प्लास्टिक का उपयोग बंद करें पर निबंध Essay on Say No to Plastic in Hindi

इस लेख में हमने प्लास्टिक का उपयोग बंद करें पर निबंध (Essay on Say No to Plastic in Hindi) लिखा है। आज के समय मे प्लास्टिक के बिना अपने जीवन की कल्पना करना काफी ज्यादा मुश्किल है।

चाहे वह खाने के बर्तन हों या, गाड़ी की हेडलाइट, चाहे वो सामान ले जाने के पॉलिथीन बैग हों, या फिर कोई भी अन्य वस्तु। आप आसपास गौर करें तो यह पाएंगे कि प्लास्टिक की वस्तुओं ने लगभग हमारे जीवन में कब्जा कर लिया है। 

प्लास्टिक से ही हमारा दिन शुरू होता है और दिन खत्म भी प्लास्टिक पर ही होता है। प्लास्टिक के शुरुआती दौर में यह काफी ज्यादा सहायक अविष्कार साबित हुआ था लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया, प्लास्टिक के नुकसान सामने आने लगे। प्लास्टिक का सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि उसे गलाया नहीं जा सकता है। 

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प्लास्टिक का उपयोग क्यों बंद करना चाहिए? Why Say No to Plastic in Hindi?

प्लास्टिक के हमारे पर्यावरण पर पड़ने वाले कई नुकसान है। प्लास्टिक ने हमारे पर्यावरण को लगभग खोखला कर दिया है और यह काफी ज्यादा मात्रा में उत्पादित की जाने लगी है इस कारण यह काफी ज्यादा बुरा प्रभाव भी छोड़ रही है। प्लास्टिक द्वारा किए जाने वाले नुकसान निम्नलिखित हैं :- 

1. प्लास्टिक के उपयोग से मृदा प्रदूषण को बढ़ावा

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मृदा प्रदूषण, प्लास्टिक द्वारा किए गए नुकसान में प्रमुख है। प्लास्टिक के उत्पादन के पश्चात सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि प्लास्टिक का केवल एक बार ही प्रयोग किया जा सकता है।

उसके बाद उपयोग किया जा चुका प्लास्टिक एक कूड़े के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जो कि काफी ज्यादा नुकसानदेह होता है। उस कूड़े को ठिकाने लगाना और भी बड़ी समस्या होती है।

प्लास्टिक उत्पादन के शुरुआती दौर में जब प्लास्टिक का उत्पादन इस स्तर तक नहीं किया जा रहा था, तब प्लास्टिक को जमीन में ही संग्रहित कर लिया जाता था, लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए यह बढ़ता चला गया और धीरे धीरे प्लास्टिक ने थल में एक बड़ी जगह को घेर लिया। अब के समय में यह एक समस्या है क्यूंकि घेरी गई जगह के कारण बहुत सा प्रदूषण होता है।

2. प्लास्टिक के उपयोग से जल प्रदूषण को बढ़ावा

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प्लास्टिक के कारण जल प्रदूषण भी काफी तेजी से फैल रहा है। गौरतलब है कि जल प्रदूषण होने के कारण जल में मौजूद जीव जंतुओं पर भी खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है।

प्लास्टिक के उत्पाद काफी हल्के होते हैं जिस कारण कई बार वे हवा के संपर्क में आकर उड़कर वहां तक चले जाते हैं, वहीं कई बार ऐसा होता है कि प्लास्टिक के द्वारा उत्पन्न हुए कूड़े के निबटारे के लिए उसे जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

दोनों ही तरीकों से जल में पहुंचे प्लास्टिक का जल पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है और वह जल को दूषित कर देता है। जल में मौजूद जीव जंतु जब उस प्लास्टिक को खाते हैं तो वे भी मृत हो जाते हैं। गौरतलब है कि पिछले एक दशक में समुन्द्र में पाए जाने वाली अनेकों व्हेल मछलियों के पेट में से कई किलोग्राम प्लास्टिक निकाला गया है। यह प्लास्टिक उन्हे मरने पर मजबूर कर देता है।

