श्री श्री रविशंकर का जीवन परिचय Sri Sri Ravi Shankar Biography in Hindi

इस लेख में आप श्री श्री रविशंकर का जीवन परिचय Sri Sri Ravi Shankar Biography in Hindi हिन्दी में पढ़ेंगे।

सफेद वस्त्र पहने हुए चेहरे पर शांति और वाणी में मधुरता का वास ऐसे सन्यासी श्री श्री रविशंकर जी को अक्सर हमने टीवी चैनलों पर अध्यात्मिक ज्ञान देते हुए सुना और देखा है। वे शांति और अमन का प्रचार करने वाले अध्यात्म के गुरु है, इनका मुख्य उद्देश्य दुनिया भर को चिंता मुक्त करना है।

जैसा कि हम देख रहे हैं आजकल की पीढ़ियां दिन-ब-दिन चिंता व डिप्रेशन के मुंह में समाई जा रही है। हम और आप जैसे लोग रोज इससे ग्रसित होते हैं, लेकिन फिर भी इस पर ध्यान नहीं देते।

किंतु रविशंकर जी ने सैकड़ों लोगों के इस समस्या को नजरअंदाज करने के बजाए इसका तोड़ निकाला जिसका नाम है, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन।

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन एक ऐसी संस्था है, जो अध्यात्म और मेडिटेशन की तकनीक सिखाती है। इसकी स्थापना श्री श्री रविशंकर जी के द्वारा की गई है। वर्तमान समय में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की बहुत से देशों में विभिन्न शाखाएं भी खुल गई हैं।

[amazon bestseller=”Sri Sri Ravi Shankar Biography” items=”2″]

श्री श्री रविशंकर का जन्म और शिक्षा Birth and Education of Sri Sri Ravi Shankar in Hindi

श्री श्री रविशंकर का जन्म 13 मई सन 1956 में तमिनाडु के पापनाशम नामक गांव में हुआ था। इनका जन्म रविवार को होने के कारण इनका नाम रवि शंकर रखा गया। 

इनके माता-पिता मूलतः तमिलनाडु के रहने वाले थे।   रविशंकर मात्र 4 साल की उम्र में श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का पाठ किया करते थे।

रविशंकर की शुरुआती शिक्षा एमएसई बेंगलुरु स्कूल से हुई थी। जिसके बाद उन्होंने बेंगलुरु के सेंट जोसेफ कॉलेज से ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की।

विज्ञान के साथ-साथ इनका झुकाव अध्यात्म की ओर होने के कारण उन्होंने वैदिक साहित्य में ग्रेजुएशन किया है। शुरू से लेकर ग्रेजुएट का सफर इन्होंने महज 17 साल की उम्र में तय कर लिया था, जोकि एक साधारण बच्चे का काम नहीं था।

रविशंकर जी का परिवार Sri Sri Ravi Shankar’s family in Hindi

श्री श्री रविशंकर के परिवार में कुल 4 सदस्य है, जिनमें से उनके माता-पिता और एक छोटी बहन है, जिनका नाम भानुमती नरसिम्हन है।

इसके अलावा उनके पिता का नाम वेंकट रत्नम और माता का नाम विशालाक्षी रत्नम है। श्री श्री की छोटी बहन भानुमति वर्तमान समय में आर्ट ऑफ लिविंग महिला और बाल विकास कल्याण के मुख्य निर्देशक पद पर है।

वैसे तो आज के समय में श्री श्री रविशंकर जी इस पूरी दुनिया को ही अपना परिवार मानते हैं और हमेशा उनके उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य के लिए अपने विभिन्न गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संघर्ष कर रहे हैं।

श्री श्री रविशंकर का आध्यात्मिक गुरू जीवन Spiritual Guru Life of Sri Sri Ravi Shankar in Hindi

जब श्री श्री रविशंकर जी ने अपनी शिक्षा पूरी की तो उनकी मुलक़ात महर्षि महेश योगी जी से हुई। महर्षि महेश के अंतर्गत रविशंकर जी ने धार्मिक शिक्षा प्राप्त की और अध्यात्म से जुड़े कार्यों में लग गए।

वैदिक विज्ञान से जुड़े हुए सभी उपदेशों को श्री श्री रविशंकर जी ने पूरी दुनिया तक पहुंचाना शूरू किया था। अध्यात्म के प्रचार प्रसार के लिए उन्हें दुनिया के दूसरे देशों में भी जाना पड़ता था।

