इस लेख में हिन्दी में जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास (History of Jama Masjid Delhi in Hindi) लिखा गया है। इसमें जामा मस्जिद की विशेषता, वास्तुकला, मनाए जाने वाले पर्व, टिकट, तथा वहाँ पहुचने के मार्ग के विषय में पूरी जानकारी दी गई है।
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जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास History of Jama Masjid Delhi in Hindi
भारत की सबसे बड़ी मस्जिद, दिल्ली में जामा मस्जिद है, जिसे मुगल सम्राट शाहजहां ने 1656 ईस्वी में बनाया था। इतिहास का कहना है कि 5,000 कारीगरों ने शाहजहाबाद में पहाड़ी भोज़ाल पर मस्जिद-ए-जहान नूमा या जामा मस्जिद का निर्माण किया था। यहाँ के प्रांगण में 25,000 लोग एक साथ अपनी नमाज़ अदा कर सकते हैं।
पुरानी दिल्ली में इस मस्जिद की वास्तुकला में दोनों हिंदू और इस्लामी शैलियों का प्रदर्शन किया गया था, जो कि आगरा में लाल किले में मोती मस्जिद को दोहराने के लिए बनाया गया था। पौराणिक कथा यह भी कहती है कि मस्जिद की दीवारें एक निश्चित कोण पर झुकी हुयी थी ताकि अगर भूकंप आए, तो दीवारें बाहर की ओर गिरेंगी।
जामा मस्जिद दिल्ली की विशेषता Specialties of Jama Masjid Delhi in Hindi
मुगल स्थापत्य के बेहतरीन नमूनों में से एक दिल्ली का जामा मस्जिद अपने खूबसूरती के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध मस्जिद है। यह मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है, जो पूरी दुनिया में अपने विशालकाय आकार और खूबसूरती के लिए पहचाना जाता है। भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इस ऐतिहासिक स्थल का संबंध मुगल काल से है।
दुनिया के सबसे पुराने मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद का नाम भी आता है। लाल किला और ताजमहल के साथ ही मुग़ल शासक शाहजहां ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। कहा जाता है की इसे बनवाने में कई लाख रुपए उस समय में खर्चे गए थे।
इसके अलावा लगभग 5 हज़ार से भी ज्यादा मजदूरों द्वारा जामा मस्जिद को बनाया गया था। यह मस्जिद अंदर और बाहर दोनों ही तरफ से सुंदरता का प्रतीक है।
यह दिल्ली का सबसे बड़ा मस्जिद है। इसकी विशालता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है, कि जामा मस्जिद में एक साथ लगभग 25000 लोग साथ बैठ कर नमाज पढ़ सकते हैं। जामा मस्जिद खूबसूरत संगमरमर और लाल पत्थरों से बनाया गया है।
बलुआ पत्थर तथा दूध की तरह चमकदार सफेद संगमरमर पत्थर से निर्मित यह मस्जिद अतिशय खूबसूरत है। 1656 में जब जामा मस्जिद बनकर पूरी तरह से तैयार हो गई थी, तब इसके उद्घाटन के लिए वर्तमान में स्थित देश उज्बेकिस्तान के इमाम को बुलवाया गया था, जिनका नाम सैयद अब्दुल गफूर शाह बुखारी था।
जामा मस्जिद दिल्ली का इतिहास History of Jama Masjid Delhi in Hindi
पुरानी दिल्ली में स्थित लाल किले से महज 500 मीटर की दूरी पर सामने वाली सड़क के सामने ही जामा मस्जिद स्थित है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले मस्जिदों में से एक है।
मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इस खूबसूरत मस्जिद की नींव रखी थी। दिल्ली के शान कहे जाने वाले जामा मस्जिद का निर्माण कार्य लगभग 1650 में शुरू किया गया था, जो 1656 में बनकर पूरी तरह से तैयार हुआ।
कहा जाता है कि शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने जामा मस्जिद की तरह ही बादशाही मस्जिद का निर्माण वर्तमान पाकिस्तान में करवाया था। बादशाही मस्जिद का वास्तुशिल्प जामा मस्जिद के बनावट से ही प्रेरित है, इसलिए कुछ लोग बादशाही मस्जिद को पाकिस्तान का जामा मस्जिद भी कहते हैं।
जामा मस्जिद का एक अन्य नाम ‘मस्जिद ए जहांनुमा’ भी है जिसका अर्थ है, दुनिया का दृश्य। इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाले सऊदी अरब में स्थित मक्का और मदीना शहर जो कि पश्चिम में स्थित है, जामा मस्जिद भी पश्चिम दिशा में स्थित है। जिसके कारण इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है।
दिल्ली के जामा मस्जिद से कई घटनाएं जुड़ी हैं, जिनमें आतंकवादी हमला इत्यादि भी शामिल है। वर्ष 2006 में जामा मस्जिद के पास एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें बम ब्लास्ट में बहुत से लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
