भारत में सिंचाई प्रणाली Types of Irrigation System in India Hindi
भारत में सिंचाई प्रणाली Types of Irrigation System in India Hindi
सिंचाई एक ऐसी तकनीक है जो की सूखी जमीन के वर्षाजल के पूरक के तौर पर इस्तेमाल की जाती है।
कृषि इसका मुख्य लक्ष्य है। जैसे कि आप जानते हैं कि भारत एक विशाल देश है अतः भारत के हर अलग हिस्से यानी राज्य एवं क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जाता है। देश के विभिन्न प्रदेशों की सिंचाई अलग-अलग माध्यमों से की जाती है, जैसे कुएँ, जलाशय, नहरें, नदियां आदि ।
हमारा भारत एक ऐसा देश है जो की पूर्णतः कृषि पर निर्भर है । हमारा देश गांवो का देश कहलाता है और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की आय एवं रोजी-रोटी का माध्यम कृषि है, तो इस प्रकार हम बोल सकते हैं कि सिंचाई हमारे हिंदुस्तान की रीढ़ की हड्डी है, क्योंकि बिना सिंचाई के तो कृषि संभव ही नहीं, बिल्कुल नहीं।
पढ़ें : भारत में खेती या कृषि
भारत विविधताओं से भरा देश है जहां हर एक राज्य, क्षेत्र, प्रदेश की अलग-अलग भौगोलिक स्थिति तथा जलवायु है। हमारे देश में लगभग 18.5 करोड़ हेक्टेयर की कृषि योग्य भूमि है और लगभग 17.2 करोड़ हेक्टेयर पर खेती की जाती है।
भारत में 50% से भी ज्यादा लोगों की कमाई का जरिया खेती है। खेती हमारे देश का हमेशा से ही मुख्य उद्यम रही है। खेती या कृषि सीधे तौर पर बारिशों पर निर्भर रहती है, परंतु वर्षा का सटीक अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल है इसलिए किसान केवल और केवल बारिश के पानी पर निर्भर नहीं रह सकता है।
हमारे यहां सिंचाई मुख्य रूप से भूमिगत जल के ऊपर आश्रित है, हम कह सकते हैं कि भारत में ही विश्व की लगभग सबसे बड़ी सिंचाई प्रणाली है और इस प्रकार आंकड़ों के तौर पर चीन दूसरे एवं अमेरिका तीसरे स्थान पर आता है।
सिंचाई प्रणाली के प्रकार Types of Irrigation System
जलाशय जल सिंचाई प्रणाली
हमारे देश के समतल एवं पथरीले इलाकों में यह प्रणाली काफी उपयोगी है, जैसे के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि। देश में चार लाख से ज्यादा बड़े एवं 40 लाख से ज्यादा छोटे जलाशय जल सिंचाई प्रणाली का प्रबंध है। इसमें मुख्य जलाशय छोटे हैं जो कि किसानों द्वारा झरनों पर बांध बनाकर तैयार किए गए हैं।
कुआं जल सिंचाई प्रणाली
मैदानी एवं तटीय क्षेत्रों में यह प्रणाली काफी लोकप्रिय है, इसमें खर्चा भी कम आता है। जब भी जरूरत हो सुविधा अनुसार कुएं से पानी निकाला जा सकता है। इस माध्यम से वाष्पीकरण भी कम होता है और अत्यधिक सिंचाई का डर भी नहीं रहता है।
भारत में कुओं की संख्या 1.2 करोड़ है। देश के 60% से ज्यादा क्षेत्र में कुओं द्वारा सिंचाई होती है और सबसे बड़ा कुआं सिंचित क्षेत्र है उत्तर प्रदेश वर्ष। वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 2000 तक कुओं द्वारा सिंचित क्षेत्रों में 5 गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है। कुए मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
खुले कुएँ
यह कम गहरे होते हैं, परंतु इन में पानी की उपलब्धता सीमित रहती है इसलिए यह छोटे इलाकों के लिए ठीक रहते हैं।
ट्यूबवेल
सिंचाई के यह स्रोत काफी गहरे होते हैं और खेती के लिए भी अनुकूल होते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि इनमें 12 महीने पानी रहता है। इसी कारण हाल के वर्षों में ट्यूबवेल की संख्या में वृद्धि हुई है ।
आप्लावन नहर सिंचाई प्रणाली
इस प्रणाली में नहरें अहम भूमिका निभाती है, भारत के लगभग 40% क्षेत्र को नेहरों द्वारा सींचा जाता है। बारिश के मौसम में बहुत बार बाढ़ आ जाती है, तो उसी बाढ़ के पानी को नहरों के जरिए खेती एवं कृषि भूमि तक पहुंचाया जाता है। ऐसे नहर वाले इलाके है- पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा आदि।
बारहमासी नहर सिंचाई प्रणाली: इन नहरो का पानी सीधे नदियों या नदी परियोजनाओं से मिलता है। सारे साल की पानी की आपूर्ति के लिए बांधों की मदद से जलाशय बनाए जाते हैं। सबसे बड़ा फायदा इस प्रणाली से यह है कि हर मौसम में इस प्रणाली द्वारा सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो सकता है । राज्य जहां पर यह प्रणालियां मुख्य रूप से इस्तेमाल होती है वह है, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक ।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं
यह परियोजनाएं भी काफी चर्चा का विषय हैं । पिछले कुछ वर्षों में इन नदी घाटी परियोजनाओं ने सिंचाई और खेती के विकास एवं वृद्धि में मदद करी है।
भारत विशाल आबादी वाला देश है और करोड़ों लोगों का पेट भरने के लिए ज्यादा से ज्यादा खाद्यान्न की आवश्यकता रहती है ।अतः इन सब के लिए सिंचाई प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसके अलावा वर्षा की मात्रा के असामान्य होने से सूखे की संभावना रहती है, इन समस्याओं का भी सिंचाई के जरिए निवारण संभव है।