड़े-बड़े उपनिषद और रचनाओं का निर्माण करने लगे, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध नाम ऋषि वाल्मीकि जो पहले अंगुलिमाल डाकू हुआ करते थे उनका आता है। शिक्षा दीक्षा के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए ज्ञानदायिनी मां का आशीर्वाद होना बहुत ही जरूरी है तभी इंसान सफल हो पाता है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार किसी भी देव की पूजा करने से पहले श्री गणेश की पूजा की जाती है अतः भगवान गणेश की मूर्ति भी मां सरस्वती की पूजा के पहले स्थापित किया जा सकता है।

मूर्ति स्थापित करने के बाद मां सरस्वती का श्रृंगार किया जाता है, उनके चरणों में गुलाल-अबीर इत्यादि अर्पित किया जाता है तथा दीपक जलाए जाते हैं। 

माता सरस्वती को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है जैसे भारती, शारदा, मां श्वेतांबरी इत्यादि। बुद्धि की देवी कही जाने वाली मां सरस्वती की पूजा बड़े ही महत्वपूर्ण ढंग से किया जाता है। 

प्राचीन समय में गुरुकुल में सरस्वती पूजन के दिन माता सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष सभी विद्यार्थी उनके उज्जवल भविष्य तथा आशीर्वाद की कामना करते थे। आज भी इसी प्रकार से सरस्वती पूजन हर वर्ष किया जाता है।

पवित्र सरस्वती पूजा दिन कई शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा भव्य रुप से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सवेरे उठकर स्नान करके पीला वस्त्र धारण करते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि मां सरस्वती को पीला रंग बहुत ही लुभावना लगता है, जिसके कारण इस दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना अच्छा माना जाता है।

इसके पश्चात पूजा के लिए सभी लोग इकट्ठे हो जाते हैं तथा माता सरस्वती की आरती की जाती है। आरती खत्म होने के पश्चात सभी लोगों को स्वादिष्ट प्रसाद वितरण किया जाता है। अंत में माता सरस्वती की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।

वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा पर 10 लाइन Few Lines on Basant Panchami (Saraswati Puja)

  1. वसंत पंचमी प्रातवर्ष जनवरी और फरवरी के महीने में मनाया जाता है।
  2. एक हिंदू त्योहार होने पर भी भारत में सभी धर्म के लोग जैसे इस्लाम, ईसाई और सिख भी वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) मनाते हैं।
  3. वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती, जो ज्ञान की देवी हैं, की पूजा की जाती है।
  4. छात्र, कलाकार, संगीतकार, विचारक और शिक्षाविद सभी देवी सरस्वती की पूजा करते हैं और खुशी के साथ वसंत पंचमी मनाते हैं।
  5. वसंत पंचमी के दिन, लोग सरस्वती मंदिरों में जाते हैं या अपने घरों में भी देवी सरस्वती की मूर्तियों की पूजा करते हैं।
  6. पारंपरिक रूप से छात्र देवी सरस्वती की मूर्ति के पास अपनी किताबें, पेन, पाठ्यपुस्तकें, रखते हैं जिससे सरस्वती माँ उन्हें ज्ञान दे।
  7. यह माना जाता है जो सरस्वती माता को मानता है वह हमेशा बुद्धिमान और ज्ञानी रहता है।
  8. वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के दिन विद्यार्थियों को और अच्छे से पढ़ने की नई प्रेरणा मिलती है।
  9. वसंत पंचमी, भारत में वसंत ऋतु के आगमन का संकेत है।
  10. विनम्र रहते हुए लोग हमेशा ज्ञान का आशीर्वाद लेने के लिए देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं और इसलिए वसंत पंचमी को मुख्य रूप से भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, और स्कूलों में मनाया जाता है।

वसंत ऋतू की कविता Vasant Ritu Poem in Hindi

देखो -देखो बसंत ऋतु है आयी ।
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी ॥

किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई ।
घर-घर में हैं हरियाली छाई ॥

हरियाली बसंत ऋतु में आती है ।
गर्मी में हरियाली चली जाती है ॥

हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है ।
यही चक्र चलता रहता है ॥

नहीं किसी को नुकसान होता है ।
देखो बसंत ऋतु है आयी ॥ 

Poem Credit- balsajag

सरस्वती पूजा पर कविता Poem on Saraswati Puja in Hindi

खुद को समझने की देती हो सीख,
क्या है मेरा लक्ष्य जाता है दिख,
हे! माँ सरस्वती प्रदान करो साहित्य, संगीत, कला की भीख॥

दो मेरे कंठ में संगीत की कला,
दूर करो आँखों से अंधेरा का साया,
हे! माँ सरस्वती, तेरी है सुंदर माया॥

चाहे मोह-माया हो या अंधेरा काला,
आपकी कृपया से आए उजाला,
हे! माँ सरस्वती आपने जीने का सही अर्थ दे डाला॥

आपकी कृपया से अंतर मन में बढ़ी है शक्ति,
अब आप ही लगा दो मेरे ज्ञान को सफलता की कश्ती,
हे! माँ सरस्वती, आपकी भक्ति में है अपार शक्ति॥

© बिजय कुमार (www.1hindi.com)

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने हिन्दी में सरस्वती पूजा (वसंत पंचमी) पर निबंध (Saraswati Puja (Vasant Panchami) Essay in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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