स्टीफन हॉकिंग की जीवनी Stephen Hawking Biography in Hindi

इस लेख में आप हिंदी में स्टीफन हॉकिंग की जीवनी (Stephen Hawking Biography in Hindi) पढ़ेंगे। इसमें स्टीफन हॉकिंग का परिचय, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, उनकी बीमारी, शोध कार्य, निजी जीवन और मृत्यु इत्यादि के बारे में संक्षिप्त में जानकारी दी गई है।

स्टीफन हॉकिंग की जीवनी Stephen Hawking Biography in Hindi

दुनिया में दो प्रकार के लोग होते हैं, पहले वह जो मुश्किलों के आगे घुटने टेक देते हैं और दूसरे जो मुश्किलों को खुद के आगे झुकने पर मजबूर कर देते हैं। 

स्टीफन हॉकिंग जो एक विश्व प्रसिद्ध साइंटिस्ट हैं, उनका जीवन उपरोक्त पंक्तियों के लिए बिल्कुल ठीक बैठता है। स्टीफन हॉकिंग ने उपलब्धियों की ऐसी अद्भूत श्रृंखला प्रस्तुत की है, जो किसी भी आम इंसान द्वारा इतिहास में आज तक नहीं हुआ है।

जिस समय स्टीफन हॉकिंग के जीवन की शुरुआत हुई थी, उसी दौर में वे एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए थे। जिसके कारण कुछ समय के अंदर ही उनका पूरा शरीर लकवा ग्रस्त हो गया था। 

यह वह दौर था जब कोई इंसान जीने की उम्मीद छोड़ देता है, लेकिन स्टीफन हॉकिंग थोड़े जिद्दी प्रकृति के थे जिन्होंने अपनी बीमारी को ढाल बनाकर जीवन में एक के बाद एक सफलताएं प्राप्त की।

स्टीफन हॉकिंग शुरुआती जीवन में एक मध्यमवर्गीय छात्र थे, जिन्हें विज्ञान और गणित में बेहद दिलचस्पी थी। एक सामान्य विद्यार्थी से एक ब्रिलियंट साइंटिस्ट बनने का फासला तय करने के लिए उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। एक वैज्ञानिक के तौर पर स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण खोज किए। 

उन्होंने तारों के विषय में दुनिया को बताया की जब तारे  पुराने हो जाते हैं, तबी यह ठंडे पड़ जाते हैं और अंत में वह ब्लैक होल का रूप लेते हैं। इसके अलावा सर स्टीफन हॉकिंग ने कई सिद्धांत विश्व के सामने पेश किए जिससे पूरे विज्ञान जगत को एक बड़ा लाभ पहुंचा।

स्टीफन हॉकिंग जन्म व प्रारंभिक जीवन Stephen Hawking Birth and Early Life in Hindi

8 जनवरी 1942 के दिन इंग्लैंड के कैंब्रिज में स्टीफन विलियम हॉकिंग का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम फ्रैंक हॉकिंग और मां का नाम इसोबेल हॉकिंग था। स्टीफन हॉकिंग के पिता एक इंग्लिश बायोलॉजिस्ट थे और माता फिलॉसफी, पॉलिटिक्स और इकोनॉमी में ग्रेजुएट थीं। 

उनका पूरा परिवार पढ़ाई लिखाई पर ज्यादा ध्यान देता था, जिसके वजह से स्टीफन हॉकिंग बचपन से ही दिन भर किताबों में ही खोए रहते थे। 

हालांकि स्टीफन का परिवार बहुत ज्यादा अमीर नहीं था और टीचिंग करके घर का गुजारा चलता था। शिक्षा के माहौल के कारण स्टीफन जब छोटे थे तब वह दूसरे बच्चों के साथ खेलकूद करने से ज्यादा किताबों के साथ पाए जाते। 

ज्ञानवर्धक किताबें स्टीफन हॉकिंग को एक वैज्ञानिक बनाने में बड़ी सहायक साबित हुई। कहा जाता है कि वे इतने ब्रिलियंट थे कि उन्होंने एक बार घर में खराब पड़ी हुई मशीन से एक छोटा सा कंप्यूटर बना दिया था। 

स्टीफन हॉकिंग की शिक्षा Stephen Hawking’s Education in Hindi

स्टीफन हॉकिंग की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही माता-पिता के देखभाल में संपन्न हुई। जब वह 8 साल के थे, तब परिवार सहित सभी सेंट अल्बान में आकर बस गए थे। यही के एक स्थानीय स्कूल में स्टीफन का दाखिला करवाया गया। 17 वर्ष की आयु में स्टीफन हॉकिंग ने नेचुरल साइंस में स्कॉलरशिप जीता। 

