इस लेख में आप ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता गौरी सावंत की जीवनी व कहानी (Biography of Gauri Sawant in Hindi) पढ़ेंगे। इसमें आप उनका परिचय, प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, एनजीओ से जुड़ी जानकारियाँ दी गई है।
गौरी सावंत की जीवनी Biography of Gauri Sawant in Hindi
कहते हैं कि ईश्वर की बनाई गई हर चीज खूबसूरत होती है, फिर पता नहीं समाज में लोग तीसरे लिंग या ट्रांसजेंडर्स को हीन भावना से क्यों देखते हैं। हम एक ऐसे दूषित मानसिकता वाले समाज में जी रहे हैं, जहां हर समय ट्रांसजेंडर्स को एक कलंक के रूप में देखा जाता है। लोग हर समय उनके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाने की पूरी कोशिश करते रहते हैं।
हर किसी को सम्मान से जीने का पूरा अधिकार है। अब लोगों के विचारों में थोड़ी शुद्धि आनी शुरू हुई है, जब अपने हक के लिए ट्रांसजेंडर समुदाय से लोग आवाज उठा रहे हैं। गौरी सावंत, शायद ही कोई देश दुनिया की खबरें रखने वाला व्यक्ति इनके नाम से अछूता रहा हो।
गौरी सावंत एक ट्रांसजेंडर सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो तीसरे लिंग के लोगों के लिए अपने हक की लड़ाई लड़ रही है। कुछ समय पहले गौरी सावंत एक टीवी चैनल के ऐड में विक्स का प्रचार करते हुए नजर आई थीं। उस प्रचार के बाद वह सबका दिल जीत कर और भी लोकप्रिय हो गई।
गौरी सावंत महाराष्ट्र में चुनाव आयोग की सद्भावना दूत भी रह चुकी हैं। इसके अलावा वह ‘सखी चार चौघी’ नामक संस्था भी चलाती हैं। सन 2014 में गौरी सावंत देश की इकलौती ऐसी ट्रांसजेंडर बनी जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में ट्रांसजेंडर द्वारा बच्चों को गोद लेने के अधिकार के लिए याचिका दायर की थी।
गौरी सावंत महाराष्ट्र में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ-साथ बेसहारा जानवरों के लिए भी संस्था चलाती हैं। वह पिछले एक अरसे से भी अधिक समय से ट्रांसजेंडर्स की समस्याओं का निदान कर रही हैं।
गौरी सावंत आज के समय में पूरे देश में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की मिसाल बन चुकी हैं। ऐसे लोग जिन्हें समाज एक सभ्य नजर से नहीं देखता है, उनकी सुरक्षा और बेहतरी के लिए गौरी सावंत कार्य करती हैं।
गौरी सावंत का जन्म व प्रारंभिक जीवन Birth and Early life of Gauri Sawant in Hindi
गौरी सावंत का जन्म महाराष्ट्र के मुंबई शहर के दादर में एक मराठा परिवार में हुआ था। गौरी सावंत का जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था, जिनका बचपन का नाम गणेश नंदन था।
उनके पिता एक सहायक पुलिस आयुक्त थे और माता एक गृहणी थी। गौरी के पिता स्वभाव से बहुत ही गुस्सैल थे। प्रारंभ में एक लड़के के रूप में वह अपने माता पिता की केवल इकलौती संतान थी।
बचपन में गौरी को लड़कों के साथ खेलना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। वह बच्चियों के साथ घर घर और चूल्हा चौकी का खेल खेलना पसंद करती थी। लोगों को गौरी का यह बर्ताव थोड़ा अजीब लगता था।
जिस तरह उन्हें जबरन लड़कों के पेंट शर्ट पहना दिए जाते थे, वह खुद को बहुत असहज महसूस करती थी। धीरे धीरे जैसे गौरी की आयु बढ़ती गई, उनके हाल-चाल और बर्ताव में भी लड़कियों जैसे बदलाव आने लगे।
आस पड़ोस के लोग और बच्चे गौरी को अब लड़की लड़की, छक्का और हिजड़ा कहकर चिढ़ाने लगे थे। वह ऐसे समाज में नहीं रह सकती थी, जहां लोग हर सेकंड उसके आत्मसम्मान को कटघरे में खड़ा कर देते थे।
अपनी सेक्सुअलिटी और असहजता को वह अपने परिवार वालों के साथ साझा करने का बहुत प्रयत्न करती, लेकिन वह हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।
समाज में अपने माता-पिता को शर्मिंदा ना होने देने के कारण वह बिना बताए ही एक रात घर से कुछ रुपए लिए हमेशा के लिए निकल गई। उस दिन गौरी के पिता ने गौरी के जीवित होने के बावजूद भी उसका अंतिम संस्कार करवा दिया।
गौरी सावंत बताती हैं, कि वह उस समय अपना गुजारा करने के लिए भीख नहीं मांगना चाहती थीं और न ही वह अपने इज्जत को बेचकर देह व्यापार में जाना चाहती थी। वह मात्रा 17 वर्ष की थी जब उन्होंने अपना घर छोड़ा था।
