युद्ध के लाभ और हानि निबंध Yuddh ke Labh aur Hani

युद्ध के लाभ और हानि निबंध Yuddh ke Labh aur Hani

युद्ध क्या है ? –  युद्ध एक लम्बे समय तक चलने वाली लड़ाई है। जो सामान्यतः दो देशों के बीच झगड़ों के कारण युद्ध का रूप ले लेती है जिसमें विभिन्न तरह के हथियार उपयोग में लिए जाते हैं। जिसमें कई लोगों की जान जाती है और चीज़ों का नुक्सान होता है।

युद्ध से सिर्फ लोगों के प्रति हिंसा फैलती है। युद्ध के अध्ययन को पोलमोलोजी कहा जाता है। लोगों में मानवता होती है लेकिन लोगों में मानवता के गुणों का आभाव हो जाये या सही समझ न हो या परस्पर ख़ुशी न देखी जा सके तब यह युद्ध का रूप धारण कर लेती है।

इतिहास या शास्त्रों के पन्नो को पलट कर देखे तो हम यही पाएंगे कि सिर्फ अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए कितने युद्ध हुए हैं। मुग़ल शासन काल, ब्रिटिश शासन काल, विश्व युद्ध, महाभारत का युद्ध आदि सब यही बताते हैं।

कहीं- कहीं तो इन युद्धों के लाभ हुए लेकिन इससे हानियां भी बहुत हुई हैं। लेकिन जब – जब युद्ध का ऐलान हुआ है तब – तब मानवता को नुकसान पहुंचा है। आइये हम आपको युद्ध से होने वाले लाभों और हानियों से अवगत कराते हैं।

युद्ध के लाभ और हानि निबंध Yuddh ke Labh aur Hani

युद्ध से लाभ

युद्ध के लाभों की अगर बात करें तो लाभ कम नज़र आते हैं। भला बार-बार आक्रमण करके दोनों पक्षों को ही लाभ नहीं मिलता और यह लड़ाई काफी लम्बी चलती रहती है। दोनों पक्षों को लगता है कि वे जीत जायेंगे। लेकिन शान्ति तब भी नहीं होती है।

बदले की भावना से लोग अराजकताएँ फ़ैलाने लगते हैं। लेकिन अगर हम इस दृष्टि से बात करें कि कोई देश लोगों पर अत्याचार करे, गुलाम बनाकर उनका शोषण करे तब उस स्थिति में कभी न कभी युद्ध जायज़ है। प्राचीन काल के समय से ही युद्ध होते आ रहे हैं। महाभारत का हम उदहारण ले सकते हैं।

सुख – दुःखे समे क्रत्वा लाभा – लासौ जयाजयौ I

ततो युध्याय् युज्यस्व नैवं पापमवापस्यसि II

अर्थात् सुख – दुःख, लाभ – हानि, जय – पराजय को सामान दृष्टि से देखते हुए तैयार हो जाओ। यदि इस प्रकार के निश्चय के साथ लड़ोगे तो किसी भी प्रकार का पाप नहीं लगेगा। अंग्रेजी में भी कहा गया है कि everything is fair in love and war अर्थात प्यार और युद्ध में सब सही है।

अपने देश के हित में युद्ध जीतने के लिए अगर किसी को मारना पड़े तो यह अधर्म नहीं कहलाता। लेकिन हरे क्षेत्र, जीवों, खेतों को नुकसान पहुँचाना अधर्म और अन्याय है। ऐसा कहा गया है कि युद्ध में सबल को मारना वीरता का कृत्य माना गया है लेकिन सोते हुए व्यक्ति को मारना, निर्बल की हत्या करना आदि ये सब अपराध माने  जाते हैं।

लेकिन जब बात अपने देश की रक्षा की आती है तो युद्ध जायज़ है। युद्धों के द्वारा ही हमे अंग्रेजी हुकूमत से छुटकारा मिला। नहीं तो हम अभी अंग्रेजो की गुलामी कर रहे होते। शायद अभी तक लगान ही भर रहे होते।

