शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में Shah Jahan Biography in Hindi

इस लेख मे आप शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में Shah Jahan Biography in Hindi, पत्नी ,बच्चे और शाहजहाँ के द्वारा किये गए कुछ अच्छे और कुछ बुरे कार्यों के बारे में जानेंगे। शाहजहाँ के बारें में इतिहासकारों के अलग-अलग मत भी हैं इसलिए सही तथ्यों को जानना बेहद ज़रुरी हो जाता है।

आईए आपको बताते हैं – शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी में Shah Jahan Biography in Hindi

शाहजहाँ कौन था? Who was Shah Jahan?

शाहजहाँ अकबर का पोता और जहाँगीर का बेटा था जिसने ठीक वैसे ही गद्दी हासिल की जैसे उसके पिता जहाँगीर ने हासिल की थी यानी की छल-कपट से। शाहजहाँ भोग-विलासी होने के साथ न्याय पसंदी राजा था लेकिन उसकी छवि एक आशिक के तौर पर बन गई थी, तो आइये जानते हैं शाहजहाँ के जन्म और उसके बचपन के बारे में।

शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी 1592 को हुआ था ऐसा कहा जाता है की जहाँगीर और जगत गोसाई “जोधाबाई” से हुई संतान शाहजहाँ को अकबर ने गोद ले लिया था और उसे एक महान योद्धा बनाने में अकबर ने बड़ा योगदान दिया था। शाहजहाँ का जीवन बहुत ही ऊपर नीचे वाला रहा।

शाहजहाँ का बचपन Childhood of Shah Jahan

शाहजहाँ का बचपन का नाम खुर्रम था जिसका हिन्दी अर्थ होता है “ दुनिया का राजा ” और खुशमिज़ाज़ । खुर्रम यह जहाँगीर की दूसरी संतान था, अकबर के निकट रहने से शाहजहाँ के अन्दर भी तीक्ष्ण बुद्धि और कला के प्रति आकर्षण जागृत हुआ।

 शाहजहां के उसके पिता जहांगीर से अच्छे संबंध नहीं थे। क्योंकि जहांगीर अपनी दूसरी बेगम नूरजहां की बात अधिक मानता था और उसी को तवज्जो भी देता था नूरजहाँ यह बिलकुल भी नहीं चाहती थी की शाहजहाँ राजा बने और उसे रोकने के लिए अक्सर क्षड़यंत्र रचा करती थी। जिसके चलते शाहजहां और जहांगीर में ज्यादा नहीं बनती थी।

शाहजहाँ का शासनकाल Shah Jahan’s Reign

24 फरवरी दिन गुरूवार ई.सन 1628 में शाहजहां अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन-ए-साहिब का खिताब प्राप्तकर गद्दी पर बैठा और अपने सबसे बेहतरीन शासनकाल की शुरुआत की। ई. 1606 में शाहजहाँ को 8000 जात एवं 5000 सवार का खिताब प्राप्त हुआ।

शाहजहां का बेहद पसंदीदा माने जानेवाले आसफ खान को वजीर का स्थान प्रदान किया।  इसने अपने महावत को खानखाना की उपाधि दी ऐसा माना जाता है की ये दोंनो शाहजहाँ का सुरक्षा कवच बन कर साथ रहते थे।

शाहजहां के शासनकाल को स्थापत्य कला का स्वर्णिम युग कहा जाता है. शाहजहां ने दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद का निर्माण करवाया था। शाहजहाँ के तीस साल के शासनकाल को ही मुगल वंश के स्वर्णकाल के रूप में जाना जाता है। अकबर ने जिस क्षेत्र की स्थापना की थी, उसे शाहजहाँ ने विस्तार किया और बहुत खूबी से शासित किया।

 शाहजहाँ के शासनकाल में समय में शासन शांतिपूर्ण और समृद्ध था, लड़ाईयाँ कम होती थीं और राजकोष भरा हुआ था तथा वहाँ के लोग खुश और संतुष्ट रहते थे। अपने पिता के आदर्शों का पालन करते हुए, उसने भेद भाव रहित एक अच्छे न्यायाधीश और प्रजा के लिए एक कुशल शासक के रूप में अपनी छवि स्थापित कर ली थी।

विभिन्न विदेशी देशों के साथ भी उसके संबंध अच्छे थे। जिसके कारण उसे विदेशी व्यापार और सहायता मिलती थी।

शाहजहाँ का कला के प्रति प्रेम Shah Jahan – An Art Lover

शाहजहाँ ,कला और वास्तुकला का बहुत बड़ा पसंदगार था ।  सबसे बड़ा उदाहरण ताजमहल है, जो दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है। शाहजहाँ के शासनकाल को संगमरमर काल भी कहा’जाता है क्योंकि शाहजहाँबाद के महलों की तरह ही और सभी महलों को बनाने के लिए संगमरमर के पत्थर का ही उपयोग हुआ है।

 सन् 1639 में, उसने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित कर लिया और इस नई राजधानी को शाहजहाँबाद का नाम दिया। शानदार लालकिला को निर्मित करवाने में उसे लगभग दस साल लग गए थे। इन शहरों में बाजार, मस्जिद, उद्यान, महल आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। शाहजहां ने दिल्ली का लालकिला, दीवाने आम, दीवाने खास, दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती मस्जिद भी बनवाई।

