विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है? World Health Organisation Details in Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है? World Health Organisation and Its History, Function in Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) संयुक्त राष्ट्र के 16 विशिष्ट अभिकरणों (Specialised Agencies) में से एक है, जिसका प्रमुख उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य में प्रोन्नति लाना है। यह विश्व का स्वास्थ्य सम्बंधी अग्रणी संगठन है। इसकी नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्रयासों का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जन स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों के परिणामस्वरूप विश्व स्वास्थ्य स्तर में अत्यधिक सुधार आया है। इस संगठन में स्वास्थ्य के विस्तृत क्षेत्र के अंतर्गत गरीबी, रंग- भेद तथा पर्यावरण की गुणवत्ता आदि मुद्दे भी आते हैं, जो समय समय पर अनेक प्रकार के विवादों से भी घिरे देखे जाते हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य लोगों के जीवन- स्तर में सुधार कर उन्हें हर तरह की बीमारियों तथा गरीबी से दूर रखना तथा उन्हें विशिष्ट स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाना है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन क्या है? World Health Organisation – WHO and Its History, Function in Hindi

संगठन तथा इतिहास Organization and History

वर्ष 1945 में सैन फ्रांसिस्को (San Francisco) सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र (United Nation) के गठन के समय ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) के निर्माण की कल्पना कर ली गई थी।

वर्ष 1945 में, तीन भौतिकविद चीन की डॉ. ज़ेमंग ज़े, नॉर्वे के कार्ल एवंग तथा ब्राज़ील के गेराल्डो डी पाउलो सोयुज द्वारा समस्त विश्व की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक प्रमुख तथा केंद्रीय स्वास्थ्य संगठन की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया था।

इस प्रस्ताव के आधार पर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organization) की स्थापना 7 अप्रैल, 1948 को वास्तविक 61 सदस्य राष्ट्रों में से 26 सदस्य राष्ट्रों द्वारा दिये गए अनुसमर्थन (ratify) से की गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय जेनेवा, स्विट्ज़रलैण्ड (Geneva, Switzerland) में स्थित है, तथा इसके 6 क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं, जो हरारे (अफ्रीका), कोपेनहेगेन (यूरोप), नई दिल्ली (दक्षिण पूर्वी एशिया), वाशिंगटन डी सी (अमेरिका), कायरो (पूर्वी मेडिटेरेनियन) तथा मनीला (पश्चिमी पैसिफिक) क्षेत्रों में स्थित हैं।

इसका प्रशासन विश्व स्वास्थ्य सभा के सदस्यों की देख रेख में किया जाता है। यह सदस्य सभी (वर्ष 2005 तक के आंकड़ों के अनुसार) 192 सदस्य राष्ट्रों द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि ही होते हैं। विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा एक कार्यपालक दल का चुनाव किया जाता है, जिस दल में से ही एक व्यक्ति को संगठन के निदेशक (Director- General) के रूप में मनोनीत किया जाता है तथा सभा द्वारा उसका चुनाव अंतिम रूप से किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक का कार्य-काल कुल पांच वर्ष का होता है। 

वर्ष 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वास्तविक प्राथमिकताओं में मलेरिया (Malaria), मातृ तथा शिशु स्वास्थ्य (Mother and Child Health), ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis), यौन रोग (Venereal Disease), पोषण (nutrition) तथा पर्यावरणीय स्वच्छता (Environmental Sanitation) इत्यादि विषय सम्मिलित थे। इसके अलावा कुछ अतिरिक्त विषय जो संज्ञान में लिए गए थे, वे थे : जन स्वास्थ्य कल्याण प्रशासन, परजैविक तथा विषाणुजनित बीमारियां, तथा मानसिक स्वास्थ्य। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन उन सभी अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छता आयोगों के प्रयासों के परिणाम के रूप में सामने आया, जिन्हें 19वीं शताब्दी में संक्रामक रोगों की रोकथाम तथा उपचार हेतु बनाया गया था। जहाँ एक तरफ पूर्व में बनाये गए संगठनों का उद्देश्य किसी संक्रामक रोग को एक विशेष राष्ट्र अथवा क्षेत्र से बाहर रखना होता था, वहीं दूसरी तरफ विश्व स्वास्थ्य संगठन का उद्देश्य किसी संक्रामक बीमारी को जड़ से ख़त्म करना होता है, फिर चाहे वह विश्व के किसी भी राष्ट्र अथवा भाग में फैली हुई हो। 

21वीं शताब्दी के प्रारम्भ में, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमेरजेंसी टीम, जिसमे कि कुशल डॉक्टरों को शामिल किया गया होता है, को किसी नई संक्रमणशील बीमारी, जैसे कि श्वसन संबंधी रोग, फ्लू इत्यदि वाले क्षेत्र में उपचार हेतु भेजा गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने सदस्य राष्ट्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तथा केंद्रों आदि का निर्माण भी करवाता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यक्रम WHO Programs

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सुधार तथा पोषण स्तर में वृद्धि का प्रयास किया गया :

i) स्वास्थ्य- शिक्षा।

ii) भोजन, खाद्य- सुरक्षा एवं पोषण।

iii) स्वच्छ जल एवं आधारभूत स्वच्छता।

iv) टीकाकरण।

v) स्थानीय रोगों की रोकथाम तथा उपचार।

vi) सामान्य बीमारियों तथा घावों का इलाज।

vii) अनिवार्य दवाओं की उपलब्धता, इत्यादि।

ज़िम्मेदारी एवं कार्य Responsibility and Functions

विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिम्मेदारियों तथा कार्य के अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ करने में सरकारों की सहायता करना, प्रशासन तथा तकनीकी सुविधाओं को स्थापित एवं नियमित रूप से संचालित करना जैसे क़ि महामारी विज्ञान तथा सांख्यिकी विज्ञान के आंकड़ें तैयार करना, बीमारियों के पूरी तरह से खात्मे में सहायता करना, पोषण, स्वच्छता, कार्य परिस्थितियां आदि में सुधार करना।

