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Home » Biography » तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

Last Modified: January 3, 2023 by बिजय कुमार 11 Comments

गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

इस पृष्ट पर आप गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय (Tulsidas Biography in Hindi) पढ़ सकते हैं। इसमें हमने उनके जन्म, निजी जीवन, कवि के रूप में कार्यकाल, मृत्यु के बारे में बताया है।

Table of Content

Toggle
  • तुलसीदास का जीवनी Tulsidas Biography in Hindi
  • तुलसीदास जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Life
  • तुलसीदास के गुरु Guru of Tulsidas Ji
  • तुलसीदास का विवाह Marriage of Tulsidas
  • तुलसीदास जी द्वारा लिखित ग्रन्थ व साहित्यिक कार्य Book & Literary Works by Tulsidas Ji
  • राम दर्शन Rama Darshan
  • तुलसीदास जी की मृत्यु Death

तुलसीदास का जीवनी Tulsidas Biography in Hindi

तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे, लोग तुलसी दास को वाल्मीकि का पुनर्जन्म मानते है। तुलसी दास जी अपने प्रसिद्ध कविताओं और दोहों के लिए जाने जाते हैं।

उनके द्वारा लिखित महाकाव्य रामचरित मानस पूरे भारत में अत्यंत लोकप्रिय हैं। तुलसी दास जी ने अपना ज्यादातर समय वाराणसी में बिताया है। (पढ़ें: रामायण की पूर्ण कहानी लघु रूप में)

तुलसीदास जी जिस जगह गंगा नदी के किनारे रहते थे उसी जगह का नाम तुलसी घाट रखा गया और उन्होंने वहां संकट मोचन हनुमान का मंदिर बनाया था। लोगों का मानना है कि वास्तविक रूप से हनुमान जी से तुलसी दास जी वहीं पर मिले थे, और तुलसी दास जी ने रामलीला की शुरुआत की।

तो आईये शुरू करते हैं – तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi

तुलसीदास का जीवन परिचय Tulsidas Biography in Hindi हिन्दी विडियो

तुलसीदास जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन Birth and Early Life

गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म 1511 ई. में हुआ था। इनके जन्म स्थान के बारे में काफी मतभेद है, परन्तु अधिकांश विद्वानों के अनुसार इनका जन्म राजापुर, चित्रकूट जिला, उत्तर प्रदेश में हुआ था।

तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था और इनके पिता जी का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। तुलसीदास के गुरु का नाम नर हरिदास था।

अक्सर लोग अपनी मां की कोख में 9 महीने रहते हैं लेकिन तुलसी दास जी अपने मां के कोख में 12 महीने तक रहे और जब इनका जन्म हुआ तो इनके दाँत निकल चुके थे और उन्होंने जन्म लेने के साथ ही राम नाम का उच्चारण किया जिससे इनका नाम बचपन में ही रामबोला पड़ गया।

जन्म के अगले दिन ही उनकी माता का निधन हो गया। इनके पिता ने किसी और दुर्घटनाओं से बचने के लिए इनको चुनिया नामक एक दासी को सौंप दिया और स्वयं सन्यास धारण कर लिए।

चुनिया रामबोला का पालन पोषण कर रही थी और जब रामबोला साढ़े पाँच वर्ष का हुआ तो चुनिया भी चल बसी। अब रामबोला अनाथों की तरह जीवन जीने के लिए विवश हो गया।

तुलसीदास के गुरु Guru of Tulsidas Ji

तुलसीदास के गुरु नर हरिदास को बहुचर्चित रामबोला मिला और उनका नाम रामबोला से बदलकर तुलसी राम रखा और उसे अयोध्या उत्तर प्रदेश ले आए।

तुलसी राम जी ने संस्कार के समय बिना कंठस्थ किए गायत्री मंत्र का स्पष्ट उच्चारण किया। यह देख सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए। तुलसी राम जी काफी तेज बुद्धि वाले थे, वे जोभी एक बार सुन लेते थे तो उन्हें कंठस्थ हो जाता था।

तुलसीदास का विवाह Marriage of Tulsidas

29 वर्ष की अवस्था में राजापुर के निकट स्थित यमुना के उस पार तुलसीदास विवाह एक सुंदर कन्या रत्नावली के साथ हुआ। गौना न होने की वजह से वह कुछ समय के लिए काशी चले गए।

काशी में रहकर हुए वेद वेदांग के अध्ययन में जुट गए। अचानक उनको अपनी पत्नी रत्नावली की याद सतायी और वह व्याकुल होने लगे तभी उन्होंने अपने गुरु से आज्ञा लेकर राजापुर आ गए।

उनका अभी गौना नहीं हुआ था तो उनकी पत्नी रत्नावली मायके में ही थी, अंधेरी रात में ही यमुना को तैरकर पार करते हुए अपनी पत्नी के कक्ष पहुँचे गए। उनकी पत्नी ने उन्हें लोक-लज्जा के भय से वापस चले जाने के लिए आग्रह किया।

उनकी पत्नी रत्नावली स्वरचित एक दोहे के माध्यम से उनको शिक्षा दी। ये दोहा सुनने के बाद तुलसी राम से तुलसीदास बन गए।