3. पेड़-पौधों के विकास पर बुरा प्रभाव

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प्लास्टिक से उत्पन्न कचरे के निवारण के लिए प्लास्टिक को अक्सर जमीन में संग्रहित कर दिया जाता है, जिस कारण थल प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही साथ पौधों के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है।

ऐसा इसलिए क्यूंकि जमीन में संग्रहित प्लास्टिक के कारण ह्यूमस जो कि पृथ्वी की ऊपरी परत है, उसकी गुणवत्ता काफी हद तक खत्म हो जाती है जो कि पौधों के विकास के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। पौधों की जड़ें ह्यूमस द्वारा ही पोषण प्राप्त करती हैं। जब ह्यूमस की गुणवत्ता कम हो जाती है तो पौधों पर भी खासा प्रभाव पड़ता है, और वे कुपोषित रह जाते हैं।

4. जानवरों में बीमारी

प्लास्टिक के कारण जानवरों में बीमारी फैलना, प्लास्टिक के प्रमुख नुकसान में से एक है। जहां यह पाया गया है कि जल प्रदूषण के कारण जलीय जीव प्लास्टिक का शिकार होकर मारे जा रहे हैं, वहीं यह भी देखने को मिला है कि जमीन पर मौजूद जानवरों की मौत भी प्लास्टिक के कारण हो रही है।

गौरतलब है आजकल घरों में मौजूद खाद्य कचरे का बाहर फेंकने के लिए प्लास्टिक के बैग का उपयोग किया जाता है, और बाहर पड़े खाद्य कचरे को खाते हुए जानवर प्लास्टिक के बैग को भी खा जाते हैं। प्लास्टिक के बैग खाने के कारण जानवरों की मौत हो जाती है। यह समस्या शहरों में प्रमुख है।

5. ग्रीन हाउस प्रभाव

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प्लास्टिक के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव भी बढ़ा है। गौरतलब है कि प्लास्टिक का निर्माण पॉलीप्रोपलीन द्वारा किया जाता है जो कि प्रमुख तौर पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसों द्वारा बनाया गया है।

प्लास्टिक के अत्यधिक उत्पादन के कारण ये गैसें दिन पर दिन कम होती जा रही हैं और ये गैसें अनविकरणीय हैं इस कारण इनके कम होने के बाद ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा अधिक हो रही है। यह दर्शाता है कि अगर प्लास्टिक को न नहीं कहा गया तो प्लास्टिक पर्यावरण को बहुत ज्यादा क्षत विक्षत कर देगी।

प्लास्टिक का उपयोग कैसे बंद करें? How to say using plastic?

प्लास्टिक काफी ज्यादा नुकसानदेह है और यह हमारे पर्यावरण को काफी ज्यादा क्षति पहुंचा रही है। लेकिन यदि इसी समय प्लास्टिक को न नहीं कहा गया, तो यह आने वाले समय में समय में शायद पर्यावरण के आस्तित्व को ही खत्म कर दे। 

प्लास्टिक को रोका जाना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है। प्लास्टिक को रोकने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं :- 

1. सरकार को ध्यान देना चाहिए – प्लास्टिक का उपयोग बंद करवाने के लिए कड़े नियम होने चाहिए

प्लास्टिक बैग के उपयोग पर सबसे पहले सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए। गौरतलब है कि प्लास्टिक बैग का उत्पादन विभिन्न कंपनियों में किया जाता है। वे सभी कंपनिया सरकार की इजाजत के बाद ही संवैधानिक तौर पर प्लास्टिक का उत्पादन करती हैं।

यदि ऐसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो ये कम्पनियां प्लास्टिक का निर्माण बंद कर देंगी जिसके बाद प्लास्टिक की समस्या लगभग खत्म हो सकती है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकार का इन कंपनियों को बंद करने के साथ साथ जरूरी कानून बना भी अनिवार्य है ताकि काला बाजारी के चलते भी प्लास्टिक का उपयोग न किया जा सके।

