जीवन का अर्थ पर निबंध Essay on Meaning of Life in Hindi

इस लेख में हमने जीवन का अर्थ पर निबंध Essay on Meaning of Life in Hindi हिन्दी में लिखा है। इस जीवन के महत्व को समझते हुए निबंध को कक्षा 5 से लेकर 12 तक अक्सर पूछे जाते हैं।

यहाँ पर दिया गया निबंध हर विद्यार्थी के लिए बेहद ही मददगार साबित होगा। यहाँ पर दिए गए जीवन के अर्थ पर निबंध को आप पीडीऍफ़ फॉर्म में Download भी कर सकते हैं।

जीवन का अर्थ निबंध Essay on Meaning of Life in Hindi  

जीवन की अर्थ हर किसी के लिए अलग हो सकती है। इंसान के जन्म लेने के बाद और मरने के ठीक पहले उसके व्यतीत किये हुए समय को उसका जीवन कह सकते हैं। किसी कवि ने क्या खूब लिखा है की –

“जीवन एक फिल्म की खाली रील है इसमें हम अपनी मन चाही कहानी डाल सकते हैं”

जीवन का एक अर्थ किसी कोरे कागज़ पर अपनी इच्छा के अनुसार रंगों के उपयोग से बनाया गया चित्र भी होता है की। बस फर्क इतना होता है की वह चित्र को पूरा होने में एक निश्चित समय लगता है।

जीवन को समय के पहलुओं में बाटा जा सकता है किसी भी व्यक्ति के जीवन का सारांश उसके द्वारा बिताये गए समय की गुणवत्ता से लगाया जा सकता है।

जीवन के अलग-अलग पहलु Different aspects of life

किसी भी इंसान के जीवन को चार मुख्य पहलूओं में बाटा जा सकता है पहला – बचपन, दूसरा- युवावस्था, तीसरा- जवानी और चौथा-बुढापा।

इंसान के लिए सबसे बेहतरीन पल उसका बचपन होता है और उसके बाद युवावस्था फिर जवानी। बुढापा किसी को भी पसंद नहीं आता लेकिन यह भी जीवन का एक भाग है और हर किसी को इसका सामना करना ही पड़ता है।

इन्सान अपने बचपन में अपने माता-पिता पर पूरी तरह से आश्रित होता है इसलिए बचपन की यादें किसी भी इंसान के लिए सबसे मीठी होती हैं क्योंकि उसके उस समय में हर कोई उसे निःस्वार्थ प्रेम करता है और इस अवस्था में इंसान को कोई भी चिंता नहीं होती है।

दुसरे अवस्था को युवावस्था कहते हैं इस अवस्था में इंसान अपने हानि और लाभ के बारे में जानने और समझने लगता है इसी अवस्था में इंसान के शरीर और विचार में सबसे ज्यादा बदलाव होता है।

कहते हैं की युवावस्था में ही इंसान अपने भविष्य की रूपरेखा तैयार कर लेता है अर्थात इस उम्र में इंसान के विचार और व्यवहार जिस प्रकार के होते हैं उसका पूरा जीवन ठीक उसी रास्ते पर चलता है इसलिए शस्त्रों में इस अवस्था में विद्या ग्रहण पर ख़ास जोर दिया गया है।

तीसरी अवस्था जवानी है इस अवस्था में इंसान पूरी तरह से परिपक्व हो जाता है साथ ही इस काबिल हो जाता है की उस पर अतिरिक्त बोझ डाला जा सके। इस उम्र को ही शस्त्रों में विवाह और संतान के लिए सर्वश्रेष्ठ बतलाया गया है।

विवाह के पश्चात इंसान अपने श्रम और संपत्ति को एक दुसरे इंसान के साथ साझा करता है जिसे उस इंसान के पति या पत्नी का नाम दिया जाता है। विवाह के पश्चात इंसान संतान के रूप में समाज को नए इंसान समर्पित करता है और यही साइकल घूमता जाता है।

चौथी और अंतिम अवस्था वृद्धावस्था होती है इस अवस्था में इंसान अपनी एक तिहाई जिन्दगी जी चूका होता है। इस अवस्था में पहुचते आँखों की रौशनी कम हो जाती है और शरीर कमज़ोर हो जाता है इस उम्र के लिए परिव्राजक बनने का आग्रह शस्त्रों में किया गया है और बाकी के समय को समाज और लोक सेवा में लगाने को कहा गया है।

जीवन की एक और परिभाषा “संघर्ष” Life is all about Struggle

संघर्ष और जीवन को एक दुसरे की पर्यायवाची कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी क्योंकि इंसान का जन्म ही संघर्ष के साथ होता है और मृत्यु भी संघर्ष के साथ ही होती है।