जब उन्होंने सामान्य लोगों तक धर्म के उपदेश को पहुंचाना प्रारंभ किया था, तो इसमें काफी लंबा समय लगा था जब लोगों में अध्यात्म के प्रति रुचि और एक नई जागृति आई।

कहते हैं कि प्रख्यात सितार वादक रवि शंकर ने उन पर आरोप लगाया था, कि वह उनके नाम की कीर्ति का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे श्री श्री लगाना शुरू कर दिया। तभी से रविशंकर जी श्री श्री रविशंकर के रूप पहचाने जाने लगे।

श्री श्री रविशंकर जी के भक्त उन्हें आदर से “श्री श्री”, गुरुदेव और गुरुवर के नाम से भी पुकारते हैं।

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन Art of Living Foundation in Hindi

सन 1982 में श्री श्री रविशंकर ने आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की थी। जिसका मुख्य केंद्र बेंगलुरु में स्थित है। यह संस्था शिक्षा और अध्यात्म के प्रचार प्रसार के लिए सशुल्क काम करती है।

इसके अलावा इसवी सन 1997 में इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर ह्यूमन वैल्यू नाम की संस्था की स्थापना की गई जिसका मुख्य उद्देश्य मानवता को वैश्विक स्तर पर फैलाना और मानव मूल्यों को आपस में जोड़ना है। इस कार्य में दलाई लामा जैसे महान व्यक्तित्व भी इनके साथ जुड़े।

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन में जो प्रक्रियाएं की जाती हैं, वह मनुष्य के मस्तिष्क को पूर्ण रूप से शांत होने तथा एकाग्रता बढ़ाने में काफ़ी सहायता करती हैं। 

इसके अलावा वे मनुष्य सेवा पर भी जोर देते हैं, गुरुदेव अथवा रविशंकर जी का सिर्फ इतना ही सपना है, कि समाज में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति तनाव और हिंसा से दूर रह सके।

2001 में जब आतंकवादियों ने विश्व व्यापार संगठन पर हमला किया था, तब आर्ट ऑफ लिविंग ने पूरे न्यूयॉर्क को चिंता मुक्त करने के लिए निशुल्क कोर्स करवाया था, जिससे उनकी स्थिति पुनः सामान्य होने में बहुत मदद मिली।

इस संस्था ने कोसोवो में युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए राहत कैंप का प्रयोजन भी किया था। साथ ही ऐसे देश जहां अतंकवाद का ख़तरा हर वक्त बना ही रहता है, वहां भी तनाव मुक्ति के अभियान आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा चलाए गए।

रविशंकर ने इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर वहां का दौरा किया तथा वहां के शिया, सुन्नी और कुर्दिश कम्युनिटी के नेताओं से बातचीत की। उनका मानना था, कि ज्ञान और मानवता किसी एक धर्म अथवा समुदाय का अधिकार नहीं है।

श्री श्री रविशंकर 2004 में पाकिस्तान के कुछ ऐसे नेताओं से भी मिले जो विश्व शांति स्थापना के लिए कार्यरत थे। वैश्विक स्तर पर कैदियों के कल्याण के लिए भी यह संस्था निरंतर कार्य करती रहती है और कैंप का आयोजन भी करती है।

रविशंकर के यह विचार और कैंप द्वारा उपलब्ध की जाने वाली जीवन जीने की कला समाज में एक नई कल्याणकारी पीढ़ियों का निर्माण कर रही है।

पुरस्कार और उपलब्धियां Awards and Achievements

श्री श्री रविशंकर जी के समाज कल्याण में अतुलनीय योगदान को देखते हुए उन्हें बहुत से पुरस्कार और उपलब्धियों से नवाजा गया है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है-

2007 में अमेरिका के एक महत्वपूर्ण सम्मान ‘नेशनल वेटरेंस फाउंडेशन अवार्ड’ के साथ ही उन्हें सम्मानित किया गया है। 2007 में वर्षद कन्नाडिगा अवार्ड, ईटीवी

मंगोलिया के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार ‘ऑर्डर पोल स्टोर’ से श्री श्री रविशंकर जी को 2006 में सम्मान दिया गया है जो पूरे भारत के लिए एक गर्व की बात है।

भारत सरकार द्वारा 2016 में ‘पद्म विभूषण’ और ‘डॉ नागेन्द्र सिंह अन्तर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।

