तंदुरुस्ती एवं स्वास्थ्य पर भाषण Speech on Fitness and Health in Hindi
तंदुरुस्ती एवं स्वास्थ्य पर भाषण Speech on Fitness and Health in Hindi
सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज मैं आप सभी के साथ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और विषयों पर अपने विचार साझा करना चाहता हूं।
तंदुरुस्ती एवं स्वास्थ्य पर भाषण Speech on Fitness and Health in Hindi
आप सभी ने अपने स्कूलों के दौरान अंग्रेजी का वह मुहावरा तो सुना ही होगा।
When wealth is lost, nothing is lost; when health is lost, something is lost; when a character is lost, all is lost. – Billy Graham
जब धन खो गया, तो कुछ भी नहीं खोया; जब स्वास्थ्य खो जाता है, तो कुछ खो जाता है; जब चरित्र खो जाता है, तो सब खो जाता है। – बिली ग्राहम
इस मुहावरे का अर्थ होता है कि यदि आपका सारा धन भी चला जाए या छीन लिया जाए तो वह उतना दुखद नहीं होगा, जितना दुख सेहत के बिगड़ने पर होगा। सेहत एक अमूल्य निधि है जिसके जाने के बाद उसे कुछ भी गंवाकर पाया नहीं जा सकता है।
जरा सोचिए वो स्थिति जब आपके पास अपार धन है, असीम सुविधाएं हैं लेकिन आपके पास पर्याप्त सेहत नहीं है कि आप उस धन का उपयोग कर पाएं या आप इतने सेहतमंद नहीं हैं कि उस धन के खर्च होने तक आप जीवित रहें।
आदरणीय श्रोताओं, यह एक भयावह कल्पना है, लेकिन यह केवल मात्र एक कल्पना ही नहीं हैं। यह हो सकता है और होता आया है। लोगों द्वारा अपना पूरा जीवन दुनिया की भाग दौड़ में खर्च कर दिया जाता है लेकिन जब उन्हे उस भागदौड़ का फायदा मिलता है तब तक वे बीमार हो चुके होते हैं, इतने ज्यादा बीमार की इस फायदे का कोई फायदा नहीं रह जाता।
दरअसल इसमें उनकी कोई गलती नहीं हैं। यहां सारा दोष हमारा अपना है। यह शरीर हमें मुफ्त में मिला है, कोई कितना भी गरीब क्यूं हो, कितना भी रईस क्यूं न हो, सबको एक समान शारीरिक क्षमता और शक्ति मिलती है।
लेकिन किसको शारीरिक क्षमता कितने दिनों तक बनी रहेगी, यह उस व्यक्ति द्वारा अपनी सेहत को बचाने के लिए किए गए कार्यों पर निर्भर करता है। कोई व्यक्ति अपनी सेहत को कितना महत्व देता है।
जब मैं सेहत शब्द का प्रयोग कर रहा हूं तब केवल मैं शारीरिक सेहत की ही बात नहीं कर रहा हूं, इसमें मानसिक सेहत भी सम्मिलित है। आप सभी जानते हैं बिना मष्तिष्क के हमारा शरीर एक गैर नियंत्रण के केवल एक मशीन भर है, और एक बिना नियंत्रण की मशीन पूर्णतः बेकार होती है।
आज जरा किसी भी आधुनिक मशीन की कल्पना किजिए, उदाहरणतः, कंप्यूटर, क्या हो यदि कंप्यूटर में से सीपीयू को निकाल दिया जाए। क्या वह चलेगा, यकीनन नहीं। उसी तरह मानसिक सेहत, शारीरिक सेहत जितनी ही, या कहा जा सकता है कि उससे कई गुणा अधिक उपयोगी है।
आज से लगभग एक दशक पहले सेहत पर बातचीत करने की लोगों को जरूरत नहीं पड़ती थी। हर ओर प्राकृतिक माहौल था, लोग जागरूक थे और सेहतमंद भी। लेकिन आज जब प्राकृतिक माहौल विलुप्त हो चुका है, सब लोग बीमार हो चुके हैं। परिसर में मौजूद सभी लोग बीमार हैं और मैं यह तथ्यात्मक रूप से साबित भी कर सकता हूँ।
आपने यह तो सुना ही होगा कि बड़े खिलाड़ी स्वस्थ न होने पर खेल से ब्रेक ले लेते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि एक खिलाड़ी जब अस्वस्थ होने का कारण देकर खेल से ब्रेक लेता हैं, उस वक़्त भी वह हमसे, कई गुणा ज्यादा स्वस्थ होता है।
