राष्ट्रीय तकनीक दिवस पर भाषण Speech on National Technology Day in Hindi
राष्ट्रीय तकनीक दिवस पर भाषण Speech on National Technology Day in Hindi
सभी आदरणीय श्रोताओं को सुप्रभात। आज मैं तकनीक दिवस के अवसर पर आप सभी से इस दिवस के उपलक्ष्य में अपने विचार साझा करना चाहूंगा।
राष्ट्रीय तकनीक दिवस पर भाषण Speech on National Technology Day in Hindi
आज हम जब अपने चारो ओर नजर घुमाते हैं तो पाते हैं कि हर तरफ तकनीक फैली ही है। चाहे वो घर का टीवी हो या चांद पर जाने वाला सैटेलाइट। तकनीक के अनेकों उपयोग हैं।
तकनीक के कारण विश्व अब छोटा लगने लगा है, आप एक क्षण में अमेरिका बैठे अपने दोस्त से वीडियो कॉल पर बात कर सकते हैं। केवल दो दिनों में ही पूरे विश्व का भ्रमण कर सकते हैं। तकनीक बहुत सहायक है और तकनीक के कारण मानव जीवन आसान हो गया है।
लेकिन तकनीक जितनी सहायक है उतनी ही नुकसानदेय भी। तकनीक के सबसे बड़े नुकसानों में से एक है परमाणु ऊर्जा।
आपने हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमलों के बारे में सुना ही होगा। वे दिल दहला देने वाले हमले जो कि अमेरिका द्वारा जापान पर किए गए थे। उन हमलो के कारण इन दोनों शहरों में जितनी क्षति हुई उसका अंदाजा भर लगाने से ही रूह कांप जाती है।
भारत जब आजाद हुआ तब उसपर भी ऐसे ही हमलों की आशंका बढ़ रही थी। भारत अंग्रेजों द्वारा किए गए नुकसानों से संभल रहा था और ऐसे में वह किसी देश द्वारा आक्रमण झेलने लायक नहीं था।
लेकिन तत्कालीन सरकार ने परमाणु ऊर्जा को हासिल करना भी अपनी योजनाओं में शामिल कर दिया, ताकि भारत और भारतीय सुरक्षित हो पाएं। हालांकि इस योजना का क्रियान्वन कई सालों बाद, सन 1974 में किया गया।
मई 1974 में भारत परमाणु परीक्षण करना चाहता था, लेकिन कुछ कारणों और विरोधों के कारण यह सफल नहीं हो पाया। भारत सरकार को परमाणु परीक्षण के लिए काफी समय तक रुकना पड़ा।
उस वक़्त जब परमाणु परीक्षण की बात की गई, उस वक़्त भारत सरकार केवल चार जगहों पर ही परीक्षण कर पाई। कुछ समय बीतने के बाद साल आया 1998। उस वक़्त भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
उन्होने पोख़रण में परमाणु परीक्षण करने के लिए 11 मई का दिन तय किया। गौरतलब है कि भारत के पास उस वक़्त परमाणु ऊर्जा तो थी लेकिन उसका परीक्षण न होने के कारण भारत को परमाणु शक्ति धारक नहीं माना गया था।
पहली बार जब परमाणु परीक्षण की बात तय की गई थी, सन 1974 में, उस वक़्त भारत सरकार पर यह दबाव बनाया गया था कि परमाणु परीक्षण न किया जाए। लेकिन तत्कालीन सरकार ने परमाणु परीक्षण के लिए समय तय किया और इस अभियान का नाम रखा गया “स्माइलिंग बुद्धा”।
उस वक़्त यह अभियान सफल रहा था लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार द्वारा परमाणु के परीक्षण पूरी तैयारी कर ली गई। उन्होने इस अभियान का नाम पोख़रण द्वितीय रखा जिसे बाद में ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया।
सरकार की देख रेख में दो परमाणु बम 11 मई 1998 में लगाए गए । जिसके बाद अटल जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बता दिया कि भारत अब पूरी तरह परमाणु धारक देश बन चुका है।
