आज के इस लेख में हमने पारसी धर्म पर निबंध प्रस्तुत किया है. Essay on Zoroastrianism in Hindi – Parsi Dharm, साथ ही इसके ग्रन्थ, प्रमुख विचार, कर्तव्यों और नियमों के विषय में बताया है।
पारसी धर्म पर निबंध Essay on Zoroastrianism in Hindi – Parsi Dharm
पारसी धर्म का इतिहास History of Zoroastrianism
पारसी धर्म दुनिया के प्राचीनतम धर्मों में से एक है। इसे जोरोस्ट्रियनिस्म नाम से भी जाना जाता है। इस धर्म की स्थापना जराथूस्त्र या जोरोस्टर के द्वारा ईरान में छठी शताब्दी में हुई थी। ईरान में एक परसिया स्थान है जिसके आधार पर पारसी धर्म का नाम रखा गया।
इस्लाम धर्म, पारसी धर्म द्वारा संपन्न माना जाता है। ये दोनों एक जैसे से ही हैं। दोनों धर्मों में ही पैगम्बर को ईश्वर का दूत माना गया है। पारसी धर्म में लोग अहूर मज़्दा की आराधना करते हैं। इस धर्म का प्रमुख ग्रन्थ ‘अवेस्ता’ या गाथा है। इस ग्रन्थ में अहुरमज्दा को आराध्य माना गया है।
जराथ्रूस्त्र ने एक ही ईश्वर की आराधना करने को सही माना है। ये अनेक ईश्वर और मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते हैं। इनका ग्रन्थ ‘अवेस्ता’ के यस्न भाग में दो शक्तियों के बारे में बताया गया है।
अहूर मज़्दा और अंगिरा मैन्यु ये दोनों इस धर्म के देवता हैं जो अच्छाई और बुराई का प्रतिनिधित्व करते हैं। अहूर मज़्दा को दीप्तिमान, सृष्टा, तेजस्वी और महान कहा गया है और अंगिरा मैन्यू को नकारात्मक और विनाशक शक्तियों का स्वामी कहा गया है।
जराथ्रूस्त्र का परिचय Introduction to Jarathustra
पारसी धर्म में अहूर मज़्दा को ईश्वर माना गया है और जराथ्रूस्त्र को पैगम्बर। इस धर्म का संस्थापक ज़राथ्रूस्त्र को ही माना गया है। इनके जन्म व मृत्यु विवादास्पद है। अहूर मज़्दा ने स्वयं जराथ्रूस्त्र को ईश्वरीय सन्देश लोगों तक पहुंचाने के लिए चुना था।
जराथ्रूस्त्र ने लोगों को बताया कि एक ही ईश्वर की उपासना करो। अहूर मज़्दा हमारे ईश्वर हैं अर्थात हमें उन्ही में आस्था रखनी चाहिए। ईश्वर के फ़रिश्ते इन्हे लेने आया करते थे व अहूर मज़्दा इन्हे ज्ञान दिया करते थे और फिर ज़राथ्रूस्त्र लोगों तक सन्देश पहुँचाया करते थे।
पारसी धर्म का ग्रन्थ Avesta – The Holy Zoroastrianism Book
पारसी धर्म का प्रसिद्ध ग्रन्थ अवेस्ता है। यह जेन्द भाषा में लिखित है। पारसी धर्म ने इसमें लिखी हुई बातों को अनुसरण किया है। इसमें लिखी हुई भाषा संस्कृत से मिली जुली है। इस ग्रन्थ को पांच भागों में बांटा गया है – यस्न, वेंदीदाद, विस्पेरद, यश्त, खोर्द अवेस्ता।
1. यस्न – यस्न अवेस्ता का प्रमुख भाग है। इसमें कुस्ती अर्थात धागा धारण किया जाता है। धागे को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें यज्ञ और पूजा इत्यादि की जाती है।
2. वेंदीदाद – इसमें शुद्धि के बारे में बताया गया है व शत्रुओं के संहार का निधान बताया है।
3. विस्पेरद – इसमें कर्मकाण्डों के बारे में बताया गया है।
4. यश्त – इसमें कई सारे मन्त्र हैं और देवताओं की स्तुति का गान किया गया है।
5. खोर्द अवेस्ता – इसमें स्तुति और उपासना को निहित बताया गया है।
पारसी धर्म के मुख्य विचार The main ideas and thoughts of Zoroastrianism
पारसी धर्म के मुख्य विचार-
1. यह एकेश्वरवादी धर्म है।
2. अग्नि को ईश्वर का प्रतीक समझा गया है और उनकी पूजा की जाती है।
3. इस धर्म के अनुसार ईश्वर ने मनुष्य बनाया है।
4. मनुष्य अपने कर्मों के लिए स्वयं उत्तरदायी होगा।