सौभाग्य से गौरी सावंत की मुलाकात ऐसे भले लोगों से हुई, जो ट्रांसजेंडर्स के लिए एनजीओ चलाते थे। गौरी को इस संस्था में रोजगार भी प्राप्त हो गया और वह अपना गुजारा करने में पूरी तरह से सक्षम हो गई थी।
गौरी को अब जीवन जीने का एक नया जरिया मिल गया था। वह समाज में लोगों के दूषित विचारों से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार खड़ी थी। कुछ समय बाद उन्होंने आधिकारिक तौर पर स्वयं को ट्रांसजेंडर घोषित कर लिया।
गौरी सावंत की शिक्षा Gauri Sawant’s Education in Hindi
समाज के कड़वे ताने सुन सुन कर गौरी बचपन से ही लोगों के साथ घुलने मिलने से डरती थी। अपने कई इंटरव्यू में गौरी सावंत ने खुद बताया है, कि उन्हें बचपन में स्कूल जाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। क्योंकि स्कूल के सभी बच्चों के साथ ही सभी टीचर भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे।
एक बार प्रिंसिपल ने सीधे उनके पिता से उनके एक लड़का होने के बावजूद अजीबोगरीब बर्ताव की शिकायत कर दी थी, जिसके कारण घर जाने के बाद गौरी को उनके पिता ने खूब मारा था। दुर्भाग्यवश गौरी सावंत अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई और माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया।
गौरी सावंत के प्रमुख कार्य एवं एनजीओ Major Works and NGO’s of Gauri Sawant in Hindi
गौरी सावंत की बेटी Gauri Sawant Daughter
एक सेक्सवर्कर की बेटी को गौरी सावंत ने गोद लिया है। ऐसा करने के लिए गौरी सावंत को कानून की लड़ाई भी लड़नी पड़ी थी।
उस बच्ची की माँ एड्स की बीमारी से पीड़ित थी, जिसकी मृत्यु के बाद उसकी मात्र चार साल की बच्ची को कुछ बुरे लोग रेड लाइट एरिया में बेचना चाहते थे। लेकिन जब यह बात गौरी सावंत को पता चली तो उन्होंने तुरंत ही उस बच्ची को बचा लिया और अपने साथ ले आई।
गौरी सावंत ने अधिकारिक तौर पर बच्ची का नाम गायत्री रखा है। गायत्री बड़ी होकर एक वकील बनना चाहती हैं, जो अब अपनी मां गौरी सावंत जैसे सभी ट्रांसजेंडर्स कमेटी को उनका अधिकार दिलवाना चाहती है।
साई सवाली Sai Sawali
साई सवाली एक गैर सरकारी तथा गैर लाभ आधारित संस्था है। यह संगठन 2017 में गौरी सावंत और कुछ अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के समूह द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य समाज में ट्रांसजेंडर, अनाथ लड़कियों और वृद्धों को सहारा देना है।
संगठन का लक्ष्य पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय को एक उचित और अधिकार का दर्जा प्रदान करना है। साई सवाली संस्था के अंतर्गत कई परियोजनाएं सम्मिलित है, जिनमें स्वयं सिद्ध, आजीचं घर, सखी चार चौघी इत्यादि शामिल है।
आजीचं घर Aajicha Ghar
गौरी सावंत का कहना है, कि समाज में ऐसी कई बच्चियां हैं, जिन्हें उनके माता के सहारे के बाद कहीं जगह नहीं मिलती है।
ऐसे में उनका दर्द समझते हुए उन्होंने एक बड़ा सा जगह खरीदा है और वहां इन्हीं बेसहारा मासूमों के लिए घर बनवाया है और उसका नाम दिया है, आजीचं घर। इस तरह बेसहारा छोटे बच्चों को सुरक्षा देने के लिए उन्होंने आजीचं घर की स्थापना की है।
सखी चार चौघी Sakhi Char Chaughi
देश के कोने कोने में रह रहे बेसहारा और एचआईवी अथवा एड्स से पीड़ित ट्रांसजेंडर लोगों की मदद करने के लिए गौरी सावंत द्वारा सखी चार चौघी नामक गैर सरकारी संस्था की स्थापना की गई है। उनके इस कार्य की सराहना देश-विदेश में किया जाता है।
सखी चार चौघी ट्रांसजेंडर कमेटी के लोगों को इलाज की मुफ़्त सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही रोजगार भी देता है, ताकि वे समाज में बिना किसी के आगे हाथ फैलाए अपना पेट भर सके।
स्वयं सिद्ध Swayam Siddha
गौरी सावंत के नेतृत्व में साई सवाली संगठन की सहायता से देशभर में ट्रांसजेंडर्स कमेटी के लिए स्वयं सिद्ध मुहिम चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत सभी ट्रांसजेंडर्स को सशक्त बनाने का ध्येय रखा गया है।
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