राजा का उत्तराधिकारी कौन कहानी Successor of King Story in Hindi

राजा का उत्तराधिकारी कौन कहानी Successor of King Story in Hindi (Motivational Story in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है। उदयपुर नामक राज्य में हिम्मत सिंह नाम का राजा राज करता था। वह बहुत ही साहसी और बलवान था। परन्तु उसके कोई भी सन्तान ना थी, जिसे वह अपना उत्तराधिकारी बना सके।

राजा ने फैसला किया कि वह अपने राज्य के किसी बच्चे को अपना उत्तराधिकारी चुनेगा। एक दिन इसी इरादे से राजा ने अपने राज्य के सभी बच्चों को अपने महल में बुलाया। उन्होंने घोषणा की कि “यहाँ मौजूद बच्चों में से मैं किसी को अपना उत्तराधिकारी बनाऊँगा”।

राजा का उत्तराधिकारी कौन कहानी Successor of King Story in Hindi (Motivational Story in Hindi)

राजा ने सभी बच्चों को एक-एक छोटी थैली देने का आदेश दिया और कहा-“प्यारे बच्चों आप सबको जो थैली दी गई है। उसमें अलग-अलग पौधे का बीज है। हर थैली में सिर्फ एक ही बीज दिया गया है। इसे अपने घर ले जाकर एक गमले में लगाना है। 6 महीने बाद हम फिर यही अपने गमले के साथ इकट्ठा होंगे।

उसी समय मैं अपने होने वाले उत्तराधिकारी का चुनाव करूँगा। जो इस राज्य का अगला शासक होगा”। सभी बच्चे बीज लेकर खुशी-खुशी अपने घर पहुँचे। उन्हीं बच्चों में से एक बच्चा, जिसका नाम विक्रम था। वह भी बीज लेकर अपनी माँ के पास पहुँचा और उनकी मदद से एक गमला चुनकर उसमें अपने बीज बो दिया।

विक्रम अपने पौधे की प्रतिदिन देखभाल करता उसमें पानी डालता। हफ्ते, दो-हफ्ते बीतने के बाद भी विक्रम के गमले में पौधों का नामोनिशान नहीं था। वहीं आस-पास के दूसरे बच्चों के गमले में बीज की उपज दिखने लगी थी।

विक्रम ने सोचा हो सकता हो कि मेरे बीच कुछ अलग हो, इसमें कुछ दिनों बाद उपज होती हो। यह सोचकर विक्रम पूरी मेहनत और लगन से गमले की देखभाल करता रहा। परन्तु तीन महीने बीतने के बाद भी उसका गमला खाली का खाली ही रहा। वहीं दूसरी ओर लगभग सभी बच्चों के गमलों में अच्छे खासे पौधें निकल आए थे। कुछ के तो फूल और फल भी दिखाई देने लगे थे।

सभी बच्चे उसका मजाक उड़ाते। कुछ बुजुर्गों ने तो उसे बेकार की मेहनत करने से मना किया। इसके बावजूद भी विक्रम ने हार नहीं मानी, लगातार गमले की देखभाल करता। देखते ही देखते 6 महीने बीते और राजा के सामने जाने का दिन आ गया। विक्रम चिंतित था क्योंकि उसके गमले में कुछ भी नहीं निकला था।

वह मन ही मन सोचता कि “मैं अपना खाली गमला लेकर राजा के सामने कैसे जाऊँ। सब लोग मुझ पर हँसेंगे। और तो और कहीं राजा भी नाराज होकर मुझे सजा ना सुना दे। कोई भी मुझ पर विश्वास नहीं करेगा कि मैं प्रतिदिन गमले में पानी डालता था तथा उसकी देखभाल करता था।

विक्रम की माँ उसकी परेशानी समझ रही थी। उन्होंने विक्रम को साहस देते हुए कहा “नतीजा कुछ भी हो, तुम्हें राजा का दिया हुआ बीज लौटा के आना चाहिए”। यह सुनकर विक्रम ने निश्चय किया कि वह राजमहल जाएगा। राजा द्वारा निश्चित दिन को सभी बच्चे अपना-अपना गमला लेकर राजमहल पहुँचे। विक्रम भी अपना खाली गमला लेकर वहाँ पहुँचा।

पूरा राजमहल रंग-बिरंगे फूलो तथा उसकी खुशबुओं से भरा हुआ था। सभी बच्चे विक्रम के गमले को देखकर उसका मजाक उड़ा रहे थे। तभी राजा के आने की घोषणा हुई। सभी बच्चे शान्ति से अपनी जगह खड़े हो गए सबके मन में बस एक ही सवाल चल रहा था “कौन बनेगा उत्तराधिकारी”।

राजा बच्चों के बीच से होकर गुजरने लगे। तमाम खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों को देखने के बाद उनकी नजर विक्रम के खाली गमले पर पड़ी। राजा ने तुरन्त विक्रम से पूछा-“क्या हुआ तुम्हारा गमला खाली क्यों है”

“जी, मैं रोज इसमें पानी डालता था। इसकी बहुत देखभाल करता था, फिर भी उसमें से पौधा नहीं निकला।” कुछ हिचकिचाते हुए विक्रम ने जवाब दिया। राजा बाकी गमलों को देखने के लिए आगे बढ़ गए।

सभी बच्चों के गमले देखने के बाद राजा ने उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा-” आप लोगों ने खुद को साबित करने के लिए कड़ी से कड़ी मेहनत की है। आप में से सभी बच्चे इस राज्य के उत्तराधिकारी बनना चाहते हैं।

लेकिन एक बच्चा है जो यहाँ खाली हाथ चला आया है। “विक्रम यहाँ आओ तुम”। सबके सामने इस तरह राजा द्वारा बुलाया जाना विक्रम को अजीब सा लगा। वह डरते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ा। जैसे ही विक्रम का गमला राजा ने उठाकर बाकी बच्चों को दिखाया। सभी हँसने लगे। “शान्त हो जाइए” राजा ने ऊँची आवाज में बोला।

6 महीने पहले मैंने जो आप लोगों को बीज दिया था। वह सभी बीज बंजर था। उनकी कितनी भी देखभाल की जाती उनसे कभी भी पौधा नहीं उगने वाला था। परन्तु अफसोस! यहाँ पर सिर्फ विक्रम का ही गमला खाली हैं।

चाहता तो यह भी आप सब लोगों की तरह दूसरा बीज डाल सकता था। लेकिन नहीं इसने ईमानदारी दिखाई। साथ ही खाली गमला लेकर मेरे सामने आने का साहस भी किया। राजा ने कहा “मैं घोषणा करता हूँ कि उदयपुर का उत्तराधिकारी विक्रम है, जो इस राज्य का अगला राजा होगा। यही इसकी इमानदारी का फल होगा।”

कहानी से शिक्षा Moral

दोस्तों हमें अपने काम के प्रति, खुद के प्रति तथा हर स्थिती में ईमानदार रहना चाहिए। आपको, आपकी ईमानदारी का फल अवश्य ही मिलेगा। ईमानदारी सदा से ही प्रशंसनीय है। यह हमारे नैतिक गुणों को चार चाँद लगाती है। अगर हम अपने कार्यो को ईमानदारी से करेंगे तो हमें इसका फल अवश्य ही अच्छा मिलेगा।

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