महिला सशक्तिकरण दिवस पर भाषण Speech on International Women Empowerment Day in Hindi

महिला सशक्तिकरण दिवस पर भाषण Speech on International Women Empowerment Day in Hindi

आज इस आर्टिकल में हमने महिला सशक्तिकरण पर मोटीवेट कर देने वाला भाषण प्रस्तुतु किया है। आशा करते हैं आपको यह स्पीच पसंद आएगा।

पढ़ें : महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण दिवस पर भाषण Speech on International Women Empowerment Day in Hindi

आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी शिक्षकगण, सभी सहपाठियों को मेरा नमस्कार। मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।

मेरा नाम…..है. मैं कक्षा… में अध्ययन करता हूं। मैं “महिला सशक्तिकरण” पर  एक भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ। आज सभी देशों को महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हो रही है। किसी भी देश की तरक्की तब हो सकती है जब उस देश की महिलाओं का भी विकास हो। हम 21वीं सदी में जी रहे है। शुरू में विश्व के सभी देशो में समाज पुरुष प्रधान ही था।

पुरुष ही घर और बाहर के कामो को करने के लिए जिम्मेदार था। उसकी अनुमति पाकर ही महिला या उसकी पत्नी कोई कार्य करती थी। सदियों से पुरुष ने स्त्री का शोषण किया है। उसे दूसरा दर्जा दिया गया, उसे सिर्फ भोग- विलास, घर संभालने वाली और बच्चो को जन्म देने वाला समझा गया। पर अब समय बहुत बदल गया है।

अब महिलायें पुरुषो से किसी भी काम में पीछे नही है। वो पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। नौकरी, व्यवसाय, तकनीक, पढ़ाई, शिक्षा, आविष्कार, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, पर्यटन सभी क्षेत्रो में महिलाये आज बराबरी कर रही है।

हमारे देश में महिलाओं के सशक्तिकरण का काम कुछ विलम्ब से हुआ है पर अमेरिका, फ़्रांस, स्पेन, ब्रिटेन, डेनमार्क, नार्वे, रूस, इटली जैसे देशो में महिलाओं को बराबरी का हक बहुत पहले ही मिल गया था। पाश्चात्य देशो में महिलाओं ने अपने हक के लिए बहुत पहले ही संघर्ष करना शुरू कर दिया था। ब्रिटेन में “मेरी वोल्स्टोन क्राफ्ट” और इटली में “क्रिस्टीन डी पिजान” ने महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

महिलाओं के सशक्तिकरण के अनेक लाभ आज हमे देखने को मिलते है। पहले महिलाओं को वोट देने का अधिकार नही था, पर अब विश्व के लगभग सभी देशो में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिल चूका है। 1919 में इंग्लैंड में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला, जबकि 1920 में अमेरिका में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

हर साल 8 मार्च को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। महिला सशक्तिकरण का मुख्य लक्ष्य महिलाओं को पुरुषो के बराबर अधिकार दिलाना है। समाज में हो रहे उनके शोषण को रोकना है। घरेलू हिंसा से उनको आजादी दिलाना है। आत्मनिर्भर बनाना है।

भारत की सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक प्रयास किये है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज़ लेना और देना मना है। समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के अनुसार महिला और पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिलेगा। किसी तरह का भेदभाव नही होगा।

मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 अनुसार महिला कर्मचारी को नौकरी करते हुए गर्भवती होने पर 6 महीने तक अवकाश के साथ वेतन देने की व्यवस्था है। प्री-कॉन्सेशेशन एंड प्री-नेटाल डायग्नॉस्टिक टेक्निक्स (विनियमन और निवारण) अधिनियम 1994 के अनुसार महिला के गर्भधारण के समय लिंग का चयन करना अपराध है।

ऐसी किसी तकनीक और ऐसे अस्पतालो पर रोक है जो गर्भधारण के समय लिंग का चयन करते हैं। 2006 में बाल विवाह अधिनियम बनाया गया जिसके अनुसार नाबालिक बालक एवं बालिकाओं की शादी करना मना है। विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिये। 2013 में कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न (रोकथाम और संरक्षण) अधिनियम आया है इसके अनुसार ओफिस में महिलाओं से छेदछाड़ करने पर सजा है।

2015 में भारत की सरकार ने “बेटी बचाओ बेटी पढाओ” योजना शुरू की। आमतौर पर माता पिता बेटों को अच्छी शिक्षा देना चाहते है पर बेटीयों की शिक्षा के प्रति उदासीन रहते है। इस योजना का मकसद बेटीयों को अच्छी शिक्षा देना है।

आज भी भारत में महिला सशक्तिकरण का अभियान बहुत पीछे है। वर्तमान समय में अनेक समस्याएँ और चुनौतियाँ भारतीय महिला के सामने है। लिंग के आधार पर भेदभाव, कन्या भ्रूण हत्या, विधवा विवाह से रोकना, सार्वनाजिक स्थान पर महिलाओं से छेड़ छाड़, दहेज़ उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, यौन शोषण, कार्यस्थल पर छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न, महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार, अन्य बढ़ते अपराध, मुस्मिल महिलाओं में ट्रिपल तलाक, हलाला जैसे गंभीर मुद्दे आज भी मौजूद है। हमे सिर्फ आंशिक सफलता ही मिली है।

देश में प्रति दिन किसी न किसी विवाहित महिला को देहज के नाम पर सताया जाता है, अनेक बार उसकी हत्या कर दी जाती है। आये दिन महिलाओं के बलात्कार की घटनाये होती रहती है। भारत महिला से बलात्कार के अपराध में कुख्यात है।

एक आकडे के अनुसार दिल्ली में हर 18 मिनट में 1 बलात्कार हो जाता है। 2017 में समूचे भारत देश में कुल 28947 बलात्कार की घटनाये हुई। कन्या भ्रूण हत्या की घटनाये आये दिन अखबारों की सुर्खिया बनी रहती है।

सभी पुरुष सन्तान के रूप में बेटा ही चाहते है। बेटी होने की बात सुनते ही अनेक पुरुष अपनी पत्नियों का गर्भपात करवा देते है। माँ-बाप बेटो को अधिक प्यार करते है जबकि बेटियों को कम। अनेक अस्पताल चोरी छिपे बेटियों का गर्भपात करने का काम करते है। सार्वजनिक स्थलों- बसों, ट्रेन, प्लेन में महिलाओं के साथ छेड़खानी खानी होती रहती है।

विधवा होने पर उसको पुनः विवाह करने से उसके ही परिवार के लोग रोकते है। कार्यस्थल, ऑफिस जैसे जगहों में साथी छेड़छाड़ करते है। हमारे देश में अभी महिला सशक्तिकरण में बहुत सा काम करना बाकी है। मुस्लिम समाज में कोई भी पति अपनी पत्नी को 3 बार तलाक बोलकर तलाक दे सकता है। इस तरह की हजारो महिलाये है जो “ट्रिपल तलाक/ तीन तलाक” की त्रासदी झेल रही है। आये दिन ऐसी खबरे अखबारों की सुर्खियाँ बनी हुई है।

तीन तलाक को रोकने के लिए  “मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017” में पारित कर दिया गया। इस विधेयक के मुताबिक किसी भी तरह से दिया गया एक साथ तीन तलाक, मौखिक, लिखित, ईमेल, मेसेज या वॉट्सऐप, अवैध और अमान्य होगा। इस विधेयक में एक साथ तीन तलाक का दोषी पाए जाने पर पुरुष को तीन साल की कैद की सजा का प्रावधान है।

पर अभी बहुत ही समस्याएँ बनी हुई है। मुस्लिम धर्म में “हलाला” नामक प्रथा की वजह से अबला महिलाओं का शोषण हो रहा है। इसे खत्म करने के लिए देश की महिलायें संघर्ष कर रही है। “महिला सशक्तिकरण” का विषय बहुत बड़ा है।

देश और विश्व में महिलाओं की स्तिथि को सुधारने के लिए सिर्फ महिलाओं नही बल्कि पुरुषो को भी संघर्ष करना होगा तभी बड़े पैमाने पर सफलता मिलेगी। भारत की महिलाओं को चाहिये की अपने अधिकारों को अच्छी तरह से जानें तभी वो खुद को मजबूत बना पाएंगी। अपने अधिकार की रक्षा तब ही कर पाएंगी।

इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ।

धन्यवाद!

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