तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi
श्री बालाजी मंदिर या श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा गौरवशाली ढंग से वर्णित किया गया है, इस मंदिर को “टेम्पल ऑफ़ 7 हिल्स (Temple of Seven Hills)” भी कहा जाता है। तिरुमाला नगर 10.33 वर्ग मीटर (26.75 किलोमीटर वर्ग) के क्षेत्र में बसा हुआ है।
लोगो का ऐसा मानना है कि भगवान कालि प्राचीन युग यहां में आने वाली मुश्किलों और क्लेश के चलते वे मानवी जीवन को बचाने के लिये अवतरित हुए थे। तिरुपति बालजी, हिंदू पौराणिक कथाओं के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक है, यह आंध्र प्रदेश के चित्तौर जिले में एक शानदार स्थान है।
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तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi
लोकप्रिय तिरुपति बालाजी मंदिर Popularity of Tirupati Balaji Temple
विशेषकर तिरुपतिबालाजी मंदिर पृथ्वी पर सबसे लोकप्रिय मंदिर है, यहाँ अनेको श्रद्धालु प्रतिदिन आते है। यह एक अध्यात्म स्थान है यहाँ का आकर्षण कई भक्तों को यहाँ आने के लिये आमंत्रित करता है और दैनिक आधार पर उनके द्वारा सबसे अधिक दान की राशि दान में दी जाती है। इस प्रकार लाखों श्रद्धालु अपने दान पुण्य करते हैं।
भगवान बालाजी की कहानी Story of God Balaji
पौराणिक कथाओं से कुछ दिलचस्प कहानियां कहती हैं कि कलि युग के दौरान भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए भगवान पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। एक बार, ऋषि भृगु यह मूल्यांकन करना चाहता थे कि पवित्र तीन देवताओं में कौन सबसे बड़ा है।
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्षि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे भगवान विष्णु की छाती पर एक लात मारी। भगवान विष्णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ लिए और पूछने लगे कि ऋषिवर पैर में चोट तो नहीं लगी। लेकिन देवी लक्ष्मी को भृगु ऋषि का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वह विष्णु जी से नाराज हो गई। नाराजगी इस बात से थी कि भगवान ने भृगु ऋषि को दंड क्यों नहीं दिया।
नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु किया तो पता चला कि देवी ने पृथ्वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिया है। भगवान विष्णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए पद्मावती के पास। भगवान ने पद्मावती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा जिसे देवी ने स्वीकार कर लिया।
अब धन कहाँ से आये तब विष्णु जी ने समस्या का समाधान निकालने के लिए भगवान शिव और ब्रह्मा जी को साक्षी मानकर कुबेर से काफी धन कर्ज लिया। इस कर्ज से भगवान विष्णु के वेंकटेश रुप और देवी लक्ष्मी के अंश पद्मवती का विवाह संपन्न हुआ, जो कि एक अभूतपूर्व विवाह था।
शादी के बाद भगवान तिरुमाला की पहाड़ियों पर रहने लगे, कुबेर से कर्ज लेते समय भगवान ने वचन दिया था कि कलियुग के अंत तक वह अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज समाप्त होने तक वह सूद चुकाते रहेंगे। भगवान के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण बड़ी मात्रा में भक्त धन-दौलत भेंट करते हैं ताकि भगवान कर्ज मुक्त हो जाएं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों का दान Donation of hair in Tirupati Balaji temple
भगवान के दर्शन करने से पहले श्रद्धालु अपनी प्रार्थनाओं और मान्यताओं के अनुसार यहाँ आकर भगवान् को अपने बाल भेट स्वरुप देते है, जिसे “मोक्कू” कहा जाता है। मंदिर प्रबंधन ने लोगों को अपने बाल दान करने में मदद करने के लिए विशाल सुविधाओं का निर्माण किया है। रोज़ लाखो टन बाल इकट्टे किये जाते है। रोज़ इन बालो को जमा किया जाता है और इन बालों को मंदिर की संस्था द्वारा इसे नीलाम कर बेच दिया जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर की महिमा The glory of Tirupati Balaji Temple
तिरुपति बलाजी मंदिर को भूलोक वैकुंठतम कहा जाता है – पृथ्वी पर विष्णु का निवास। इस प्रकार, यह माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इस कलि युग के दौरान इस मंदिर में खुद प्रगट हुए थे ताकि वह अपने भक्तों को मोक्ष की ओर निर्देशित कर सके।
