मकर संक्रांति पर निबंध Essay on Makar Sankranti in Hindi
इस लेख में मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए लिखा गया है। इस लेख में मकर संक्रांति पर्व से जुड़े विभिन्न मुद्दों को आसान भाषा में बताया गया है।
मकर संक्रांति पर निबंध Essay on Makar Sankranti in Hindi
आईए जानते हैं मकर संक्रांति क्या है, इसका वैज्ञानिक और भौगोलिक महत्व, सांस्कृतिक व पारंपरिक महत्व, मकर संक्रांति उत्सव, कब है, धर्मराज की कहानी, खान-पान और मनाने की विधि।
मकर संक्रांति क्या है? What is Makar Sankranti in Hindi?
भारतीय संस्कृति इतनी प्राचीन और संपन्न है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब प्राचीन समय में पाश्चात्य संस्कृति के लोग जानवरों की तरह अपना जीवन व्यतीत करते थे, तब यहां अंतरिक्ष में ग्रहों की स्थिति का अध्ययन किया जाता था।
वैज्ञानिक और भौगोलिक महत्व Geographical Importance of Makar Sankranti
पूरे विश्व में जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं चाहे वह किसी भी धर्म या संप्रदाय के हैं, वह सभी किसी न किसी पवित्र घटना पर आधारित होते हैं।
लेकिन भारत में ऐसे कई त्योहार मनाए जाते हैं, जो ब्रह्मांड में होने वाले परिवर्तन को दर्शाते हैं। मकर संक्रांति ऐसा ही एक त्यौहार है जो सनातन धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है।
मकर संक्रांति का यह त्योहार न केवल भौगोलिक तथा आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद खास पर्व है। इस खास दिन को मनाने की शुरुआत बेहद प्राचीन समय से हुई थी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में जाता है। खगोल शास्त्र की बात करें तो इसके अनुसार दक्षिणायन जो नकारात्मक और अंधेरे का प्रतीक माना जाता है तथा उतरायण जहां सकारात्मक बदलाव होते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है।
सांस्कृतिक व पारंपरिक महत्व Cultural and Traditional Importance of Makar Sankranti
क्योंकि भारत का विस्तार प्राचीन समय में बेहद विस्तृत था, जिसके कारण इसकी संस्कृति और परंपराएं भी आज भी भारत के पड़ोसी देशों में देखी जा सकती हैं। हमारे पड़ोसी मुल्कों में भी मकर संक्रांति को बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है।
इसके अलावा इस खास अवसर पर प्रकृति में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव देखे जाते हैं, जिसके कारण इसे फसल काटने का त्यौहार भी कहा जाता है।
‘संक्रांति’ शब्द का मतलब होता है, राशि चक्र में बदलाव होना। वैसे तो पूरे वर्ष में कई संक्रांतिया होती है लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन मकर संक्रांति के दिन होता है।
यह पवित्र त्यौहार मकर संक्रांति गतिशीलता का संदेश देता है। इस अद्भुत पर्व के मौके पर सनातन धर्म के अनुयायियों द्वारा कुछ खास कार्यक्रम भी किए जाते हैं।
मकर संक्रांति उत्सव Celebration of Makar Sankranti Festival in Hindi
मकर संक्रांति के दिन पूरे देश में जश्न का माहौल छाया रहता है। प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
लीप वर्ष के कारण साल में एक दिन अधिक जुड़ने की वजह से यह त्यौहार कभी-कभी 14 तथा 15 को पड़ता है। सिद्धांतों के अनुसार मकर संक्रांति के दिन आध्यात्मिक तथा भौगोलिक परिवर्तन होने के कारण यह बहुत अहम पर्व है।
ऐसा कहा जाता है की जब सूर्य की स्थिति दक्षिणायन में होती है उस समय अंतराल में देवताओं की रात्रि होती है तथा जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है तब उस छः महीने के समय अंतराल को देवताओं के दिन के रूप में देखा जाता है।
