जल प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में Essay on Water Pollution in Hindi

इस जल प्रदूषण पर निबंध हिन्दी (Essay on Water Pollution in Hindi) लेख में आप जल के महत्व, जल प्रदूषण की परिभाषा, इसके कारण, प्रभाव और रोकने के उपाय के विषय में बताया गाय है।

जल प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में Essay on Water Pollution in Hindi

आज के समय की सबसे गंभीर समस्या जल प्रदूषण है। इसके कारण पूरे विश्व में कई तरह की बीमारियाँ और लोगों की मौते  भी हो रही है।

आंकड़ो के अनुसार लगभग प्रतिदिन 14,000 लोगों की मौत हो रही है। जिसमें 580 भारतीय हैं। आज हम बात करने वाले है जल प्रदूषण को लेकर और जानेंगे कि कैसे इससे बचा जाये तो शुरू करते है –

जल का हमारे जीवन में क्या महत्व है ? Importance of water in Our।ives

जल का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है यह बात हम सभी जानते है। क्योकि जल के बिना जीवन की कल्पना करना शायद नमुमकिन है। हम सभी जानते है धरती का लगभग 3 चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है। इस का लगभग 97 प्रतिशत जल सागर और महासागरो में पाया जाता है।

इस बचे हुए 3 प्रतिशत में से 2 प्रतिशत जल ग्लेशियर और वर्फ के रूप में पाया जाता है। मात्र 1 प्रतिशत जल ही हमारे पीने योग्य बचता है। जल का मुख्य स्त्रोत झीलें, नदियां, समुद्र, नहरे आदि है।  

जल प्रदूषण पर विडिओ

जल प्रदूषण क्या है ? What is Water Pollution ? 

जल प्रदूषण का समास विग्रह जल का प्रदूषण यानि की जल के प्रदूषित होने से है। नदियाँ, नहर, समुद्र लगातार रूप से अपने गंतव्य तक बहते रहते है। लगातार रूप से बहने के कारण इनका जल शुद्ध होता रहता है।

यदि किसी भी प्रकार की गंदगी आती भी है तो लगातार रूप से बहने के कारण यह साफ़ हो जाती है और जल उपयोग करने लायक बना रहता है।

जल प्रदूषण का अर्थ है है जब इन सभी निकायों में विषेले पदार्थो का समावेश होता है तो यह जल अशुद्ध हो जाता है। यह अशुद्धियां जल में घुल जाने के कारण जल को प्रदूषित कर देती है जिसके कारण जल प्रदूषण का कारण बनता है और यही प्रक्रिया जल प्रदूषण को परिभाषित करती है।

जब जल में हानिकारक पदार्थ जैसे सूक्ष्म जीव, रसायन, औद्योगिक, घरेलू या व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से उत्पन्न दूषित जल आदि मिल जाते है तो जल प्रदूषित हो जाता है। इसे ही जल प्रदूषण कहा जाता हैं। इन सभी हानिकारक पदार्थों के मिलने से यह जल के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणधर्म को प्रभावित करता है।

जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है और इन हानिकारक दुष्प्रभावों के कारण यह जल घरेलू, व्यावसायिक, औद्योगिक, कृषि अथवा अन्य किसी भी सामान्य उपयोग के योग्य नहीं रह जाता। इसे ही जल प्रदूषण कहा जाता है।

जल प्रदूषण के क्या कारण है ? Reasons of Water Pollution

आखिर ऐसे क्या कारण है, जिनसे जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है ? जल प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है? ऐसे कई सवाल है जो लोगो के मन में चलते है।

जल प्रदूषण का सीधा सम्बन्ध जल के अत्याधिक उपयोग से है। शहरो में पर्याप्त मात्रा में जल का उपयोग किया जाता है और घरो, फैक्टोरियों आदि स्थानों से निकलने वाले अपशिष्ट और अशुद्ध जल को सीवरों तथा नालियों द्वारा जलस्त्रोतों में गिराया जाता है।

क्योकि यह अपशिष्ट जल अनेक विषैले रासायनों एवं कार्बनिक पदार्थों से युक्त होता है। जिससे जल स्रोतों का स्वच्छ जल भी प्रदूषित हो जाता है। जिससे जल प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। जल प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मानवीय और प्राकृतिक कारण है।

