• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
1hindi.com new logo 350 90

1Hindi

Indias No. 1 Hindi Educational & Lifestyle Blog

  • Educational
    • Essay
    • Speech
    • Personality Development
    • Festivals
    • Tech
  • Biography
  • Business
  • Health
    • स्वस्थ भोजन
  • Quotes
  • Stories
  • About Me
Home » Biography » आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi

Last Modified: January 3, 2023 by बिजय कुमार Leave a Comment

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi

इस लेख में आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi हिन्दी में आप पढ़ सकते हैं। इसमें आप उनका परिचय, जन्म व प्रारंभिक जीवन, कार्य तथा स्त्रोतम, शिक्षाएं, किताबें, मृत्यु और केदारनाथ में उनकी समाधि के विषय में जानकारी दी गई है।

Table of Content

Toggle
  • आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi
  • आदि शंकराचार्य का जन्म व प्रारंभिक जीवन Adi Shankaracharya Birth & Early Life in Hindi
  • आदि शंकराचार्य के कार्य तथा स्त्रोतम Adi Shankaracharya Works & Stotram in Hindi 
    • पराकरण ग्रंथ
    • भाष्य ग्रंथ
    • भजन और ध्यान श्लोक
  • आदि शंकराचार्य की शिक्षाएं Adi Shankaracharya Teachings in Hindi
  • आदि शंकराचार्य की 5 प्रमुख किताबें Adi Shankaracharya Books in Hindi
  • आदि शंकराचार्य की मृत्यु Adi Shankaracharya Death in Hindi
  • आदि शंकराचार्य की समाधि (केदारनाथ) Adi Shankaracharya Statue Kedarnath

आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय Adi Shankaracharya Biography in Hindi

जिस समय हमारा देश एक अखंड भारत हुआ करता था, जहां संस्कृति, धर्म-कर्म तथा मानवता विश्व के किसी अन्य देश में इस प्रकार नहीं थी। समय के साथ ही समाज में कई परिवर्तन आए और सनातन धर्म से उपजे विभिन्न विचारधाराओं के लोग आपस में ही बंटने लगे। 

उस समय हिंदू धर्म काफी कमजोर पड़ गया था, लेकिन समकालीन जन्मे आदि शंकराचार्य जी ने एक बार फिर से सनातन धर्म को उठ खड़ा किया और आज तक हिंदू धर्म उतने ही प्रभाव के साथ सर्वत्र जीवंत है। 

जगतगुरू आदि शंकराचार्य भारतीय इतिहास के एक महान धर्म प्रवर्तक और दार्शनिक थे। मध्य इतिहास में कई नए धर्म बौद्ध, जैन इत्यादि हिंदू धर्म से टूटकर एक नए धर्म बने थे। 

जब भारतवर्ष में हिंदू धर्म की लोकप्रियता लगभग शून्य हो चुकी थी और बौद्ध धर्म सबसे लोकप्रिय धर्म बन चुका था। आदि शंकराचार्य जी ने अपने प्रबल तेज और तप से शास्त्रार्थ करके एक बार फिर से हिंदू धर्म को पुनः जागृत किया। हिंदू धर्म के पुनर्गठन का श्रेय इन्हीं को जाता है।

कई बड़े ऋषि-मुनियों ने कहा है, कि आदि शंकराचार्य जी स्वयं भगवान शंकर के अंश थे। हिंदी साहित्य में आज के बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में आदि शंकराचार्य जी द्वारा दिए गए दर्शनशास्त्र के ज्ञान को भी सम्मिलित किया जाता है। 

हालांकि शंकराचार्य जी अल्प आयु लेकर पैदा हुए थे, लेकिन उनका जीवन एक सामान्य मनुष्य के सोच से परे है। उन्होंने बहुत से मठों की स्थापना की है, साथ ही अनगिनत ज्ञानवर्धक ग्रंथों, शास्त्रों, उपनिषद इत्यादि की रचना भी की है।

आदि शंकराचार्य का जन्म व प्रारंभिक जीवन Adi Shankaracharya Birth & Early Life in Hindi

