सूर्य नमस्कार, फायदा और कैसे करे? Surya Namaskar Benefits and Steps in Hindi
सूर्य को ज्ञान और प्रकाश का स्रोत माना जाता है। सभी देवताओं में सूर्य एक प्रत्यक्ष देवता है, जिसे हम देख सकते हैं। सूर्य के बिना यह सृष्टि नहीं चल सकती। सभी नौ ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर प्रकाश होता है। यदि सूर्य ही ना हो तो कोई भी फसल नहीं उग सकती है।
हम सभी को भोजन फसलों से ही प्राप्त होता है। सूर्य के बिना कोई भी जीव जंतु जीवित नही रह सकता है। भारतीय संस्कृति में सूर्य का महत्व बहुत अधिक है। सभी देवताओं के साथ सूर्य की पूजा भी की जाती है। हमारे देश में सुबह उठकर सभी स्त्री-पुरुष सूर्य को जल देते हैं। इससे जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
सूर्य नमस्कार एक बहुत ही उपयोगी व्यायाम है। यह योगा और ध्यान के अंतर्गत आता है। इसे करने से शरीर का तनाव दूर होता है और मन भी स्वस्थ होता है। आजकल इसे देशभर में सभी लोग करने लगे हैं। यह काफी लोकप्रिय हो गया है। श्री श्री रविशंकर, बाबा रामदेव जैसे आध्यात्मिक गुरु इसे करने का प्रशिक्षण देते हैं।
सूर्य नमस्कार, फायदा और कैसे करे? Surya Namaskar Benefits and Steps in Hindi
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योग के आसनों में सूर्य नमस्कार सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। हर सुबह इसे 10 से 15 मिनट अवश्य करना चाहिए। इससे शरीर के बहुत से रोग दूर होते हैं। आध्यात्मिक शांति मिलती है। मन स्थिर रहता है, तनाव थकान डिप्रेशन दूर होता है।
सूर्य नमस्कार करने की विधि
सूर्य नमस्कार करने के 8 स्टेप हैं जो इस प्रकार है-
स्टेप 1
प्रणाम आसन : यह पहला आसन है। अपने दोनों हाथ जोड़कर सूर्य की दिशा में खड़े हो जाएं। दोनों आंखें बंद करके सूर्य भगवान का ध्यान करें। “ओम मित्राय नमः” का जाप करें।
स्टेप 2
हस्तउत्तानासन : नाक से सांस लेते हुए दोनों हाथों को सीधा करें और धीरे-धीरे अपने शरीर को मोड़े और हाथों को पीछे ले जाएं। गर्दन को पीछे की ओर झुकाना है। आपका शरीर किसी धनुष की तरह दिखने लगेगा। ध्यान को गर्दन के पीछे बिशुढ़ी चक्र पर केंद्रित करे।
स्टेप 3
हस्त पादासन : इस आसन में आपको दोनों हाथों को उठाते हुए नीचे झुकना है। आप धीरे-धीरे अपनी साँस छोड़ते हुए दोनों हाथों को गर्दन और कानों से सटाते हुए धीरे धीरे नीचे झुकें और धरती को स्पर्श करें। आपको अपने घुटनों को मोड़ना नहीं है, बल्कि सीधा रखना है। ध्यान नाभि के पीछे मणिपुरक चक्र पर केंद्रित करें। रीढ़ की हड्डी और कमर दर्द के रोगियों को यह आसन अवश्य करना चाहिए।
स्टेप 4
अश्व संचालन आसन : यह आसन बैठकर किया जाएगा। इस आसन में आपको ऐसा बनना है जैसे किसी घोड़े की सवारी कर रहे है। धीरे धीरे सांस भरते हुए अपने बाएं पैर को पीछे करें। गर्दन को जितना हो सके पीछे उठाने का प्रयास करें। आप के बाएं पैर का पंजा खड़ा हुआ होना चाहिए। इस स्थिति में 1, 2 मिनट रुकने का प्रयास करें।
स्टेप 5
दंड आसन : इस आसन में आपको दोनों हाथों पर खुद को स्थिर करना है। आपके दोनों पंजे खड़े होने चाहिए। दोनों पैर की एड़ियों को मिला लेना चाहिए। अपने नितंबों को अधिक से अधिक ऊपर उठाने का प्रयास करें। इस मुद्रा में कुछ मिनट रहने का प्रयास करना चाहिए। ध्यान सहस्रार चक्र पर केंद्रित करें।
स्टेप 6
अष्टांग नमस्कार : इस आसन में आपको धरती के समानांतर लेटना है। परंतु आपको अपनी कमर ऊपर उठानी है। आपकी छाती धरती से सटी हुई होनी चाहिए। आपका माथा धरती से स्पर्श करना चाहिए। नितंबों को ऊपर उठाना चाहिए। ध्यान को अनहार चक्र पर केन्द्रित करे।
स्टेप 7
भुजंग आसन: इस आसन में आपको अपने शरीर को ऊपर की ओर ले जाना है। दोनों हाथों को जमीन पर स्थिर रखें और अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर फैला दें। अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को धीरे धीरे ऊपर की ओर 90 डिग्री का कोण बनाते हुए नाक से हवा लेते हुए ऊपर उठाएं। आपके पैरों की दोनों एड़ियाँ खड़ी होनी चाहिए। घुटने जमीन से स्पर्श करना चाहिए। आपका मुख आसमान की दिशा में हो।