दैनिक आधार पर, भगवान की मूर्ति, फूलों, सुन्दर कपड़े और गहने से भव्य रूप से सजायी जाती है। इसके अलावा मंदिर में भगवान के सजाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सोने के गहने के विशाल भंडार है।
वास्तुकला Architecture
वह स्थान जहां भगवान श्री वेंकटेश्वर की स्वयं-प्रकट (स्वैम्बु) प्रतिमा मन्दिर में स्थित है, उन्हें आनंद निलायम कहा जाता है। आनंद निलायम में, भोगश्रीनिवास मूर्ति की सुंदर मूर्ति भी मौजूद है। सुबह ‘सुप्रभातसेवा ‘ के दौरान, यह मूर्ति हटाकर मुख्य देवता के चरणों में रख दी जाती है।
भगवान् वेंकटेश्वर गर्भ गृह में पूर्व की तरफ मुह करके खड़े है। इस मंदिर में पूजा करने की वैखनासा अगमा परंपरा को अपनाया जाता है। यह मंदिर 8 विष्णु स्वयंभू क्षेत्र में से एक है और इसे धरती पर वेंकटेश्वर के बने मंदिरों में अंतिम मंदिर माना गया है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण 300 ईसवी में शुरू हुआ, जिसमें कई सम्राट और राजा समय-समय पर अपने विकास के लिए नियमित योगदान करते थे। 18 वीं सदी के मध्य में, मराठा जनरल राघोजी भोंसले ने मंदिर की व्यवस्था करने के लिए एक स्थायी प्रबंधन की अवधारणा को आगे बढ़ाया।
यह संकल्प और योजना तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) है जिसे 1933 में TTD अधिनियम के माध्यम से विकसित किया गया था। आज, TTDs अपने सक्षम प्रबंधन के तहत कई मंदिरों और उनके उप-तीर्थों का प्रबंधन और रखरखाव करता हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर सुविधाएं Tirupati Balaji Temple Facilities
तिरुपतिबालाजी मंदिर प्रबंधन ने भक्तों को मंदिर की यात्रा के दौरान भगवान के दर्शन के लिये और पहाड़ियों पर एक सुखद समय का आनंद लेंने के लिये विस्तृत और विशाल सुविधाओं का निर्माण किया है। तिरुमाला पर्वतमाला अनोखी प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न हैं।
पहाड़ियों के आसपास हरियाली और झरने है, यहाँ आने वाले श्रद्धालु के लिए यह दृश्य प्रेरणादायक और आनंद से भरपूर होता हैं। मंदिर में विभिन्न सुविधाएं आवास, बालों का दान के लिये, एक विशाल कतार परिसर में शामिल हैं, जो कि यहाँ भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों के लिये आरामदायक और परेशानी मुक्त सुविधा प्रदान करते हैं, और मुफ्त भोजन की सुविधा वहां चारों पहर होती है।
मंदिर तक पहुंचने के मार्ग How to reach Tirupati Balaji Temple
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। आज तिरुपति एक बेहद विकसित शहर है और बस और ट्रेन के माध्यम से भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
चेन्नई और हैदराबाद से इस शहर में जाने के लिए बहुत अच्छी सड़कों का निर्माण किया गया हैं।.तिरुपति से, तिरुमला पहाड़ियों की ओर जाने वाला पूरा मार्ग, बसों और कारों में यात्रा करने वाले पैदल चलने वाले लोगों के लिए यह रास्ता पक्की सड़कों से बना है।
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने धन्यबाद
Thank you for important information.
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने धन्यबाद
धन्य हो गये कहानी पढ़कर।
बहूत अच,छा लगा
भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी की कथा आपके माध्यम से जानकर जीवन धन्य हो गया
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।
hame aana hai darsan karne kaha utarana hoga relve se kitana dur hai mandir
Mai trupati aaya hu darsan krne ke liye lekin bhgnwan are venkteswerswami ki khani nhi janta tha dhny hu mai pdhkar
Tirupati main station and after left train by buss you can come in mandir station to mandir distance aproximate20k.m.
हर व्यक्ति ने अपनी जिंदगी मे एक बार तो जरूर तिरुपती बालाजी जाकर दर्शन लेना उसके बाद देखे अपनी जिंदगी में शांती और सुकुन कैसे मील जाता है
Have come to know the history of “Tirupati balaji”. Thanks for this kind n pious act. I am retired govt. servant (senior citizen aged 70) from Ambala (Haryana). Please guide me about the stay at temple ( tariff, mode of payment etc.) Thanking in anticipation.
thankyou so much
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी आपको मैं कोटि-कोटि नमस्कार करता हूं