स्कॉलरशिप की मदद से उन्होंने अपने लिए कई किताबें और अच्छे टीचर्स से ट्यूशन प्राप्त किया। स्कूल के बाद स्टीफन हॉकिंग भौतिक ने विज्ञान के विषय पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की।

हालांकि स्टीफन के पिता शुरुआत से ही उन्हें मेडिकल की पढ़ाई करवाना चाहते थे, लेकिन इस विषय में स्टीफन को जरा भी रुचि नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने मनपसंद विषय पर ही आगे की पढ़ाई करना प्रारंभ किया। 

भौतिक विज्ञान के अलावा स्टीफन को गणित में भी गहरी रुचि थी। लेकिन वहां गणित का विकल्प नहीं था, जिसके कारण उन्होंने भौतिक विज्ञान को चुना। 

ए ग्रेड से परीक्षा में पास होने के बाद स्टीफन ने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में वर्ष 1962 में डिपार्टमेंट ऑफ़ अप्लाइड मैथमेटिक्स एंड थ्योरिटिकल फिजिकल से ब्रह्मांड विज्ञान पर रिसर्च किया। 

स्टीफन हॉकिंग की बीमारी Stephen Hawking’s Disease in Hindi

स्टीफन हॉकिंग की काबिलियत पर उनके माता-पिता के साथ सभी शिक्षकों को भी फक्र होता था। लेकिन अपने जीवन के सबसे मुश्किल भाग को देखना अभी बाकी था। स्टीफन हॉकिंग अपने स्कूल और कॉलेज में अच्छे नंबर से हमेशा आवल आते थे। 

लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। बीए ऑनर्स की पढ़ाई के दरमियान वह फर्स्ट ईयर सेकंड, ईयर में कई रिकॉर्ड बना चुके थे। लेकिन तीसरा साल आते ही उनकी तबीयत अचानक से खराब होने लगे।

कुछ दिनों के अंदर स्टीफन की दशा ऐसी हो गई कि वह बोलते बोलते अचानक से रुक जाते और चलते हुए अपने आप जमीन पर गिर कर बेहोश हो जाते थे। पहले तो लोग उनके बिगड़ते तबीयत की वजह को कमजोरी बताया। 

लेकिन जब डॉक्टर को दिखाया गया तब स्टीफन एक ऐसे गंभीर रोग एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस Amyotrophic Lateral Sclerosis (ALS) से ग्रसित पाए गए, जिसका उस समय में कोई भी इलाज नहीं था। इस बिमारी में मसल्स तथा नर्वस सिस्टम के बीच तालमेल बंद हो जाता है, जिससे पूरा शरीर धीरे-धीरे स्थिर पड़ने लगता है।

डॉक्टर ने यह भी कहा की उनके पास मात्र 2 वर्ष का समय बचा है, उसके बाद उनकी मौत हो जाएगी। स्टीफन ने कभी भी अपने बीमारी को अपने पढ़ाई के मार्ग का कांटा नहीं बनने दिया और कैसे भी करके 1965 में प्रॉपर्टीज ऑफ एक्स्पांडिंग यूनिवर्स के थीसिस से पीएचडी की डिग्री अपने नाम कर ली।

जो समय उनके करियर की शुरुआत का समय था, वहीं से उनकी जिंदगी बद से बदतर होना शुरू हो गई थी। स्टीफन हॉकिंग अपने इस रोग से दुखी तो बहुत हुए लेकिन उन्होंने हार न मानकर आगे बढ़ते रहने की ठान ली और आज उसका परिणाम दुनिया के सामने है। 

स्टीफन हॉकिंग का निजी जीवन Stephen Hawking’s Personal Life in Hindi

एक आशावादी जीवन की आस में स्टीफन हॉकिंग हमेशा आगे बढ़ने की राह पर चलते थे। लेकिन अपने मोटर न्यूरॉन बीमारी के कारण स्टीफन डिप्रेशन में चले गए थे। एक अपाहिज व्यक्ति के स्थिति को देखकर हर कोई दया भाव दिखाता था, जो कि स्टीफन हॉकिंग को अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने कभी भी अपनी बीमारी को अपनी लाचारी की वजन नहीं बनने दे।

