अकबर का इतिहास व जीवन परिचय Akbar Life History in Hindi

इस लेख में आप अकबर का इतिहास व जीवन परिचय Akbar Life History in Hindi पढ़ेंगे। इसमें अकबर का जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, शासन, जोधबाई, मृत्यु जैसी कई जानकारियाँ दी गई है।

अकबर का इतिहास व जीवन परिचय Akbar Life History in Hindi

प्राचीन समय में भारत पर आक्रमण करने वाले आताताइयों की सूची बेहद लंबी है। जितने भी मुगल आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया है, उन्हें विशेषकर धार्मिक कट्टरता, विस्तार वाद और खून खराबा इत्यादि के लिए याद किया जाता है। 

लेकिन इतिहास में एक ऐसा भी मुगल बादशाह रहा है, जो अपने निरपेक्षता, बुद्धिमता और शानदार राजनितिक ज्ञान के लिए जाना जाता है। 

मुगल साम्राज्य का मुख्य संस्थापक जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर जो हिंदुस्तान के पूरे इतिहास में सबसे मजबूत और प्रभावशाली मुगल शासक माना जाता है। अकबर को कई नामों से बुलाया जाता था, जिनमें शहंशाह अकबर, अकबर- ए-आज़म और महाबली शहंशाह इत्यादि नाम मुख्य है।

भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर के बेटे नसीरुद्दीन हुमायूं का पुत्र अकबर था। इतिहासकारों के अनुसार अकबर तीसरा मुगल शासक था, जो तैमूर और मंगोल वंश से ताल्लुक रखता था। अकबर एक ऐसा इकलौता मुगल बादशाह था, जिसने हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों का दिल जीता था।

अकबर का जन्म और प्रारम्भिक जीवन Birth and Early Life of Akbar in Hindi

15 अक्टूबर 1542 में राणा अमरसाल जो कि एक बड़े राजपूत शासक थे उनके महल उमरकोट, सिंध में अकबर का जन्म हुआ था। अकबर के पिता हुमायूं और उसकी माता हमीदा बानो बेगम दोनों ही अलग-अलग संप्रदाय से थे।

अकबर का पितृ पक्ष तैमूर वंश और मातृ पक्ष मंगोल के कुख्यात शासक चंगेज खान के वंश से ताल्लुक रखता था। जब अकबर का जन्म हुआ था, तब उसके पिता और माता ने शेरशाह सूरी के बढ़ते खौफ़ के कारण उमेरकोट महल में शरण लिया था। 

एशिया के दो सबसे प्रमुख वंश तुर्क और मंगोलों का मिश्रित रक्त अकबर की धमनियों में दौड़ रहा था। वर्तमान मध्यप्रदेश के रीवां के एक छोटे से गांव मुकुंदपुर में अकबर का बचपन बीता। वहां के राजकुमार राम सिंह प्रथम जो आगे चलकर भविष्य में रीवा के राजा बने उससे अकबर की गहरी मित्रता हुई

आने वाले कुछ समय में कंधार के बाद 1545 के साल तक काबुल में अकबर का निवास रहा। बेहद छोटी उम्र में ही अकबर अन्य राजकुमारों के तुलना में अधिक फुर्तीला और समझदार था। 

कुश्ती, आखेट, दौड़, तलवारबाजी इत्यादि की कलाएं अकबर बहुत जल्दी सीखने लगा था। कम उम्र में ही युद्ध की कलाबाजीओं की कलाएं अकबर में विकसित होने लगी थी।

अकबर की शिक्षा Education of Akbar in Hindi

अकबर की जिज्ञासा और प्रयास ने उसे एक कुशल योद्धा तो बना दिया था, लेकिन शिक्षा को लेकर अकबर के जीवन में काफी अस्थिरताए आई थी। लगभग 8 वर्ष की उम्र तक अकबर को अक्षर ज्ञान भी नहीं हो पाया था, ईससे अकबर के पिता हुमायूं ने चिंतित होकर अपने पुत्र को शिक्षा दिलवाने के लिए कई व्यवस्थाएं की।

