भ्रष्टाचार पर भाषण Speech on Corruption in Hindi

आज के इस आर्टिकल में हमने भ्रष्टाचार पर भाषण Speech on Corruption in Hindi पुरे विश्व में भ्रष्टाचार ने हर कार्य क्षेत्र को खोखला बना दिया है। 

भ्रष्टाचार पर भाषण Speech on Corruption in Hindi

सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज मैं भ्रष्टाचार पर आप सभी के सामने अपने विचार रखना चाहते हूँ। 

हमारा देश भारत, एक विशाल देश है। इतने विशाल देश में प्रजातंत्र को कुशलता से चलाने के लिए काफी सारे अधिकारियों और कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है। इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है और यह उम्मीद की जाती है कि वे देश अपने पद की गरिमा रखेंगे एवं भ्रष्टाचार से बचेंगे।

लेकिन देश का दुर्भाग्य उस वक़्त नजर आता है जब ये कर्मचारी और अधिकारी ही भ्रष्टाचार दिखाते हैं और भ्रष्टाचारी हो जाते हैं। भ्रष्टाचार एक तरह का दीमक है जो हमारे देश को खा रहा है। बड़े बड़े नेताओं के घोटालों से लेकर छोटे छोटे कर्मचारियों के चाय पानी तक, हर जगह भ्रष्टाचार ने अपने चरण पसार रखे हैं। 

ज़रा सोचिए आप किसी दफ्तर में जाकर अपना कोई काम करवाना चाहते हैं। उदाहरणतः आप राशन दफ्तर जाकर अपना राशन कार्ड बनवाना चाहते हैं। सबसे पहले आपको अपनी अर्जी, उचित अधिकारी तक पहुंचाने के लिए रिश्वत देनी होगी।

उसके बाद इस अधिकारी को रिश्वत देकर आप फाइल पर मोहर लगवा सकेंगे। उसके बाद वे लोग जो निरीक्षक के तौर पर आपका ब्योरा लेने आयेंगे उन्हे भी आपको रिश्वत देनी होगी, तब ही आपका ब्योरा दर्ज किया जाएगा। यह दुखद है। 

भ्रष्टाचार का एक पहलू यह भी है कि भ्रष्टाचार का शिकार केवल गरीब व्यक्ति ही होता है या ऐसा कहा जाए कि भ्रष्टाचार से फर्क केवल गरीबों को ही पड़ता है तो गलत नहीं होगा। आज के समय में वे सभी लोग जो धनी हैं उनके लिए ज्यादा धन खर्च करके अपना काम करवाना कोई बड़ी बात नहीं है। वे चाहते हैं कि उनका काम जल्द से जल्द हो जाए। उसके लिए वे कुछ भी करना चाहते हैं।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार ने आजादी के बाद देश को अंग्रेजों से भी ज्यादा परेशान किया है। भ्रष्टाचार तेजी से फैल रहा है और आजादी के बाद यह सबसे ज्यादा फैलने वाला सामाजिक विकार है। 

इसका इतना अधिक फैलाव मुख्य रूप से अवसरवादी नेताओं के कारण हो पाया है। वे सभी लोग जो भ्रष्टाचार करते हैं, उनके लिए देश बिल्कुल भी मायने नहीं रखता। उनके लिए उनके फायदे से ज्यादा कुछ भी मायने नहीं रखता।

वे चाहते हैं कि उनका घर भर जाए और देश यदि खोखला हो रहा है तो होता रहे। लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि उनका घर भी इसी देश में ही आता है। वे देश को बेच रहे हैं और उन्हे इस बात की भी जरा सी परवाह नहीं कि यह भविष्य में कितना ज्यादा हानिकारक साबित हो सकता है। 

ये लोग अपने फायदे के लिए भारत की संस्कृति और परम्परा को भी नष्ट कर रहे हैं। वे लोग जो आजकल एक सही दिशा में काम कर रहे हैं, उन्हे भी सही दिशा में काम करने नहीं दिया जाता। यदि कोई चाहे की वह बिना भ्रष्टाचार के एवं बिना रिश्वत लिये अपना काम कर ले, तो वह ऐसा नहीं कर सकता।

उसका जीना मुश्किल कर दिया जाएगा एवं उसे यथासंभव हर तरह से परेशान किया जाता है। उनके ऐसे कृत्यों के कारण ईमानदारी दम तोड़ देती है और एक ईमानदार इंसान बेईमानी करने पर मजबूर हो जाता है। 

