इस लेख में हम आपको भारतीय वाद्य यंत्रों की जानकारी Indian musical instruments in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
भारतीय वाद्य यंत्रों की जानकारी Indian musical instruments
भारतीय वाद्य यंत्रों की सूची Indian musical instruments list
क्रम संख्या | Hindi name | English name |
1 | गिटार | Guitar |
2 | सितार | Sitar |
3 | पियानो | Piano |
4 | सरोद | sarod |
5 | शहनाई | Clarionet |
6 | तुरही | Clarion |
7 | नगाड़ा/ ढोल | Drum |
8 | हारमोनियम | Harmonium |
9 | ढोलक | Tomtom |
10 | शंख | Conch |
11 | बाँसुरी | Fluete |
12 | मशकबीन | Bagpipe |
13 | सारंगी | Harp |
14 | बैंजो | Banjo |
15 | सैक्सोफोन | Saxophone |
16 | वायलिन | Violin |
17 | घंटी | Bell |
18 | तबला | Tabor |
19 | सीटी | Whistle |
20 | वीणा | Harp |
वीणा
वीणा का प्रयोग शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। यह सबसे प्राचीन वाद्य यंत्र माना जाता है। वैदिक साहित्य में वीणा का उल्लेख कई जगह मिला है। सरस्वती और नारद मुनि के हाथ में वीणा वाद्य यंत्र सदैव रहता था। यह माना जाता है कि अमीर खुसरो ने सितार की रचना वीणा और बैंजो को मिलाकर की थी। इस वाद्य यंत्र में 4 तार होते हैं। रूद्र वीणा और विचित्र वीणा वीणा के ही दूसरे रूप हैं।
सितार
यह एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र माना जाता है। सितार को भारत का राष्ट्रीय वाद्य यंत्र भी कहते हैं। इस वाद्ययंत्र के द्वारा मन की भावनाओं को व्यक्त किया जाता है। हिंदू और मुसलमानों के वाद्य यंत्रों को मिलाकर सितार की रचना की गई है।
इसमें 1 से 5 तार हो सकते हैं। एक तार वाले सितार को “एकतारा”, दो तार वाले सितार को “दोतारा” इसी तरह 4 वाले सितार को “चहरतारा” और 5 तार वाले सितार को पचतारा कहते हैं।
तबला
तबला एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र है। भारत में यह बहुत मशहूर है। यह वाद्य यंत्र दो भागों में होता है दाहिना तबला जिसे दाहिने हाथ से बजाते हैं और बाया तबला जिसे बाएं हाथ से बजाते हैं। तबले का आविष्कार 13वीं शताब्दी में महान भारतीय कवि और संगीतज्ञ अमीर खुसरो ने पखावज के दो टुकड़े करके किया था।
तबला शीशम की लकड़ी से बनाया जाता है। इसे बजाने के लिए हथेली और उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। उस्ताद अल्लाह रखा खान, अहमद जान थिरकवा, उस्ताद जाकिर हुसैन, किशन महाराज प्रसिद्ध तबला वादक हैं।
ढोलक
ढोलक का नाम तो आपने सुना होगा। यह वाद्ययंत्र भारत के घर घर में है। शुभ अवसरों पर ढोलक बजाई जाती है। किसी परिवार में जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो खुशहाली मनाने के लिए ढोलक बजाई जाती है।
होली शादी जैसे अवसरों पर ढोलक का प्रयोग खूब होता है। शीशम सागौन आम जैसी लकड़ियों को अंदर से खोखला करके दोनों किनारों पर चमड़ा चढ़ा देते है। यह दोनों हाथों से बजाई जाती है।
मशकबीन
मशकबीन (बैगपाइप) का इस्तेमाल पाश्चात्य देशों में अधिक किया जाता है। इसकी धुन बहुत ही मधुर होती है। गणतंत्र दिवस समारोह में देश के जवान बैगपाइप को बजाकर मार्च करते है। सभी लोगों को इस वाद्य यंत्र की धुन पसंद आती है। इसकी धुन को सुनकर शाही एहसास होता है।
