कुंडली क्या होता है? What is Horoscope in Hindi?

कुंडली क्या होता है? What is Horoscope in Hindi? जानें कुंडली की परिभाषा, महत्व, कैसे बनाते हैं और इसके लाभ के विषय में।

कुंडली क्या होता है? What is Horoscope in Hindi?

कुंडली से क्या तात्पर्य है? What do you mean by Kundli or Horoscope?

कुंडली को अंग्रेजी भाषा में ‘होरोस्कोप’ (Horoscope) कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इसका अत्यधिक प्रयोग किया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करती है कि किसी व्यक्ति के जीवन में किसी विशेष घटना के समय कौन सा ग्रह किस समय पर किस दशा में विराजमान है तथा उसका प्रभाव क्या होगा।

अतः जब भी किसी बच्चे का जन्म होता है, उसके जन्म का स्थान, दिनांक, दिन, समय तथा अन्य जानकारियां सहेज कर रख ली जाती हैं। इसके पश्चात किसी ज्योतिषी द्वारा उसके प्रमुख तारे, सात ग्रहों, सूर्य तथा चन्द्रमा की स्थितियों को ध्यान में रखकर एक चार्ट तैयार किया जाता है। 

इस चार्ट में अलग-अलग खण्डों में अलग-अलग अंक लिखे गए होते हैं। इन अंकों के आधार पर ही ग्रह तथा नक्षत्रों की स्थिति आंकी जाती है। इसका अर्थ सन्तरिक्ष में स्थित ग्रहों की स्थिति से नही है, बल्कि कुंडली में कुछ गणनाओं तथा समय देशों के आधार पर उस व्यक्ति विशेष के ग्रहों की स्थिति पता लगाई जाती है।

कुंडली का क्या कार्य होता है? What is the use of Kundali?

सिर्फ किसी बच्चे के जन्म के समय ही नही, बल्कि ज्योतिषियों द्वारा कुंडली के अंकों की गणना उस व्यक्ति के जीवन से जुड़ी अन्य विशेष घटनाओं के दौरान भी की जाती है।

ज्योतिषयों की यह कोशिश रहती है कि जब किसी व्यक्ति के द्वारा पवित्र रस्में तथा रीति- रिवाज निभाएं जाते हैं, तब वह एक विशेष समयावधि के दौरान निभाएं जाए, तथा इसी विशेष समयावधि को ‘शुभ- मुहूर्त’ कहा जाता है।

इस शुभ-मुहूर्त के समय- काल में किसी कार्य को करने से उसमे भविष्य में सफलता- प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है। इन समयावधियों की गणना भी ठीक उसी प्रकार से की जाती है, जिस प्रकार से किसी कुंडली की गणना होती, परंतु यह थोड़े- से अलग सन्दर्भ में होती।

कई आयोजन जैसे कि शादी- समारोह, सगाई- समारोह, किसी बच्चे का जन्म के बाद के उत्सव इत्यादि समारोहों पर ज्योतिषियों द्वारा शुभ- मुहूर्त निकाला जाता है। 

यह बात थोड़ी आश्चर्यचकित करती है कि आज के समय में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो बच्चे के जन्म से पहले किसी ज्योतिष से बच्चे के स्वस्थ पैदा होने के लिए शुभ-मुहूर्त निकलवाते हैं, तथा उसके बाद वे चिकित्सक से गुज़ारिश करके अपने बच्चे की डिलीवरी को उसी शुभ-मुहूर्त पर करवाने का प्रयास करते हैं, इस उम्मीद में कि इससे उनका बच्चा स्वस्थ रहेगा तथा उसका भविष्य भी मंगलमय रहेगा।

कुंडली कैसे बनती है How is Kundali prepared?

किसी कुंडली में कुल मिलाकर 12 गृह होते हैं, जिनमे से हर एक गृह किसी एक नक्षत्र की स्थिति बताता है। इनमे से प्रत्येक गृह जीवन के एक हिस्से को दर्शाता है। उस गृह में उपस्थित नक्षत्र द्वारा यह दर्शाया जाता है कि उस व्यक्ति के जीवन के उस हिस्से में क्या गतिविधियां रहेंगी।

यह ग्रह-नक्षत्र समय के साथ ही अपनी स्थितियां बदलते रहते हैं, इसलिए व्यक्ति का भाग्य प्रति दिन बदलता रहता है। व्यक्ति का भाग्य इस बात पर निर्भर करता है, कि कौन सा ग्रह उस समय विशेष में मुख्य स्थिति पर उपस्थित था।

इसके अलावा किसी व्यक्ति के बारे में उसकी विस्तृत कुंडली उसके जन्म से लेकर अब तक घट चुकी घटनाओं के आधार पर तथा उसके जन्म से संबंधी विवरण के आधार पर तैयार की जाती है। इसके लिए उस गृह को देखा जाता है, जो व्यक्ति के जन्म के समय पर सबसे पहले मुख्य दशा में मौजूद था।