4 साल बाद फिर एक आतंकवादी हमले को अंजाम दिया गया, जहां दो बंदूकधारी आतंकियों ने एक सार्वजनिक बस पर्यटन पर हमला कर दिया जिसमें लोग बुरी तरह से जख्मी हुए थे।
जामा मस्जिद के विषय में यह बताया जाता है की 1857 में जब दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम के लिए हिंसक आंदोलन शुरू हुए थे, तब अंग्रेजों ने जामा मस्जिद को निशाना बनाया था। स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के जीत के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने मस्जिद के बाहर अपने सिपाहियों को खड़ा कर दिया था और इसे वे हथियाना चाहते थे।
ऐसा भी कहा जाता है की अंग्रेजी हुकूमत जामा मस्जिद को तोड़कर दिल्ली शहर को एक सबक देना चाहती थी, लेकिन जनता के आक्रोश के कारण अंग्रेजों को अपना फैसला बदलना पड़ा था।
कहा जाता है की अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद जामा मस्जिद की हालत बहुत खस्ता पड़ गई थी। जगह जगह से मस्जिद जर्जर हो चुकी थी, इसलिए 1948 के दौरान हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली खान से मस्जिद के एक चौथाई भाग की मरम्मत के लिए लगभग ₹75000 देने के लिए सहायता मांगी गई थी।
हैदराबाद के निजाम ने लगभग तीन लाख रुपए का अनुदान दिया और साथ ही यह कहा कि मस्जिद के बाकी हिस्से भी पुराने नहीं दिखने चाहिए।
जामा मस्जिद दिल्ली की वास्तुकला Architecture of Jama Masjid Delhi in Hindi
दिल्ली का जामा मस्जिद का निर्माण एक ऊंची पहाड़ी पर किया गया था, जिसके कारण यह वर्तमान में आसपास के कुछ शहरों की सतह से कुछ मीटर की ऊंचाई पर चबूतरे पर स्थित है। बताया जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम से पहले जामा मस्जिद के आसपास और भी कई चीजें हुआ करती थी, लेकिन विद्रोह के कारण अंग्रेजी सरकार ने इसे नष्ट कर दिया।
जामा मस्जिद का प्रवेश द्वार लाल बलुआ पत्थर के पत्थरों से निर्मित है। मस्जिद के सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश द्वारों में पूर्वी द्वार आता है, जिसकी ऊंचाई लगभग तीन मंजिला जितनी है। इस पूर्वी द्वार से केवल शाही लोग तथा उनके सहयोगी ही प्रवेश करते थे। जामा मस्जिद में उत्तर की तरफ एक संग्रहालय है, जिसमें पैगम्बर मोहम्मद साहब के अवशेषों को संभाल कर रखा गया है।
जामा मस्जिद का वर्गाकार प्रांगण इस्लामिक वास्तुकला से निर्मित है, जिसकी ऊंचाई लगभग 99 मीटर है। मस्जिद के आंगन में हजारों लोग एक साथ बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं। प्रांगण के किनारों के साथ ही मेहराब जुड़ा है, जिससे जामा मस्जिद का पूरा परिवेश दिखता है। मस्जिद के पश्चिमी भाग की वास्तुकला बहुत हद तक हिंदू और जैन वास्तुकला के पद्धतियों से मिलती-जुलती है।
दिल्ली की जामा मस्जिद बहुत हद तक पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में बादशाही मस्जिद से मिलती है। इस बादशाही मस्जिद के वास्तुशिल्प निर्माण का काम शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने करवाया था।
मस्जिद में दो बड़ी मीनारें है, जिनकी ऊंचाई लगभग 40 मीटर जितनी है। सफेद संगमरमर से निर्मित प्रत्येक मीनारों में लगभग 130 जितनी सीढ़ियां है। कुल तीन गुंबद पूरे मस्जिद के ढांचे को संतुलित खड़ा रखते हैं। मस्जिद में कुल 3 बड़े प्रवेश द्वार हैं।
जामा मस्जिद में मनाए जाने वाले पर्व Festivals Celebrated at Jama Masjid in Hindi
इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण मस्जिद माने जाने वाले जामा मस्जिद की भव्यता तब और भी बढ़ जाती है, जब इसे इस्लामी त्योहारों अथवा पर्व के अवसर पर सजाया जाता है। इस्लामिक परंपराओं के अनुसार सांस्कृतिक माह जामा मस्जिद में ही मनाया जाता है। कई महत्वपूर्ण इस्लामिक त्यौहार जैसे ईद उल फितर, ईद उल जुहा इत्यादि के समय इस मस्जिद को बहुत ही खूबसूरती से सजा दिया जाता है।
रमजान के पाक महीने के अलावा सभी महत्वपूर्ण अवसर पर जामा मस्जिद में समुदाय के अन्य गरीब और लाचार लोगों को मुफ्त में दोनों पहर भोजन करवाया जाता है। शुक्रवार के दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग जुम्मे की नमाज एक साथ मिलकर जामा मस्जिद में अदा करते हैं।
इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि एक साथ अल्लाह की इबादत करने से सारे पाप नष्ट होते हैं और उन्हें जन्नत की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी मुसलमान सच्चे दिल से जामा मस्जिद में आकर सजदा करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