यह जरुरी भी है क्योंकि जिस प्रकार सोना आग में तपकर ही निखरता है, लोहे को आग में गलाकर ही मनचाहा आकार दिया जाता है ठीक उसी प्रकार संघर्ष से ही इंसान का विकास होता है और उसे दिशा मिलती है।

जिस इंसान के जीवन में संघर्ष का समय नहीं आया वह एक कमज़ोर और अपरिपक्व इंसान बनता है इसलिए स्वामी विवेकानंद जी अक्सर कहा करते थे की “अगर तुम्हारे मार्ग में बाधाएँ नहीं आ रहीं है तो समझ जाओ की तुम गलत मार्ग पर हो”।

एक साधारण पत्थर को भी पहले चीरा जाता है फिर छेनी-हथौड़ी के कई आघात किये जाते हैं फिर जाकर उस मूर्ति को देवता की प्रतिबिम्ब बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। अगर हम किसी भी भगवान् के जीवन को उठा कर देखें तो उनका जीवन तमाम मुश्किलों से भरा हुआ मिलेगा।

भगवान् श्री राम को जन्म के समय से लेकर पुरे जीवन पर्यंत तक मुश्किलों का ही सामना करना पड़ा। बचपन में ही पूतना जैसी राक्षसियों का उनके हत्या का प्रयास, युवावस्था में ही चौदह वर्ष का वनवास, फिर माता सीता को खोजते हुए तमाम युद्धों को झेलना और फिर पिता के अंत समय में भी उनके पास न होना, वनवास ख़तम होते ही माता सीता का धरती में समा जाना और उनके पुत्रों लव-कुश का उनसे दूर रहना।

इन सभी घटनाओ से वे इंसानों को सीख देते हैं की जीवन का एक नाम संघर्ष है इसके लिए इंसान को हसते-हसते तैयार रहना चाहिए।

जीवन से आनंद की प्राप्ति ही उत्तम लक्ष्य Achieving Happiness from Life is the best Goal

जीवन के हर अवस्था में प्रसन्न रहना ही किसी भी इंसान का लक्ष्य होना चाहिए। जिस प्रकार दिन के बाद रात आती है और फिर आने वाले उजाले को कोई भी रोक नहीं सकता, ठीक उसी प्रकार दुःख को भी मान सकते हैं।

रात कितना भी घना हो लेकिन सूरज का उदय होता ही है ठीक उसी प्रकार इंसान के जीवन में भले ही कितनी भी मुसीबतें और दिक्कतें हों पर अच्छे दिन जरुर आतें हैं, ऐसे में इंसान को धैर्य रखकर अपने कार्य को करने की सलाह शस्त्रों के माध्यम से दी गई हैं।

एक मशहूर डायलोग है की “जीवन बड़ा होना चाहिए लंबा नहीं” इसका यही आशय है की जितने समय की भी जिन्दगी जीने को मिले उसे प्रसन्नता के साथ जीना चाहिए और हमेशा मुस्कुराते रहना चाहिए।

जीवन से संतोष व ईश्वर का अभिवादन Satisfaction with life and thanks to God

वेदों में मनुष्य जीवन की बड़ी महिमा गाई गई हैं शस्त्रों की ही उक्ति है की “बड़े भाग मानुष तन पावा” अर्थात यह मानव जीवन अनमोल है इसके लिए देवता भी लालायित रहते हैं।

लेकिन इन्सान का एक बड़ा भाग इस जीवन से असंतुष्ट होकर इसे समाप्त कर लेता है, वे संघर्ष से हारकर आत्महत्या कर लेते हैं तथा अपने पीछे तमाम चाहनेवालों को आँसू देकर अकेले संघर्षो में धकेल जाते हैं।

इस धरती पर ऐसे करोड़ो लोग है जो जीना चाहते है लेकिन वे प्रकृति के नियमों से बाध्य हैं ऐसे में इंसान को हर रोज उस परमपिता परमात्मा को धन्यवाद करना चाहिए और हर दिन को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए और हर पल को प्रसन्नता के साथ जीना चाहिए।

जीवन का सार Essence of life

इंसान को अपने प्रयासों से लोक व समाज  कल्याण करते हुए खुद के जीवन को औरों के लिए आदर्श बनाना जाना चाहिए ताकि जब म्रत्यु का पल नजदीक आये तो कोई भी कसक मन में बाकी न रहे। आशा करते हैं जीवन का अर्थ निबंध (Essay on Meaning of Life in Hindi) आपको पसनद आया होगा।

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