कारक की परिभाषा, भेद, उदाहरण Karak in Hindi VYAKARAN

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे – कारक की परिभाषा, भेद, उदाहरण Karak in Hindi VYAKARAN

कारक की परिभाषा, भेद, उदाहरण Karak in Hindi VYAKARAN

Contents

कारक की परिभाषा

कारक ऐसे शब्दों को कहते हैं जो क्रिया के करने से होते हैं। उदाहरण के तौर पर वाक्य “राम को वनवास जाना था” को देखा जा सकता है। इस वाक्य में यह देखा जा सकता है कि राम कर्ता हैं और जाना क्रिया, लेकिन क्रिया एवं करता को मिलाने वाला “को” है। इस वाक्य में “को” कारक है।

कारक के अन्य उदाहरण 

  • रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था। 
  • प्रतीक ने पत्र लिखा। 
  • सुनीता ने खाना खा लिया। 
  • सुरेश को घूमने जाना है। 
  • ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली थी। 
  • आधी रात को कुत्ते भौंक रहे थे। 
  • सुरेश कार से जा रहा था। 
  • रीना के द्वारा मुझे यह बात पता चली। 
  • तुम ने यह कहा था। 
  • ट्रेन कानपुर पहुंच चुकी है। 

कारक के भेद 

  • कर्ता कारक 
  • कर्म कारक 
  • करण कारक 
  • संप्रदान कारक 
  • अपादान कारक 
  • संबंध कारक 
  • अधिकरण कारक 
  • संबोधन कारक 

कर्ता कारक 

वाक्य में जो शब्द कार्य करता है उसे कर्ता कारक कहा जाता है। इस प्रकार के कारक कर्ता द्वारा किए गए कार्य को दर्शाते हैं। इसका प्रयोग सदैव भूतकाल में होता है, एवं उसकी विभक्ति ने द्वारा होती है। 

“ने” द्वारा प्रदर्शित कर्ता सदैव संज्ञा या सर्वनाम होता है। 

कर्ता कारक के उदाहरण :- 

  • राम ने खाना खा लिया। 
  • धीरज ने अपना काम कर लिया। 
  • वैशाली ने यह कहा था। 
  • माताजी ने कुत्ते पालें हैं। 
  • तुम ने क्या किया? 
  • ट्रेन ने रफ्तार पकड़ ली। 
  • रविंदर ने चुप रहना सही समझा। 
  • प्रतिलिपि ने प्रतियोगिता शुरू की है। 

कर्म कारक 

इस प्रकार का कारक, क्रिया पर प्रभाव डालता है इस कारण इसे कर्म कारक कहा जाता है। “को” को इसका चिन्ह माना जाता है। किंतु कहीं कहीं पर को का लोप होता है, एवं उसके बिना ही वाक्य को कर्म कारक से बनाया जा सकता है। कर्म कारक सदैव द्वितीय विभक्ति में प्रयोग किया जाता है।

कर्म कारक के उदाहरण :- 

  • धीरज को मारो। 
  • निखिलेश को ये देदो। 
  • राम ने सुग्रीव को राजगद्दी दिलवाई। 
  • जामवांत, हनुमान को कुछ याद दिला रहे थे। 
  • सुमन कानपुर जा रही है। (यहां को का लोप देखा जा सकता है) 

करण कारक 

करण कारक, क्रिया करवाने के साधन को कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर वाक्य “नीता, खिलौने से खेल रही है” को देखा जा सकता है। यहां पर नीता कर्ता है, एवं खेलना क्रिया, लेकिन खिलौना क्रिया को क्रियान्वित कराने वाला कारक है। इसी तरह खिलौने ने से के माध्यम से क्रियान्वित किया, इस कारण, से करण कारक है। 

करण कारक से बने वाक्य :- 

  • अनंत ट्रेन से जा रहा है। 
  • तुम किस से मिलोगे। 
  • कौन से देश विश्वकप खेलेंगे। 
  • पाकिस्तान से क्रिकेट मैच जीतना है। 
  • कृष्ण को राधा से प्रेम है। 
  • मैं यह कलम से लिख रहा हूँ। 
  • बाबा कुल्हड़ से चाय पीते हैं। 