युद्ध से हानियां

अब अगर हम युद्ध से होने वाले नुक्सान की बात करें तो इसके बहुत से नुक्सान हैं। मार – काट होना, लोगों में द्वेष होना, अन्य राज्यों या देशों के लिए बुरी छवि बनना, आम लोगों के मन में भय बैठना, परिवारों का बिखरना, अराजकताएँ फैलना, विस्फोटक पदार्थों से पर्यावण को नुक्सान होना आदि।

युद्ध के कारण कई बेकसूरों की जान भी जाती है। इसके साथ ही साथ धन की भी हानि होती है। युद्धों के कारण सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही साथ व्यापार और उद्योगों को भी हानि होती है। प्रथम विश्व युद्ध (1914 – 1918) और द्वितीय विश्व युद्ध (1939 – 1945)  इसका उदहारण है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग 60 मिलियन लोग मारे गए थे। जिनमे 40 मिलियन सिविलियन थे। विस्फोटक पदार्थों से सब कुछ ध्वस्त कर दिया जाता है। कई तरह की बीमारियां फैलती हैं। पर्यावरण प्रदूषित होता है। युद्ध के कारण लोगों का लोगों के प्रति विश्वास ख़तम हो जाता है। लोगों का धर्मों से विश्वास उठ जाता है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम गिराए गए थे। जिससे न जाने कितने लोगों की जाने गयीं और कई पीढ़ियों तक लोगों पर इसका प्रभाव रहा। अब न जाने कितने गुना शक्ति के हाइड्रोजन बम तैयार किये जा चुके हैं। जिनके सोचने मात्र से ही पूरी धरती संकट में नजर आती है।

अगर इस तरह की स्थिति आ गयी तो समझो भयावह प्रलय आ जायेगा और मानवता का नामो निशान तक नहीं रहेगा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रूस की अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा था। किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कुछ न कुछ गवाना पड़ता है। लेकिन युद्ध से होने वाले नुकसान की भरपाई होना मुश्किल होता है।

विद्वानों के अनुसार जब तक पृथ्वी पर मानव है तब तक किसी न किसी रूप में युद्ध होता ही रहेगा। अभी तक के इतिहास में कोई भी ऐसा युग नहीं बचा  होगा जिसमें युद्ध न हुआ हो। अतः इस तरह की स्थितियों से कैसे छुटकारा पाया जाये यह विचारणीय है।

कोई भी राष्ट्र आपसी लड़ाई – झगड़ों से समृद्ध नहीं हो सकता और न ही अपनत्व का विकास हो पाता है। कोई भी राष्ट्र साथ में रहने से सुदृढ़ बनता है न कि आपसी टकराव से। पराक्रम और शौर्य का उपयोग देश को सुदृढ़ बनाने के लिए करना चाहिए नाकि हिंसा फ़ैलाने में।

युद्ध होने से केवल मानवता ख़त्म होती है और प्रकृति में उपस्थित इसकी जितनी भी अवस्थाएं हैं सभी को नुक्सान पहुँचता है। तो हम सभी का पहला कर्तव्य है कि जहाँ तक हो सके मानवता फैलाएं, मानवीय पूर्ण आचरण करें। वास्तव में आज के समय में लोगों को एक मानव बनने की आवश्यकता है। अगर आने वाले समय को सुरक्षित रखना है तो इसके लिए कोई न कोई नीति बनानी होगी।

लोगों में सही समझ होना बहुत जरुरी है। क्योंकि किसी भी समस्या का हल बार – बार लड़ाई करके, बार – बार बदला लेने से नहीं होगा। अगर एक पक्ष खुश रहना चाहता है तो उसे समझना चाहिए की वह दूसरे पक्ष को भी खुश रखे। आपसी ख़ुशी से ही मानवता का विकास होगा और एक बेहतरीन संसार का निर्माण होगा और तब हम कह पाएंगे कि हम सभी इसी वर्ल्ड फैमिली के सदस्य हैं।

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