 8 अप्रैल, 1648 को मुगल शासकों के मयूर सिंहासन एक विशाल किला का रूप दे दिया जिसे आज हम आगरा के लालकिले के नाम से भी जानते हैं। शाहजहाँ को पेड़-पौधों और बागानों का बड़ा शौक था। उसके निवास के आसपास तरह तरह के फूल और बागान लगाये गए थे और हर समय इसका ख़याल रखा जाता था।

शाहजहाँ द्वारा निर्मित ताजमहल Taj Mahal

1612 ई में 20 वर्ष की आयु में खुर्रम का विवाह आसफ खान की बेटी अरजुमंद बानो बेगम यानी मुमताजमहल से हुआ, जिसे शाहजहां ने मलिका-ए-जमानी की उपाधि दी। 1631 ई में 14 वीं संतान के प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गई उसके प्रेम वियोग में शाहजहाँ पूरी तरह से टूट गया और मुमताज़ के याद में शाहजहाँ ने “ताजमहल” का निर्माण कराया।

कहा जाता है कि मुमताज और शाहजहां दोनों की मुलाकात एक बाजार में हुई थी और उसके बाद दोनों की सगाई हुई थी। सगाई होने के 5 साल बाद 10 मई 1612 को दोनों की शादी हुई थी। मुमताज़ के अलावा शाहजहाँ की अन्य और भी पत्नियाँ थी लेकिनं सबसे ज्यादा करीब मुमताज़ ही थी कुछ इतिहासकार यहाँ तक कहते हैं की शाहजहाँ मुमताज़ के फरमान से ही अपना फैसला सुनाया करता था।

जब  मुमताज़ अपने आखिरी समय में थी तब उसने  शाहजहां को बुलाया जब शाहजहाँ कमरे में पहुंचा, तो वहां उसने मुमताज को हकीमों से घिरा हुआ पाया तो उसे अंदाजा हो गया था कि मुमताज ज्यादा देर तक जिंदा नहीं बचेगी।

शाहजहाँ के शासनकाल की कुछ मुख्य बातें Some good and bad events of Shah Jahan

शाहजहाँ एक कट्टर इस्लाम पसंदी शासक था और उसने 1633 ई. में पुरे साम्राज्य में  हिन्दू मन्दिरों को गिरा देने का फरमान सुनाया। जिसके फलस्वरूप बनारस, इलाहाबाद, गुजरात, और कश्मीर में अनेक हिन्दू मन्दिर तोड़े गये। शाहजहाँ ने लाखों हिन्दू परिवारों को बलात इस्लाम स्वीकार करने के लिए दबाव डाला और जिसने भी शाहजहाँ का विरोध किया उसका बेरहमी से क़त्ल करवा किया।

 शाहजहाँ ने 1634 में यह पाबंदी लगा दी कि यदि कोई मुसलमान महिला  हिन्दू मर्द से तब तक शादी नहीं कर सकती जब तक वह इस्लाम धर्म स्वीकार न कर ले। पुर्तगालियो से युद्ध होने पर उसने आगरे के गिरिजाघरो को तुड़वा दिया था।

अपने शासनकाल के सातवें वर्ष शाहजहाँ ने यह आदेश जारी किया कि यदि कोई स्वेच्छा से मुसलमान बन जाए तो उसे अपने पिता की सम्पत्ति का हिस्सा प्राप्त हो जाएगा। शाहजहाँ ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए एक अलग विभाग ही बना डाला था। जिनका काम ही हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाना था।

इतने घिनौने कृत्य के बाद भी शाहजहाँ ने कुछ अच्छे कार्य भी करवाए थे जिसमे उसने दिल्ली में एक कॉलेज का निर्माण करवाया और दारूल बका कॉलेज की मरम्मत कराई। उसके शासनकाल में वह न्याय करने में बिलकुल भी देरी पसंद नहीं करता था।

शाहजहाँ के शासनकाल का अंत End of Shah Jahan Reign

ऐसा माना जाता है कि मुमताज की मौत के बाद 2 साल तक शाहजहाँ शोक में डूब गया था और अपने सारे शौक त्याग दिए थे, न तो वह शाही लिबास पहनता था और न ही शाही जलसे में वे शामिल होता था।

शाहजहाँ के कुल चौदह संताने थी जिसमे से सिर्फ सात ही जीवित बची थी जिसमे 4 लड़के थे चार लड़कों के नाम दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंग़ज़ेब, मुराद बख्श था इन सभी के आपस में बिलकुल भी नहीं बनती थी।

शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद उसके चारों बेटों में 1657 ई में गद्दी के लिए झगडा शुरू हो गया। शाहजहाँ चाहता था की दारा शिकोह गद्दी संभाले क्योंकि वह ज्यादा समझदार और पराक्रमी था उसने भगवद गीता और योगवशिष्ठ उपनिषद् और रामायण का अनुवाद फारसी में करवाया था।

लेकिन उसके पुत्र औरंगजेब ने छल से शाहजहाँ की गद्दी पे अधिकार कर लिया और 18 जून को 1658 को शाहजहाँ को बंदी बना लिया 8 साल तक औरंगजेब ने शाहजहाँ को क़ैद में रखा जिसके कारण शाहजहाँ बीमार रहने लगा और 31 जनवरी 1666 को उसकी मृत्यु हो गई और इसी के साथ उसके राज़ का अंत आया और उसके बेटे औरंगजेब ने शाहजहाँ से अभी अधिक क्रूरता दिखाई। आशा करते हैं आपको शाहजहाँ का जीवन परिचय हिंदी Shah Jahan Biography in Hindi से पूरी जानकारी मिली होगी।

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