भारत पाकिस्तान सिंधु जल समझौता की पूरी कहानी India Pakistan Indus Water Treaty in Hindi
आज के इस आर्टिकल में हम आपको – भारत पाकिस्तान सिंधु जल समझौता की पूरी कहानी बताएँगे, India Pakistan Indus Water Treaty in Hindi, साथ ही इस समझौते पर जो विवाद चल रहा है उसके विषय में आपको बताएँगे
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भारत पाकिस्तान सिंधु जल समझौता की पूरी कहानी India Pakistan Indus Water Treaty in Hindi
क्या है सिंधु जल समझौता ?
सिंधु नदी तिब्बत से निकलती है। इसका इलाका 11 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह नदी तिब्बत से निकलकर पाकिस्तान के कराची और गुजरात से होते हुए अरब सागर में जाकर मिलती है। इस नदी की कुल लंबाई 2880 किलोमीटर है।
सिंधु जल समझौता की संधि पर हस्ताक्षर 19 सितंबर 1960 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुए थे। इस संधि में विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी।
इससे संधि के अनुसार तीन पूर्वी नदियां- व्यास, रावी और सतलुज पर भारत का नियंत्रण दिया गया और तीन पश्चिमी नदियां- सिंधु, चिनाब और झेलम पर पाकिस्तान का नियंत्रण दिया गया। समझौते के अनुसार भारत बिजली, परिवहन और सिंचाई के लिए जल का 20 % हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है।
पाकिस्तान को डर था कि युद्ध के समय भारत सिंधु चिनाब और झेलम जैसी नदियों का जल रोक सकता है और पाकिस्तान को सूखा और अकाल जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। इस वजह से उसने यह संधि की थी।
भारत-पाकिस्तान के बीच 2 बड़े युद्ध और एक सीमित युद्ध हो चुका है और उसके बावजूद भी सिंधु जल संधि बनी हुई है। सिंधु नदी का क्षेत्र 11 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 30 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं जो अपनी आवश्यकताओं के लिए सिंधु नदी के जल पर आश्रित हैं। इस क्षेत्र का 47% पाकिस्तान में, 39% भारत में, 8% चीन में और 6% अफगानिस्तान में आता है।
सिंधु जल समझौते की मुख्य बातें
- इस समझौते के बाद एक स्थाई कमीशन की स्थापना की गई। इसमें दोनों देशों के कमिश्नर एक दूसरे से मिलते हैं और कोई समस्या होने पर उसका समाधान निकालते हैं।
- दोनों देश नदियों के जल के विषय में परस्पर सहयोग करेंगे। यदि किसी देश के जल प्रोजेक्ट को लेकर दूसरे देश को आपत्ति है तो दोनों पक्षों की बैठक होगी। यदि भारत और पाकिस्तान के आयोग उस समस्या को हल नहीं कर पा रहे हैं तो सरकार उस समस्या का हल निकालेगी।
- भारत पाकिस्तान दोनों देश के आयोग जल से जुड़े विवादों को लेकर तटस्थ विशेषज्ञ (कोर्ट ऑफ़ ऑर्बिट्रेशन ) की मदद भी ले सकते हैं।
- पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियों का प्रवाह पहले भारत से होकर आता है। जल के नियंत्रण को लेकर दोनों देशों में विवाद होता रहता है।
सिंधु जल समझौते से पाकिस्तान को फायदा
इस समझौते से पाकिस्तान की 15 करोड़ आबादी को जल मिलता है। यदि भारत यह समझौता रद्द कर दे तो पाकिस्तान की 15 करोड़ आबादी बूंद-बूंद पानी की मोहताज हो जाएगी और उसे कमजोर कर देगी। पाकिस्तान ने कई बार भारत पर सिंधु जल समझौते के उल्लंघन करने की बात की है, परंतु भारत ने कभी भी इस समझौते का उल्लंघन नहीं किया है। दोनों देशों ने तनावपूर्ण समय में भी भारत ने हमेशा इस संधि को अपनाया है।
इन भारतीय जल विद्दुत प्रोजेक्ट्स पर पाकिस्तान ने आपत्ति की
सिंधु जल के इस्तेमाल को लेकर पाकिस्तान ने कई भारतीय प्रोजेक्ट (परियोजनाओं) जैसे- पाकल (1,000 मेगावाट), रातले (850 मेगावाट), किशनगंगा (330 मेगावाट), मियार (120 मेगावाट) और लोअर कलनाई (48 मेगावाट) पर आपत्ति जताई है। आपत्ति के कारण जम्मू कश्मीर राज्य जल संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।
उरी हमले के बाद सिंधु जल समझौता पर शुरू हुआ विवाद
18 सितंबर 2016 को सीमापार आतंकवादियों ने उरी पर आतंकवादी हमला किया जिसमें 19 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद एक बार फिर से सिंधु जल समझौते को रद्द करने की मांग उठने लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के आदेश दिए जिसमें कई आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया। उरी हमले के बाद एक बैठक बुलाई गई जिसमें सिंधु जल समझौते की समीक्षा करने की बात की गई।
इस बैठक में कहा गया कि “खून और पानी साथ साथ नहीं बह सकते हैं” यदि भारत सिंधु नदी का जल रोक दे तो पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न हो जाएगा। पूर्व विदेश सचिव कमल सिब्बल का कहना है कि भारत को सिंधु जल समझौते को रद्द कर देना चाहिए। इससे पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता है।
पुलवामा हमले के बाद पुनः शुरू हुआ सिंधु जल समझौता विवाद
14 फरवरी 2019 को पुलवामा (भारत) में एक बड़ा आतंकवादी हमला किया गया जिसमें सीआरपीएफ (CRPF) के 41 जवान शहीद हो गए। भारत ने इस हमले की कड़ी आलोचना की है और पाकिस्तान से बदला लेने की बात की है।
दोनों ही देशों में तनाव बना हुआ है, युद्ध की आशंका है। इसके साथ ही सिंधु जल समझौते को रद्द करके पाकिस्तान को सबक सिखाने की आवाज पूरे देश में उठ रही है। सिंधु जल समझौते पर जल्द ही बैठक हो सकती है जिसमें जम्मू कश्मीर से बहने वाली नदियों के जल को रोकने पर विचार हो सकता है।
क्या भारत सिंधु जल समझौते को खत्म कर सकता है?
1993 से 2011 तक पाकिस्तान के कमिश्नर रहे जमात अली शाह का कहना है कि समझौते के अनुसार भारत या पाकिस्तान कोई भी देश इस समझौते को नहीं तोड़ सकता है। दोनों देशों को मिलकर इसे फिर से बदलना होगा और एक नया समझौता करना होगा।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि लॉ ऑफ़ ट्रीटीज़ की धारा 62 के अनुसार पाकिस्तान को चरमपंथी गुटों को संरक्षण देने का हवाला बताकर इस संधि को खत्म किया जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय कहता है कि यदि मूलभूत परिस्थितियों में परिवर्तन होता है तो किसी भी संधि को समाप्त किया जा सकता है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत सिंधु जल समझौते को तोड़ता है तो पाकिस्तान विश्व बैंक से शिकायत करेगा। विश्व बैंक की अध्यक्षता में इस समझौते को खत्म किया जा सकता है।