प्रायद्वीपीय भारत क्या है? What is Peninsular India Hindi?
प्रायद्वीपीय भारत क्या है? What is Peninsular India Hindi?
पृथ्वी के निर्माण के समय जुड़े हुए स्थलीय भाग को पैंजिया तथा जलीय भाग को पैंथालासा कहा जाता है। पैंजिया के उत्तरी भाग को अंगारालैण्ड या लारेंसिया कहा जाता है तथा इसमें उत्तरी अमेरिका, यूरोप, तथा भारत को छोड़कर पूरे एशिया महाद्वीप को शामिल किया जाता है।
पैंजिया के दक्षिणी भाग को गोंडवानालैण्ड कहा जाता है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के साथ ही साथ भारत को सम्मिलित किया जाता है।
प्रायद्वीपीय भारत क्या है? What is Peninsular India Hindi?
भारत का दक्षिणी भाग इसी प्राचीन गोंडवानालैण्ड का हिस्सा है जिसका निर्माण आर्कियन युग मे हुआ था। भारत का यह दक्षिणी भाग तीन ओर से जलीय भाग से घिरा हुआ है। इसके दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर स्थित है। तीन तरफ से जल से घिरा होने के कारण ही इसे प्रायद्वीपीय भारत भी कहते है।
यह उत्तर में गंगा – सतलज के मैदान में विस्तृत है। अरावली, राजमहल की पहाड़ियां तथा शिलांग की या मेघालय की पहाड़ियां इसकी उत्तरी सीमा को बनाती है। इसके पूर्व में स्थित पूर्वी घाट इसकी पूर्वी सीमा तथा पश्चिम में स्थित पश्चिमी घाट इसकी पश्चिमी सीमा को बनाता है।
यह भारत का सबसे बड़ा एवं सबसे प्राचीन स्थल खण्ड है जो त्रिभुजाकार रूप में विस्तृत है। यह लगभग सोलह लाख वर्ग किलोमीटर(1600000KM^2) के क्षेत्र में विस्तृत है। इस क्षेत्र की औसत ऊँचाई लगभग 500 से 750 मीटर के बीच में है। गोंडवानालैण्ड का सबसे प्राचीन भाग होने के कारण ही एक समय पर यहाँ विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत पाए जाते थे।
भारत का प्रायद्वीपीय पठार Peninsular Plateau of India
परन्तु समय के साथ विभिन्न मौसमिक क्रियाओं के कारण इन पर्वतों का धीरे धीरे अपरदन होता चला गया और आज इन पर्वतों ने पठार का रूप ले लिया है। इन पर्वतों की ऊँचाई और विभिन्न संरचनाओं की विषमता इस पठारी क्षेत्र को कई अन्य छोटे-छोटे पठारों में विभाजित करता है इसीलिए इसे पठारों का पठार भी कहा जाता हैं।
विश्व के सबसे प्राचीनतम मोड़दार पर्वतों में से एक अरावली पर्वत इसी भाग में ही स्थित है। इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम गुरु शिखर है जो माउंट आबू की पहाड़ियों में स्थित है। अरावली पर्वत तथा विन्ध्यन पर्वत के बीच मे ही मालवा का पठार स्थित है। मालवा के पठार का निर्माण ज्वालामुखी के उदगार से निकले हुए लावा से हुआ है।
लावा से निर्माण होने के कारण ही यहाँ पर काली मिट्टी पायी जाती है जो कपास के उत्पादन के लिए सबसे उपयुक्त होती है। ज्वालामुखी के उदगार से निकलने वाले लावा से निर्माण होने के कारण से प्रायद्वीपीय भारत का यह भाग खनिज सम्पदा से भरा हुआ है।
गुजरात राज्य से लेकर झारखंड राज्य तक विंध्याचल पर्वत का विस्तार है। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ है। विंध्याचल पर्वत उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत के बीच जल विभाजक का भी कार्य करता है।
विन्ध्यन श्रेणी दक्षिण की तरफ सतपुड़ा पर्वत श्रेणी है। इसके पूर्व में मैकाल की पहाड़ी, मध्य में महादेव की पहाड़ी तथा पश्चिम में राजपीपला की पहाड़ी स्थित है। सतपुड़ा पर्वत की सबसे ऊंची चोटी का नाम धूपगढ़ है।
तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी की ही महादेव की पहाड़ियों में स्थित पंचमढ़ी इसकी दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के पूर्व में स्थित मैकाल की पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी का नाम अमरकंटक है। अमरकंटक चोटी से ही अरब सागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नर्मदा नदी निकलती है।
भारत का हृदय प्रदेश एवं भारत का रूर प्रदेश कहे जाना वाला छोटा नागपुर का पठार इसी प्रायद्वीपीय भारत के क्षेत्र में स्थित है। इसका विस्तार भारत के झारखंड राज्य एवं पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित है।
लगभग पाँच लाख वर्ग किलोमीटर (500000KM^2) में फैला हुआ दक्कन का पठार भी प्रायद्वीपीय भारत का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसका निर्माण क्रिटेसियस युग मे ज्वालामुखी के उदगार से निकले हुए बैसाल्ट लावा से हुआ। इसी कारण यहाँ पर काली या रेगुर प्रकार की मिट्टी मिलती है। दक्कन के पठार की उत्तरी सीमा नर्मदा नदी बनाती है।
भारत की दूसरी सबसे लंबी पर्वत श्रेणी पश्चिमी घाट भी प्रायद्वीपीय भारत का ही एक हिस्सा है। पश्चिमी घाट को सह्याद्री नाम से भी जाना जाता है। इसका विस्तार ताप्ती नदी के मुहाने से लेकर तमिलनाडु राज्य के कन्याकुमारी तक है।
दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अन्नाईमुडी पश्चिमी घाट में ही स्थित है। अन्नाईमुड़ी मूल रूप से अन्नामलाई पर्वत श्रेणियों में स्थित है। पश्चिमी घाट में ही थालघाट, भोरघाट, तथा पालघाट नाम के दर्रे स्थित है।
पालघाट दर्रे के पास ही नीलगिरी पर्वत पश्चिमी घाट तथा पूर्वी घाट को जोड़ता है। केरल एवं तमिलनाडु की सीमा पर स्थित नारकोंडम तथा काडमम की पहाड़ियां भारत की सबसे दक्षिणतम पहाड़ियों में से एक है जो पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी का हिस्सा है।
प्रायद्वीपीय भारत में उत्तर में महानदी से प्रारम्भ होकर दक्षिण में नीलगिरी तक विस्तृत क्षेत्र को पूर्वी घाट के नाम से जाना जाता है। इसकी सबसे ऊंची चोटी का नाम विशाखापत्तनम तथा दूसरी सबसे ऊंची चोटी का नाम महेन्द्रगिरि है।
प्रायद्वीपीय भारत में प्रवाहित होने वाली कावेरी एवं पेन्नार नदियों के बीच मेलागिरी पर्वत श्रेणी स्थित है जहां चंदन के वन बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यहीं पर कावेरी नदी पूर्वी घाट को काटकर होजेकल जल प्रपात बनाती है।
प्रायद्वीपीय भारत में अनेक नदियां है, जो हिमालय से निकलने वाली नदियों के प्रवाहित होने के पहले से ही प्रवाहित हो आ रही है। इसीलिए इन नदियों को पूर्ववर्ती नदियां भी कहते हैं। काफी लंबे समय से प्रवाहित होने के कारण यह अपने आधार तल को प्राप्त कर चुकी हैं इसीलिए इन नदियों का मार्ग लगभग निश्चित हो गया है।
अर्थात इन नदियों की अपरदन क्षमता लगभग समाप्त हो गयी है। प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी का नाम गोदावरी नदी है जो पश्चिमी घाट के नासिक पहाड़ियों में स्थित त्र्यंबक चोटी से निकलकर महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश मध्य प्रदेश में प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
दक्षिण की गंगा कहे जाने वाली कावेरी नदी भी प्रायद्वीपीय भारत के कर्नाटक राज्य के ब्रम्हगिरी स्थान से निकलती है। कावेरी नदी के मैदान को भारत के चावल का कटोरा भी कहते हैं। भारत का सबसे प्राचीन भूखंड होने के कारण यह अनेक खनिज संपदाओं से भरपूर है।