एक बार की बात है, जब हुमायूं ने काबुल में अकबर की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान देते हुए एक समारोह का आयोजन किया था। समारोह में मुल्ला जादा मुल्ला असमुद्दीन अब्राहिम को अकबर का शिक्षक चुना गया था।

लेकिन उसी दिन अकबर रास्ता भटक कर उस समारोह में नहीं पहुंच पाया इसके बाद वह समारोह कुछ दिन अधिक चलाया गया।

अकबर को तालीम देने में उसके पहले शिक्षक तो नाकामयाब रहे। जिसके बाद मौलाना बामजीद और बाद में मौलाना अब्दुल कादिर को अकबर का शिक्षक नियुक्त किया गया। लेकिन अकबर को तालीम देने में कोई भी सफल नहीं रहा। 

यह बात अलग है अकबर हमेशा नई चीजों को सीखने में उत्सुक रहता था, लेकिन उसे किताबी ज्ञान में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। घुड़सवारी, शिकार, कबूतर बाजी, संगीत इत्यादि में अकबर को बहुत रुचि थी, लेकिन शिक्षा में उसे जरा भी रुचि नहीं थी।

अकबर का राजतिलक Akbar’s Coronation in Hindi

जब दिल्ली पर शेरशाह सूरी का शासन था, तब सभी विपक्षी शक्तियां दिल्ली पर कब्जा करने की राह में बैठे थे। हुमायूं के लिए वह सुनहरा समय आया जब शेरशाह सूरी के ही पुत्र को शासक बनाने पर विवादों के कारण अराजकता के माहौल बन गए। 

सन 1555 में हुमायूं ने अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली पर आक्रमण कर दिया और शेरशाह सूरी के कमजोर पड़े साम्राज्य को तहस-नहस कर दिया।

अब हिंदुस्तान को नियंत्रित करने वाले स्थान दिल्ली पर हुमायूं का शासन हो गया। लेकिन कुछ सालों बाद मात्र 48 वर्ष की उम्र में हुमायूं के आकस्मक मृत्यु की वजह से दिल्ली की राजगद्दी खाली हो गई थी। यह घटना ऐसे समय में हुई जब अगले शासक अकबर की आयु राजगद्दी पर बैठने के लिए बहुत कम थी।

हुमायूं के बेहद करीबी संरक्षक बैरम खां ने कई सालों तक हुमायूं की मृत्यु की खबर महल से बाहर नहीं जाने दिया और लगातार अकबर को उत्तराधिकारी बनाने के लिए प्रशिक्षित करता रहा। 

14 फरवरी सन 1556 के दिन बैरम खां के संरक्षण में अकबर का राजतिलक संपन्न हुआ। 13 वर्ष की आयु में पंजाब के कलनौर में बड़े ही भव्य तरीके से अकबर का राजतिलक किया गया।

अकबर का प्रशासन Akbar’s Administration in Hindi

इसवी सन 1560 में जब अकबर अपने प्रशासन को संभालने में पूरी तरह से सक्षम हो गया तब उसने अपने सबसे खास सलाहकार और संरक्षक बैरम खां को गुप्त रूप से मरवा दिया।

सत्ता में सक्रिय रूप से आने के बाद बड़े ही कुशलता के साथ अकबर ने उदारवाद की नीति अपनाते हुए सभी हिंदू राजाओं को अपनी ओर आकर्षित किया।

अकबर यह बात भली-भांति जानता था, कि अब तक जितने भी मुगल शासक आए थे उन्होंने शस्त्रों के बल पर हिंदुस्तान को जीता था। 

लेकिन अकबर ने शस्त्र के साथ गैर मुसलमानों के विश्वास को जीतने के लिए 1563 में हिंदुओं के तीर्थ स्थलों पर लगे ‘जजिया कर’ को समाप्त करके एक बड़े भाग में शासन कर रहे राजपूत राजाओं को अपने क्षेत्र में मिला लिया।