जगतगुरू आदि शंकराचार्य के जन्म को लेकर विभिन्न विद्वानों में काफी अंतर देखा जाता है। वर्तमान के इतिहासकार उनके जन्म की अवधि लगभग 788 ईसा पूर्व बताते हैं। 

प्राचीन दक्षिण भारत के केरल राज्य के कलादी नामक जगह पर शंकराचार्य का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम श्री शिवा गुरु तथा माता का नाम अर्याम्बा था। 

इनके जन्म के विषय में बहुत सी लोकप्रिय कहानियां कही जाती हैं, कि एक ब्राह्मण दंपत्ति को कई वर्षों तक कोई भी संतान नहीं हो रही थी। शंकराचार्य जी के माता पिता ने कई तपस्या और व्रत किए जिसके पश्चात एक दिन सपने में उन्होंने स्वयं भगवान शंकर को देखा। 

महाकाल ने स्वयं एक अल्पायु और महा विद्वान तथा संत के रूप में एक पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद उन्हें दिया। शिवा गुरु तथा अर्याम्बा के घर स्वयं भगवान शंकर ने जन्म लिया था। 

उन्होंने अपने पुत्र का नाम बचपन में शंकर रखा, क्योंकि यह महाकाल के कृपा से ही प्राप्त हुआ था। शंकराचार्य जी बचपन से ही असाधारण बालक थे, जिन्होंने सिर्फ दो साल की आयु में ही चारों वेदों को कंठस्थ कर लिया।

इसके अलावा उन्होंने मलयालम तथा संस्कृत का ज्ञान प्राप्त कर लिया, जिसका उल्लेख एक ऐतिहासिक पुस्तक “माधवैः शंकर विजया” में किया गया है। 

बहुत कम उम्र में ही आदि शंकराचार्य के पिता का साया उनके सिर से छिन गया, जिसके पश्चात उनकी माता ही उनका देखरेख करती थी। विलक्षण प्रकृति के एक अद्भुत बालक शंकराचार्य ने मात्र 8 वर्ष की आयु में ही सन्यास ले लिया। 

कहा जाता है कि सन्यास लेने के लिए उनकी माता बिल्कुल भी राजी नहीं थी, लेकिन एक दिन जब वह केरल की एक बड़ी नदी पेरियार में नहाने गए थे, तब एक विशालकाय मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया। ऐसी गंभीर स्थिति में शंकराचार्य जी ने अपनी माता से कहा कि यदि वे उन्हें संन्यास लेने की अनुमति दे दें, तो मगरमच्छ उन्हें छोड़ देगा। 

अपने पुत्र के प्राण संकट में देखकर माता ने संन्यास लेने की अनुमति दुखी मन से दे दी। लेकिन उन्होंने शंकराचार्य जी से एक वचन लिया कि शंकराचार्य ही अपनी माता का अंतिम संस्कार करेंगे। इस बात के लिए बालक शंकराचार्य राजी हो गए।

सन्यास लेने के पश्चात जब बालक शंकराचार्य भिक्षा मांगने के लिए एक गरीब ब्राह्मण के घर पहुंचे तब उस गरीब व्यक्ति की जीवन ही बदल गई। शंकराचार्य ने भोजन के लिए बाहर खड़े होकर भिक्षा मांगा अंदर से रोती हुई एक महिला अपने हाथ में एक आंवला लिए पहुंची और उसने अपना सारा दुख बालक शंकराचार्य को बताया।

उस स्त्री को इस प्रकार दुख से बिलखता हुआ देखकर शंकराचार्य जी ने उसकी दरिद्रता का निदान कर दिया, जिसके पश्चात उस गरीब के घर में सोने के आंवले की बारिश होने लगी। ऐसी बहुत सारी सत्य घटनाएं आदि शंकराचार्य जी से जुड़ी है, जिन्हें सुनकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाए। 

आदि शंकराचार्य के कार्य तथा स्त्रोतम Adi Shankaracharya Works & Stotram in Hindi 

अद्वैत दर्शन को सर्वत्र फैलाने के लिए आदि शंकराचार्य पहले विद्वान माने जा सकते हैं। मात्र 32 वर्ष की अल्प जीवनकाल अवधि में आदि शंकराचार्य ने जितनी रचनाएं की है, इससे बड़े-बड़े विद्वान आश्चर्यचकित हैं। 