त्योहारों के समय जामा मस्जिद की अच्छे से साफ सफाई करके उसे सजावटी चीजों से सजाया जाता है। इस्लामिक पर्व के अवसर पर जामा मस्जिद पर जैसे चार चांद लग जाते हैं। जो लोग दिल्ली के जामा मस्जिद के आसपास के स्थानों पर निवास करते हैं, वह अपने आप को बहुत खुशनसीब मानते हैं, क्योंकि ऐसी पाक मस्जिद के दर्शन उन्हें इतनी सरलता से हो जाते हैं।
जामा मस्जिद तक कैसे पहुंचे? How to Reach Jama Masjid? in Hindi
हर वर्ष जामा मस्जिद में आने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में गिनी जाती है। मूल भारतीयों के अलावा जामा मस्जिद बाहरी विभिन्न इस्लामिक देशों से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। जामा मस्जिद एक धार्मिक स्थल होने के कारण ही दिल्ली का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी माना जा सकता है, क्योंकि यहां हर रोज हजारों लोग आते हैं।
जामा मस्जिद तक पहुंचने के लिए कई सरल मार्ग उपलब्ध है, जिनसे पर्यटक बेहद आसानी से वहां पहुंच सकता है। नई दिल्ली जो कि देश की राजधानी है इसीलिए यहां मेट्रो स्टेशन की बेहद अच्छी सुविधा है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से दिल्ली मेट्रो स्टेशन बहुत कम दूरी पर एक दूसरे से जुड़ती है।
दिल्ली का जामा मस्जिद रेलवे स्टेशन जोकि जामा मस्जिद से सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन है, इसके सहायता से पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकता है। क्योंकि जामा मस्जिद में देश विदेश से पर्यटक आते हैं इसलिए उनकी सहूलियत के लिए तमाम प्रकार की पर्यटन सुविधाएं दिल्ली में हर समय चलाई जाती हैं।
जामा मस्जिद की टिकट Jama Masjid Ticket in Hindi
दिल्ली के जामा मस्जिद में जाने के लिए श्रद्धालुओं से एक भी रुपए नहीं लिया जाता है। जामा मस्जिद में आने वाले सभी लोगों के लिए यहां का द्वार हमेशा खुला रहता है। देश विदेश के सभी पर्यटकों के लिए यहां निशुल्क प्रवेश की सुविधा है।
लेकिन यदि यात्री यहां फोटोग्राफी करते हैं, तो उन्हें पहले से ही इसकी आज्ञा लेनी पड़ती है। फोटोग्राफी के लिए लगभग 300 INR वर्तमान में शुल्क के रूप में पर्यटकों से वसूल किया जाता है।।
पास के आकर्षण स्थान Near Attraction places to Explore
पुरानी दिल्ली में आप लाल रेत के पत्थर के साथ बनाया गया लाल किला देख सकते है, कुछ जगहों पर इसकी ऊँचाई 18 से 30 मीटर की है। यहाँ प्रकाश और ध्वनि के कार्यक्रम के द्वारा दिल्ली के पूरे इतिहास को यहां से देखा जा सकता है।
चांदनी चौक यहाँ की एक और जगह है, जिसने दिल्ली में कई पर्यटकों को आकर्षित किया है, जो कि लाल किले के ठीक विपरीत स्थित है। इसमें जैन लाल मंदिर है, वहां पक्षीयों का अस्पताल भी है। चांदनी चौक भारतीय व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख स्थल है।
इंडिया गेट पर्यटकों के लिए एक और आकर्षण स्थल है। यह एक विशाल आर्चवे 42 मीटर ऊंचा है मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन ९०००० भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था, जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। गेट के नीचे एक अमर जवान ज्योति जलती है। गेट से किसी को भी राष्ट्रपति भवन का एक स्पष्ट दृश्य मिल सकता है।
इस्कॉन मंदिर, श्री कृष्ण की पूजा की अवधारणाओं की भव्य अभिव्यक्ति है, जो कि वैष्णव धर्म के लिए बहुत से लोगों को आकर्षित करता है। वर्तमान में गीता या हिंदू पवित्र ग्रंथ पढ़ी जाती है और जिसमें भगवान कृष्ण के विचारों के प्रचार व प्रसार को अभिनित किया गया है।
(लोटस टेम्पल) बहाई मंदिर एक हरे भरे हुए परिदृश्य के बीच स्थित है, और विभिन्न धर्मों के लोगों को इस जगह और पूजा करने के लिए परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है।
इन सभी के अलावा, हुमायूं का मकबरा, उनकी पत्नी हाजी बेगम द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह लाल और सफेद रेत पत्थर और काले और पीले संगमरमर का पत्थर का उपयोग करके बनाया गया है।
जंतरमंतर वास्तव में एक वेधशाला है; यहां से एक सटीक खगोलीय ठिकाने की गणना कर सकते हैं। राष्ट्रिय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और राष्ट्रीय रेल संग्रहालय अन्य प्रमुख स्थान है जो पर्यटकों को आकर्षित करते है।
Bahut hi achha post jankari aapne share kiya hain Thanks
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