आध्यात्मिक रूप से मकर संक्रांति के इस दिन से कई मान्यताएं जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि इस पवित्र दिन पर देवता स्वयं धरती पर प्रकट होते हैं तथा पवित्र आत्माएं अपना शरीर छोड़कर स्वर्ग लोक में प्रवेश करती हैं।
एक मान्यता यह भी प्रचलित है कि मकर संक्रांति के दिन भास्कर देव जिन्हें सूर्य भगवान भी कहा जाता है वे अपने पुत्र शनि देव से मिलने के लिए उनके निवास स्थल पर जाते हैं।
क्योंकि शनि देव का प्रभुत्व मकर राशि में प्रबल होता है, लेकिन सूर्य के प्रवेश करने के कारण उनका प्रभाव निम्न हो जाता है। सूर्य उर्जा का संकेत है और इसकी सकारात्मकता के सामने समस्त नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
मकर संक्रांति के दिन दान दक्षिणा करने का भी बहुत महत्व है। इस दिन हवन और पूजा पाठ करने से वातावरण शुद्ध होता है तथा मन में एक शांति का एहसास भी होता है। ऐसा कहा जाता है विशेषकर मकर संक्रांति के दिन दान दक्षिणा देने से दुखों का नाश होता है।
शास्त्रों के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन ही श्री हरि के अंगूठे से गंगा देवी प्रकट हुई थी तथा भागीरथी के पीछे चल कर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में समाहित हो गई थी, तब जाकर धरती पर गंगा माता अवतरित हुई थी।
इसी प्राचीन घटना के आधार पर बंगाल में स्थित गंगासागर में हर साल बेहद विशाल तथा भव्य मेला लगता है। इस मेले को देखने के लिए हजारों की संख्या में भीड़ इकट्ठी होती है। मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्नान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
मकर संक्रांति का एक बेहद महत्वपूर्ण ताल्लुक महाभारत काल से देखने को मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की भीष्म पितामह ने अपना शरीर मकर संक्रांति के दिन ही त्यागा था।
इसके अलावा प्राचीन ग्रंथों में यह भी लिखा है कि मकर संक्रांति के दिन ही माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर व्रत किया था।
मकर संक्रांति कब है? 2023 When is Makar Sankranti?
ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हर वर्ष जनवरी के महीने में 14 या 15 तारीख को मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस नव वर्ष 2023 में 14 जनवरी शनिवार के दिन मकर संक्रांति का त्यौहार पड़ रहा है किन्तु इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। इसकी शुरुवात 14 जनवरी 2023 को रात्री 08 बजकर 43 मिनट पर होगी।
ज्योतिष के अनुसार मकर संक्रांति के दिन एक निश्चित शुभ मुहूर्त पर पूजा पाठ करने से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं।
मकर संक्रांति धर्मराज की कहानी Story of Makar Sankranti Dharmaraja in Hindi
मकर संक्रांति से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इस शुभ पर्व पर मकर संक्रांति धर्मराज की कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है, कि जो भी सच्चे मन से मकर संक्रांति पर धर्मराज की कथा को सुनता है उसकी तमाम इच्छाएं पूरी होती है।
प्राचीन समय में महोदय पुर राज्य में ब्रहुवाहन नाम का एक राजा शासन करता था। वह राजा बड़ा ही नेक दिल का और दान पुण्य करने वाला था। उसी के राज्य में एक ब्राह्मण विद्वान रहता था, जिसका नाम हरिदास था। हरिदास की पत्नी का नाम गुणवती था जो बहुत सुशील और उच्च चरित्र की महिला थी।
दोनों ब्राह्मण दंपत्ति स्वभाव से बेहद दयालु और धार्मिक थे। गुणवती ने अपने पूरे जीवन काल में विभिन्न प्रकार के व्रत अथवा अनुष्ठान किए थे। भगवान के प्रति वह पूरी श्रद्धा और निष्ठा रखती थी तथा यथाशक्ति जितना हो सके उतना दान दक्षिणा भी करती थी।