हालांकि किसी भी अपंग अपाहिज व्यक्ति के लिए एक अच्छा जीवनसाथी ढूंढ पाना बड़े भाग्य की बात होती है। वे जब प्रोफ़ेसर थे तब उनकी मुलाकात जेन वाइल्ड से हुई, जिसके बाद दोनों ने कुछ समय बाद शादी कर ली जिससे उनके 3 बच्चे हुए। आपसी मतभेद के कारण दोनों का तलाक हो गया। 

तलाक़ के कुछ सालों बाद ही स्टीफन और एलेन मेशन ने वर्ष 1995 में शादी कर ली। दुर्भाग्यवश यह रिश्ता भी अधिक समय तक नहीं चल पाया और 2016 में दोनों ने अलग रहने का फैसला कर लिया। 

अब हॉकिंग के शरीर का आधा भाग पैरालाइज हो चुका था। स्टूडेंट्स को पढ़ाने और अपने विचारों तथा रिसर्च को दुनिया के सामने रखने के लिए इशारों में बात करने लगे थे। 

स्टीफन हॉकिंग के शोध कार्य Stephen Hawking’s Research Work in Hindi

स्टीफन हॉकिंग ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भी यहां पर अपना शोध काम जारी रखा। डिपार्टमेंट ऑफ़ अप्लाइड मैथमेटिक्स एंड थ्योरिटिकल फिजिकल में 1972 में उन्होंने अपनी सेवाएं प्रदान की। इसी दरमियान द लार्ज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ़ स्पेस टाइम नामक अपनी पहली एकेडमीक पुस्तक लिखी।

1974 में रॉयल सोसायटी का फेलोशिप स्टीफन को दिया गया, जो एक बड़ी सफलता थी। अगले वर्ष 1975 में उन्होंने गुरुत्वाकर्षण भौतिकी रीडर के रूप में अपना अनुसंधान जारी रखा, जिसके बाद वे उस विषय के प्रोफेसर बन गए। 

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध एकेडमिक गणित के लुकासियन प्रोफ़ेसर का पद 1979 में स्टीफन हॉकिंग को प्रदान किया गया जहां उन्होंने वर्ष 2006 तक अपनी सेवाएं प्रदान किया। 

स्टीफन हॉकिंग सबसे महत्वपूर्ण खोजों को निम्नलिखित दिया गया-

ब्टॉप  डाउन थिअरी 2006

वर्ष 2006 में स्टीफन हॉकिंग ने टॉप डाउन कॉस्मोलॉजी के सिद्धांत को प्रस्तुत किया। ब्रह्मांड विज्ञान पर आधारित यह अनुसंधान में स्टीफन हॉकिंग ने कहा की ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण की शक्ति मौजूद है, जिसके कारण ही वह नवीनतम रचनाएं करता रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके पीछे किसी ईश्वरीय शक्ति का हाथ नहीं है।

ब्लैक होल सिद्धांत 1971 -74

सर स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल पर आधारित कई सिद्धांत  दिए हैं। पहले अनुसंधान में उन्होंने  बताया की ब्लैक होल का क्षेत्रफल कभी भी छोटा नहीं होगा। यह रिसर्च हॉकिंग एरिया थ्योरम के नाम से जाना जाता है। उन्होंने यह भी कहा बताया कि ब्लैक होल गर्म होता है, लेकिन इससे गर्मी का विकर्ण नहीं होता है।

नो हेयर थ्योरम ब्लैक होल पर आधारित थी। उन्होंने अपने अनुसंधान में बताया की ब्लैक होल में द्रव्यमान, चार्ज, कोणीय गति इत्यादि जैसी कई विशेषताएं मौजूद है। स्टीफन हॉकिंग के मुताबिक ब्लैक होल द्वारा विकरण का उत्सर्जन तब तक होता रहता है, जब तक की उसकी पूरी ऊर्जा नष्ट नहीं हो जाती। 

इस सिद्धांत को हॉकिंग विकिरण के नाम से जाना जाता है। 1971 में ब्लैक होल्स को शीर्षक बनाकर उन्होंने एक लेख लिखा। जिसके कारण सुप्रसिद्ध ग्रेविटी रिसर्च फाउंडेशन पुरस्कार स्टीफन हॉकिंग को प्रदान किया गया।

कॉस्मिक इन्फ्लेशन थ्योरी 1982

साल 1980 में पहली बार एलन गुथ ने सिद्धांत प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड में महा विस्फोट के पश्चात आकाशगंगाओं का निर्माण होता है, जो बहुत ही शीघ्र फैल जाता है। स्टीफन हॉकिंग ने क्वांटम थ्योरी को भी प्रस्तुत किया। इस अनुसंधान के बाद स्टीफन हॉकिंग की प्रसिद्धि पूरे दुनिया में और भी बढ़ गई।

