पवनों के प्रकार Types of Winds in Hindi
इस लेख में हम आपको पवनों के प्रकार Types of Winds in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे ।
पवनों के प्रकार Types of Winds in Hindi
ठहरी हुई हवा को air कहते हैं, जबकि गतिमान हवा को पवन (Wind) कहकर पुकारते हैं। पवने कई प्रकार की होती हैं जैसे व्यापारिक पवने, मौसमी पवने, जेट वायु धारा, दैनिक पवनें, पछुआ पवनें।
- स्थाई पवने Permanent wind
- मौसमी पवन और दैनिक पवन Seasonal wind and daily Wind
- स्थानीय पवन Local wind
जेट वायु धारा Jet stream
स्थाई पवन Permanent wind
इस प्रकार की पवनों को वायुमंडल का प्राथमिक परिसंचरण भी कहा जाता है। यह आधारभूत पवने होती हैं। स्थाई पवनो को प्रचलित पवने भी कहा जाता है। यह क्षैतिज रूप से प्रवाहित होती है।
स्थाई पवने पृथ्वी की घूर्णन गति के प्रभाव से विकसित हो जाती हैं। इन पवनों का विकास अस्थाई वायुदाब बेटियों में उच्च वायुदाब से निम्न वायुदाब की दिशा में होता है।
स्थाई पवनों के प्रकार
व्यापारिक पवन Trade winds
दक्षिणी अक्षांश के उपोष्ण उच्च वायुदाब कटिबंध से भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबंध की ओर दोनों गोलाद्धों में वर्षभर प्रवाहित होने वाली पवन को व्यापारिक पवन कहते हैं। ये पवने वर्ष भर एक ही दिशा में लगातार बहती रहती हैं। इस प्रकार की पवने फेरल के नियम के अनुसार उत्तरी गोलाद्ध में अपनी दाएं और और दक्षिणी गोलाद्धों में अपनी बाई और प्रवाहित होती हैं।
व्यापारिक पवनों को पुरवाई पवन भी कहा जाता है। प्राचीन काल में इन पवनो से व्यापारियों को बहुत लाभ मिलता था। उनके पालयुक्त पानी के जहाज को चलाने में काफी मदद मिलती थी। इस वजह से इस प्रकार की पवनों को व्यापारिक पवन कहा जाता है।
पछुआ पवन Western Winds
इस प्रकार की पवने पश्चिम दिशा से चलती हैं। यह व्यापारिक पवनों के विपरीत दिशा में पश्चिम से पूरब की दिशा में चलती हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इसकी दिशा दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर और दक्षिणी गोलार्द्ध में उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर होती है।
यह दोनों गोलाद्धों में उपोष्ण उच्च वायुदाब (30 डिग्री से 35 डिग्री) कटिबंधों से उपध्रुवीय निम्न वायुदाब (60 डिग्री से 65 डिग्री) कटिबंधों की ओर चलने वाली स्थाई पवन है। पछुवा पवनों का सबसे अच्छा विकास 40 डिग्री से 65 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के मध्य पाया जाता है क्योंकि यहां पर जल अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इस वजह से पछुआ पवनें तेज और निश्चित दिशा में बहती हैं। दक्षिण गोलार्द्ध में इनकी प्रचंडता के कारण 40 से 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच इन्हें “चीखती चालीस”, 50 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के समीपवर्ती इलाकों में “प्रचंड पचासा” और 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के पास “चीखता साठा” नाम से जाना जाता है।
ध्रुवीय पवन Polar Wind
यह पवने बहुत ठंडी होती हैं। इनका जन्म ध्रुवीय उच्च वायुदाब से होता है। ध्रुवीय पवने व्यापारिक पवनों की दिशा में बहती हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर दक्षिण से दक्षिण पश्चिम और दक्षिण गोलार्द्ध में दक्षिण पूर्व से उत्तर पश्चिम की ओर प्रवावित होती हैं।
ध्रुवीय पवनो के कारण सभी महाद्वीपों के पूर्वी तटीय भाग पर वर्षा होती है। ध्रुवीय पवन जब गर्म पछुआ पवनें से मिलती है तो ध्रुवीय वाताग्र का निर्माण होता है। इससे शीतोष्ण चक्रवात की उत्पत्ति होती है।
मौसमी पवन एवं दैनिक पवन Seasonal wind and daily Wind
इस प्रकार की पवने ग्रीष्म, शीत, वर्षा ऋतु जैसी विशेष ऋतु में उत्पन्न होती हैं। मौसम बदलने पर इस प्रकार की पवने समाप्त हो जाती हैं। इनका क्षेत्र सीमित होता है।
दिन और रात के तापमान में अंतर के कारण मौसमी पवनों का जन्म होता है। दैनिक पवने एक प्रकार की मौसम पवन ही हैं। इनकी उत्पत्ति भी दिन और रात के तापमान में अंतर के कारण होती है।
दैनिक पवने दो प्रकार की होती हैं- समुद्री एवं स्थलीय समीर और घाटी एवं पर्वतीय समीर। समुद्री एवं स्थलीय समीर समुद्र तटीय क्षेत्रों में दिन और रात में प्रवाहित होती हैं, जबकि घाटी और पर्वतीय समीर पर्वतीय क्षेत्रों में पहाड़ों के ऊपरी भाग में बहती है।
स्थानीय पवन local wind
स्थानीय पवन की उत्पत्ति एक स्थानीय स्तर पर तापमान और वायुदाब में परिवर्तन होने के कारण होती है। यह वायुमंडल की विशिष्ट परिसंचरण प्रणाली है। चिनूक, फोन, सिराको, ब्लीजार्ड, बोरा, मिस्ट्रेल कुछ प्रमुख स्थानीय पवने हैं, जो परिसंचरण प्रणाली के रूप में उत्पन्न होती हैं।
स्थानीय पवनों को गर्म और ठंडी हवा में विभाजित किया जाता है। चिनूक, फोन, सिराको, लू, हरमट्टन प्रमुख गर्म पवने हैं, ब्लिजार्ड, मिस्ट्रल और बोरा प्रमुख स्थानीय ठंडी पवने हैं।
जेट वायुधारा jet stream
जेट वायुधारा पृथ्वी के वायुमंडल में क्षोभमंडल में तीव्र गति से बहने वाली पवने होती हैं जो पश्चिम से पूरब दिशा में बहती हैं। जेट वायुधारा को जेट स्ट्रीम भी कहते हैं। यह तीन प्रकार की होती है- ध्रुवीय जेट स्ट्रीम, उपोष्ण पछुआ जेट स्ट्रीम और ऊष्ण पूर्वी जेट स्ट्रीम। इस
तरह की पवने पृथ्वी के धरातल से 6 से 14 किलोमीटर की ऊंचाई पर लहरदार रूप में चलती हैं। जेट स्ट्रीम की सामान्य गति 340 से 380 किलोमीटर प्रति घंटा होती है।