जब गुणवती वृद्धावस्था में पहुंची तब व्रत की अवस्था में उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। उनके नेक कार्य को देखते हुए यमलोक से स्वयं यमदूत उन्हें आदर पूर्वक ले जाने के लिए आए। शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक हज़ार योजन की दूरी पर दक्षिण दिशा में धर्मराज का राज्य है।
उनके प्रभाव में सभी आत्माएं अपने कर्मों का फल भोगती हैं। एक तरफ जहां पुण्य आत्माओं को स्वर्ग में स्थान मिलता है, वहीं दूसरी तरफ पापियों को नरक भोगना पड़ता है। गुणवती जब यमलोक में पहुंची तब उसने यमराज के भव्य अनमोल रत्नों से जड़ित राज्य को देखा।
गुणवती को जब धर्मराज के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो धर्मराज उनके नेक कार्य से बेहद प्रसन्न थे। लेकिन उनके मुख पर कुछ चिंता छाई हुई थी, जिसे देखकर गुणवती ने पूछा कि मैंने अपने जीवन में सदैव अच्छे कर्म ही किए हैं तो आप के मुख पर यह चिंता की लकीरें क्यों है।
धर्मराज ने चित्रगुप्त से गुणवती के पिछले जन्म का पूरा लेखा-जोखा पढ़ने के लिए कहा। पिछले जन्म के कर्मों को सुनकर धर्मराज गुणवती से कहते हैं कि हे देवी आपने अपने जीवन में बहुत अच्छे कर्म किए हैं। आपने तमाम प्रकार के पूजा अर्चना और व्रत भी किए हैं। लेकिन आपने मेरी कथा और व्रत का पालन नहीं किया है।
नाही मेरे नाम से आपने कोई भी दान पुण्य का कार्य किया है। बेशक आपने सभी देवों को प्रसन्न किया है किंतु मेरा मान नहीं रखा है। इतना सुनते ही गुणवती धर्मराज से क्षमा मांगते हुए कहती हैं, कि हे प्रभु! कृपया मेरे इस अपराध को क्षमा कर दीजिए।
मैं आपके इस व्रत तथा कथा के विषय में नहीं जानती थी। कृपया मुझे मार्गदर्शन दें, जिससे मुझे प्रभू चरणों में स्थान मिल सके।
गुणवती के इस समस्या का हल निकालते हुए धर्मराज उनसे कहते हैं, कि हे देवी सूर्यदेव जब दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करते हैं, तब महापुण्यवती मकर संक्रांति का पवित्र समय आता है, उसी दिन मेरी पूजा अर्चना प्रारंभ कर देनी चाहिए। मकर संक्रांति से लेकर पूरे वर्ष तक मेरी कथा और व्रत को करना चाहिए।
लाभ, क्षमा, संतोष, धृति, इत्यादि द्वारा मन को वश में रखना, इंद्रियों को पवित्र रखना, मन तथा शरीर की शुद्धि, नित्य पूजा पाठ, कथा सुनना, दान पुण्य का कार्य करना, सत्य वचन बोलना, क्रोध ना करना इत्यादि गुणों को अपनाकर हर कोई स्वर्ग लोक में अपनी जगह बना सकता है।
गुणवती ने धर्मराज से क्षमा मांगते हुए कहा कि हे प्रभु कृपया मुझ पर दया करके मुझे पुनः मृत्यु लोक में जाने का आदेश दें, जिससे मैं आपके पवित्र उपासना और कथा को सभी जन लोगों तक पहुंचा सकूं। गुणवती के तप बल के करण धर्मराज ने उन्हें वापस धरती पर लौटने की आज्ञा दे दी।
कुछ क्षणों के अंदर ही गुणवती के पार्थिव शरीर में प्राण आ गए। किसके पश्चात उनके परिवार में पुनः खुशियां छा गई। धर्मराज के बताए अनुसार गुणवती ने उनकी उपासना की, जिससे उन्हें सिद्धि की प्राप्ति हुई।
धर्म कार्य पूर्ण होने के पश्चात गुणवती को पुनः यम लोक ले जाया गया जिसके पश्चात उनके भक्ति भाव से प्रसन्न होकर धर्मराज ने उन्हें बैकुंठ में स्थान दिया, जहां गुणवती को स्वयं प्रभु चरणों में भक्ति करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
पढ़ें: मकर संक्रांति पर कई त्योहार
मकर संक्रांति कैसे मनाते हैं? How Makar Sankranti Celebrated in Hindi
मकर संक्रांति का पवित्र त्यौहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को दान का पर्व भी कहा जाता है। इस उत्सव के उपलक्ष में उत्तर प्रदेश में माघ मेले का आरंभ होता है।
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर हर साल इस भव्य मेले की शुरुआत 14 जनवरी से किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह दिन बहुत शुभ और मंगलकारी होता है।