2009 में फॉर्ब्स मैगजीन के अनुसार 5 सबसे ताकतवर व्यक्तियों की सूची में श्री श्री रविशंकर जी का नाम शामिल है। सन 2012 में पैराग्वे और पेरू सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

सन 2005 में अमेरिका द्वारा श्री श्री रविशंकर जी को ‘ग्लोबल हुमिनिटीरी अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।सन 2010 में ‘आत्मज्योति अवार्ड’ भी दिया गया है।

इसवी सन 1986 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘योग शिरोमणि’ के शीर्षक से श्री श्री रविशंकर जी को नवाजा गया है। इसवी सन 1997 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘गुरु माहात्म्य’ से भी सम्मानित किया गया है

श्री श्री रविशंकर जी के द्वारा किए गए नेक कार्य Good work done by Sri Sri Ravi Shankar in Hindi

1992 में जेल में आर्ट ऑफ लिविंग का शिविर चला कर कैदियों को उपदेश दिया जिससे उनको अपना जीवन स्तर सुधारने में सहायता मिली।

आर्ट ऑफ लिविंग के कोचीन में आयोजित किए गए मोहिनीअट्टम नृत्य को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। क्योंकि यह सबसे ज्यादा लोगों के समूह द्वारा किया जाने वाला नृत्य था।

इसवी सन 2004 में जब हमारे देश में सुनामी का प्रकोप आया था, तब आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन द्वारा सुनामी पीड़ितों की मदद की गई और उनके लिए भोजन और आश्रय उपलब्ध करवाया गया।

श्री श्री रविशंकर जी के नेतृत्व में महिलाओं के प्रति हो रहे अत्याचारों के ख़िलाफ़ 2012 में ‘स्वयंसेवी अभियान’ चलाया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य पीड़ितों की सहायता करना था।

आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन मनुष्य को चिंता मुक्त करके उसकी जिंदगी में एक नया उमंग भरने का काम करता है और एक नई दिशा की ओर अग्रसर करता है।

अपनी जिंदगी से परेशान हर वह व्यक्ति जो चिंताओं में पूर्ण रूप से घिरा हुआ है, श्री श्री रविशंकर के शरण में उन्हें एक बार तो ज़रूर जाना चाहिए।

रवि शंकर जी से जुड़े विवाद Controversy related to Ravi Shankar in Hindi

सन 2012 में जयपुर में एक फंक्शन के दौरान श्री श्री रविशंकर जी ने बयान दिया था, कि सरकारी स्कूल नक्सलिज्म का घर बनते जा रहे हैं, इसलिए सभी गवर्नमेंट स्कूल को निजी कर देना चाहिए जिससे उन पर नियंत्रण बना रहेगा। रविशंर जी के इस बयान पर पूरे देश में राजनीतिक पार्टियों द्वारा खूब घमासान मचा।

इस विवादित बयान पर कपिल सिब्बल ने कहा था कि हमारे राष्ट्रपति भी गवर्नमेंट स्कूल से पढ़े हैं, तो क्या वे भी नक्सली है। श्री श्री रविशंकर जी के विरोध में कई प्रदर्शन किए गए और कुछ समूहों द्वारा उन पर केस दर्ज भी किए गए थे।

हालांकि लोगों में आक्रोश भरने के बाद श्री श्री रविशंकर जी ने ट्विटर के द्वारा यह साफ कर दिया था, कि उनका मतलब केवल ऐसे क्षेत्रों के गवर्नमेंट स्कूलों से था, जहां आय दिन अमानवीय आतंकवादी घटनाएं होती रहती हैं। 

2016 में दिल्ली में आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों के कारण यमुना तट को काफी नुकसान हुआ था। जिसके बाद श्री श्री रविशंकर जी को इस प्रोग्राम का दोषी ठहराया गया था।

इसके अलावा मार्च 2018 में फिर से श्री श्री रविशंकर जी अपने एक बयान के बाद विवाद में घिरे थे। जिसमें उन्होंने कहा था, कि राम मंदिर का मुद्दा जल्द से जल्द सॉल्व किया जाना चाहिए, राम मंदिर को वहीं बनाया जाना चाहिए जहां वह पहले था।

यदि ऐसा नहीं हुआ तो भारत सीरिया बन जाएगा और हम सब जानते हैं, कि सीरिया के हालात कैसे हैं। इस बयान के बाद श्री श्री रविशंकर जी से मुस्लिम समाज बहुत ही नाराज हुआ।