प्राचीन काल के राजा महाराजा अपने समारोह में इसका इस्तेमाल करते थे। इस वाद्ययंत्र का वजन 4 किलोग्राम के आस पास होता है। इसे बचाने के लिए बहुत शक्ति लगती है, इसलिए बजाने वाले व्यक्ति को पौष्टिक आहार खाना पड़ता है जिससे उसकी ताकत बनी रहे।
बाँसुरी
हमारे देश में बांसुरी एक लोकप्रिय वाद्य यंत्र है। मेलो बाजारों में भी कई बांसुरी बेचने वाले दिख जाते हैं। हिंदू धर्म में श्री कृष्ण भगवान भी बांसुरी बजाकर गोपियों को रिझाते थे। इसकी धुन अत्यंत मधुर होती है। यह बांस से बनाया जाता है।
बांसुरी में कुल 7 छेद बनाये जाते हैं। यह वाद्य यंत्र श्री कृष्ण भगवान का प्रिय वाद्य यंत्र था। इसे मुरली के नाम से भी जाना जाता है। हरिप्रसाद चौरसिया विश्व के प्रसिद्ध बांसुरी वादक हैं।
गिटार
यह वाद्य यंत्र भी आजकल काफी मशहूर हो गया है। गिटार का विकास सितार से हुआ है। यह हल्की लकड़ी का बना होता है। इसमें 6 तार होते हैं। उंगलियों से तारों को छेड़कर धुन निकाली जाती है। इसका प्रयोग एकल गायन के लिए किया जाता है। आजकल इलेक्ट्रॉनिक गिटार थी काफी लोकप्रिय हो गया है।
वायलिन
इस वाद्य यंत्र को बेला भी कहते हैं। विश्व भर में यह वाद्य यंत्र काफी प्रसिद्ध है। वायलिन का आविष्कार इटली में किया गया था।
पियानो
पियानो भी एक लोकप्रिय वाद्ययंत्र है। इसका आविष्कार 10 वीं शताब्दी में हुआ था। इसे महावाद्य भी कहते हैं। पियानो में कुल 88 स्वर होते हैं जो अष्टको में विभक्त होते हैं। 49 वा स्वर पिच ऐ कहलाता है जिसकी आवृति 440 प्रति सेकंड होती है। पियानो का प्रत्येक स्वर निश्चित होता है। प्रत्येक स्वर मूल स्वर और सन्नादी स्वरों के मेल से बनता है।
सैक्सोफोन
यह तांबे का बना वाद्य यंत्र है। इसे मुंह से बजाया जाता है। इसमें बहुत सी चाभियाँ लगी होती हैं जिसे बजाते वक्त दबाने से स्वर में भिन्नता आती है। सेक्सोफोन का आविष्कार बेल्जियन अडोल्फ़ सैक्स ने 1840 में किया था।
28 जून 1846 को उन्होंने इसका पेटेंट करवाया था। इस वाद्ययंत्र का इस्तेमाल शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। सेना के समारोहों, मार्चिंग बैंड और विजय संगीत में भी सेक्सोफोन का इस्तेमाल किया जाता है।
सारंगी
इसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत में अधिक किया जाता है। यह गायकी प्रधान वाद्य यंत्र है। इसे गाने के साथ बजाया जाता है। सारंगी का अर्थ है 100 रंगों वाला। इसका आविष्कार 18 वीं शताब्दी में किया गया था। राग ध्रुपद जैसे कठिन राग को सारंगी के साथ गाने पर बहुत सुंदर स्वर निकलता है।
सारंगी के स्वर को शांति का स्वर माना जाता है। इस वाद्य यंत्र को बजाना बहुत ही कठिन है। मुस्लिम शासन काल में सारंगी का इस्तेमाल दरबार के कार्यक्रमो में किया जाता था।
शहनाई
शहनाई भारत का एक प्रसिद्ध वाद्य यंत्र है। इसका इस्तेमाल शादी विवाह के शुभ अवसर पर किया जाता है। इसका इस्तेमाल शास्त्रीय संगीत में अधिक किया जाता है। शहनाई के अंदर से पाइप होती है जिसका एक सिरा पतला और दूसरा सिरा चौड़ा होता है। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां विश्व के सर्वश्रेष्ठ शहनाई वादक हैं।
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