विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण Speech on World Environment Day in Hindi
विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण Speech on World Environment Day in Hindi
पर्यावरण का संरक्षण मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज इस आर्टिकल में हमने विश्व पर्यावरण दिवस पर स्पीच प्रस्तुत किया है। यह पर्यावरण पर स्पीच स्कूल और कॉलेज के छात्र अपने भाषण में मदद के लिए ले सकते हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण Speech on World Environment Day in Hindi
आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी शिक्षकगण, सभी सहपाठियों को मेरा नमस्कार। मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ।
मेरा नाम…..है. मैं कक्षा… में अध्ययन करता हूं। आज हम सभी “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं। सम्पूर्ण विश्व में 5 जून का दिन “विश्व पर्यावरण दिवस” के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मैं एक भाषण प्रस्तुत कर रहा हूँ।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण के बारे में चेतना फैलाने का प्रयास 1972 में ही शुरू कर दिया था। पहला “विश्व पर्यावरण दिवस” 5 जून 1974 को मनाया गया था। पूरे विश्व के पर्यावरण की सुरक्षा हमे क्यों करनी चाहिये यही इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है।
वर्तमान समय में 143 से अधिक देश इस दिवस को हर साल मनाते है। 2019 में 5 जून को 45वाँ “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाया गया। इस साल के “विश्व पर्यावरण दिवस” की थीम थी। “प्लास्टिक प्रदुषण को खत्म करो” इस बार के “विश्व पर्यावरण दिवस” की मेजबानी भारत ने की थी।
“विश्व पर्यावरण दिवस” के दिन अनेक प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। स्कूल,, कॉलेजों में वृक्षारोपण या पौधारोपण किया जाता है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए विचार गोष्ठी, निबंध, वाद-विवाद प्रतियोगिता, चित्र कला, सेमीनार जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
इस दिन हमारे प्रिंसिपल, टीचर्स और बड़े बुजुर्ग हमे पर्यावरण को सुरक्षित रखने के उपाय भी बताते है। आने वाले समय में पर्यावरण की अनदेखी करने से कौन सी समस्याएँ उत्पन्न होंगी इस पर भी चर्चा की जाती है। किस तरह आज मानवीय हस्तक्षेप की वजह से पर्यावरण संकट में आ गया है इस पर भी चर्चा की जाती है।
वर्तमान समय में पर्यावरण को जल प्रदूषण, भूमी प्रदुषण, वायु प्रदुषण एवं ध्वनी प्रदूषण से बहुत खतरा हो गया है। प्लास्टिक का इस्तेमाल आज बहुत अधिक हो रहा है। इससे बहुत सी समस्याएँ पैदा हो गयी है।
प्लास्टिक का शोधन करना एक दुश्कर और महंगा कार्य है, भारत में धीरे धीरे प्लास्टिक बंद हो रही है। 15 जुलाई 2018 से उत्तर प्रदेश में प्लास्टिक पर रोक लगा दी गयी है। इसके अलावा महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, सिक्किम राज्यों में भी प्लास्टिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी है। विश्व भर में 80 लाख टन कचरा हर साल समुद्र में जाता है।
भारत की नदियाँ आज बहुत प्रदूषित हो चुकी है। गंगा, गोमती, यमुना, कावेरी, बह्मपुत्र सबसे अधिक प्रदूषित हो चुकी है। आज हजारो फैक्टरियों का कचरा, दूषित जल, रासायनिक अपशिष्ट पदार्थ नदीयों में अंधाधुंध तरह से फेंका जा रहा है।
इतना ही नही लोग भी नदी के किनारे मल मूत्र का विसर्जन, जानवरों को नहलाना, कपड़े धोकर नदियों को दूषित कर रहे हैं। इस तरह प्रदुषण के लिए हम स्वयं ही जिम्मेदार है। हम सभी का कर्तव्य है की नदियों की रक्षा करे। बिना जल के कोई भी सभ्यता जीवित नही रह सकती है।
हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए है। पेड़ पौधे, पृथ्वी, जमीन, पहाड़, पर्वत, नदियाँ, भूमि सबकुछ पर्यावरण का हिस्सा है। हम सभी का नैतिक कर्तव्य है की जिस पृथ्वी और पर्यावरण में हम रहते है उसकी रक्षा करे। उसे दूषित न होने दे।
पर बड़े दुःख की बात है की आज मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है की पर्यावरण की तरफ कोई ध्यान नही दे रहा है। आज हम अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए अंधाधुंध पेड़ काट रहे है, फैक्ट्री भूमिगत जल का जादा से जादा दोहन कर रहे है, भारत की बढ़ती आबादी की वजह से भूमिगत जल का दोहन पहले से बहुत बढ़ गया है।
आज हम खनिज पदार्थो का अधिक से अधिक दोहन करके पृथ्वी के गर्भ को खाली कर रहे है। औद्द्योगीकरण, शहरीकरण और विकास के नाम पर आज हर दिन पर्यावरण का शोषण किया जा रहा है। हवा में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) की मात्रा बहुत बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से आज हर साल पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। जलवायु परिवर्तन का खतरा बढ़ रहा है।
ग्लेशियर पिघल रहे है। अनेक प्रजातियाँ विलुप्त हो रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़, तूफ़ान, सूखा, सुनामी, महामारी जैसे प्राकृतिक आपदा उत्पन्न हो गए है। इन सभी समस्याओं के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है। “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाने का मकसद यही है की हम अपने कामो को देखे। अपने पर्यावरण को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाये।
हमारे सामने सवाल है की हम पर्यावरण की रक्षा कैसे करेंगे। आज के युग में डिजिटल होकर, पेपरलेस तरह से काम करके हम कागज बचा सकते है। यदि कागज बचेंगे तो पेड़ कम कटेंगे। प्लास्टिक का इस्तेमाल हमे फौरन बंद कर देना चाहिये। बाजार से खरीददारी करने के लिए हमे कपड़े से बने थैले और झोले का इस्तेमाल करना चाहिये।
खेतो में अधिक फसल के उप्तादन के लिए आज सभी किसान कीटनाशक और रसायनिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे भूमि बंजर हो रही है। ऐसी फसले, सब्जियाँ और फल भी सेहत के लिए हानिकारक होते है। इसलिए सभी किसानो को देशी तकनीक, देशी दवाओं और जैविक खाद का इस्तेमाल करना चाहिये।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर जैसे किसी भी शहर में जाने पर कूड़े और कचरे का बड़ा-बड़ा पहाड़ देखने को मिलता है। सरकार कूड़ा का निस्तारण करने में असमर्थ हो रही है। अब समय आ गया है की अब प्रकृति से ले नही बल्कि उसे कुछ वापिस करे। अभी तक मनुष्य ने प्रकृति से सिर्फ लिया ही है। उसे कुछ देने के नाम पर जरा सा ही काम हुआ है।
अब सभी बड़े शहरों में इतना शोर है की पक्षी तक वहां से पलायन कर रहे है। पक्षी के नाम पर सिर्फ कुछ गिने चुने पक्षी ही देखने को मिलते है। शहरो में वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा, उच्च रक्तचाप, फेफड़े की बीमारियाँ, आँखों के रोग, सिरदर्द जैसी बीमारियाँ हो रही है।
औसतन हर शहरी व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित है। भारत की राजधानी दिल्ली में तो 2017-18 में इतना प्रदूषण बढ़ गया की लोगो का साँस लेना मुश्किल हो गया। हर दिल्ली वाले को अब मास्क लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
भूमि प्रदूषण की वजह से पेयजल भी दूषित हो गया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने यूपी सरकार और उसके संबंधित प्राधिकरणों को पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर समेत छह जिलों में सभी हैंडपंप और बोरवेल को सील करने के निर्देश दिए हैं। वहां पानी में पारे की मात्रा काफी अधिक पाई गयी है। इसलिए हमे पर्यावरण को बचाने का हर सम्भव प्रयास करना चाहिये।
पेड़ लगायें, जीवन बचाये, पर्यावरण को सुरक्षित बनाये – इन्ही शब्दों के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद!