लोक अदालत पर निबंध Essay on Lok Adalat in Hindi (1000 Words)

इस लेख में हम आपके लिए लोक अदालत पर निबंध (Essay on Lok Adalat in Hindi) लाये है। इसके अंतर्गत हम आपके लोक अदालत क्या है, इसके प्रकार, संरचना और इसके कार्यों के बारे में बताने वाले है। लोक अदालत के बारे में पूरी तरह से जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़े।

लोक अदालत पर निबंध Essay on Lok Adalat in Hindi (1000 Words)

हमें ये समझना बहुत जरूरी है कि लोक अदालत की जरुरत क्यों पड़ी। दोस्तों आप सभी को पता ही होगा, कि हम एक ऐसे देश में रहते है जिसकी जनसंख्या विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है।

इस बात आप लोग सोच सकते है कि जितने ज्यादा लोग उतनी ही मामले होने की संभावना। इन मामलों के समाधान के लिए भारत में हर कोई हाई कोर्ट जाने में सक्षम नही है, क्योंकि यहाँ लोगो आर्थिक रूप से कमजोर है।

इसके अलावा उच्च न्यायालयों में पहले से ही लाखों मुक़दमे दर्ज रहते है जिनकी सुनवाई समय पर नही हो पाती है। और लोगो को समय से न्याय नही मिल पाता है। इन्ही सारे समस्याओं को देखते हुए लोक अदालत अस्तित्व में आया। 

लोक अदालत क्या है? What is Lok Adalat in Hindi?

दोस्तों, लोक अदालत का अर्थ (meaning of lok adalat) है लोगो के लिए एक ऐसा अदालत जहाँ लोगों के ऐसे मामले न्यायालयों में मुकदमे के रूप में दर्ज नही है या उन मामलों पर कोई सुनवाई नही हो रही हो।

उन मामलों को दोनों पक्षों के बीच परस्पर समझौता करवाया जाए। लोक अदालतें सामान्य न्यायालयों से अलग होते है। लोक अदालत की संकल्पना पूरी तरह से गावों में होने वाली पंचायतों पर आधारित है। 

अगर इसे आसान भाषा में समझे, तो लोक अदालतें ऐसे स्थान/ फोरम/ मंच होते है जहाँ पर लोगो के ऐसे मामलों का समाधान किया जाता है जो न्यायालयों में दर्ज नही होते है या उन पर किसी भी तरह की सुनवाई नही होती है वो लंबित पड़े होते है।

ऐसे मामलों को लोक अदालतों में सौहार्द्रपूर्वक निपटारा करवाया जाता है। जिस प्रकार गावों के पंचायतों में विवादित पक्षों के बीच समझौता करवाया जाता है उसी प्रकार लोक अदालतों में भी समझौता करवाया जाता है।

अगर हम लोक अदालतों के सर्वप्रथम विचार के बारे में बात करें तो इसकी संकल्पना सर्वप्रथम भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन. भगवती द्वारा दिया गया था। 1982 में सबसे पहले गुजरात में लोक अदालत का आयोजन किया गया था।

इसके पश्चात् 1987 में भारत सरकार द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया गया। जिसे 9 नवम्बर 1995 को किया गया। लोक अदालतों को आगे चलकर 2002 मे स्थायी बना दिया गया।

इन लोक अदालतों के अंतर्गत लगभग उन सभी मामलों का निपटारा करवाया जाता है जो न्यायालयों में करवाए जाते है। इसके अंतर्गत नागरिकों के विवाद, दीवानी विवाद, वैवाहिक मामले, भूमि संबंधित मामले, संपत्ति बँटवारा संबंधी  मामले, मज़दूर मामले, बीमा, बिजली इसके अलावा अन्य प्रकार के मामलों का निपटारा करवाया जाता है।

लोक अदालतों में कुछ मामलों का निपटारा नही किया जाता है जैसे – एक करोड़ से अधिक संपत्ति के बटवारे के मामले, ऐसे विधि के तहत अपराधी मामले।

लोक अदालत के प्रकार? Types of Lok Adalat in Hindi

अगर लोक अदालतों के प्रकार के बारे में बात किया जाए, तो विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत लोक अदालत दो प्रकार के होते है स्थायी लोक अदालत और अस्थायी लोक अदालत।

स्थायी लोक अदालत के अंतर्गत इसके कई स्तर बनाये गए है। जो इस प्रकार है-

तहसील स्तर पर

दोस्तों अगर आपका कोई मामला किसी तहसील के राजस्व कोर्ट में लंबित है या इससे अंतर्गत आता है, तो इस विवाद के मामले को तहसील स्तर पर आयोजित होने वाली लोक अदालत में लाकर उसका निपटारा करवाया जा सकता है। तहसील स्तर पर इसका आयोजन समय-समय पर हुआ करता है इसका पता आपको अपने तहसील से मिल जायेगा।