धार्मिक सहिष्णुता का परिचय देते हुए अकबर ने अपना प्रशासन और मजबूत करने के लिए जबरन धर्म परिवर्तन और कई अनेकों प्रकार के कर जो हिंदुओं पर लगाए जाते थे, उन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप मुसलमान और गैर मुसलमान दोनों ही अकबर के प्रशासन को दिल से स्वीकार करते थे।

अकबर ने अपने प्रशासन में राजधानियों का स्थानांतरण भी किया था। जब पानीपत के द्वितीय युद्ध में हेमू की हत्या के बाद अकबर को दिल्ली का साम्राज्य वापस प्राप्त हुआ उसके बाद मालवा, गुजरात, कश्मीर, काबुल, बंगाल और खानदेश को 1601 आते- आते मुगल साम्राज्य के अंतर्गत ले लिया। 

अब प्रशासन का क्षेत्र विस्तृत हो चुका था, जिसके कारण अकबर ने पूरे हिंदुस्तान पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए दिल्ली से हटाकर आगरा के नजदीक फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बना लिया। 

फतेहपुर सीकरी को अपनी राजधानी बनाने के बाद अकबर ने यहां कई सुधार कार्य करवाएं। राजधानी स्थानांतरण करने का निर्णय अकबर को उचित नहीं लगा और कुछ सालों बाद ही उसने फतेहपुर सीकरी को राजधानी से हटा दिया। 

1599 में पुनः आगरा को राजधानी बनाने के पश्चात अकबर ने इसे एक नया नाम दिया अकबराबाद जो उस समय यमुना नदी के तट पर बसा सबसे बड़ा शहर माना जाता था।

अकबर की सफलता व राज्य विस्तार Success and Expansion of Akbar’s Kingdom in Hindi

पूरे हिंदुस्तान में मुगल साम्राज्य का विस्तार होने से सूरी वंश के शक्तिशाली राजा शेरशाह सूरी ने अपने प्रभाव से रोका था। 

लेकिन जब इस वंश में आपस में ही राज्य सिंहासन के लिए मतभेद होने लगा तब सारा साम्राज्य अलग-अलग टुकड़ों में बट गया। हुमायूं ने इसी बात का फायदा उठाकर हिंदुस्तान में सेना लेकर पहुंचा और दिल्ली पर कब्जा कर लिया।

यहीं से मुगल साम्राज्य का उदय पूरे हिंदुस्तान में होना प्रारंभ हो गया। अकबर मुगल काल का वो शक्तिशाली शासक था, जिसने शेरशाह सूरी को भी हरा दिया और अपने शत्रु की सूची एक-एक करके कम करते गया। 

अपनी परिपक्व नीतियों के चलते अकबर ने सामंतों की संख्या बढ़ाई और अधीन किए गए सभी राज्यों के लिए सामंती व्यवस्था के साथ राज्यपालों की नियुक्ति भी की।

अपने प्रशासन काल में अकबर यह भली-भांति समझ चुका था, कि सूरी वंश को खत्म किए बिना वह पूरे हिंदुस्तान पर फतह नहीं कर सकता। सिकंदर शाह सूरी भी उस समय का सबसे शक्तिशाली शासक था। सिकंदर शाह सूरी के प्रभाव को नष्ट करने के लिए अकबर ने पंजाब तक जाकर सूरी वंश पर हमला बोला। 

वहीं दूसरी तरफ हेमू विक्रमादित्य ने आगरा और दिल्ली पर अकबर के गैर मौजूदगी में आक्रमण करके अपना राज्य स्थापित कर लिया। अकबर को जब यह पता चला तो उसने फौरन ही परामर्श करने के पश्चात दिल्ली पर आक्रमण करने का मसौदा तैयार कर लिया। 