इस तरह का कानून किसी भी तरह की सजा या जुर्माने के रूप में बनाया जा सकता है, जो कि सीधे तौर पर लोगों को प्लास्टिक के प्रयोग पर और कंपनियों को प्लास्टिक के निर्माण पर रोक देगा।

2. लोगों को जागरूक होना चाहिए – ताकि वे प्लास्टिक का उपयोग बंद करें

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किसी भी वस्तु का चलन तभी होता है जब उसके उपयोगकर्ता मौजूद हों। यदि प्लास्टिक के उपयोगकर्ताओं या आम जनता को प्लास्टिक के नुकसान के प्रति जागरूक किया जाए तो शायद प्लास्टिक के उपयोग पर एक तरह से रोक लगाई जा सकती है।

इसके लिए लोगों के बीच तरह तरह के अभियान चलाए जा सकते हैं एवं उन्हे साफ सीधे तौर पर दर्शाया जा सकता है कि वे प्लास्टिक का उपयोग करके मानवीय आस्तित्व के ताबूत में कील ठोक रहे हैं।

3. प्लास्टिक को महंगा कर दिया जाए या पूर्ण रूप से बंद

प्लास्टिक को न कहने का सबसे आसान तरीका है कि उसके उत्पादन पर रोक लिया जाए और उसके बाद तरीका यह है कि लोगों को जागरूक करके उपयोग करने से रोक दिया जाए, लेकिन क्या हो यदि निर्माण एवं उपयोग दोनों पर ही न रोक लगाई जा सके।

ऐसे में यदि प्लास्टिक को महँगा कर दिया जाए तो यह कई लोगों को इसके प्रयोग से सीधे तौर पर रोकेगा। यदि प्लास्टिक को इतना महंगा कर दिया जाए कि यह आम लोगों के हाथों से निकल जाए तो ऐसे में प्लास्टिक का प्रयोग काफी ज्यादा कम हो जाएगा जो कि एक प्रकार से प्लास्टिक के प्रतिबंध की तरह ही कार्य करेगा।

अब भारत में कई जगहों पर प्लास्टिक को बैंड कर दिया गया है। परन्तु हर प्लास्टिक की वास्तु को बंद करना उतना आसान नहीं। इसलिए हमें ही जागरूक हो कर जितना हो सके उतना कम प्लास्टिक का उपयोग करना चाहिए।

4. प्लास्टिक बैग के विकल्प लाए जाएं

यदि प्लास्टिक के बैग का विकल्प खोज लिया जाए तो यह प्लास्टिक के प्रयोग से लोगों को रोकेगा और इससे प्लास्टिक से खतरा हट जाएगा। प्लास्टिक का विकल्प खोजते समय यह ध्यान देना काफी ज्यादा जरूरी है कि आने वाला विकल्प प्लास्टिक से सस्ता हो और प्लास्टिक से ज्यादा आसानी से उपलब्ध हो।

निष्कर्ष Conclusion

प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचा रहा है। न तो यह पदार्थ गलता है और न ही इसके द्वारा उत्पन्न हुए कचरे का पुनरुपयोग किया जा सकता है। ऐसे में आने वाली त्रासदी का जिम्मेदार प्लास्टिक और उसे प्रयोग करने वाले लोग होंगे।

लेकिन प्लास्टिक का प्रयोग करना अब लोगों की मजबूरी बन चुकी है क्यूंकि प्लास्टिक ने उनके जीवन में इस तरह से पैठ बनाई है कि उसके बिना जीवन सुचारू ढंग से नहीं चल सकता। 

अगर प्लास्टिक के स्थान पर अन्य किसी पदार्थो का इस्तेमाल किया जाए तो प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। लेकिन इसे जल्दी से जल्दी करना पड़ेगा क्यूंकि दिन ब दिन प्लास्टिक हमारे पर्यावरण को खोखला कर रही है और एक दिन यह मानव आस्तित्व पर बहुत बड़ा खतरा बन जाएगी। 

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