हम उन खिलाड़ियों जितने नहीं लेकिन औसत रूप से भी स्वस्थ नहीं हैं। इसमे आपकी कोई गलती भी नहीं है, यह मानव युग का दुर्भाग्य है, लोगों की मानसिकता केवल कमाऊ हो चुकी है।
वे अपने एक एक क्षण का प्रयोग केवल निरर्थक धन जुटाने में व्यतीत करना चाहते हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते या शायद जानते हुए भी गौर नहीं करते कि वे किस हद तक खुद को बीमार कर रहे हैं। यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए तो यह देखने को मिलता है कि मानव जीवन की औसत अवधि दिन ब दिन कम हो रही है। पहले यह 80 साल हुआ करती थी, फिर 70 साल और अब केवल 60 साल रह गई है।
हम सभी यह बात जानते हैं और यह मानसिकता अख्तियार कर चुके हैं कि यह तो औसत है। लेकिन यह ध्यान देने वाली समस्या है। इस समस्या में मानवों के खात्मे के बीच छुपे हैं। आने वाली पीढ़ियों का जीवन और छोटा होगा, क्यूंकि वे जागरूक नहीं होंगे, और होंगे भी कैसे, जब आप, यानी उनके पूर्वज, जरा से भी जागरूक नहीं हैं।
आदरणीय श्रोताओं मैं सेहत को खोने के दुष्परिणाम आपको व्यक्तिगत और वैश्विक स्तर पर बता चुका हूं, लेकिन मैं केवल दुष्परिणामों या समस्याओं पर ही चर्चा नहीं करूंगा। दुनिया में कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका समाधान न किया जा सके और सेहत की समस्या का समाधान तो काफी आसान है। आपको अपने व्यस्त दैनिक जीवन में से कुछ ही समय निकालना है।
सेहत की समस्याओं की सबसे बड़ी जड़ छुपी है खान पान में। आज से 100 साल पहले लोग प्राकृतिक आहार खाते थे, और आज के युग में आहार भी मशीनी है। आप खुद सोचिये खेत में समय लगाकर परिपक्व अनाज ज्यादा फायदेमंद है या फिर मशीन में जबर्दस्ती परिपक्व किया गया अनाज।
समस्या केवल अनाजों तक ही सीमित नहीं है, बाजार में कई सारे ऐसे खाद्य पदार्थों की संख्या भी बढ़ चुकी है जो सेहत के कट्टर दुश्मन है। हम इन्ही पदार्थों को चटकारे लेकर खाते हैं। यह एक बड़ी समस्या है और समाधान के लिए सबसे पहले, ऐसे आहार को न खाईये। स्वस्थ खाइए स्वस्थ रहिए।
सेहत जल्दी खोने का दूसरा कारण है आज के व्यस्त युग में हमारे पास कसरत करने का समय नहीं है। आदरणीय श्रोताओं, हम कई सालों से लगातार अनावश्यक और स्वास्थ्य हीन आहार खा रहे हैं। इस तरह के आहार ने हमारे शरीर में बहुत सी वसा जमा कर दी है जो हमारे शरीर को जाम कर रही है।
हमारा दैनिक जीवन भी कम्पूटर के सामने बैठकर ही गुजरता है। विद्यार्थियों को भी बैठकर घंटो पढ़ना होता है। इस कारण हमारा शरीर ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा पाता। अपने पूरे दिन में से कसरत को केवल 30 से 60 मिनट का समय दें। यह असरकार अवश्य होगा, और इसका परिणाम सालों बाद तब दिखेगा, जब आपके सभी साथी सेहत खो रहे होंगे।
आदरणीय श्रोताओं मैंने अब तक केवल शारीरिक सेहत की समस्याओं के निदान ही बताएं हैं, लेकिन मानसिक सेहत भी उतनी ही जरूरी है। मानसिक सेहत को बचाने के लिए हमें अपने मष्तिष्क को उचित रूप से आराम देना होगा। हमारा दैनिक जीवन काफी व्यस्त रहता है और ऐसे में हमारा मष्तिष्क हर समय तनाव में रहता है।
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए पूरी नींद सोएं और योग करें। इन सभी योजनाओं को क्रियान्वित करने से आप अपनी सेहत को बचा सकते हैं। मुझे उम्मीद है मेरे विचारों को सुनकर आप प्रेरित हुए होंगे। मुझे सुनने के लिए धन्यवाद।
Very nice