आदि गुरु शंकराचार्य की शिक्षाओं में अध्यात्म पर समान बल दिया गया है। उनके मतानुसार हृदय की पवित्रता के लिए भक्ति एक बहुत सुगम मार्ग है, इससे आत्म साक्षात्कार का द्वार भी अपने आप खुल जाता है।

 उन्होंने अपने जीवन काल में अधिकांश महादेव और श्री विष्णु पर आधारित कई भजनों, छंदों और स्तुतियों की रचनाएं की हैं। माना जाता है कि वह स्वयं महादेव के एक अंश थे, जिसके कारण ही उन्होंने आने वाले भविष्य के लिए कई महत्वपूर्ण ग्रंथों इत्यादि की रचनाएं की जिससे लोग सदैव भक्ति मार्ग से जुड़े रहे। 

शिवस्तुति, शक्तिस्तुति, गणेश स्तुति, विष्णु तथा उनके अवतारों की स्तुति, अन्य देवी- देवताओं और तीर्थों की स्तुतियाँ इत्यादि उनकी ढेरों रचनाएं आज भी बडी प्रख्यात हैं।

आदि शंकराचार्य जी द्वारा रचे गए कुछ महत्वपूर्ण भाष्य ग्रंथ, पराकरण ग्रंथ, ध्यान श्लोक तथा भजन इस प्रकार निम्न लिखित दिए गए हैं –

पराकरण ग्रंथ

  • सदाचार अनुसंधानम्:
  • यगा तारावली
  • विवेकचुदामणि
  • अपरोक्षानुभूति
  • सर्व वेदांत सारा संग्रह
  • प्रबोध सुधाकरमी
  • ब्रह्म अनुचिंतनम्
  • तत्त्व बोध:
  • लघु वाक्यावृत्ति
  • भजा गोविंदम
  • उपदेसहाश्री
  • वाक्या वृत्ति
  • स्वतमा निरुपणम
  • आत्म बोध:
  • स्वात प्रकाशिका
  • अद्वैत अनुभूति
  • प्रश्नौतारा रत्नामालिका
  • अनात्मश्री विग्रहनाम
  • स्वरूप अनुसंधनम्
  • पंचीकरणम
  • प्रपंच सारमी
  • प्राउड अनुभूति
  • ब्रह्म ज्ञानावली

भाष्य ग्रंथ

  • सनत सुजाथीयम
  • ललिता त्रिशती
  • ब्रह्म सूत्र
  • इसवास्य उपनिषद
  • हस्तमालकेयम
  • केना उपनिषद
  • प्रसन्ना उपनिषद
  • मुंडक उपनिषद
  • ऐतरेय उपनिषद
  • तैत्तिरीय उपनिषद
  • मांडुक्य उपनिषद
  • श्री नृसिंह तपनेय उपनिषद
  • भगवद गीता
  • विष्णु सहस्रनाम
  • मंडुक्य कारिका
  • कथा उपनिषद
  • छांदोग्य उपनिषद
  • बृहदारण्यक उपनिषद