साल 1947, भारत अंग्रेजों से आजाद हो गया। नई सरकारें बनी और देश को विकास के पथ पर अग्रसर किया जाने लगा। लेकिन धीरे धीरे भारत में भ्रष्टाचार बढ़ता गया। लोगों का सरकार और सरकारी कर्मचारियों पर से विश्वास घटता गया।

इस पर रोज रोज आने वाले नए घोटालों की खबरों ने लोगों में से यह विश्वास भी घटा दिया कि सरकार इस ओर कोई कदम उठाएगी। धीरे धीरे लोगों ने यह मान लिया कि भ्रष्टाचार तंत्र का ही एक हिस्सा है। 

भ्रष्टाचार लगभग हर जगह है, हर विभाग मे हैं, स्कूलों से लेकर अस्पतालों तक, शिक्षा विभाग से लेकर न्याय प्रणाली तक। शिक्षा विभाग में पहले योग्य विद्यार्थियों को सीटें दी जाती हैं, अब सीटें बेचीं जाती हैं। शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टचार देश को किस गर्त में डाल सकता है, क्या आप सोच सकते हैं?

सोचिये एक ऐसा डॉक्टर जिसने डिग्री खरीदी हो, वह कैसा इलाज करेगा, क्या आप उसे अपना इलाज करायेंगे जो एक वॉर्डबोय तक बनने के लायक नहीं है। कितने दिनों तक चलेंगे वे पुल जिन्हे ऐसे ही किसी डिग्री के खरीददार इंजीनियर ने बनाया होगा। भ्रष्टाचार देश समाप्त कर सकता है। 

मैंने आप सब को भ्रष्टाचार के बारे में इतना सब बता दिया लेकिन यह जानना अभी बाकी है कि भ्रष्टचार शुरू कैसे हुआ। क्या जरूरत आन पड़ी कि भ्रष्टाचार करना पड़ा। 

भ्रष्टाचार होने के तीन कारण हैं। पहला कारण है लालच। जी हाँ लालच ने ही भ्रष्टाचार को जन्म दिया है। कर्मचारी एवं अधिकारी अपने वेतन से संतुष्ट नहीं हैं, भले ही वो कितना भी ज्यादा क्यूँ न हो। वे ज्यादा कमाना चाहते हैं, उसके लिए वे भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।

भ्रष्टाचार करके वे अपने लालच को शांत करना चाहते हैं। लालच ने भ्रष्टाचार को जन्म दिया है लेकिन प्रणाली ने इसको जीवित रखा है। जरा सोचिए वो योग्य विद्यार्थी जिससे कहा गया होगा कि विश्वविद्यालय में सीट पाने के लिए उसे रकम चुकानी होगी।

यदि वह निर्धन हुआ और उसे आगे पढ़ाई जारी रखनी हो तो वो कर्ज लेगा एवं कर्ज के दबाव में आकर उसे अंततः भ्रष्टाचार करना ही होगा। यह भ्रष्टाचार का सबसे भावुक पहलू है। 

भ्रष्टाचार का तीसरा कारण है कम वेतनमान। कई पदों पर कार्य काफी अधिक होता है और कर्मचारियों को वेतन बहुत ही कम मिलता है। उतने से वेतन में वे अपनी आजीविका नहीं चला पाते और अंततः उन्हे मजबूरन भ्रष्टाचार करना पड़ता है। यह काफी दुखद स्थिति होती है। 

आदरणीय श्रोताओं, भ्रष्टाचार का कारण और दुष्प्रभाव जानने के बाद यह काफी जरूर है कि हम यह सोचें कि इसे खत्म कैसे किया जा सकता है। भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सभी नागरिकों को आगे आना होगा। यह समझना होगा कि यह देश हम सबसे पहले है। 

देश का हर नागरिक चाहे वह सामान्य व्यक्ति हो या कोई अधिकारी या फिर कोई कर्मचारी। वह भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए योगदान दे सकता है। सामान्य व्यक्ति को केवल इतना करना है कि रिश्वत देना बंद करे, और रिश्वत मांगने वाले अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करे। स्टिंग ऑपरेशन आजकल इस ओर काफी ज्यादा सहायक हैं। 

वही अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत को न कहें। वे उन लोगों का पर्दाफाश करें जो उन पर भ्रष्टाचार करने के लिए दबाव बना रहे हैं। 

यदि यह दोनों कदम उठाएं जाए तो भ्रष्टाचार से मुक्त हुआ जा सकता है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत, विकाशील से जल्द ही विकसित की श्रेणी में आ जाएगा। मेरे विचार सुनने के लिए धन्यवाद। जय हिंद, जय भारत। 

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