भारत के राज्यों के बीच नदी जल विवाद Water disputes between States in Hindi
भारत में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, महानदी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, बेतवा, चंबल, सिंधु, झेलम जैसी बहुत सी नदियां हैं। कुछ नदियां जिस राज्य से निकलती हैं उसी में समाप्त हो जाती हैं तो कुछ नदियां कई राज्यों से होकर गुजरती हैं।
पिछले कई सालों में भारत में नदियों के जल को लेकर विवाद रहा है। भारत में मानसून अनिश्चित रहता है। इस वजह से नदियों के पानी द्वारा सिंचाई की जाती है। पिछले कुछ सालों में भारत में कृष्णा, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी को लेकर विवाद रहा है।
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भारत के राज्यों के बीच नदी जल विवाद Water disputes between States in Hindi
इस लेख में हम आपको भारत के कुछ मुख्य जल या नदी विवादों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे –
कावेरी नदी जल विवाद
कावेरी नदी कर्नाटका से निकलती है और तमिलनाडु पुडुचेरी से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है
- 1892 में कावेरी जल के विभाजन पर मैसूर राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच समझौता हुआ था
- 1924 में कावेरी जल के विभाजन पर एक नया समझौता किया गया
- 1970 में तमिलनाडु की सरकार ने केंद्र सरकार से एक ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की। इसके साथ ही तमिलनाडु के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में कावेरी जल की उचित बंटवारे के लिए याचिका डाली
- 1986 में तमिलनाडु ने कावेरी जल के उचित बंटवारे के लिए ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की
- 1990 में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी देखरेख में एक ट्रिब्यूनल की स्थापना की
नर्मदा जल विवाद
यह विवाद मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों के बीच है। नर्मदा नदी मध्य प्रदेश में अमरकंटक से निकलती है। इसकी लंबाई 1300 किलोमीटर है और बेसिन क्षेत्र 98796 वर्ग किलोमीटर है। इस विवाद को सुलझाने के लिए अंतर राज्य जल विवाद अधिनियम 1956 द्वारा नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया।
1979 के फैसले में नर्मदा नदी से गुजरात राज्य को 90 लाख एकड़ फीट, मध्य प्रदेश को 182.5 लाख एकड़ फीट, महाराष्ट्र को 2.5 लाख एकड़ फीट जल देने की बात कही गयी। नर्मदा नदी पर बना हुआ सरदार सरोवर बांध को लेकर कई विवाद हैं।
सतलज रवि व्यास नदी विवाद
यह जल विवाद पंजाब और हरियाणा राज्यों के बीच है जब हरियाणा ने अपने हिस्से का पानी पंजाब से मांगा तो यह विवाद शुरू हुआ। यह विवाद 50 साल पुराना है। पंजाब सरकार कहती है कि वहां जल बहुत कम है। इसलिए उसे ज्यादा पानी मिलना चाहिए। यदि वह हरियाणा को पानी देगी तो पंजाब में पानी का संकट उत्पन्न हो जाएगा।
गोदावरी नदी जल विवाद
गोदावरी नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले से निकलती है। इसकी लंबाई 1465 किलोमीटर है। गोदावरी जल को पाने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और मध्य प्रदेश के बीच विवाद है। सरकार ने इसे सुलझाने के लिए 1969 में एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। पर यह विवाद अभी तक पूरी तरह सुलझा नहीं है।
कृष्णा जल विवाद
यह विवाद आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जिलों के बीच कावेरी नदी के जल बटवारे के कारण है। यह नदी महाबलेश्वर से निकलती है जो सतारा, सांगली जिलों से होते हुए दक्षिण आंध्र प्रदेश में बहती है। यह कर्नाटक के 30 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है। इस विवाद को सुलझाने के लिए बछावत न्यायाधिकरण का गठन 1969 में किया गया।
1976 में इसका निर्णय आया। निर्णय में महाराष्ट्र को 560 अरब क्यूसेक पानी, कर्नाटक को 700 अरब क्यूसेक और आंध्र प्रदेश को 800 अरब क्यूसेक पानी देने पर का निर्णय किया गया। इस विवाद का अभी पूरी तरह हल नहीं निकला है।
सोन नदी जल विवाद
सोन नदी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के बीच बहती है। सोन और रिहंद नदियों के जल विवाद को लेकर 1973 में बाणसागर समझौता हुआ था। समझौते में बिहार को रिहंद नदी का पूरा पानी देने का समझौता हुआ, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के एनटीपीसी और रिहंद बांध भी इस नदी का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं।
यमुना जल नदी जल विवाद
यह विवाद यमुना नदी के जल को लेकर है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के बीच है। 1954 में यमुना जल समझौता मात्र 2 राज्यों- उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच हुआ था जिसमें जल का 77% हिस्सा हरियाणा को और 23% हिस्सा उत्तर प्रदेश को देना निश्चित किया गया। बाद में राजस्थान हिमाचल प्रदेश और दिल्ली भी अपने हिस्से का जल मांगने लगे।
में पांच राज्यों को लेकर यमुना जल के बंटवारे के लिए फिर से समझौता किया गया। इसमें 1994 दिल्ली को उचित मात्रा में पानी देने का निर्णय किया गया। हरियाणा और उत्तर प्रदेश को भी जल देने का निर्णय किया गया। यह विवाद अभी पूरी तरह सुलझा नहीं है।