जब हेमू और अकबर की सेना आपस में भिड़ी तो यह युद्ध पानीपत के द्वितीय युद्ध के नाम से जाना गया। हेमू के मुकाबले अकबर की सेना बहुत छोटी थी, लेकिन उसके बावजूद भी अकबर ने अपने जबरदस्त दूरदृष्टि के बदौलत इस युद्ध को जीत लिया।

इतिहास गवाह है कि जिसने भी पानीपत के युद्ध को जीता है उसका साम्राज्य पूरे हिंदुस्तान में फैलना बेहद साधारण बात हो जाती है। अकबर के सापेक्ष में भी यही हुआ। पानीपत का द्वितीय युद्ध फतेह करने के पश्चात वह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर मुगल साम्राज्य का विस्तार करने लगा।

हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की भूमिका Role of Akbar in The Battle of Haldighati in Hindi

18 जून 1576 में लड़ा गया हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के बीच हुआ था। यह युद्ध इतिहास में होने वाले सबसे महत्वपूर्ण युद्ध में से एक था। जब अकबर का शासन पूरे हिंदुस्तान में फैल रहा था, लेकिन मेवाड़ ही एक ऐसी भूमि थी, जहां महाराणा प्रताप ने मुगलों की छाया तक नहीं पड़ने दी।

अकबर ने मेवाड़ को जीतने के लिए कई हथकंडे अपनाए लेकिन वह नाकामयाब रहा। फलस्वरुप हल्दीघाटी का युद्ध हुआ। लगभग 10000 सैनिकों, हाथी घोड़ों इत्यादि शस्त्र से सजग अकबर की सेनाएं आमेर के राजा मानसिंह के नेतृत्व में युद्ध में उतरी। 

वही सामने केवल 3000 घुड़सवार और मात्र 400 भील धनुर्धारियों के साथ महाराणा प्रताप ने राजस्थान के गोगुंदा के नजदीक हल्दीघाटी में मुगलों का सामना किया।

युद्ध में महाराणा प्रताप ने शक्तिशाली अकबर के विरुद्ध बेहद बहादुरी से युद्ध किया। लेकिन अंतिम में वे बहुत जख्मी हो गए जिसके कारण उन्हें युद्ध रण से अपने प्राण बचाकर किसी सुरक्षित जगह जाना पड़ा।

अकबर का निजी जीवन Akbars Personal Life in Hindi

अकबर ने अपने अधीन आए राजाओं की बहन बेटियों से शादियां करके अपने साम्राज्य को और भी मजबूत कर लिया था। ऐतिहासिक साक्ष्यों के मुताबिक सभी रानियों से उत्पन्न हुई संतानों की स्पष्ट जानकारी नहीं है। 

लेकिन अकबर की बेहद प्रिय पत्नी जोधा बाई जो मरियम उज़-ज़मानी के नाम से जानी गई, उनसे जो पुत्र हुआ उसका नाम जहांगीर रखा गया जो आगे चलकर अकबर का उत्तराधिकारी बनाया गया। 

अकबर की कुछ मुख्य पत्नियां ही इतिहास में पहचानी जाती है जिनमें- रुकैया सुल्तान बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम, मरियम-उज़-ज़मानी (जोधा बाई के नाम से प्रसिद्ध),भाकरी बेगम, गौहर-उन-निस्सा बेगम ,राज कंवारी, भानमती, नाथी बाई, क़सीमा बानो बेगम, बीबी दौलत शाद इत्यादि अकबर की मुख्य रानियां थी।

अकबर का साहित्य व कला में रुचि Interest of Akbar in Literature and Art in Hindi

मुगल काल में कला और साहित्य की एक नई शुरुआत की गई थी। अकबर जो एक महान मुगल सम्राट था, वह स्वयं साहित्य और कलाओं में बेहद रूचि रखता था। अकबर के समय में स्थापत्य कला का विकास हुआ।