5. ईश्वर ने मनुष्य की रचना सुख की प्राप्ति के लिए की है, यदि मनुष्य भगवान द्वारा बताये गए मार्ग पर चले तो प्रकृति के पास सुख देने की क्षमता है।
6. मनुष्य, आत्मा और शरीर से मिल कर बना है।
7. एक धारणा के अनुसार अहुर मज़्दा ने मनुष्य की रचना इसीलिए की थी कि वह जराथ्रूस्त्र द्वारा बताये गयी बतों को माने, प्रकृति के नियम को समझे।
मोक्ष सिद्धांत – पारसी धर्म में तीन सिद्धांत बताये गए हैं, जिससे मनुष्य दुःख से मुक्ति पा सके और सही मार्ग पर चल सके।
- अहुर मज़्दा को भगवान के रूप में मानना।
- आत्मा में विश्वास रखना कि वह अमर है।
- मनुष्य अपने कर्मों का स्वयं भागीदार होगा।
इस धर्म में आने वाले समय पर ध्यान दिया जाता है। मृत्यु के पश्चात तीन दिन तक आत्मा शरीर के आस – पास रहती है फिर चौथे दिन उसका संसार से नाता टूट जाता है।
फिर आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार फल मिलता है। अवेस्ता में कहा गया है कि “प्रत्येक व्यक्ति अपने शुभ – अशुभ कर्मों का भार स्वयं ढोता है तथा कर्मों के अनुसार स्वर्ग और नरक की प्राप्ति करता है। “
ज्ञान, भक्ति और कर्म को अवेस्ता में मुक्ति का साधन बताया गया है। जराथ्रूस्त्र के अनुसार एक ही ईश्वर की उपासना करना चाहिए। अहुर मज़्दा भगवान को मानना चाहिए, उनकी आराधना करनी चाहिए। यही मोक्ष को देने वाला है।
मूर्ति पूजा को व्यर्थ बताया गया है। इस धर्म के अनुसार मनुष्य के आचार – विचार में दया होनी चाहिए, सत्यता होनी चाहिए, गौ रक्षा, शुद्धता और क्षमा आदि होना चाहिए। बंजर भूमि को उपजाऊ बनाना, निर्जल स्थान पर जल का प्रबंध कराना आदि कार्य बताये गए हैं।
आचार-विचार के तीन भाग Three parts of Parsi ethics
आचार-विचार को तीन भागों में बांटा गया है –
- हुमत्त – इसका मतलब उत्तम विचार से है।
- हुरणत – इसका मतलब उत्तम वचन से है।
- हुकश्त – इससे तात्पर्य अच्छे कार्य से है।
ये तीनों आचार – विचार स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति के लिए हैं। अवेस्ता में बताया गया है कि मैं नेकी के पथ पर चलता रहूं और ईश्वर की आराधना करते हुए स्वर्ग की प्राप्ति करूँ।
इस धर्म में अग्नि, जल और भूमि को पवित्र माना गया है। इसमें पुण्य को एकत्रित करने के लिए कहा गया,इसके बिना ईश्वर के दर्शन नहीं होंगे और न ही मोक्ष प्राप्त होगा।
मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्तव्य Duty to beatification
मोक्ष प्राप्ति के लिए जरूरी कर्तव्य –
- एक ईश्वर में विश्वास रखना
- देवताओं का ज्ञान होना
- पुनर्जन्म में विश्वास रखना
- आत्मा का अमृतत्व
- मृत्यु के बाद जीवन है
इस धर्म में दान पर विशेष महत्त्व दिया गया है। नैतिक जीवन जीते हुए, अच्छे कार्य करते हुए सत्य की प्राप्ति ही पारसी धर्म है।
अवेस्ता के कुछ नियम Some rules of Avesta
अवेस्ता में कुछ नियम बताये गए हैं –
1. धैर्य धारण करने में प्रयत्नशील रहना
2. हमेशा के लिए शांति और ईश्वरीय आनंद की प्राप्ति
3. एक ही ईश्वर की आराधना
4. दृढ़ होकर निष्ठा के साथ कार्य करना
5. मन शुद्धि का विकास करना
6. धर्म के अनुसार वाणी, विचार और कर्म का पालन करना
पारसी धर्म को एक पवित्र धर्म के रूप में जाना जाता है। इस धर्म के अनुसार व्यक्ति को व्यर्थ नहीं भटकना चाहिए बल्कि ईश्वर में विश्वास रखना चाहिए।
इस धर्म के कुछ प्रमुख त्योहार भी हैं – नौरोज़, पपेटी, फ्रावार देगन, खोरदादसाल, गहम्बर्स आदि। वास्तव में यह धर्म प्राचीन होने के साथ ही साथ कल्याणकारी भी है।