यह सारी योजना तत्कालीन एरोस्पेस इंजीनियर प्रमुख और बाद में भारत के राष्ट्रपति बने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में क्रियान्वित की गई थी। डॉक्टर कलाम ने, पांच किश्तों में परमाणु बमों का परीक्षण किया था।
पोखरण में हुए यह पांचों परीक्षण 11 और 13 मई के दौरान हुए थे। उन तीनों दिनों तक अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में कुशल नेतृत्व बनाया रखा था। यह भारतीय नागरिकों के लिए गौरवान्वित कर देने वाला क्षण था। इस परीक्षण के बाद भारत उन देशों की फेहरिस्त में शामिल हो गया जो कि परमाणु परीक्षण कर चुके थे। भारत विश्व का छठा देश था जो परमाणु धारक था।
परमाणु परीक्षण के पश्चात भारत सरकार द्वारा एनपीटी पर हस्ताक्षर करवा लिए गए थे। एनपीटी एक ऐसा एग्रीमेंट होता है जिसके तहत आप परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल किसी पर हमला करने के लिए नहीं कर सकते।
1945 में नागासाकी और हिरोशिमा पर हुए हमलों के बाद एनपीटी जैसी व्यवस्था की जरूरत भली भांति समझी जा सकती है। भारत से पहले परमाणु एनपीटी को फ्रांस, चीन, रूस, यूके और यूएस द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था।
11 मई के दिन भारतीय तकनीक दिवस मनाने का यह केवल एक कारण है। इसके अलावा भी कई कारण हैं जिनके कारण भारत और भारत के नागरिक उस दिन कई बार गौरवान्वित हुए थे।
11 मई को डीआरडीओ द्वारा त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण किया गया था। बाद में मिसाइल को सेना के विभिन्न अंगों में. इस्तेमाल करके के लिए भी शामिल कर दिया गया था। इसी दिन हंसा थ्री का भी सफल परीक्षण किया गया था।
इन सभी उपलब्धियों के बाद भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने 11 मई को भारतीय राष्ट्रीय तकनीक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। तब से इस दिन को तकनीक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
यह दिन भारतीय नागरिकों के लिए एक गौरव का दिन है। हमारे पास परमाणु ऊर्जा है, किसी भी हमले का जवाब देने का हम साहस रखते हैं। इससे भारतीय सेना को काफी ज्यादा मदद मिली है और उनकी शक्ति कई गुणा ज्यादा बढ़ गई है।
भारत देश जहां पर तकनीक तेजी से बढ़ रही है। यह तकनीक दिवस भारत के वैज्ञानिकों को समर्पित किया जाना चाहिए। उन्ही के अदम्य साहस और कड़ी मेहनत के कारण भारत परमाणु ऊर्जा धारक बना।
आंकड़ो के अनुसार एशिया महाद्वीप में हुए तकनीकी विकास में भारत का हिस्सा कुल 10% है। एशिया में कई सारे देश हैं लेकिन भारत चीन और रूस के बाद तीसरे स्थान पर तकनीक के मामले पर काबिज है।
हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इस मामले में भी हमसे पीछे है, यह सब कुछ काफी ज्यादा गौरवपूर्ण है। यह हो पाया है केवल हमारे वैज्ञानिकों की बुद्धिमत्ता के कारण, इसलिए यह तकनीक दिवस मेरे अनुसार उन्हे ही समर्पित किया जाना चाहिए।
एक भारतीय नागरिक होने के नाते तकनीक दिवस पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम तकनीक का सदुपयोग करेंगे और तकनीक के दुरुपयोग न तो करेंगे न ही होने देंगे। तकनीक मानव का अच्छा साथी बन सकता है यदि उसका सही तरह से प्रयोग किया जाए। भारत देश को ऐसे ही गौरवान्वित महसूस कराने के लिए हमें जागरूक होना पड़ेगा, क्योंकि यह देश हम सब से है।
मुझे सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद – जय हिंद, जय हिंद की सेना