अकबर के नौ रत्नों में से एक अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी नामक रचना में अकबर के सभी साहित्य व कला प्रेम को अंकित किया है। इसके अलावा अकबरनामा, तबकात-ए-अकबरी के साथ ही कई हिंदू ग्रंथों का पुनः अनुवाद भी विद्वानों द्वारा किया गया था। 

अकबर को भले ही अक्षर बोध नहीं हुआ, लेकिन वह एक से एक कलाकारों को अपने दरबार में स्थान देकर सम्मानित करता था। इसके अलावा संगीत में अकबर को बड़ी दिलचस्पी थी, जिसके लिए उसने मियां तानसेन को अपने दरबारी संगीतकार के रूप में रखा था। 

अकबर के शाही राज्य में कई नित्यकाराएं, संगीतकार इत्यादि अपनी कलाओं को प्रदर्शित करते थे। इससे यह पता लगता है कि अकबर एक कुशल योद्धा होने के साथ ही एक कला प्रेमी भी था।

जोधबाई और अकबर की कहानी Story of Jodha bai and Akbar in Hindi

आमेर के एक राजपूत शासक राजा भारमल की पुत्री जोधा बाई जो भारमल की सबसे बड़ी पुत्री थी, उनका विवाह बादशाह अकबर के साथ 1562 में हुआ था। कहा जाता है कि राजकुमारी जोधा बेहद गुणवती और खूबसूरत थी, जिसके कारण मुगल बादशाह अकबर उनकी सुंदरता पर कायल हो गए।

अकबर ने जोधा बाई से विवाह कर लिया जिसके पश्चात जोधाबाई का नाम पदलकर मरियम उज़-ज़मानी रखा गया। जोधाबाई और अकबर की कहानी बेहद मशहूर है। जब जोधाबाई का विवाह अकबर से संपन्न हुआ तो कुछ समय के अंदर ही वह अकबर की मुख्य पत्नी बन गई। 

सम्राट अकबर ने उन्हें मल्लिका-ए-मुएजम्मा, मल्लिका-ए-हिंदुस्तान जैसी कई प्रमुख उपाधिया प्रदान किया। अकबर ने मरियम-उज-ज़मानी को यह वचन दिया था, कि जो संतान उनके गर्भ से पैदा होगी वही आने वाले समय में अकबर का उत्तराधिकारी बनेगा। 

जोधा अकबर की प्रेम कहानियां बड़ी मशहूर है, जिनके ऊपर आज के समय में कई फिल्में और सीरियल भी बनाए जाते हैं।

अकबर के नवरत्न Akbars Navratnas in Hindi

अकबर ने भले ही शिक्षा प्राप्त न की हो लेकिन, उसे कलाकारों और बुद्धिजीवियों से बड़ा लगाव था, जिसके कारण उसने अपने दरबार में नौ ऐसे गुणवान दरबारियों को रखा था जो अलग-अलग क्षेत्रों में बेहद उत्कृष्ट थे।

अकबर के नवरत्न के नाम निम्नलिखित दिए गए हैं:

  • अबुल फजल 
  • फैजी 
  • मिंया तानसेन
  • राजा बीरबल
  • राजा टोडरमल
  • राजा मान सिंह
  • अब्दुल रहीम खान-ऐ-खाना
  • फकीर अजिओं-दिन 
  • मुल्लाह दो पिअज़ा

अकबर की मृत्यु Death of Akbar in Hindi

3 अक्टूबर 1605 में अकबर किसी बीमारी से पीड़ित हो गए, जिसके पश्चात उनका स्वास्थ्य कभी ठीक नहीं हो पाया। 27 अक्टूबर 1605 के दिन सम्राट अकबर की मृत्यु हो गई। 

जिसके पश्चात अकबर के शरीर को आगरा में सिकंदरा के मकबरे में दफनाया गया, जहां उनकी प्रिय बेगम मरियम-उज़-ज़मानी की कब्र मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर थी।

आशा करते हैं आपको अकबर का इतिहास व जीवन परिचय Akbar Life History and Biography in Hindi से पूर्ण जानकारी मिल पाई होगी।

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