आज हम इस लेख में बिंदुसार का इतिहास व जीवनी Bindusar History in Hindi के विषय में आपको बताएँगे।
कौन थे बिंदुसार?
Contents
बिंदुसार, चन्द्र गुप्त मौर्य के पुत्र थे। बिंदुसार ने अपने पिता की म्रत्यु के बाद राज गद्दी संभाली 278 से 298 ईसा पूर्व में ये शासन में आये। तब यूनानी लेखकों ने उनका नाम अमित्रोचेट्स रखा जिसका अर्थ है दुश्मनों को विनाश करने वाला, जैन धर्म के लोगों ने उनका नाम सिन्ह्सेन कहा गया बिंदुसार ने अपने पिता के बनाये हुये राज्य को बहुत अच्छी तरह चलाया।
दिव्यदान में बताया कि उनकी माँ का नाम दुर्धरा था। बिंदुसार के समय तक्सिला में विद्रोह हुआ था उस विद्रोह के संघर्ष को कम करने के लिये उसने अपने पुत्र अशोक को भेजा था। अशोक ने इस विद्रोह को दवा दिया और बिंदुसार ने अपने पिता की तरह ही साम्राज्य को प्रान्तों में बिभक्त किया। अशोक को अवंतिका उपराजा नियुक्त किया गया था।
दुसरे राज्यों और देशों के साथ संबंध
बिंदुसार के समय भी चन्द्रगुप्त के समक्ष पश्चिमी भारत ने यूनानी राज्यों से उसने मित्र पूर्ण व्यवहार रखे। सीरिया के राजा एंटीयोकस प्रथम ने अपना डायोनियस नामक राजदूत बिंदुसार के दरवार में भेजा। मिस्र के राजा टोलमी द्वितीय ने डायोनियस को अपना राजदूत बनाकर मौर्य के दरवार में भेजा था एथिनियस नामक एक यूनानी लेखक ने बिंदुसार और सीरिया के बीच में मित्रतापूर्ण व्यवहार की जानकारी दी है उनका कहना था, कि सीरिया नरेश से उन्होंने तीन वस्तुओं की मांग की थी।
मीठी मदिरा, सूखी अंजीर, दार्शनिक सीरिया के शासन ने मीठी मदिरा, सूखी अंजीर तो भेज दी पर दार्शनिक नहीं भेजा। सीरिया के नरेश से यह भी बता दिया कि यहाँ दार्शनिक का बिक्रय नहीं होता है। यह यहाँ के कानून के खिलाफ है। बिंदुसार के शासन चलाने में खाल्लावाट उनके मंत्री परिषद् में उनकी सहायता की। खाल्लावाट एक विद्वान् था।
चाणक्य उस समय मौजूद था पर वह अपनी अलग कुटिया में रहता था जो कि महल से कुछ दूरी पर बनी थी। इस समय खाल्लावाट और चाणक्य के सदियंत्रों का दौर चला लेकिन चाणक्य के उपर कोई जिम्मेदारी नहीं थी पर फिर भी चाणक्य ने राज्य की रक्षा के अपने वचन को निभाया।
बिंदुसार ने 25 वर्षों तक शासन किया और 273 ईसवी तक राज्य करने के बाद उसका निधन हो गया वह ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था।बिंदुसार, चन्द्र गुप्त मौर्य के समान ही वीर और साहसी नहीं था फिर भी उसने मगध साम्राज्य की अखंडता को बनाये रखा पुराणों में बताया गया है, कि बिंदुसार के माथे पर काले रंग का निशान बचपन से ही था।
चाणक्य
माना जाता है कि चन्द्र गुप्त मौर्य को बचपन से ही चाणक्य के निर्देशन में हल्का हल्का ज़हर दिया जाने लगा था और इसीलिए वह इतना ज़हरीला इंसान बन गया। हालाँकि यह उसकी सुरक्षा के लिये किया जा रहा था क्योंकि उस समय राजा को मारने के लिये दुश्मन की जगह विष कन्या का प्रयोग करते थे।
इससे चन्द्रगुप्त मौर्य पर किसी विष कन्या का असर नहीं हो ऐसा इसीलिए किया जाता था उसके पश्चात उसकी कोई संतान नहीं हो रही थी तो चाणक्य ने अपनी विद्या एवं दवाओं से उसके शरीर के विष को दूर किया। तब बिंदुसार का जन्म हुआ लेकिन ज़हर की अधिकता के कारण उसके माथे पर काला निशान बन गया और उसके जन्म के समय उसकी माता की मृत्यु हो गयी थी यह बात कहाँ तक सत्य है यह बात तो इतिहास के गर्भ में छिपी है।
चंद्रगुप्त-बिंदुसार के पिता और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक ने पहले ही उत्तरी भारत पर विजय प्राप्त कर ली थी। बिंदुसार का अभियान कर्नाटक के करीब पहुंच गया था, शायद इसलिये क्यों कि चोल, पांड्य और चेरस जैसे अति दक्षिण के प्रदेशों का मौर्यों के साथ अच्छे संबंध थे। बिंदुसार की मृत्यु के बाद, उनके बेटे उत्तराधिकार के युद्ध में लगे रहे, जिससे अशोक कई वर्षों के संघर्ष के बाद विजयी हुए।
पूर्व पठार और पश्चिम में घाटों से घिरा हुआ है, जो पठार के दक्षिणी सिरे पर मिलते हैं। इसका उत्तरी छोर सतपुड़ा रेंज है। डेक्कन की औसत ऊंचाई लगभग 2,000 फीट (600 मीटर) है, जो आमतौर पर पूर्व की ओर ढलान वाली है। इसकी प्रमुख नदियाँ – गोदावरी, कृष्णा, और कावेरी (कावेरी) – पश्चिमी घाट से पूर्व की ओर बंगाल की खाड़ी में बहती हैं। पठारों पर पठार की जलवायु शुष्क है और स्थानों पर शुष्क है।
बिंदुसार के परिवार के सदस्य
अशोक पर एक किताब लिखी गयी थी जिसका नाम “अशोकवदान” था इस किताब के अनुसार बिंदुसार के तीन पुत्र थे। उनके पुत्रों का नाम अशोक, सुशीम और विगताशोका थे। अशोक और विगताशोका, बिंदुसार की दूसरी पत्नी सुभाद्रंगी के पुत्र थे, जो कि एक ब्राह्मण परिवार की पुत्री थी।
बिंदुसार के पिता ने बुद्ध धर्म अपनाया और बुद्ध लोगों के जो धर्म ग्रन्थ सामंतापसादिका और महावंसा में बिंदुसार ने हिन्दू धर्म (ब्राहमण) को अपनाया था। इसलिये उन्हें “ब्राहमाण भट्टो” भी कहा गया हैं। जिसका अर्थ होता हैं ब्राहमणों की विजय।
बिंदुसार के धर्म के विषय में विवाद
बिंदुसार के धर्म के बारे में विवाद हैं क्योंकि बिंदुसार के पिताजी चन्द्रगुप्त ने अपनी म्रृत्यु से पहले जैन धर्मं अपना लिया था। वहीँ अशोक ने बोद्ध धर्मं अपनाया था।
बिंदुसार के संघर्ष
इतिहास के अन्य राजाओं को देखा जाये तो बिंदुसार अन्य मौर्यों राजाओं की तुलना में कुछ कम आक्रामक थे। लेकिन उन्होंने अपनी जिन्दगी में कई विद्रोहों का सामना किया। इनमें सबसे अहम पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय था।
उनके शासनकाल में दो बार पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में उनके खिलाफ विद्रोह हुये। पहली बार सुशीम के अच्छे शासन न चलाने के कारण हुआ और दूसरे विद्रोह के कोई खास प्रमाण नहीं मिले है लेकिन माना जाता है कि दूसरे विद्रोह को अशोक ने आक्रामकता पूर्ण कुचल कर रख दिया था।
बिंदुसार ने अपने बड़े बेटे जिसका नाम सुशीम था उसको अपनी राजगद्दी का राज्य के लायक बनाया, लेकिन अशोक ने अपने अन्य भाइयों को मार दिया और राजगद्दी पर कब्ज़ा कर लिया।