जिला स्तर पर

यदि किसी का मुकदमा जिला न्यायालय में चल रहा है, तो आप अपने मामले को जिला स्तर पर निपटारा करवा सकते है। जिला स्तर पर लोक अदालत का आयोजन जिला विधिक प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।

राज्य स्तर एवं उच्च न्यायालय स्तर पर

दोस्तों यदि किसी का विवाद जिला के उच्च न्यायालय  में चला रहा और वो अपने मामले का निपटारा करना चाहता है।  इसके लिए उसके पास दो विकल्प है या तो वो उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित लोक अदालत में चला जाए या राज्य द्वारा आयोजित लोक अदालत में चला जाये।

सर्वोच्च न्यायालय स्तर पर

दोस्तों, सर्वोच्च न्यायालय  में भी लोक अदालत का आयोजन किया जाता है, जहाँ आप सर्वोच्च न्यायालय  की अनुमति से लोक अदालत में अपने मामले का निपटारा किया जा सकता है। 

राष्ट्रीय स्तर पर

राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन पूरे देश में किया जाता है। ये अस्थायी लोक अदालत के अंतर्गत आता है। यहाँ राष्ट्रीय स्तर के मामले को निपटारा किया किया जाता है, लेकिन इसके लिए आपका मामला सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार में आना चाहिए।

मोबाइल लोक अदालत

दोस्तों मोबाइल लोक अदालत का भी आयोजन देश के कई हिस्सों में किया जाता है। इसमें आपके विवाद का निपटारा आपके घर पर ही मिल जायेगा अर्थात ये आपके विवाद को हल करने के आपके घर आयेंगे।

लोक अदालत के फायदे व विशेषताएं? Benefits and Features of Lok Adalat in Hindi

अगर लोक अदालतों के फ़ायदों के बारे मे बात किया जाए तो इसके कई फायदे है जो इस प्रकार है-

  1. जब कोई अपने मामले को लोक अदालत में ले जाता है, तो वहां वकील या अधिवक्ता पर होने वाला खर्च नही लगता है।
  2. यहाँ अदालत शुल्क या अदालत फीस नही लगता है।
  3. लोक अदालत में किसी भी पक्ष को सजा नही दी जाती है, यहाँ दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाया जाता है।
  4. लोक अदालतों में आपको मुआवजा या हर्जाना उसी समय दे दिया जाता है।
  5. यहाँ मामलों निपटारा बहुत जल्दी कर दिया जाता है।
  6. लोक अदालत में लिया गया फैसला अंतिम फैसला होता है।
  7. जानें लोक अदालत के फैसले के विरुद्ध आप कहीं भी अपील नही किया जा सकता है। 

लोक अदालत की संरचना Structure of Lok Adalat in Hindi

दोस्तों अगर लोक अदालत की संरचना के बारे में बात किया जाए, तो आपको बता दे इसका निर्माण विधिक प्राधिकरण अधिनियम के तहत किया गया है।

इसके अंतर्गत लोक अदालतों को स्थायी और अस्थायी लोक अदालतों का निर्माण किया गया। स्थायी लोक अदालतों में कई प्रकार के स्तरों पर लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है, जैसा की हमने ऊपर बताया है। जिससे लोगों के विवादों का निपटारा आसानी से हो सके।

2015 तक भारत लगभग 15 लाख से ज्यादा लोक अदालतों का आयोजन किया गया है और इसके द्वारा लगभग 8 से भी अधिक मामलों का निपटारा किया जा चुका है।

लोक अदालत के कार्य व शक्तियां? Power and Works of Lok Adalat in Hindi

लोक अदालत के कार्यों  के बारे में बात किया जाए तो कई प्रकार है जो इस प्रकार है-

  1. ज्यादा लम्बे समय से लंबित मामलों का निपटारा दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाकर करना।
  2. लंबित मामलों के अलावा ऐसे मामलों को भी लोक अदालत में देखा जाता है, जो अभी पहले चरण में है या जिनका मुकदमा दर्ज भी नही हुआ है।
  3. लोक अदालत के द्वारा दिया गया फैसला दोनों पक्षों के लिए अंतिम और बाध्यकारी फैसला होगा और इसके खिलाफ अपील नही किया जा सकता है। लेकिन अदालत में नया मुकदमा शुरू कर सकता है।
  4. लोक अदालतों को संचालित करने का काम सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, क़ानूनी पेशेवरों द्वारा किया जाता है।

आशा करते हैं आपको लोक अदालत पर निबंध Essay on Lok Adalat in Hindi (1000 Words) पसंद आया होगा।

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