अमर जवान ज्योति का इतिहास Amar Jawan Jyoti History in Hindi
इस लेख मे हमने भारतीय स्मारक अमर जवान ज्योति का इतिहास (Amar Jawan Jyoti History in Hindi) लिखा है। अमर जवान ज्योति के बारे में जानने से पहले कुछ पल दिल से हमारे शहीदों को याद करें और उन्हें धन्यवाद दें।
आईए अमर जवान ज्योति स्मारक का इतिहास, महत्व, उपयोग किए गए प्रतीकों, सम्मान की पूरी जानकारी।
अमर जवान ज्योति स्मारक क्या है? What is Amar Jawan Jyoti in Hindi?
किसी भी देश के फलने-फूलने में एक अदृश्य सहयोग उस देश की सुरक्षा सेना का भी होता है जो स्वयं का स्वार्थ त्याग कर अपने मिट्टी की रक्षा और सेवा करते हैं। अमर जवान ज्योति भी कुछ ऐसे ही राष्ट्र-वीर सेवकों का स्मारक है जो बिना परवाह किये खुद को देश की मिट्टी में मिला दिए और शहीद कहलाये।
इस लेख में आज हम जानेंगे की अमर जवान ज्योति स्मारक के पीछे का इतिहास क्या है और कैसे एक चिराग चौबीस घंटे और पुरे साल प्रज्वलित रहता है और अमर जवान ज्योति स्मारक पर एक राइफल और एक हेलमेट क्यों रखा हुआ है और साथ ही हर साल कौन से नेता इस स्मारक पर सम्मान के पुष्प चढ़ाते हैं तो आइये जानते है Amar jawan jyoti के history के बारे में।
अमर जवान ज्योति स्मारक इतिहास History of Amar Jawan Jyoti in Hindi
जब श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं उस समय पाकिस्तान और बांग्लादेश एक ही थे , पाकिस्तान की यह मांग थी की बांग्लादेश की राष्ट्रीय भाषा उर्दू हो लेकिन बांग्लादेश को यह मंज़ूर नहीं था वे बंगाली भाषा को अपनी राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे।
बांग्लादेश में पाकिस्तान ने कत्लेआम मचा दिया और इसे रोकने और पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले बांग्लादेश को मुक्त कराने के लिए भारत ने अपने सैनिक भेजे और 3 दिसम्बर से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक यह (इंडो-पाक) युद्ध चला जिसमें भारत के हज़ारों सैनिक शहीद हो गए और इंदिरा गांधी के कूटनीतिक समझ से बांग्लादेश को पाकिस्तान से मुक्त करा दिया।
अमर जवान ज्योति स्मारक का महत्व Importance of Amar Jawan Jyoti in Hindi
किसी भी जवान के शहीद होने से बड़ा दुःख और क्षति कोई और नहीं हो सकता और उनकी कुर्बानी की तुलना दुनिया के किसी भी चीज़ से नहीं की जा सकती। एक साधू कठिन तप करता है और सिद्धियाँ प्राप्त करता है लेकिन एक सैनिक साधू से कई गुना अधिक तप करता है और बदले में कुछ पाने की लालच के जगह आजीवन समाज को ,देश को देता ही रहता है इसलिए मेरे नज़र में सच्चा तपस्वी सैनिक होता है।
भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने पर पुरे भारतवासियों का ह्रदय दुखी था इसी दुःख की घड़ी में इंदिरा गांधी जी ने अमर जवान ज्योति शहीद स्मारक बनाने की बात रखी और सभी ने इसकी सराहना की। दिसम्बर 1971 में उन्होंने इस स्मारक के निर्माण के लिए आर्थिक सहायता भी दी और यह शहीद स्मारक अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ।
अमर जवान ज्योति पर उपयोग किये गए प्रतीक Symbols used on Amar Jawan Jyoti
अमर जवान ज्योति स्मारक नयी दिल्ली में राजपथ पर इंडिया गेट के निचे बनाया गया है। इस स्मारक पर संगमरमर का चबूतरा बना हुआ है, जिस पर स्वर्ण अक्षरों में “अमर जवान” लिखा हुआ है और स्मारक के शीर्ष पर L1A1 आत्म-लोडिंग आटोमेटिक राइफल भी लगी हुई है, जिसके बैरल पर किसी अनजान फौजी का हेलमेट लटका हुआ है।
राइफल का अर्थ है स्वयं का तन-मन और क्षमता और उस राइफल पर रखे हुए हेलमेट का अर्थ है जीवन, प्राण अर्थात समाज और राष्ट्र पर भारतीय सेना अपना तन,मन और जीवन बिना स्वार्थ के अर्पण करती है।
इस स्मारक के अगल बगल चार कलश रखे गयें हैं और इसमें से एक में 1971 से पुरे साल , चौबीसों घंटे अग्नि प्रज्वलित रहती है। पहले यह ज्योति LPG गैस के प्रयोग से जलती थी लेकिन 2006 से इस ज्योति को CNG गैस से प्रज्वलित किया जाने लगा।
अमर जवान ज्योति स्मारक की देख-रेख और सम्मान Amar Jawan Jyoti Memorial Maintenance
इस ज्योति के कारण इस स्थान का नाम अमर जवान ज्योति दिया गया। इस शहीद स्मारक के देख रेख के लिए हर वक़्त एक व्यक्ति मौजूद होता है। 26 जनवरी 1972 को इंदिरा गांधी जी ने इस स्मारक का उद्घाटन किया था।
सभी राजनेताओं के उपस्थिति में शहीदों के सम्मान में नारे लगवाएं तभी से हर साल 26 जनवरी के दिन परेड से पहले देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, एयर स्टाफ के मुख्य, नेवी स्टाफ के मुख्य, आर्मी स्टाफ के मुख्य और सभी मुख्य अतिथि अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि चढाते है और युद्ध में शहीद हुए सैनिको को श्रद्धांजलि अर्पण करते हैं।
सिर्फ 26 जनवरी के दिन ही अमर जवान ज्योति वाले चारों कलशों को एक साथ प्रज्वलित किया जाता है ,तीनो सेना और पूरा भारत सम्मान से शीष झुकाता है।