प्राकृतिक कारण Natural Reason

प्राकृतिक रूप से जल प्रदूषण जल में भूक्षरण खनिज पदार्थ, पौधों की पत्तियों एवं ह्यूमस पदार्थ तथा प्राणियों के मल-मूत्र आदि के मिश्रण से होता है। एकत्रित जल में खनिजों की मात्रा अधिक होने के कारण इनमें आर्सेनिक, सीसा, कैडमियम एवं पारा आदि (जिन्हें विषैले पदार्थ कहा जाता है) मिक्स हो जाते है।

साथ ही विषैले पदार्थों के अतिरिक्त निकिल, बेरियम, बेरीलियम, कोबाल्ट, टिन, वैनेडियम आदि भी जल में अल्प मात्रा में प्राकृतिक रूप से मिले होते हैं। अत्यधिक अनुकूल सान्द्रता के कारण यह हानिकारक हो जाते हैं।

मानवीय कारण Human Reason

घरेलू अपशिष्ट द्वारा House hold wastage

विभिन्न दैनिक घरेलू कार्यों तथा खाना पकाने, नहाने, कपड़ा धोने एवं अन्य सफाई कार्यों में विभिन्न पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जो अपशिष्ट पदार्थों के रूप में घरेलू नालियों में बहा दिए जाते हैं जो अन्ततः जलस्रोतों में जाकर गिरते हैं।

इस तरह के सड़े हुए फल, सब्जियाँ, रसोई घरों से निकली चूल्हे की राख, विभिन्न तरह का कूड़ा-करकट आदि प्रदूषणकारी अपशिष्ट पदार्थ होते हैं, जो जलस्रोतों से मिलकर जल प्रदूषण का कारण बनते हैं। वर्तमान समय यह दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है और यही जल प्रदूषण का स्थाई कारण बनते हैं।

मल का जल में बहाव Sewage flow in Water

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शुरू में जल प्रदूषण को जल में मानव मल के मिश्रित होने के रूप में ही संदर्भित किया गया था। मुख्यतः मानव मल में बैक्टीरिया पाए जाते है और यदि यह जल में मिश्रित हो जाते है तो यह उस जल को भी प्रदूषित कर देते है और यह जल मानव उपयोग के लिये अयोग्य समझा जाता था।

आंकड़ो के अनुसार एक वर्ष में 10 लाख व्यक्तियों पर 5 लाख टन सीवेज उत्पन्न होता है, जिसका अधिकांश भाग समुद्र एवं नदियों में मिलता है।

औद्योगिक बहाव Industrial Flow

कई उद्योगों में प्रोडक्शन के बाद अनेक अपशिष्ट पदार्थ बच जाते है जिन्हें औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थ कहा जाता है। जिनमे अधिकतर कई प्रकार के अम्ल, क्षार, लवण, तेल, वसा आदि विषैले रासायनिक पदार्थ विद्यमान रहते है। ये सब ही जल में मिलकर जल को विषैला बनाकर प्रदूषित कर देते हैं।

कृषि बहाव Agricultural Waste Water

वर्तमान समय में फसलों से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए भारतीय कृषको द्वारा अनेक प्रकार की रासायनिक खाद डाली जा रही है। इसके साथ ही कीटनाशक दवाओं का प्रयोग भी तीव्र गति से किया जाता है। वर्षा के समय में तेजी से वर्षा के कारण यह खाद जल में मिक्स हो जाती है जिसके कारण यह पीने योग्य जल को अशुद्ध करती है। 

जल प्रदूषण को चेक करने के मापदंड Parameters or Criteria’s for Checking Water Pollution

जल की शुद्धता को मापने के लिए कुछ मानक है जिन्हें देखकर हम जल के प्रदूषण को नाप सकते है –  

भौतिक मापदंड Physical Parameters

यदि जल के तापमान, रंग, प्रकाशवेधता, संवहन (तैरते एवं घुले) एवं कुल ठोस पदार्थ में कोई अंतर आता है तो हम इस आधार  पर कह सकते है की जल अशुद्ध है।

रासायनिक मापदंड Chemical Parameters

यदि जल में ऑक्सीजन, सी.ओ.डी. (Chemical Oxygen Demand), Ph. मान, क्षारीयता/अम्लीयता, भारी धातुएँ आदि की मात्रा में changes आता है तो इसे जल प्रदूषण की श्रेणी में रखा जा सकता है।

जैविक मापदंड Biological parameters

जल में यदि बैक्टीरिया, शैवाल एवं वायरस आते हैं और इनकी लिमिट यदि लगातार बढ़ने लगती है तो हम कह सकते है की जल प्रदूषित हो रहा है।