इस पवित्र दिन के अवसर पर प्रातः काल उठकर सूर्य देव को जल अर्पण किया जाता है। मंदिरों में एक बड़ा समूह बनाकर हवन और पूजा पाठ करके समस्त मानव संप्रदाय के लिए मंगलकारी कामना की जाती है।
यदि मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान किया जाए तो इससे पापों का पश्चाताप होता है। पवित्र गंगा में स्नान करने से दुखों का निवारण भी होता है।
इस दिन मिष्ठान जो मुख्यतः तिल और गुड़ के बनाए जाते हैं, उनका दान करना बहुत शुभ माना जाता है। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है।
यदि अन्य राज्यों की बात की जाए तो महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन नवविवाहित स्त्रियां तिल, मूंग, हल्दी और गुण का दान करती हैं। तमिलनाडु मे मनाया जाने वाला पोंगल त्योहार जो कुल चार दिनों तक चलता है, उसमें मकर संक्रांति भी मनाया जाता है।
असम में भोगाली-बिहू अथवा माघ-बिहू (बिहू पर्व) के नाम से मकर संक्रांति को जाना जाता है तथा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के सबसे खूबसूरत राज्य जम्मू में मकर संक्रांति को माघी संगरांद अथवा उत्तरैन के नाम से जाना जाता है। गुजरात में मकर संक्रांति सबसे खास त्योहारों में से एक है।
मकर संक्रांति के दिन गुड़ से बने स्वादिष्ट मिठाइयां और पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन पूरे आसमान में रंग-बिरंगे पतंग उड़ाई जाती हैं। आसमान में देख कर ऐसा लगता है कि जैसे रंग बिरंगी तितलियां और पक्षी आसमान को ढके हुए हो।
हफ्तों पहले से ही सड़कों और दुकानों पर पतंग बिकने लगती है और मांझा जिससे पतंग को बांधकर उड़ाया जाता है उसकी घिसाई भी शुरू हो जाती है। विशेषकर इन्हें खरीदने के लिए बच्चों की होड़ लगी रहती है।
इस दिन लोग अपने परिचित, सगे-संबंधियों को इस त्यौहार की बधाइयां देते हैं। घर के छतों पर तेज आवाज में डीजे बजा कर बच्चे बड़े, सभी लोग पतंग उड़ाने का पूरा मजा लेते हैं।
इस उत्सव के दिन गौ और ब्राह्मणों को दान देने का रिवाज है। पूरे भारत में इस मकर संक्रांति पर चारों तरफ जश्न का माहौल रहता है।
मकर संक्रांति के प्रमुख पकवान व खान-पान Major Dishes and Food of Makar Sankranti in Hindi
मकर संक्रांति के दिन तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें देख कर मुंह में पानी आ जाए। विशेषकर स्वादिष्ट खिचड़ी को खाना इस दिन बहुत अच्छा माना जाता है।
चावल, मूंग और हल्दी की खिचड़ी दान करने के साथ ही स्वादिष्ट पकवान भी बनाए जाते हैं। मकर संक्रांति पर अधिकतर लोग गुण से बनी हुई अलग-अलग मिठाईयां बनाते हैं। चिक्की जिसमें गुण और सिंग दाने का मिश्रण करके बनाया जाता है उसे विशेषकर लोगों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है।
मीठे गुड़ को पिघलाकर इसके अंदर विभिन्न प्रकार की मावा मसाला डालकर लड्डू तैयार किए जाते हैं। सबसे ज्यादा बच्चे इन मिठाइयों को खाना पसंद करते हैं।
मकर संक्रांति के दिन दुकानों के बाहर टेंट लगाकर इन स्वादिष्ट मिठाइयों को सजाकर रखा जाता है। भारत में त्योहारों के दिन घर में पकवान बनाने का पुराना रिवाज है, जिसके चलते मिठाइयों के अलावा नए-नए स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते हैं।
निष्कर्ष Conclusion
इस लेख में आपने हिंदी में मकर संक्रांति पर निबंध (Essay on Makar Sankranti in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको अच्छा लगा होगा। अगर यह लेख आपको पसंद आया हो और जानकारी से भरपूर लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।
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Happy uttrayan
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