भजन और ध्यान श्लोक

  • गणेश भुजंगम
  • शारदा भुजंगम
  • शिव भुजंगम
  • देवी भुजंगम
  • शिवानंद लहरी
  • शिव केसादि पदंत वर्णन
  • श्री विष्णु-पदादि-केसंत:
  • श्री राम भुजंगम
  • विष्णु भुजंगम
  • सौंदर्य लहरी
  • आनंद लहरी
  • त्रिपुरसुंदरी मानसपूजा
  • त्रिपुरसुंदरी अष्टकमी
  • सुब्रह्मण्य भुजंगम
  • श्री गणेश पंचरत्नम
  • भवानी भुजंगम
  • शिवपदादि केसांत वर्णन
  • उमा महेश्वर स्तोत्रम
  • अन्नपूर्णा स्तोत्रम
  • अर्धनारीश्वर स्तोत्रम
  • भ्रामनाम्बा अष्टकमी
  • वेद सारा शिव स्तोत्रम हर
  • त्रिपुरसुंदरी वेदपद स्तोत्र
  • देवी षष्ठी उपाचार-पूजा
  • दक्षिणमूर्ति अष्टकामो
  • दक्षिणमूर्ति वर्णमाला
  • मंत्र मातृका पुष्पमाला
  • कनकधारा स्तोत्र
  • मीनाक्षी स्तोत्रम
  • काशी पंचकमी
  • हनुमात पंचरत्नम
  • गौरी दसकामी
  • सुवर्ण माला स्तुति
  • दासा स्लोकिक
  • नवरत्न मलिका
  • मीनाक्षी पंचरत्नम
  • कल्याण वृष्टीवमी
  • ललिता पंचरत्नम
  • माया पंचकमी
  • निर्गुण मनसा पूजा
  • एका स्लोकिक
  • शिव पंचाक्षर स्तोत्रम
  • शिवपरधा क्षमपान
  • मृत्युंजय मनसा पूजा स्तोत्र
  • शिव नामावली अष्टकम्
  • काल भैरव अष्टकमी
  • शतपदी स्तोत्रम
  • शिव पंचाक्षरा नक्षत्र माला
  • द्वादसा लिंग स्तोत्रम
  • लक्ष्मी-नृसिंह पंचरत्नम
  • लक्ष्मी-नृसिंह करुणारसा स्तोत्रम
  • श्री कृष्ण अष्टकमी
  • भागवत मानस पूजा
  • प्रात स्मरण स्तोत्रम
  • हरि स्तुति
  • पांडुरंगा अष्टकामी
  • अच्युत अष्टकामी
  • गोविंदा अष्टकमी
  • जगन्नाथ अष्टकमी
  • उपदेस (साधना) पंचकमी
  • सटा स्लोकिक
  • मनीषा पंचकमी
  • गुरुवाष्टकमी
  • गंगा अष्टकमी
  • मणिकर्णिका अष्टकामी
  • नर्मदा अष्टकामी
  • यमुना अष्टकमी
  • यति पंचकमी
  • जीवन मुक्ता आनंद लहरी
  • धन्य अष्टकमी
  • अद्वैत पंचरत्नम
  • निर्वाण शताकामी
  • देवयपरा-धा क्षमपा स्तोत्र:

आदि शंकराचार्य की शिक्षाएं Adi Shankaracharya Teachings in Hindi

अपनी माता की आज्ञा लेकर आदि शंकराचार्य 8 वर्ष की आयु में ही सन्यास धारण कर देश भ्रमण के लिए निकल पड़े। उनकी मुलाकात एक महान संत गुरु गोविंद भगवत्पाद से हुई, जो हिमालय क्षेत्र के बद्रीनाथ धाम में एक गुफा में रहते थे। 

शंकराचार्य जी ने उन्हें अपना गुरु बना कर उनसे अद्वैतवाद की शिक्षा प्राप्त की। इसके अलावा कई जटिल धार्मिक ग्रंथों का भी अध्ययन किया। जगतगुरु शंकराचार्य जी ने अपने पहले गुरु से बहुत कुछ सीखा, जिसके पश्चात उन्होंने काशी का भ्रमण किया। 

उस समय हिंदू धर्म को लेकर कई भ्रांतियां फैलाई जा रही थी, जिसके कारण प्रतिदिन हिंदू धर्म को मानने वालों की संख्या में भी कमी आ रही थी। इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी था कि संस्कृत जैसे कठिन भाषा में रचित तमाम वेद, उपनिषद और ग्रंथ केवल विद्वानों के ही समझ में आते थे, जिसके कारण सामान्य लोग बिना कौशल्य के इस अद्भुत ज्ञान से वंचित रहते थे। 