यूनिवर्स का वेव फंक्शन मॉडल  1983

वर्ष 1983 में स्टीफन हॉकिंग और जेम्स हार्टले ने साथ मिलकर हार्टले- हाकिंग स्टेट मॉडल प्रस्तुत किया। जिसमें यह बताया गया कि बिग बैंग के पहले समय शून्य था, अर्थात नहीं मौजूद था। इसलिए ब्रह्मांड के प्रारंभ की पूर्वधारणा गलत है। क्योंकि ब्रह्मांड में जगह या समय में कोई भी प्रारंभिक सीमा नहीं है।

सिंगुलेरिटी का सिद्धांत 1970

आइंस्टाइन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत से सहायता लेकर स्टीफन हॉकिंग ने 1970 के दशक में सिंगुलेरिटी सिद्धांत को प्रस्तुत किया। अपने इस अनुसंधान में उन्होंने बताया कि बिग बैंग होने का मुख्य कारण एक विशाल ब्लैक होल का पतन था। 1970 में प्रकाशित किए गए एक लेख में स्टीफन हॉकिंग ने कहा की ब्रह्मांड की उत्पत्ति ब्लैक होल के केंद्र से ही हुई है।

स्टीफन हॉकिंग के जीवन पर आधारित फिल्‍म Film Based on The Life of Stephen Hawking in Hindi

स्टीफन हॉकिंग जैसे महान विज्ञानिक सदियों में एक बार जन्म लेता है। इंसानो के इतिहास में आज तक जो संभव नहीं हो पाया वह स्टीफन हॉकिंग ने कर दिखाया है। 

उन्होंने दुनिया को स्वयं के ऊपर गर्व करने के लिए बहुत सारे मौके दिए हैं। जिस प्रकार स्टीफन हॉकिंग ने  मुश्किल परिस्थितियों में संघर्ष किया ऐसे परिस्थिति की कल्पना भी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं कर सकता। 

सन 2014 में हॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर जेम्स  मार्श द्वारा स्टीफन हॉकिंग के जीवनी पर एक फिल्म बनाई गई थी, उसका नाम है “द थिअरी ऑफ एवरीथिंग”। इस फिल्म में स्टीफन हॉकिंग के शुरुआती जीवन से लेकर उनके तमाम संघर्षों और उपलब्धियों को दिखाया गया है।

स्टीफन हॉकिंग के पुरस्कार Stephen Hawking Awards in Hindi

अपने महान अनुसंधानो के बल पर सर स्टीफन हॉकिंग ने कई बड़े-बड़े पुरस्कार हासिल किए। शिक्षा के प्रति स्टीफन हॉकिंग का झुकाव कुछ इस प्रकार हुआ कि उन्होंने शिक्षा को शस्त्र बनाकर दस से भी अधिक विश्व प्रसिद्ध डिग्रियां प्राप्त की। स्टीफन हॉकिंग के प्रदान किए गए कुछ महत्वपूर्ण पुरस्कार निम्न लिखित दिए गए हैं।

  • एडम्स पुरस्कार- (1966)
  • एडिंगटन पदक- (1975)
  • मैक्सवेल मेडल एंड प्राइज- (1976)
  • हेइनीमान पुरस्कार- (1976)
  • अल्बर्ट आइंस्टीन मेडल- (1978)
  • आरएएस गोल्ड मेडल- (1985)
  • डिराक मेडल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल-  (1987)
  • वुल्फ पुरस्कार- (1988)
  •  प्रिंस ऑफ अस्टुरियस अवार्ड- (1989)
  • एंड्रयू जेमेंट अवार्ड 1998
  • नायलोर पुरस्कार और लेक्चरशिप- (1999)
  • लिलाइनफेल्ड पुरस्कार- (1999)
  • अल्बर्ट मेडल by रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट- (1999)
  • कोप्ले मेडल- (2006)
  • प्रेसिडेंटियल मेडल ऑफ फ्रीडम- (2009) 
  • फंडामेंटल फिजिक्स प्राइज- (2012)
  • बीबीवीए फाउंडेशन फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड- (2015)

स्टीफन हॉकिंग की मृत्‍यु Stephen Hawking’s Death in Hindi

76 वर्ष की आयु में 14 मार्च 2018 में स्टीफन हॉकिंग  का निधन हो गया। उनकी राख को दुनिया के महान वैज्ञानिक सर चार्ल्स डार्विन और आइंस्टाइन न्यूटन के पास सुरक्षित रखा गया है। 

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