संप्रदान कारक 

किसी भी वाक्य में क्रिया को क्रियान्वित करने वाला व्यक्ति वस्तु अथवा तत्व कर्ता कहलाता है, लेकिन वह जिस व्यक्ति, वस्तु अथवा तत्व के लिए ऐसा करता है उसे संप्रदान कारक कहा जाता है। संप्रदान कारक की विभक्ति “के लिए” होती है। 

संप्रदान कारक से बने वाक्य :- 

  • धीरज के लिए खाना लाओ। 
  • ट्रेन के लिए पटरी बन रही है। 
  • वो दुबई के लिए रवाना हो गए। 
  • उत्तरा के लिए पुस्तक लाइए। 
  • भूखों के लिए भोजन बनाओ। 
  • सर्दी से बचने के लिए रजाई ले आओ। 

अपादान कारक 

अपादान कारक किसी वस्तु से किसी अन्य वस्तु के विभाजन का बोध कराता है। उदाहरण के तौर पर वाक्य, “पेड़ से फल गिरा” को देखा जा सकता है। यहां यह देखा जा सकता है कि, पेड़ एवं फल के अलग होने पर अपादान कारक का प्रयोग किया गया है। अपादान कारक का विभक्ति चिन्ह “से” होता है। और यह अलग होने वाली वस्तु के जुड़ाव को भी दर्शाता है। 

अपादान कारक से बने वाक्य :- 

  • नल से पानी गिर रहा है। 
  • मेरा घर वाहन वहां से दूर है। 
  • बादलों से बारिश हो रही है। 
  • टीना कुत्तों से डरती है। 
  • कलाइयों से घड़ी गिर गई। 
  • मैं अपने अध्यापक से भय खाता हूँ। 

संबंध कारक 

संबंध कारक संज्ञा या सर्वनाम में संबंध दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है। संबंध कारक का प्रयोग किन्ही दो तत्व, वस्तु अथवा व्यक्तियों के मध्य के संबंध को दर्शाता है। इसके विभक्ति चिन्ह कई सारे हैं। वे “री, रा, की, के, का, रा” हैं। संज्ञा, लिंग या वचन के द्वारा इसकी विभक्ति को बदला जा सकता है। 

संबध कारक से बने वाक्य :- 

  • कानपुर, शिवम का घर है। 
  • वह मेरा पुत्र है। 
  • उसके सर में दर्द है। 
  • ट्रेन की रफ्तार बहुत तेज़ है। 
  • मैं हिंदी का कवि हूँ। 
  • वह सुरेश की कलम है। 
  • वह माही का बल्ला है। 
  • खेतों के मालिक आ रहे हैं। 
  • राजस्थान की राजधानी जयपुर है। 
  • वह सुनीता की मौसी हैं। 

अधिकरण कारक 

वाक्य में जिस शब्द द्वारा कर्ता के आधार का बोध हो वह अधिकरण कारक कहलाता है। उदाहरण के तौर पर वाक्य, मैं घर में रहता हूँ, को देखा जा सकता है। यहां पर “मैं” कर्ता है, रहना क्रिया है एवं घर में, कर्ता का आधार है। इसी कारण इसे इस तरह प्रयोग किया गया है। अधिकरण कारक का विभक्ति चिन्ह, “में” है। 

अधिकरण कारक से बने वाक्य :- 

  • निखिलेश ने कलम बैग में रखी है। 
  • वह शाम को नहर किनारे गया था। 
  • मंदिर में दिया जल रहा है। 
  • रजाई, पलंग पर रखी है। 
  • टोकरी में आम रखे हैं। 
  • पानीपत में अकबर का युद्ध हुआ था। 
  • दराज के अंदर क्या है? 

संबोधन कारक 

संबोधन कारक का प्रयोग किसी को संबोधित करने के लिए किया जाता है। यह अक्सर चेतावनी देने, पुकारने, ध्यान हटाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका विभक्ति चिन्ह (!) की मात्रा को माना जाता है।

संबोधन कारक से बने वाक्य :- 

  • हे किसानों! लड़ो अपने हक के लिए।
  • अरे सुनो! यहां चले आओ। 
  • श्रीमति जी! अखबार दीजिए। 
  • सुनिए भैया! दो कप चाय दे दो। 
  • माताजी! आप वहां सो जाइये। 
  • अजी! आप कहां रहेंगे अब। 
  • अरे धीरज! पढ़ना शुरू करो। 

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