उसके बाद इसका पता लगाया जाता है कि किस गृह का प्रभाव बहुत अधिक रहेगा। यदि किसी प्रभावशाली तथा अचे गृह का वहाँ आगमन होता है, तो उस समय के जीवन पर शुभ एवं अच्छा प्रभाव पड़ता है, अन्यथा बुरे गृह के आने से जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। 

किसी भी व्यक्ति की कुंडली अथवा जन्मपत्री (Horoscope) जन्म की दिनांक, वर्ष, दिन, समय तथा स्थान, अक्षांश तथा देशांतर रेखाएं( Latitude and Longitude) इत्यादि के आधार पर बनाई जा सकती है। 

कुंडली 12 ग्रहों में विभाजित होती है, जिनमे से प्रत्येक गृह 30° का होता है यानि की कुल 360°। इसके अलावा यह 27 नक्षत्रों में भी विभाजित की गई होती है। तथा आगे चलकर प्रत्येक नक्षत्र चार चरणों अथवा पदों में विभाजित किये जाते हैं।

सभी गृह उस व्यक्ति के जन्म के समय पर उस स्थान से भौतिक क्रम तथा स्थिति के अनुसार कुंडली में अंकित किये जाते हैं। कुंडली में नौ ग्रह- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुद्ध, शुक्र, बृहस्पति, शनि, राहु तथा केतु दर्शाए गये होते हैं। ज्योतिष विज्ञान में राहु तथा केतु को ग्रहों की श्रेणी से सम्मिलित किया गया है। 

कुंडली बनाने का लाभ क्या होता है What is gained by preparing Kundali of oneself?

कुंडली किसी व्यक्ति के जीवन- काल में एक नक़्शे के रूप में कार्य करती है। कुंडली में उदय लग्न, चिन्हों, ग्रहों तथा नक्षत्रों की दशा एवं स्थिति द्वारा जीवन में आगे घटने वाली घटनाओं का निर्धारण होता है।

कुंडली के द्वारा जीवन की घटनाओं का निर्धारण होता है, जिन्हें बदला नही जा सकता है, परंतु यदि वह व्यक्ति अच्छे कार्य करता है तथा दूसरों की सहायता करता है, तो उसके ग्रहों की शुभ दशा एवं स्थिति बनी रहती है। 

जन्म के समय पर कुंडली बनाकर उसमे नक्षत्र के चरण के अनुसार शिशु के नाम के लिए प्रथम अक्षर प्रदान किया जाता है। इसके अलावा कुंडली के आधार पर शिशु के स्वास्थ्य के बारे में भी पता किया जाता है।

यदि उसमे किसी नकारात्मक गृह की स्थिति पाई जाती है, तो उसे दूर करने के अनेक उपाय जैसे पूजा, हवन, दान, स्नान इत्यादि करवाये जाते हैं। कुंडली को पढ़कर कोई भी व्यक्ति उस जातक के जीवन काल से जुडी घटनाओं के बारे में जान सकता है।

जातक उस व्यक्ति को कहते हैं, जिसकी कुंडली के बारे में पढ़ा जा रहा होता है। कुंडली के द्वारा उस व्यक्ति के स्वास्थ्य, कार्य, कार्य का प्रकार, आम जीवन, धन-धान्य, मित्र, शत्रु, पति अथवा पत्नी, कानूनी कार्य तथा अन्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

शादी आदि कार्यों के लिए वर तथा वधु की कुंडली भी मिलाई जाती है। उनकी कुंडलियों में गुण तथा दोषों का मिलना तथा मांगलिक दोषों इत्यादि के बारे में जाना जाता है। इसके लिए अधिकतर ज्योतिषी सिर्फ 1 ही गृह को देखता है। परंतु एक अच्छा ज्योतिषी कुंडलियों के मिलान के लिए सभी 9 ग्रहों को देखता तथा जांचता है। 

व्यक्ति के जीवन में उसे खुशियां तथा दुःख उसके पिछले जन्म के कर्मों के फलस्वरूप मिलते हैं। इसी कारण से अगर व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे कार्य, सदाचार, सद्कर्म, दान- दक्षिणा, आध्यात्म आदि क्रियाओं को अपनाता है, तो निश्चित ही उसका जीवन खुशियों तथा धन- धान्य से भरा- पूरा रहता है।

कुण्डली तथा मुहूर्त का आपस में गहरा संबंध है, क्योंकि जब व्यक्ति अपनी कुंडली के अनुसार दिए गए सगुभ मुहूर्त पर किसी कार्य विशेष को संपन्न करता है, तो उसे उस कार्य में सफलता अवश्य ही प्राप्त होती है।

तथा व्यक्ति सुखी रहेगी और उसकी सभी बाधाएं टल जाएंगी। अतः अब ही सही समय है कि हम किसी भी कार्य को करने से पहले उसके शुभ मुहूर्त के बारे में जान ले, तो वह निश्चित रूप से शुभ- संपन्न होगा।

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