नव रात्रि के 9 दिन – नव दुर्गा का महत्व Navratri 9 Durga Mata Names in Hindi
नव रात्रि के 9 दिन – नव दुर्गा का महत्व Navratri 9 Durga mata names in Hindi , जानिए नवरात्रि के नौ दिनों का महत्व!
नवरात्रि एक हिंदू पर्व है। इसमें नौ दिनों तक तीन देवियों – महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर हिंदुस्तानी इस पर्व को बड़े ही उल्लास से मनाता है। सभी भक्तों को नवरात्रि का इंतजार रहता है। सभी भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है।
नव रात्रि के 9 दिन : नव दुर्गा का महत्व Navratri 9 Durga Mata Names in Hindi
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री और कूष्मांडा की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में इन नौ देवियों के रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि की पूजा सबसे पहले श्रीराम ने समुद्र तट के किनारे की थी जब वह रावण से युद्ध करने जा रहे थे।
उनको ऋषि-मुनियों ने परामर्श दिया था कि रावण जैसे महाशक्तिशाली दानव को हराने के लिए नवरात्रि की पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि की पूजा करने से कष्ट दूर होते हैं। जीवन में खुशहाली आती है। नवरात्रि की पूजा करने से भक्तों को आत्मिक संतोष की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि की नौ देवियाँ के नाम 9 Durga mata names
- शैलपुत्री – पहाड़ो की पुत्री
- ब्रह्मचारिणी – ब्रह्मचारीणी
- चंद्रघंटा– चाँद की तरह चमकने वाली
- कूष्माण्डा –पूरा जगत उनके पैर में
- स्कंदमाता –कार्तिक स्वामी की माता
- कात्यायनी –कात्यायन आश्रम में जन्मि
- कालरात्रि –काल का नाश करने वली
- महागौरी –सफेद रंग वाली मां
- सिद्धिदात्री –सर्व सिद्धि देने वाली
नवरात्रि का पहला दिन (शैलपुत्री पूजा)
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इन्हें हिमालय की पुत्री भी कहते हैं। इनका वाहन बैल है। मां शैलपुत्री सभी जीव जंतु का संरक्षण करती हैं। किसी पहाड़ पर्वत या चोटी पर मानव बस्ती या घर बनाने से पहले मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से प्राकृतिक आपदाएं। रोग और संक्रमण से रक्षा होती है। इस दिन घी से भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी पूजा)
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। फोटो में ये तप करती हुई दिखाई देती हैं। मां के इस रूप में दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। मां के इस रूप की पूजा करने से भक्तों की कुंडली जागृत होती है। इस दिन मां को शक्कर का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्र का तीसरा दिन (चंद्रघंटा पूजा)
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का वाहन बाघ है। इस रूप में मां की 10 भुजाएं हैं। हाथों में तलवार, कड़क, त्रिशूल, धनुष, गदा, चक्र, बाण, ढाल हैं। योग साधना में सफलता पाने के लिए मां के इस रूप की पूजा की जाती है। इस दिन मां को दूध का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का चौथा दिन (कूष्माण्डा पूजा)
इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इस रूप में ऐसा माना जाता है कि मां कूष्मांडा ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। इस रूप में इनकी आठ भुजाएं हैं। इस रूप में मां की पूजा करने से आयु बढ़ती है। यश की प्राप्ति होती है और व्यक्ति अत्यधिक बलवान और शक्तिशाली बनता है। इस दिन मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का पांचवा दिन (स्कंदमाता पूजा)
इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इस रूप में मां दानवों का संहार करती है। यह पूजा करने से भक्तों को मानसिक शांति मिलती है। इस दिन मां को केले और शहद का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्र का छठा दिन (कात्यायनी पूजा)
इस दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस रूप में मां ने कात्यायनी ऋषि के घर जन्म लिया था इसलिए इन्हें मां कात्यायनी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से कुंवारी लड़कियों का विवाह शीघ्र हो जाता है। इस रूप में मां की चार भुजाएं हैं। उनके हाथों में तलवार कमल है। अन्य दो हाथों से मां कात्यायनी भक्तों को वरदान दे रही हैं। माँ ने इस रूप में स्वर्ग को दानवों से मुक्त किया था। इस दिन मां को शहद का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का सातवां दिन (कालरात्रि पूजा)
इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस रूप में मां का रंग काला है। उनका वाहन गधा है, उनके बाल खुले हुए हैं। इस रूप में मां अत्यंत क्रोधित और प्रचंड दिख रही हैं। मां के इस रूप की पूजा करने से भक्तों का भय दूर होता है। इस दिन मां को गुड़ की चीजों का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का आठवां दिन (महागौरी पूजा)
इस दिन मां की पूजा महागौरी के रूप में की जाती है। इस रूप में मां भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी। उन्होंने इसके लिए लंबी तपस्या की। उनका रंग काला हो गया। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर मां को गंगाजल से धोया था। इस कारण मां का रंग श्वेत को हो गया। गौर वर्ण (श्वेत रंग) होने के कारण मां का नाम गौरी पड़ गया। सभी विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए मां के इस रूप की पूजा करती हैं। मां को चुनरी पहनाती हैं। इस दिन मां को नारियल का भोग लगाना चाहिए।
नवरात्रि का नौवां दिन (सिद्धिदात्री पूजा)
इस दिन को महानवमी भी कहा जाता है। इस दिन मां की पूजा मां सिद्धिदात्री के रूप में की जाती है। इस रूप में मां की चार भुजाएं हैं। उनकी भुजाओं में गधा कमल शंख है। मां के इस रूप की पूजा करने से भक्तों की सभी कामनाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव को मां ने अपने सिद्धि द्वारा अर्धनारीश्वर बना दिया था। इस दिन मां को अनाज का भोग लगाना चाहिए।
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