आर्ट ऑफ लिविंग का ‘सुदर्शन क्रिया’ The Art of Living’s ‘Sudarshan Kriya’ in Hindi

आर्ट ऑफ लिविंग की सुदर्शन क्रिया न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बहुत प्रख्यात है। इस क्रिया के बहुत सारे फायदे हैं। सरल भाषा में समझे तो यह शारीरिक और मानसिक तनाव को बाहर फेंकने का एक बहुत ही अच्छी प्रक्रिया है।

जिस तरह हम मशीन को रिपेयर और मेंटेन करते हैं, उसी तरह दिमाग की सुरक्षा करनी भी जरूरी है। आर्ट ऑफ लिविंग का ‘सुदर्शन क्रिया’ मानसिक रोगों से छुटकारा दिलाने के लिए एक मलहम का कार्य करती है। 

यह तकनीक इंसान की उच्च रक्तचाप, डिप्रेशन, भय, क्रोध, हताशा, मानसिक कमजोरी, उत्साह की कमी इत्यादि रोगों से छुटकारा दिलाती है।

इसमें आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन लोगों को स्वास पर नियंत्रण और एक ताल बद्घ रूप से स्वास का संयोजन सिखाते हैं। इस सत्र को पूरा करने के बाद मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और शरीर ऊर्जावान हो जाता है।

सुदर्शन क्रिया सीखने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के शिविर में रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। यह पूरा सत्र श्री श्री रविशंकर जी के निर्देशानुसार ऑडियो कैसेट और एक प्रशिक्षित अध्यापक के द्वारा संपन्न कराया जाता है। 8 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक कोई भी व्यक्ति सुदर्शन क्रिया का लाभ ले सकता है।

सुदर्शन क्रिया के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आपको एक समय सारणी दी जाती है, जिस के अनुरूप आपको चलना होता है, और यहां के कड़े नियम कानूनों के अनुसार कई दिन तक मौन रखना पड़ता है।

सुदर्शन क्रिया आपको शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से सुसाध्य बनाती है और यह आर्ट ऑफ लिविंग का एक मुख्य अंग है। इसका अभ्यास करने वाले लोगों को अपने अंदर बेहतर मानसिक स्तर और सहनशक्ति ऊर्जा साफ महसूस होता है। इस क्रिया ने विश्व भर में सैकड़ों लोगों को लाभान्वित किया है।

श्री श्री रविशंकर जी के 5 अनमोल कथन 5 priceless sayings of Sri Sri Ravi Shankar in Hindi

श्री श्री रविशंकर के प्रेरक कथन निम्नलिखित है-

बुद्धिमान वही है, जो दूसरों की गलतियों से सीखता है और कम बुद्धिमान वह है जो केवल अपनी गलतियों से सीखता है, मूर्ख बार-बार गलतियां करता रहता है लेकिन उनसे कभी सीख नहीं लेता।

आपके मस्तिष्क के आलावा कोई दूसरा आपको दुखी नहीं करता। आपको ऐसा लगता होगा की दूसरे लोग आपको तकलीफ़ दे रहे हैं, दुखी कर रहें हैं लेकिन वास्तव में यह आपका मस्तिष्क ही है।

ज्ञान एक ऐसा बोझ है, जो आपकी सादगी छीन लेता है ज्ञान बोझ है, यदि आप उसे अपने जीवन में नहीं उतारते ज्ञान बोझ है, यदि यह आनंद नहीं लाता ज्ञान एक बोझ है यदि यह आपको बताता है कि आप बुद्धिमान है ज्ञान एक बोझ है यदि यह आपको मुक्त नहीं करता ज्ञान बोझ है यदि आपको महसूस कराता है कि आप विशेष है।

अपनी गलतियों को सुधारना, अपनी बुरी आदतों को समझना, अपने अंदर की कमियों को अनुभव करना और उन्हें सुधारने के लिए निरन्तर प्रयास करते रहना ही जीवन संग्राम है।

आपको सर्वोत्तम आशीर्वाद दिया गया है, इस ग्रह पर सबसे अनमोल ज्ञान दिया गया है। तुम दिव्य हो, तुम परमात्मा के एक अभिन्न अंश हो। पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ो, यह कोई अहंकार नहीं है, बल्कि यह उस परमब्रह्म से प्रेम है।

1 thought on “श्री श्री रविशंकर का जीवन परिचय Sri Sri Ravi Shankar Biography in Hindi”

Leave a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.