भीष्म पितामह के बारे में 10 रोचक तथ्य Amazing Bhishma Pitamah Facts in Hindi

भीष्म पितामह के बारे में 10 रोचक तथ्य Amazing Bhishma Pitamah Facts in Hindi

भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्र हैं। वह गंगा और शांतनु के पुत्र थे। उनका असली नाम “देवव्रत” था। पिता के सुख के लिए भीष्म ने आजीवन अविवाहित रहने और ब्रहमर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी। इसी कारण उनका नाम “भीष्म” पड़ा था।

वे महाभारत के युद्ध में कौरवों की तरफ से लड़े थे। उनको इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। सूर्य के उत्तरायण होने पर भीष्म ने अपने प्राण त्यागे थे। ऐसा कहा जाता है कि उनकी मौत अर्जुन के द्वारा बाणों की वर्षा के 58 दिन बाद हुई थी।

वे चाहते तो बड़ी आसानी से हस्तिनापुर के राजा बन सकते थे, पर उन्होंने सारा जीवन हस्तिनापुर की राजगद्दी का संरक्षण किया। महाभारत के युद्ध में पांडव कभी भी कौरवों से जीत नही पाते क्योंकि उनके पास भीष्म जैसे महाबली योद्धा थे जिनको हरा पाना अर्जुन के लिए भी असंभव था।

पांडव खुद ही जाकर भीष्म से पूछने लगे कि उनको युद्ध में पराजित करें। भीष्म ने उत्तर दिया कि शिखंडी को युद्ध के समय उनके सामने कर देना। स्त्री होने के कारण मैं उस पर आक्रमण नहीं करूंगा। उस समय अर्जुन मुझ पर बाणों से प्रहार करें। इस तरह पांडव युद्ध में मुझे पराजित कर पायेगे।

भीष्म पितामह के बारे में 10 रोचक तथ्य Amazing Bhishma Pitamah Facts in Hindi

इस लेख में हम आपको भीष्म के बारे में 10 रोचक बातें बताएंगे-

  1. राजा शांतनु और गंगा के विवाह के बाद गंगा ने अपनी 7 संतानों को नदी में प्रवाहित कर दिया। गंगा ने राजा शांतनु से यह वचन लिया था कि वह कभी भी उनसे कोई प्रश्न नहीं करेंगे, परंतु जब आठवी संतान को गंगा नदी में प्रवाहित करने लगी तो राजा शांतनु क्रोधित होकर इसका कारण पूछने लगे। गंगा ने पूरा कारण बताया और आठवीं संतान को लेकर कहीं अज्ञात में चली गई। वह आठवीं संतान ही भीष्म पितामह थे।
  2. राजा शांतनु निषाद कन्या “सत्यवती” से दूसरा विवाह करना चाहते थे, परंतु सत्यवती ने यह वचन लिया था कि उसकी संतान ही आगे चलकर राजा बनेगी। इस बात से राजा शांतनु बहुत दुखी हो गए क्योंकि वे भीष्म को राजा बनाना चाहते थे। जब यह बात भीष्म को पता चली तो उन्होंने अपने पिता को वचन दिया कि वे सारा जीवन विवाहित रहेंगे और कभी शादी नहीं करेंगे। सत्यवती से उत्पन्न पुत्र ही राजगद्दी पर बैठेगा।
  3. विचित्रवीर्य के विवाह के लिए भीष्म पितामह ने काशीराज के 3 कन्याओं का बलपूर्वक अपहरण किया था। उनके युद्ध कौशल को देखकर सभी चकित रह गए थे।
  4. काशी नरेश की बड़ी पुत्री “अंबा” शाल्व से प्रेम करती थी, परंतु भीष्म ने उसका अपहरण कर लिया था। बाद में भीष्म ने अंबा को छोड़ दिया और वह शाल्व के पास वापस चली गई। परंतु शाल्व ने उसे स्वीकार नही किया। इस बात से अंबा बहुत दुखी हुई और उसने क्रोध में आकर भीष्म को श्राप दिया की उनकी मृत्यु का कारण एक “स्त्री” ही बनेगी। महाभारत के युद्ध में शिखंडी भीष्म के सामने आ गई जिस कारण उन्होंने युद्ध नहीं किया। इस मौके का फायदा उठाकर अर्जुन ने भीष्म पितामह पर बाणों की वर्षा कर दी। इस तरह भीष्म पितामह की मृत्यु का कारण एक स्त्री बनी थी।
  5. भीष्म ने परशुराम से 21 दिनों तक भयंकर युद्ध किया था। ऋषि मुनियों के समझाने पर परशुराम ने स्वयं ही लोक कल्याण के लिए युद्ध रोक दिया था।
  6. सत्यवती ने भीष्म से बार-बार कहा कि विवाह करके संतान पैदा कर लो परन्तु उन्होंने अविवाहित रहने की अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ी।
  7. भीष्म श्री कृष्ण के भक्त थे। युद्ध में जब श्री कृष्ण रथ का पहिया लेकर दौड़े तो भीष्म ने अपने सभी शस्त्र रख दिए थे। वे श्री कृष्ण के हाथों मृत्यु  पाना चाहते थे।
  8. महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने शस्त्र ग्रहण ना करने की प्रतिज्ञा की थी परंतु भीष्म ने कहा कि वह श्रीकृष्ण को किसी भी तरह शस्त्र ग्रहण करने के लिए मजबूर कर देंगे। युद्ध के दौरान भीष्म ने अर्जुन पर भयंकर बाणों की वर्षा की जिस कारण श्री कृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ी। उनको अर्जुन के जीवन की रक्षा करनी थी। विवश होकर श्री कृष्ण ने रथ का पहिया उठाकर अर्जुन की रक्षा की थी।
  9. मृत्यु के समय जब भीष्म को प्यास लगी तो उन्होंने अर्जुन की तरफ देखा। अर्जुन ने धनुष से पृथ्वी पर तीर मारकर जल की धारा निकाली जिसने भीष्म की प्यास बुझाई। उसके बाद उन्होंने प्राण त्यागे।
  10. भीष्म पितामह जब बाण सैया पर घायल पड़े थे तो कौरवों की तरफ से बहुत से चिकित्सक वहां आ गए। वे सभी भीष्म का इलाज करना चाहते थे, परंतु उन्हेंने कहा कि इन सभी चिकित्सकों की कोई आवश्यकता नहीं है। इन्हें पुरस्कार देकर विदा करो। मेरे स्वर्गवासी होने का समय आ गया है। भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर श्री कृष्ण की छवि को आंखों में बसाकर अपने प्राण त्यागे थे।

Featured Image Credit – Wikimedia (Ramanarayanadatta astri)

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