वह दोहा इस प्रकार है-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति।
नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।

ये दोहा सुनकर वे अपनी पत्नी का त्याग करके गांव चले गए और साधू बन गए, और वहीं पर रहकर भगवान राम की कथा सुनाने लगे। उसके बाद 1582 ई. में उन्होंने श्री रामचरितमानस लिखना प्रारंभ किया और 2 वर्ष 7 महीने 26 दिन में यह ग्रंथ संपन्न हुआ।

तुलसीदास जी द्वारा लिखित ग्रन्थ व साहित्यिक कार्य Book & Literary Works by Tulsidas Ji

सन 1574 से गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपना साहित्यिक कार्य शुरू कर दिया था। शुरुवात में उन्होंने कई कृतियाँ लिखी परंतु उनमे सबसे प्रचलित और महान है ‘रामचरितमानस’। इस काव्य में उन्होंने श्री राम के कार्यों की व्याख्या कविता के रूप में की है की है।

इन श्री राम पर आधारित कविताओं को ‘चौपाई’ कहा जाता है। गोस्वामी तुलसीदास पूर्ण रूप से प्रभु के प्रति समर्पित हो चुके थे। 

यहाँ तक की गोस्वामी तुलसीदास जी के काव्यों की प्रशंसा अकबर और जहाँगीर जैसे महान मुग़ल शशकों ने भी इतिहास में की थी।

तुलसी दास जी ने अपने देश जीवनकाल में काफी ग्रंथों को लिखा है जो कि निम्नलिखित है –

श्री रामचरितमानस, सतसई, बैरव रामायण, पार्वती मंगल, गीतावली, विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, रामललानहछू, कृष्ण गीतावली, दोहावली और कवितावली आदि है। तुलसीदास जी ने अपने सभी छन्दों का प्रयोग अपने काव्यों में किया है।

साथ ही साहित्यिक कृतियों में दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णावली, विनयपत्रिका और देव हनुमान की स्तुति की गई बहुत प्रसिद्ध कविता हनुमान चालीसा शामिल है।

इनके प्रमुख छंद हैं दोहा सोरठा चौपाई कुंडलिया आदि, इन्होंने शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों का भी प्रयोग अपने काव्यों और ग्रंथो में किया है और इन्होंने सभी रसों का प्रयोग भी अपने काव्यों और ग्रंथों में किया है ,इसीलिए इनके सभी ग्रंथ काफी लोकप्रिय रहे हैं।

राम दर्शन Rama Darshan

तुलसी दास जी हनुमान की बातों का अनुसरण करते हुए चित्रकूट के रामघाट पर एक आश्रम में रहने लगे और एक दिन कदमगिरी पर्वत की परिक्रमा करने के लिए निकले। माना जाता है वहीं पर उन्हें श्रीराम जी के दर्शन प्राप्त हुए थे। इन सभी घटनाओं का उल्लेख उन्होंने गीतावली में किया है।

तुलसीदास जी की मृत्यु Death

उन्होंने अपनी अंतिम कृति विनयपत्रिका को लिखा और 1623 ई. में  श्रावण मास तृतीया को राम-राम कहते हुए अपने शरीर का परित्याग कर दिया और परमात्मा में लीन हो गए।

Filed Under: Biography Tagged With: गोस्वामी तुलसीदास का जीवन परिचय, तुलसीदास जीवनी

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Reader Interactions

Comments

  1. HindIndia says

    September 2, 2018 at 4:14 pm

    हमेशा की तरह बहुत ही अच्छी जानकारी। Share करने के लिए धन्यवाद। 🙂

    Reply
  2. Priyansh says

    September 7, 2020 at 5:11 pm

    bohat aacha likha hai aapne me 10th class me hun aur mene aapka is itne achhe content ko padh kar kiya apni ppt bani hai.
    I am for sure mere ko acche marks milenge..
    Thank You So Much.
    SIR/MA’AM.

    Reply
  3. N.HEMANT says

    November 2, 2020 at 9:41 pm

    ऐसे ही सत्य सनातन धर्म का प्रचार करे।

    Reply
  4. Ronak Rathee says

    December 15, 2020 at 10:25 pm

    Nice I think this will help me a lot

    Reply
  5. Bhavya katiyar says

    December 18, 2020 at 7:18 pm

    Thank you so much for this information

    Reply
  6. Gaganpreet kaur says

    December 23, 2020 at 3:37 pm

    Nice ji

    Reply
  7. Anikesh Shahi says

    February 14, 2021 at 6:42 pm

    Best story helpful me

    Reply
  8. Prince says

    February 28, 2021 at 12:36 pm

    Thanks to help

    Reply
    • Prince singh says

      June 22, 2023 at 4:30 pm

      Thank to help

      Reply
  9. Sakshi kumari says

    May 25, 2021 at 8:04 pm

    Thankyou so much fir giving information
    Please hamara liya aur aisa hi notes banata rahi ga

    Reply
  10. Naseer says

    August 13, 2021 at 9:18 pm

    Thanks for this information iam 9 standard

    Reply

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