काला पानी – सेल्यूलर जेल का इतिहास Kala Pani – Cellular Jail History in Hindi
काला पानी / सेल्यूलर जेल का इतिहास Kala Pani / Cellular Jail History in Hindi
काला पानी के नाम से कुख्यात सेल्युलर जेल पोर्ट ब्लेयर में है, पोर्ट ब्लेयर, अंडमान निकोबार की राजधानी है। ये जेल अंग्रेजों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कैद में रखने के लिए बनाई गई थी। अंग्रेज़ो को इस जेल को बनाने का ख्याल 1857 ई. के बिद्रोह में आया था।
काला पानी – सेल्यूलर जेल का इतिहास Kala Pani – Cellular Jail History in Hindi
इसका निर्माण और वास्तुकला
सेल्यूलर जेल का निर्माण 1896 ई. में आरंभ हुआ था और यह पूर्ण रूप से 1906 ई. में बनकर तैयार हुई थी। इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार के द्वारा कराया गया था, इसको बनाने की लागत लगभग पाँच लाख सत्रह हजार पाँच सौ तेरह रूपये थी।
सेल्युलर जेल काला पानी नामक जेल के नाम से कुख्यात है। इस जेल के अंदर 694 कोठरियाँ है इसमें जो कोठरी बनी है उसे सेल कहते है जिसका आकार 4.5 मीटर × 2.7 मीटर है। इन कोठरियों का बनाने का उद्देश कैदियों के आपसी मेलजोल को रोकना था जिससे वह एक जुट ना हो पाए और ना ही कोई रणनीति बना पाए।
इसकी बाहरी दिवार काफी छोटी है इसकी ऊँचाई लगभग तीन मीटर की है जिसको कूद कर कोई भी बाहर जा सकता है लेकिन ये सेलुलर जेल भारत की भूमि से बहुत दूर समुद्र में बनी है और उस दिवार को कूदने के बाद चारो तरफ सिर्फ पानी ही पानी है जिसे कोई पार नही सकता है। कारागार की इन कोठरियों के दीवारों के ऊपर वीर शहीदों के नाम लिखे हुए हैं।
इस कारागार में एक संग्रहालय भी है जिसमें अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर अत्याचार किया जाता था। इसके मुख्य भवन का निर्माण लाल ईटों से किया गया था जो बर्मा से लाया गया था जो कि अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है।
इस जेल का नाम सेल्युलर जेल इसलिए रखा गया क्योंकि इसका निर्माण ऑक्टोपस के आकार का कराया था। ऑक्टोपस एक समुद्री जीव है जो कि 8 पैर वाला होता है। इस जेल में सात खंड बनाए गए थे और इसका प्रत्येक खंड 3 मंजिल का था।
सातों खंडों के बीच एक बड़ा स्तम्भ लगाया गया था जहां से जेल के सभी कैदियों को एक साथ देखा जा सकता था और उनकी हरकत पर नजर रखा जा सकता था। इस स्तम्भ के ऊपर एक बहुत बड़ा घंटा लगा हुआ था जो कोई संभावित खतरा होने पर बजाया जाता था।
कला पानी की सजा और स्वतंत्रता सेनानी के साथ अत्याचार
जब हम स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं तब हमें काला पानी की सजा भी याद आ जाती है, यह एक ऐसी सजा है जो उस वक्त के लोगों के काला पानी नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते थे, हालांकि अब देश में काला पानी की सजा का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है।
इस सेल्युलर जेल को काला पानी की जेल इसलिए कहा जाने लगा क्योंकि ये जगह भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर दूर थी, यह क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में आता है , इस जेल में जिन कैदियों को रखा जाता था वह अलग-अलग रखा जाता था।
अंग्रेजों का अलग रखने का मकसद यह भी था कि सारे कैदी अलग रहेंगे तो वह कोई स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति नहीं बना पाएंगे और अकेलापन रहेगा तो वह अंदर से टूट जाएंगे और सरकार की बात उनको मजबूरन मानना ही पड़ेगा।
इस जेल में कैदियों के साथ बहुत ज्यादा अत्याचार किया जाता था इसमें सभी कैदी को रोजाना 30 पाउंड नारियल और सरसों को पेरना होता था जो ऐसा नहीं कर पाता था उसे बहुत ही बुरी तरह से पीटा जाता था और उसे बेड़ियों में जकड़ कर रखा जाता था।
सेल्युलर जेल में सजा काटने वाले कुछ बड़े कैदियों के नाम
क्रांतिकारी की सूची जिन्हें कालापानी की सजा हुई – डॉ. दीवान सिंह, योगेंद्र शुक्ला, वमन राव जोशी , गोपाल भाई परमानंद, बटुकेश्वर दत्त, विनायक दामोदर सावरकर, बाबूराव सावरकर, सोहन सिंह, मौलाना अहमदउल्ला, मौवली अब्दुल रहीम सादिकपुरी, मौलाना फजल-ए-हक खैराबादी आदि हैं।
यहां पर किन-किन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को रखा गया था? यहां कुल कितने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे यह आज तक अच्छी तरह से कोई नहीं जानता है और सेल्युलर जेल की दीवारों पर की गई चित्रकारी किस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने कि इसकी आज तक कोई जानकारी नहीं है।
भारत को आजादी मिलने के बाद दो और खंडों को तोड़ दिया गया अब इस समय सिर्फ तीन खंड और मध्य में टावर बचा हुआ है। सन 1963 में यहां गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल खोला गया जिसमें 500 बेड ( बिस्तर ) मरीजों के लिए लगाए गए हैं यहां पर तैनात 40 डॉक्टर वहां के निवासियों की सेवा करते थे।
सन 1969 में तीन खंडों और स्तम्भ को एक राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया था। 10 मार्च 2006 को सेल्युलर जेल का शताब्दी वर्ष समारोह मनाया गया था। शताब्दी वर्ष समारोह में यहां पर सजा काटने वाले सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को श्रद्धांजलि दी गई थी।
अब यह एक प्रकार का पर्यटन स्थान भी बन गया है इसको देखने के लिए लोग काफी दूर दूर से आते हैं। उनको जेल के अंदर आने के लिए , कैमरा आदि सामान अंदर लेकर जाने के लिए और सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कुछ पैसा देना पड़ता है।
Nice theory