वहीं बौद्ध धर्म में बेहद सरल भाषा में प्रचार प्रसार किया जाता था। आदि शंकराचार्य जी ने सनातन के प्रति फैली इन तमाम भ्रांतियों को दूर करने के लिए जटिल शब्दों में रचित तमाम ग्रंथों का अनुवाद करना प्रारंभ किया तथा अद्वैत दर्शन को प्रस्तुत करके एक बार पुनः विश्व का ध्यान सनातन की तरफ आकर्षित किया। 

अद्वैतवाद सिद्धांत की रचना आदि शंकराचार्य जी द्वारा की गई है। यह कट्टरपंथी अद्वैतवाद की एक दार्शनिक स्थिति अद्वैत वेदांत है। अद्वैत वेदांत की शिक्षा शंकराचार्य की सबसे महत्वपूर्ण रचना में से एक है, जिसमें उन्होंने संसार के मिथ्या होने की बात कही है। 

इस सिद्धांत में उन्होंने मूर्ति पूजा और महत्वपूर्ण धार्मिक कार्यक्रमों के पीछे एक ठोस करण प्रस्तुत किया। अपने सिद्धांत को सिद्ध करने के लिए पूरे देश में भ्रमण करके बौद्ध, जैन और हिंदू धर्म के लगभग कई विद्वानों को शास्त्रार्थ में अपने तर्कों से हराकर हिंदू धर्म का पुनर्गठन किया।

शंकराचार्य जी एक महान संत और दार्शनिक के अलावा हिंदू धर्म में फैली तमाम कुरीतियां जैसे कि पशु बलि, जाति प्रथा, छुआछूत इत्यादि पर कड़ा प्रहार किया करते थे। वे बिना आधार के प्रचलित कर्मकांड और कुरीतियों से लोगों को सचेत करते थे, जिसके कारण हिंदू धर्म को पुनः लोगों तक प्रसारित होने में सहायता मिली। 

लोगों को परम ब्रह्मा के विषय में उस गूढ़ रहस्य को बताने के लिए उन्होंने कई दिनों तक लगातार पैदल चलकर समाज सुधार का कार्य और अध्यात्म के प्रति लोगों के विचारधारा को बदलने के लिए घूम घूम कर अपने शिष्यों के साथ लोगों को शिक्षाएं देते थे। 

उन्होंने कुल चार प्रमुख मठों की स्थापना की है, जो सनातन धर्म के प्रचार में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। ‘शृंगेरी शारदा पीठम’ आचार्य जी का पहला मठ था, जिसकी स्थापना उन्होंने दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में किया था। 

यहां की प्रसिद्ध नदी तुंगा के किनारे इस मठ की स्थापना की गई है, जिसका आधार यजुर्वेद बताया जाता है। तत्पश्चात गुजरात के ‘द्वारका पीठ’ की स्थापना शंकराचार्य जी ने किया, जिसका शिलान्यास का आधार सामवेद पर आधारित है। 

अगले मठ की स्थापना शंकराचार्य जी ने उत्तर भारत में किया जिसका नाम ‘ज्योतिपीठ मठ’ रखा गया है। इस पवित्र मठ को अथर्ववेद के आधार पर स्थापित किया गया है।  चौथा और अंतिम पीठ ‘गोवर्धन पीठम’ उनके द्वारा स्थापित एक बहुत महत्वपूर्ण मठ है। 

गोवर्धन पीठ पूर्वी भारत में जगन्नाथपुरी में स्थापित किया गया है। यह जगन्नाथ पुरी का ही एक अभिन्न भाग बताया जाता है, जिसकी स्थापना ऋग्वेद के आधार पर हुई है। इस प्रकार अखंड भारत के चारों दिशाओं में चार पवित्र मठों की स्थापना चार अलग-अलग वेदों सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद तथा ऋग्वेद के आधार पर हुई है। 

आदि शंकराचार्य की 5 प्रमुख किताबें Adi Shankaracharya Books in Hindi

आदि शंकराचार्य ने अपने जीवन में बहुत सी रचनाएं की हैं। उन्होंने बहुत सी किताबों में ईश्वर के निराकार रूप का चित्रण किया है। इसके अलावा उन्होंने अद्वैत दर्शन के मूल्यवान सूत्रों एवं पारलौकिक ज्ञान का वर्णन भी अपनी विभिन्न रचनाओं में किया है। 