इसके अलावा पर्यावरणीय स्वच्छता में सुधार करना, वैज्ञानिक तथा कुशल व्यक्ति समूहों के मध्य सहयोग स्थापित करवाना, स्वास्थ्य सुधार से सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों तथा समझौतों को प्रस्तावित करना, शोध- अनुसन्धान करना, भोजन तथा फार्मास्यूटिकल उत्पाद सम्बंधित अंतर्राष्ट्रीय मानकों का निर्धारण करना तथा स्वास्थ्य से जुड़े मामलों में लोगों को सूचित करना तथा जागरूक बनाना भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के कुछ अहम कार्य हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्य तीन विभिन्न तत्वों के द्वारा किये जाते हैं, जो हैं: विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) , कार्यपालक बोर्ड (Executive Board) तथा सचिवालय (Secretariat)। जिनमे से विश्व स्वास्थ्य सभा सबसे प्रमुख है, तथा प्रतिवर्ष अपने सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों के मध्य एक सम्मलेन का आयोजन करती है।

वास्तव में, विश्व स्वास्थ्य संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी संगठन है जो कि विश्व की स्वास्थ्य परिस्थितियों पर अपनी पैनी नज़र रखती है, तथा विभिन्न राष्ट्रों के स्वास्थ्य स्तर को ऊपर लेन के लिए प्रयास करती है, जिससे कि समस्त विश्व समुदाय की स्वास्थ्य दशाओं को बेहतर किया जा सके। 

उपलब्धियां तथा बाधाएं Accomplishments and Challenges

20वीं शताब्दी के अंत तक हुए अत्यधिक आर्थिक विकास तथा वैज्ञानिक उन्नति के फलस्वरूप वैश्विक स्वास्थ्य में असाधारण सुधार देखने को मिला। इस सुधार को लाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आधारभूत तथा केंद्रीय भूमिका निभाई गई।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अपनाई गई नीतियां तथा सदस्य राष्ट्रों में तकनीकी सहयोग आदि की मदद से यह सुधार मुमकिन हो सका। वर्ष 1955 की जीवन प्रत्याशा 48 से बढ़कर वर्ष 1985 तक आते आते 69 वर्ष तक पहुंच गई।

इसी दौरान शिशु मृत्यु दर प्रति हज़ार में 148 से घटकर 59 पर पहुँच गई। सबसे अधिक जनसंख्या वाले राष्ट्रों में जनसंख्या वृद्धि दर आश्चर्यजनक रूप से कम हुई। चेचक जैसी प्राचीन, घातक बीमारी का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया।

आज पोलियो बीमारी भी अपने खात्मे की कगार पर पहुँच चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोडीन युक्त नमक के प्रयोग की पहल द्वारा आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों को दूर किया गया, जो कि बच्चों की दृष्टि तथा मस्तिष्क में होने वाली अनेक प्रकार की बीमारियों का प्रमुख कारण था। 

अभी भी, विश्व के अनेक राष्ट्रों में गरीबी फैली हुई है। राष्ट्रों में स्वास्थ्य तथा धन के मध्य विषमता बढ़ती ही जा रही है। 10 करोड़ से भी अधिक लोग आज भी आधुनिक चिकित्सकीय विज्ञान के प्रभावों तथा लाभों से वंचित हैं। 

विश्व में प्रति पांच में से एक व्यक्ति के पास उचित स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नही है। अधिकांशतः विकासशील राष्ट्रों में, संक्रामक बीमारी की चपेट में आकर 1.30 करोड़ लोगों की मृत्यु हो जाती है। विश्व में 70 प्रतिशत महिलाएं गरीबी से जूझ रही हैं। विश्व के सबसे गरीब राष्ट्र में एक बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री के मरने की सम्भावना किसी सम्पन्न राष्ट्र में जन्म देती स्त्री के स्वास्थ्य की तुलना में 500 गुना अधिक होती है। 

अत्यधिक उपभोग तथा प्रदूषण फैलाने की प्रवृत्तियों के कारण समस्त विश्व जलवायु- परिवर्तन के संकट से जूझ रहा है। जिसका पर्यावरण तथा मनुष्य के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

बाजार तथा व्यापार के वैश्वीकरण के कारण तंबाकू, शराब तथा अन्य वसायुक्त उत्पादों के उपभोग में अत्यंत बढ़ोतरी हुई है, जिसके कारण लोगों की दिनचर्या पर विपरीत प्रभाव पड़ा है।

वर्ष 1978 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) तथा यूनिसेफ (UNICEF) द्वारा संयुक्त रूप से एल्मा- एटा (Alma- Ata) में प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा (Primary Health Care) पर एक ऐतिहासिक सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमे अंतर्राष्ट्रीय विकास समुदाय (international development community) द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा (PHC) को वर्ष 2000 तक ‘सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य’ (Health for All) को प्राप्त करने की कुंजी के रूप में स्वीकार किया।

जब भी तकनीकी सहयोग अथवा सामंजस्य की बात आती है, तब वहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन अत्यंत कारगर एवं प्रभावी सिद्ध होता है। ऐसा तब हुआ था, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों के कारण ही विश्व से चेचक जैसी मामूली परंतु जानलेवा बीमारी को पूरी तरह से ख़त्म किया जा सका। अतः इस विश्व को स्वास्थ्य की दृष्टि से, रहने के लिए एक बेहतर स्थान विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रयासों के फलस्वरूप ही बनाया जा सका है।

WHO की Official Website –
https://www.who.int/countries/ind/en/

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