स्टेप 8
पर्वत आसन : इस आसन में आपको अपना शरीर किसी पर्वत की तरह बना लेना है। जिस तरह एक पर्वत ऊपर से नुकीला और नीचे से चौड़ा होता है, उसी तरह आपको अपना शरीर बना लेना है। सीधा खड़ा होकर अपने दोनों पैरों को जोड़ लें और दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए धीरे-धीरे नीचे ले जाएं और जमीन से स्पर्श करा दें। आपकी कमर बीचोबीच किसी पर्वत की चोटी की तरह दिखनी चाहिए। आपके घुटने सीधे होने चाहिए और कोहनियां भी सीधी होनी चाहिए। ध्यान संसरार चक्त्र पर केंद्रित करे।
स्टेप 9
अश्व संचालन आसन: इस आसन में घोड़े के समान शरीर बनाते हैं। लंबी सांस भरते हुए बाएं पैर को पीछे ले जाते हैं। छाती में सांस भर कर आगे की तरफ तान देते हैं। गर्दन को जितना हो सके पीछे ले जाते हैं। इस आसन में पैर का पंजा खड़ा होना चाहिए। कुछ देर तक व्यक्ति को इस आसन में रुकना चाहिए।
स्टेप 10
हस्तासन: इस आसन में दोनों पैरों पर झुक कर अंग्रेजी के कैपिटल लेटर “I” जैसी आकृति बना लेते हैं। दोनों पैरों पर खड़े होकर धीरे-धीरे सांस निकालते हुए नीचे झुकते हैं। दोनों हाथों की हथेली जमीन पर स्पर्श होनी चाहिए और झुकते हुए आपका सिर आपके घुटनों पर स्पर्श करना चाहिए। कुछ देर इस आसन में रुकना चाहिए।
स्टेप 11
हस्त उत्तानासन: यह दूसरे वाले आसन जैसा ही है। इसमें सीधा खड़े होते हैं। सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हैं। आसमान की तरफ देखते हैं और गर्दन और कमर को थोड़ा पीछे झुकाते हैं। कुछ देर रात के शासन में खड़े होना चाहिए।
स्टेप 12
प्रणाम मुद्रा: यह मुद्रा पहले वाले आसन की तरह है। इसमें सूर्य को नमस्कार या प्रणाम किया जाता है। विश्राम की अवस्था में सीधे खड़े होते हैं। उसके बाद दोनों हाथों को जोड़ना होता है। इस आसन को 4 5 करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार करने के फायदे
- हाई ब्लड प्रेशर संतुलित करता है- इसे करने से शरीर में रक्त का प्रवाह तेज होता है और हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) संतुलित रहता है। इसके साथ ही मोटापा दूर होता है।
- हमें ऊर्जावान बनाता है- जो लोग रोज सूर्य नमस्कार करते हैं वह अन्य लोगों की तुलना में अधिक ऊर्जावान रहते हैं। उर्जावान व्यक्ति अपने जीवन में आसानी से सफलता पा लेते है।
- हड्डियां मजबूत होती हैं- रोज सूर्य नमस्कार करने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रहती है- रोज 10, 15 मिनट सूर्य नमस्कार करने से व्यक्ति के शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रहती है। शरीर के अपशिष्ट पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं।
- भूख बढ़ती है- जिन लोगों को भूख नहीं लगती है उन्हें सूर्य नमस्कार अवश्य करना चाहिए। इसे करने से खूब भूख लगती है। याददाश्त भी मजबूत होती है।
- विटामिन डी की प्राप्ति- सूर्य नमस्कार लोग बाहर सुबह की रोशनी में करते हैं। इसलिए लोगों को विटामिन डी भी मिल जाता है। इससे उनका चेहरा चमकदार और निखरा रहता है। उनके सिर के बाल भी मजबूत रहते हैं। उनकी त्वचा में निखार आता है।
- मासिक धर्म को नियमित करता है- आमतौर पर स्त्रियां अनियमित मासिक धर्म की समस्या से ग्रस्त रहती हैं। ऐसे में सूर्य नमस्कार करने से मासिक धर्म नियमित हो जाता है।
- पाचन तंत्र मजबूत होता है- जो व्यक्ति कमजोर पाचन तंत्र की समस्या से जूझ रहे हैं उन्हें सूर्य नमस्कार अवश्य करना चाहिए। इसे करने से शरीर के सभी अंगो की अच्छी कसरत हो जाती है। सभी अंगो का खिंचाव होता है जिससे पाचन तंत्र ठीक हो जाता है। सुबह खाली पेट सूर्य नमस्कार करने से कब्ज, खट्टी डकारें, पेट में जलन जैसी बीमारियां खत्म हो जाती हैं।