आदि शंकराचार्य की 5 प्रमुख किताबों की सूचि यहां दी गई है-

  • विवेक चुड़ामणि  
  • शिवानंद लहरी
  • आत्मतीर्थ
  • भामती
  • स्वात्मनिरूपणम्

आदि शंकराचार्य की मृत्यु Adi Shankaracharya Death in Hindi

हिंदुस्तान में फैले अज्ञान रूपी अंधेरे को दूर करने के बाद आदि शंकराचार्य जी ने 32 वर्ष की अल्पायु में ही अपना शरीर त्याग दिया। लगभग 820 ईसा पूर्व में जगतगुरू आदि शंकराचार्य जी के केदारनाथ में समाधि लेने की बात कही जाती है। 

जन्म के पहले से ही शंकराचार्य जी की अल्प आयु निश्चित थी। ज्ञान का दीपक जलाकर शंकराचार्य ने अंतिम बार केदारनाथ के पवित्र स्थल पर साधना की थी, जिसके पश्चात वे कभी देखे नहीं गए। केदारनाथ धाम में आदि शंकराचार्य जी की समाधि स्थित है, जिसके कारण यह भूमि और भी पवित्र हो जाती है। 

आदि शंकराचार्य की समाधि (केदारनाथ) Adi Shankaracharya Statue Kedarnath

8वीं सदी के एक महान दार्शनिक तथा संत आदि शंकराचार्य ने जिस अद्वैत वेदांत के सिद्धांत से चार मठों की स्थापना करके पुनः हिंदू धर्म का एकीकरण करके अपना योगदान दिया था। माना जाता है कि केदारनाथ के पवित्र भूमि पर ही आदि गुरु शंकराचार्य ने समाधि ली थी। 

2013 में दुर्भाग्यवश उत्तराखंड में एक भारी बाढ़ की तबाही के कारण उनकी केदारनाथ में स्थापित की गई समाधि बह गई। क्षति की भरपाई करने के लिए एक बार पुनः भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतर्गत आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का निर्माण कार्य संपन्न हुआ है। 

लगभग लगभग 225 करोड़ रुपये की लागत के पश्चात 12 फुट ऊंची तथा 35 टन वजन वाले इस प्रतिमा को समाधि स्थल पर स्थापित किया गया है। क्लोराइट शिस्ट से निर्मित आदि शंकराचार्य जी की यह समाधि एक पवित्र और सुंदर स्थल है।

Filed Under: Biography Tagged With: आदि शंकराचार्य जीवनी

About बिजय कुमार

नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Primary Sidebar

सर्च करें

Recent Posts

  • Starlink in India: क्या है, फ़ीचर, फ़ायदे, नुक़सान, कब तक
  • A+ स्टूडेंट बनने के टिप्स: सफलता के लिए सही मानसिकता
  • देशभक्ति पर स्लोगन (नारा) Best Patriotic Slogans in Hindi
  • सुरक्षा या सेफ्टी स्लोगन (नारा) Best Safety Slogans in Hindi
  • पर्यावरण संरक्षण पर स्लोगन (नारा) Slogans on Save Environment in Hindi

Footer

Copyright Protected

इस वेबसाईट के सभी पोस्ट तथा पृष्ट Copyrighted.com तथा DMCA के द्वारा कॉपीराइट प्रोटेक्टेड हैं। वेबसाईट के चित्र तथा कंटेन्ट को कॉपी करना और उपयोग करना एक गंभीर अपराध है।

Disclaimer and Note

इस वेबसाइट पर स्वास्थ्य से जुड़े कई टिप्स वाले लेख हैं। इन जानकारियों का उद्देश्य किसी चिकित्सा, निदान या उपचार के लिए विकल्प नहीं है। इस वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध टेक्स्ट, ग्राफिक्स, छवियों और सूचनाएँ केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से प्रदान की जाती हैं। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए कृपया योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श करें।

Important Links

  • Contact us
  • Privacy policy
  • Terms and conditions

Copyright © 2015–2025 1Hindi.com