जल प्रदूषण के क्या प्रभाव है? Effects of Water Pollution

जल प्रदूषण के दुष्प्रभाव जलीय जीवन और मानवीय जीवन दोनों पर देखने को मिलता है। औद्योगिक क्षेत्रो से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो में कई प्रकार के विषेले पदार्थ मिक्स होने के कारण यह जलीय जीवन को नष्ट कर देता है। इस तरह यह अनेक पादपों एवं जन्तुओं का विनाश करता है।

साथ ही इसका प्रभाव राष्ट्र के स्वास्थ्य पर भी देखा गया है। यह एक गम्भीर खतरा है। आंकड़ो के अनुसार लगभग 2/3 बीमारियों का कारण प्रदूषित जल ही है।

पीने वाले पानी के साथ-साथ रोगवाहक बैक्टीरिया, वायरस, प्रोटोजोआ मानव शरीर में पहुँचकर हैजा, टाइफाइड, शिशु प्रवाहिका, पेचिश, पीलिया, अतिशय, यकृत एप्सिस, एक्जिमा जियार्डिया, Leptospirosis, जैसे भयंकर रोग उत्पन्न करते है और यह जल के साथ रेडियोधर्मी पदार्थ भी मानव शरीर में प्रविष्ट कर यकृत, गुर्दे एवं मानव मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।

जल प्रदूषण का दुष्परिणाम समुद्री जीवों पर भी देखने को मिलता है इसके कारण भारी मात्रा में मछलियों का मरना देश के कई हिस्सों में एक आम बात हो गयी है।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय How to Stop Water Pollution?

अभी हमने जाना कि जल प्रदूषण कैसे होता है ? अब बात करेंगे जल प्रदूषण को रोकने के कुछ उपायो के बारे में कि कैसे

जल प्रदूषण का निवारण किया जा सकता है ? इसे रोकने के लिए हमें खुद से ही प्रयास करने होंगे। इसकी जिम्मेदारी जब तक हम खुद नही लेंगे हम बेहतर कल की उम्मीद नही कर सकते। जल प्रदूषण से बचाव के कुछ तरीके है जिन्हें हम अपनाकर इसे रोक सकते है जो निम्न है –

  1. जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए हमें घरो से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो को जल में जाने से रोकना होगा। इसके लिए पेयजल के स्रोतों (जैसे – तालाब, नदी इत्यादि) के चारों तरफ दीवार बनाकर विभिन्न प्रकार की गंदगी के प्रवेश को रोका जा सकता है। साथ ही जलाशयों के आस-पास गंदगी करने, उनमें नहाने, कपड़े धोने आदि पर रोक लगायी जानी चाहिए।
  2. जो लोग नदी एवं तालाब में पशुओं को नहलाने का कार्य करते है उन्हें यह कार्य करने से रोका जाना चाहिए।
  3. उद्योगों से निकलने वाली गंदगी पर भी रोक लगाने का कार्य किया जाना चाहिये। साथ ही इन्हें अपने अपशिष्ट जल का उपचार किए बिना जलस्रोतों में विसर्जित करने से रोका जाना चाहिए।
  4. कृषि कार्यों में अत्यधिक उर्वरक एवं कीटनाशक दवाओ का प्रयोग भी सीमित करना होगा।
  5. समय अन्तराल पर प्रदूषित जलाशयों की साफ़ सफाई का कार्य कराना चाहिए। जिसमें जल में उपस्थित अनावश्यक जलीय पौधों एवं तल में एकत्रित कीचड़ को निकालकर जल को स्वच्छ बनाए रखने के लिये प्रयास किये जाने चाहिए।
  6. मछलियों की कुछ प्रजातियों में ऐसे गुण होते है जो मच्छरों के अण्डे, लार्वा तथा जलीय खरपतवार को खाने का कार्य करती है ऐसी मछलियों को जल में पालने पर जल की शुद्धता कायम रखने में मदद मिलती है।
  7. जल में मल त्याग को रोका जाना चहिये। जिससे कि जल में किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया उत्पन न होकर जल को प्रदूषित न करें।
  8. इसके साथ ही लोगो को लगातार रूप से जल प्रदूषित न करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चहिये। जिससे की आम आदमी अपनी जिम्मेदारी समझ कर इसे प्रदूषित होने से बचाने में भरपूर मदद कर सके।

दोस्तों ऊपर बतायी गयी सभी जानकारी को अपने जीवन में उतारकर हम जल प्रदूषण को रोककर उससे होने वाली समस्या को भी रोक सकते है। आप कैसे जल प्रदूषण को रोकने में मदद करेंगे हम जरुर कमेंट करें।  

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